तीन राजकुमारियों के साथ सुहागरात- 2

(Queen Sex Kahani)

ठरकी छोकरो 2021-05-11 Comments

यह क्वीन सेक्स कहानी काल्पनिक है. पढ़ें कि कैसे एक रियासत की 3 राजकुमारियों से विवाह करके तीनों कुंवारी लड़कियों के साथ एक एक करके सुहागरात मनायी.

क्वीन सेक्स कहानी के पहले भाग
राजकुमारी को चोदकर महारानी बनाया
में आप सबने पढ़ा था कि कैसे मैंने अपने प्यार राजकुमारी कृति को पाने के लिए सितमगढ़ पर कब्जा किया और फिर तीनों राजकुमारियों से विवाह कर लिया.
विवाह के बाद तीनों कुंवारी राजकुमारियों के साथ मेरी सुहागरात का जश्न मनाने के लिए तालाब के आनन्द महल में तैयारी की गई.

मैंने उधर सबसे पहले अपने प्यार महारानी कृति की जमकर चुदाई की.

अब आगे क्वीन सेक्स कहानी:

महारानी कृति की चुदाई के बाद मैंने छोटी राजकुमारी मीना की चुदाई शुरू की.

मेरी और कृति की चुदाई के दौरान ही गर्म ही चुकी राजकुमारी मीना अपने कपड़ों के ऊपर से ही अपने एक हाथ से मम्मे और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी.

मैंने खुद को दुबारा तैयार किया तो राजकुमारी पूजा ने मुझे एक गिलास दिया.
इसमें एक अद्भुत पेय था जो राजवैद्य ने इस ख़ास मौके के लिए बना कर दिया था.

उस पेय को मैंने अपने हलक से उतारा, तो मुझे एक नई स्फूर्ति का अहसास होने लगा.

मैंने मीना कि तरफ देख कर कहा- आओ मीना देवी … इधर आओ … अब थोड़ा अपने पतिदेव के लंड का भी स्वाद चख लो.
राजकुमारी मीना- जो आज्ञा स्वामी.

वो ये कहते हुए एक अच्छी भार्या की तरह मेरे पास आई और मेरे सिर को पकड़ कर चुम्बन करने लगी.
मीना के होंठ कृति के मुकाबले थोड़े मोटे पर ज्यादा मुलायम थे.

हम एक दूसरे को चूमने चाटने लगे.
मीना के शरीर की मादक खुश्बू ने ही मुझे राजकुमारी पूजा को छोड़ कर अपनी ओर आने को मजबूर किया था.

मीना की चुदाई से पहले पूजा मुझसे चुदना चाहती थी क्योंकि मंझली वो ही थी. मगर मैं पूजा की प्यासी गांड को छोड़कर राजकुमारी मीना को किस करते हुए मजा लेने लगा.

कुछ ही पलों में मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया और उसके संतरे चूसने लगा. पांच मिनट बाद में उठा और मैंने मीना का लहंगा उतार फेंका. वो नीचे से एकदम नंगी थी.

मैंने उसे कमर से इस तरह उल्टा उठाया कि उसकी टांगें ऊपर हो गईं और सर नीचे हो गया. इस समय फूल सी सुकोमल राजकुमारी मेरी भुजाओं में उलटी लटकी थी.

हम दोनों खड़े होकर 69 की पोजिशन में थे. मैंने राजकुमारी मीना की दोनों टागें अपने कन्धों पर लेकर कुछ इस तरह से उसे लटकाया था, जिससे उसकी चुत मेरे मुँह से लगी थी.

मैंने अपनी जीभ मीना की छोटी सी कुंवारी चूत में पेल दी. मीना भी नीचे से मेरा लंड किसी मलाईदार केले के जैसे चूसने लगी.

मीना बार बार लंड को मुँह से निकलाते हुए मचलती और आवाज निकालती- आह्हह … प्रिय … अब और मत तड़पाओ उम्मह मुझसे और नहीं रहा जाता … याह अब चोद भी दो … उम्म्ह.

करीब दस मिनट में ही मीना ने कांपते हुए मेरा मुँह अपने नमकीन योनिरस से भर दिया.
मैंने उसके पूरे योनिरस को बड़ी तल्लीनता से चाट चाट कर साफ़ कर दिया.

अधर में लटकी हुई मीना ने भी मेरा लंड चूस चूस कर अच्छी तरह से गीला कर दिया था. अब वह चुदने को तैयार थी.

मैंने मीना को नीचे उतारा. उसका सवा पांच फुट का कद और कमनीय काया देख कर यूं लग रहा था मानो कोई नन्हीं सी अप्सरा मेरे साथ रमण करने को आतुर हो.

मैंने छोटी सी मीना को गोदी में उठाया तो उसने किसी नट की तरह अपने हाथ मेरी गर्दन पर लपेट लिए.
हम दोनों अधररस का मजा लेने लगे.

पहले मैंने मीना की चुत से टपकते हुए योनिरस से अपने लंड को फिर से गीला किया. फिर बाएं हाथ से मीना की गांड को सम्भाला और दाएं से उसकी कमर पर सहारा देते हुए नीचे अपने लंड पर उसकी गीली चूत को सैट कर लिया.

मीना ने अपनी चुत पर मेरे मूसल लंड का अहसास करते हुए ही एक बार कमर को ऊपर नीचे करके लंड की रगड़न का मजा लिया और अपनी चुदने की व्याकुलता को प्रदर्शित किया.

मैंने मीना की कमर को पकड़ा और नीचे और दबाव दे दिया.
गुरुत्वाकर्षण की मदद से वो नीचे को हुई और पहली ही बार में मेरा लंड 4 इंच तक चुत के अन्दर चला गया.

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लंड के चुत में प्रविष्ट होते वो जोर से चीख पड़ी.
उसने अपने नाखून मेरी गर्दन के नीचे पीठ में ऐसे गड़ा दिए, मानो वो अपने नाखूनों की सहायता से ऊपर की ओर होने का प्रयास कर रही हो.

मैं उसकी पीड़ा का अनुमान लगाकर थोड़ी देर रुक गया.

मीना की दर्द भरी तेज आहें और कराहें निकल कर महल का वातावरण गर्म कर रही थीं जिसे पूजा बड़े ध्यान से सुन रही थी.

मीना- आह … आह चोद दो प्रिय … चाहे में जितना भी रोऊं चीखूँ … मुझे जितना भी दर्द हो … आप मत रुकना … आप चुदाई जारी रखना … हम्म हम्म ..’

उसकी इन रसभरी बातों से मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया और मैंने फिर से एक जोर का धक्का दे दिया.
इस बार मेरा पूरा 7 इंच का लंड मीना की छोटी सी चूत को चीरते हुए बच्चेदानी के अन्दर तक पहुंच चुका था.

इस बार मीना की तेज चीख पूरे महल में गूंज उठी थी. उसकी आंख से आसू निकल रहे थे, खून की कुछ बूंदें उसकी चूत से निकल कर मेरे लंड और वृषण से होते हुए नीचे टपकने लगी थीं.
मैंने सही समय देख कर फिर से धीरे धीरे धक्के देना चालू कर दिए.

करीब दो मिनट की दर्दनाक चीखों के बाद अब मीना का दर्द आनन्द में बदल चुका था.
अब वो भी लंड की लय में अपनी गांड हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी थी.

फिर से पूरा महल ‘आह … आह ..’ की मधुर आवाजों से गूंजने लगा था.

मीना- आह … चोद दो प्रिय … और जोर से चोदो … उम्मह … फाड़ डालो अपनी इस छोटी रंडी की चूत को … आह.

करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद ऐसे ही लटकी अवस्था में मीना ने अपनी चुत का पानी छोड़ दिया.
चुत रसीली हो गई थी. इस कारण से अब मेरे हर धक्के के साथ शयन कक्ष में ‘पचाक फचाक ..’ की आवाजें गूंजने लगी थीं.

इतनी देर में मैं भी थोड़ा थक गया था. मगर झड़ा नहीं था. मैंने मीना को इसी अवस्था में शयनकक्ष की दीवार के सहारे सटा दिया और इसी के साथ मैंने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी.

मेरा इशारा पाकर पूजा ने दूसरा मुकुट मीना के सर पर सजा दिया और राजकुमारी मीना अब महारानी मीना बन गई थी.

महारानी मीना जोर से चिल्लाते हुए मजा लेने लगी थी- आह … पेलो मुझे स्वामी … उम्म्मह … और जोर से पेलो अपनी छोटी रानी को … आह …. मुझे भी अपनी रांड बना लो … आह.

इधर महारानी कृति भी इतने मादक शोर से अपनी नींद खोल चुकी थी.
कृति हमारी ओर आई.
वह बड़े गर्व से महारानी मीना को चुदते हुए देख रही थी.

उसको नजदीक पाकर मेरी भी सिसकारियां भी तेज होने लगी थीं.
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं और मीना एक साथ में ही चिल्लाते हुए झड़ गए.

मैंने अपने वीर्य से मीना की बच्चेदानी भर दी.
महारानी कृति हमारे और करीब आई और मीना के गाल पर हाथ फेरते हुए उसने मीना के माथे पर प्यार से चुम्बन कर दिया.

महारानी कृति आज बहुत खुश थी क्योंकि उसके साथ उसकी छोटी बहन भी अब बालिका से औरत बन चुकी थी.

थकान के कारण हम तीनों, नंगे ही एक दूसरे को लिपटे हुए पलंग पर लेट गए.

कुछ देर बाद प्यासी राजकुमारी पूजा की चूत चुदाई की बारी आ गई थी.

एक बार फिर से महारानी कृति ने मुझे अश्वशक्ति प्रदान करने वाला पेय पिलाया और कुछ ही देर में मैं पुनः एक अश्व के समान हिनहिनाने लगा.
मेरा लंड फिर से कुंवारी चुत फाड़ने के लिए तैयार होने लगा था.

थोड़ी देर बाद जब मैं उठा, तो मीना मेरे ऊपर थी और कृति बाजू में थी.

वो दोनों अभी भी थकान में थीं, पर मुझे पूजा कहीं भी नहीं दिख रही थी.

मैं बाहर को गया, तो वहां गलियारे में पूजा अकेली नंगी बैठी रो रही थी.

मेरे पूछने पर वो कुछ नहीं बोली और दूसरे छोर पर जाकर फिर से रोने लगी.

मैं उसे जबरदस्ती अपनी गोदी में उठा कर नीचे बने तरणताल में नहाने ले गया ताकि वो फ्रेश हो जाए.

मैं तरणताल के किनारे उसे बिठा कर उसके बाजू में ही बैठ गया. वो अभी भी रो रही थी और मैं उसे देख रहा था.

थोड़ी देर बाद राजकुमारी पूजा मुझसे गले से लग गई.

पूजा रोते हुए बोली- कृति में ऐसा क्या है … जो मुझमें नहीं है? क्या मैं सुंदर नहीं हूं … क्या मेरा फिगर अच्छा नहीं है? आप पहले भी उसी से बात किया करते थे और मुझसे नज़रें तक नहीं मिलाते थे. आज भी आपने उन दोनों को खूब चोदा और मुझे यूं ही छोड़ दिया. क्या मैं इतनी बुरी हूं … क्या आप मुझसे प्यार नहीं करते हैं महाराज!

इतना कह कर वो फिर से रोने लगी.

उसकी इन बातों से मुझे पता चला कि पूजा भी मुझे बहुत प्यार करती है. जबकि मैं कृति अकेली से प्यार करता था … इसी लिए वह गुस्सा थी.

मैं उसे चुम्बन करने लगा.
वो मेरे साथ चूमने में सहयोग करने लगी.

मैं एक हाथ से उसके मम्मे और दूसरे हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा.
राजकुमारी पूजा धीरे धीरे गर्म हो रही थी. उसने रोना बंद किया और मेरा लंड सहलाते हुए लंड की मुठ मारने लगी.

धीरे धीरे मेरा लंड फिर से लौड़ा बन गया.

मैंने उसे तरणताल में उतार दिया और पानी में ही दीवार के सहारे खड़ा कर दिया.
उसने अभी भी कपड़े पहने हुए थे.

जल्दी ही मैंने उसकी राजसी पोशाक को उतार कर पानी में बहने छोड़ दिया. मैं पहले से ही पूर्ण नग्न था.

मैंने राजकुमारी पूजा की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रखी और उसकी चूत पर अपने लौड़े को सैट कर दिया.
वो लौड़े के स्पर्श से ही लहराते हुए कमर हिलाने लगी.

मैंने उसी समय जोर का धक्का दे मारा.
राजकुमारी पूजा की कुंवारी चूत और तरणताल के पानी की वजह से कुछ दिक्कत हुई लेकिन मैंने हार नहीं मानी.

राजकुमारी पूजा की दर्द भरी आवाज को नजरअंदाज करते हुए मैंने दूसरा प्रहार भी कर दिया.

पूजा की चुत फट गई थी और पानी में रक्त की लालिमा दिखने लगी थी.

मैंने बिना रुके तीसरी बार में अपना पूरा लौड़ा कमसिन चुत के अन्दर घुसा दिया.

पूजा पानी में बिना पानी की मछली की तरह तड़फ रही थी- आह … मर गई महाराज मुझे छोड़ दो … उम्म … आह.

यहां देखने वाली बात ये थी कि वो छोड़ देने की बात भी कह रही थी और अपने दर्द को सहते और चिल्लाते हुए मुझे अपनी बांहों में लपेटे जा रही थी.

पूजा की चूत के आसपास का पानी हल्का सा लाल हो चुका था.

थोड़ी देर में वो भी सामान्य हो गई और चुदाई में मेरा साथ देने लगी. हम एक दूसरे को चुम्बन करते हुए कामुक सिसकारियां लिए जा रहे थे.

इसी पल के लिए पूजा एक अरसे से तड़प रही थी.

तभी सामने से महारानी कृति तीसरा मुकुट ले कर नजदीक आ गई और उसने पूजा के सर पर ताज सजा दिया.

अब राजकुमारी से महारानी बन चुकी पूजा ने चिल्लाते हुए चुदाई का मजा लेना शुरू कर दिया था- आह … उम्म … चोदो मुझे मेरे पति देव … आह … मैं कब से इसी प्यार के लिए तड़प रही थी … आह … महाराज मुझे अपनी दासी बना लो.

मैं उसे जलक्रीड़ा का मजा देते हुए करीब 15 मिनट तक अलट पलट कर चोदता रहा.
लम्बी और मस्त चुदाई के बाद पूजा तरणताल में ही झड़ गई.

फिर मैंने उसे बाहर निकाला और पुल के किनारे आराम कुर्सी में लिटा दिया.

मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी एक टांग ऊंची करके पीछे से दिखती चूत को चोदना आरम्भ कर दिया.

इस अवस्था में करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों साथ एक दूसरे में झड़ते हुए समा गए.

तीनों राजकुमारियां मुझसे चुद कर मेरी रानियां बन गई थीं … हम चारों शयनकक्ष में आकर एक साथ पलंग पर नग्न पड़े थे.
पूजा और मीना मेरे आजू बाजू में लेटी थीं और मेरी प्रिय कृति मेरे लंड पर मुँह लगाए लंड चूस रही थी.

उसके साथ मुझे एक बार फिर से चुदाई करने का मन हो गया.

थोड़ी देर बाद पूजा उठी और अन्दर से एक बड़े से कटोरे में तरल चॉकलेट जैसा पदार्थ ले आई. ये उस समय पुर्तगाली व्यापारी लाकर उपहार में देते थे.

पूजा ने मेरे मुरझाए हुए लंड और सीने के निप्पलों पर मल दिया और उनसे खेलने व मुखमैथुन करने लगी.
मेरे शरीर में फिर से करंट सा दौड़ने लगा और लंड फिर से तन गया.
मैंने कृति के स्थान पर पूजा के साथ रमण करने का तय कर लिया.

मैंने भी चॉकलेट को पूजा के मम्मे, नाभि, गर्दन, मुँह और चूत के अन्दर तक मला, हम एक दूसरे को चाटने लगे.
मेरी जीभ नाभि से शुरू करते हुए उसके मदमस्त मम्मों तक पहुंच गई थी.

अब कभी में एक मम्मे को चूसता और दूसरा दबाता, तो कभी दूसरा चूसता और पहला दबाता.
फिर से उसके दूध पर चॉकलेट को लगा आकार चूसने लगता. सबसे ज़्यादा मज़ा तो चूत में चॉकलेट लगा कर चूसने ही आया.

उस समय हम दोनों 69 की अवस्था में थे. मैं उसकी चॉकलेट से सनी चूत के अन्दर तक जीभ फेरता और पूजा मेरा चॉकलेट से लसा हुआ लंड चूसती.

इस तरह से करीब 10 मिनट की 69 अवस्था में लंड व चूत चुसाई में पूजा ने अपना पानी छोड़ दिया.
चॉकलेट और चूत के पानी का मिश्रण मानो अमृत लग रहा था.

मैं उठा और फिर से अपने लंड व पूजा की चूत पर चॉकलेट मलने लगा.

मैंने पूजा को चित लेटने को इशारा किया.
वो लेट गई.

तो मैं उसकी टांगें चौड़ी करके बीच में आ गया.
अपने लंड को पूजा की चूत पर सैट करके मैंने जोर का धक्का दे दिया.

वह ‘आह ..’ करके चीख उठी लेकिन इस बार एक ही बार में पूरा का पूरा लंड पूजा की चूत को चीरते हुए बच्चेदानी से जा टकराया था.

पूजा कामवासना से चिल्लाते हुए कराह उठी- आह … चोदो मुझे … उम्म … मेरे चॉकलेटी महाराज … आह … चोद दो अपनी इस चॉकलेटी रांड को … आह.

हम दोनों ताल से ताल मिलाकर हिलते हुए एक दूसरे को चोदे जा रहे थे.
इसी तरह करीब 10 मिनट चुदाई के बाद संगम का समय आ गया था.

पूजा- आह … ओह महाराज मैं गई.

ये ही चिल्लाते हुए पूजा अपने पैरों से मुझे दबोचने लगी और फिर से झड़ गई.

वह अब ढीली पड़ गई थी लेकिन मैंने अपने धक्के जारी रखे.
इससे थोड़ी ही देर में पूजा फिर से गर्म हो गई.

मैंने उसे उठाया और चॉकलेट का कटोरा लेकर बाहर आ गया.

मैं खुद तरणताल के किनारे पर बैठ गया. मेरे पांव पानी में थे. मैं उसे मेरी और मुँह करके गोदी में बैठने का इशारा किया.

पूजा लंड पर चूत सैट करके धीरे से हल्की सिसकारी के साथ बैठ गई और ऊपर नीचे होने लगी.

मैंने उसकी गांड के नीचे एक हाथ का सहारा दे रखा था. मैंने फिर से उसके दोनों मम्मे चॉकलेट से मल कर चूसने और दबाने लगा.

पूजा अपनी मस्ती में सिसकारियां लेती हुई उछल रही थी.
कुछ 15 मिनट की चुदाई के बाद उसकी आवाजें तेज हो गईं, उसने अपनी गति बढ़ा दी.

मेरा भी अब होने ही वाला था. इसी के साथ कांपते हुए पूजा झड़ गई और 5-6 धक्कों के बाद मेरा भी वीर्य स्खलन हो गया.

पूजा निढाल होकर ताल में गिर पड़ी, लेकिन संभल कर खड़ी हो गई. उसने पास आकर मुझे भी ताल में खींच लिया और हम दोनों एक दूसरे पर पानी उछालने लगे.

हमने चुम्बन किया और पानी से बाहर आ गए. किनारे ही लेट कर हम एक दूसरे से लिपट कर पड़े रहे.

जब शाम हुई, हमारी दासियां नाव से रात्रिभोज लेकर आईं और भोजन सजा कर चली गईं.

मैंने अपनी तीनों महारानियों के साथ नग्न हालत में ही भोजन किया.

हम एक दूसरे को छेड़ते, सहलाते, मजाक मस्ती करते हुए रस लेने लगे.

सबने भोजन पूर्ण किया और शयनकक्ष की ओर चल पड़े, हमारा चुदाई का सिलसिला पुनः चलने लगा.

एक हफ्ते तक हम चारों उसी महल में ही रमण करते रहे. उस दौरान किसी ने कपड़े तक नहीं पहने.
इस दौरान हमने हर तरह के व्यंजनों का आनन्द लिया. कभी शहद का लेपन कर संभोग किया, तो कभी मक्खन, तो कभी मलाई, तो कभी दूध से स्नान करते हुए चुदाई का मजा लिया.

दोस्तो, ये मेरी काल्पनिक क्वीन सेक्स कहानी आपको कैसी लगी … कृपया अपने विचार मेल द्वारा लिखें.
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