सेक्स है कुदरत का वरदान- 4
(New Couple Sex Kahani)
न्यू कपल सेक्स कहानी में भाई से चुद कर विवाह के बाद सुहागरात में एक दुल्हन कैसे अपने पति से पहली बार चुदी? उसने कुंवारी होने का दावा और नाटक किया.
कहानी के पिछले भाग
मामा की बेटी की गांड मारी
में अब तक आपने पढ़ा कि पम्मी का विवाह हर्ष के साथ हो जाता है।
सुहागरात के दिन पम्मी नाईटी पहने पोर्न वीडियो देखकर मस्ती मारने के लिये तैयार हो रही थी।
अब आगे न्यू कपल सेक्स कहानी:
हर्ष दोस्तों से विदा लेकर कमरे में आया।
दोनों की नज़रें मिलीं, हर्ष की आंखों में नशे के कारण लाल डोरे खिंचे हुए थे तो पम्मी की आंखों में कामवासना के!
जब वह पास आया तो उसके मुंह से खुशबूदार पान की महक आई।
उसने हर्ष से कहा- बड़ी अच्छी महक आ रही है?
हर्ष बोला- हां यार, दोस्तों के साथ थोड़ी ड्रिंक कर ली थी इसलिए पान खा कर आया जिससे तुम्हें शराब की बदबू नहीं आये।
पम्मी ने मुस्कुराते हुए शरारत भरे स्वर में कहा- तुमको आज भी नशा करने की आवश्यकता थी क्या? आज तो तुम्हारे लिये हुस्न की सील पैक बोतल रखी हुई थी!
हर्ष समझ तो गया कि पम्मी अपनी चूत के सील पैक होने के बारे में बता रही है।
लेकिन उसको विश्वास नहीं हुआ इसलिए उसने पूछ लिया- इसका मतलब तुम्हारी चूत सील पैक है?
पम्मी ने कहा- हां, अब तक तुम्हारे लिए यह बेशकीमती नगीना संभाल कर रखा हुआ है।
हर्ष ने कहा- यह तो मेरे लिए गर्व की बात है!
यह कह के उस ने पम्मी को अपनी बाहों में कस लिया।
उस के बाद उस ने पम्मी से पूछा- अच्छा बैठी बैठी मोबाइल में क्या देख रही थी मेरी रानी?
पम्मी ने कहा- जो तुम आज मेरे साथ करने वाले हो।
हर्ष ने पूछा- क्या मतलब?
पम्मी ने कहा- पोर्न देख रही थी। मुझे सुहागरात में क्या होता है उस की कोई ज्यादा जानकारी नहीं है इसलिए! सहेलियों ने जितना बताया उस से जिज्ञासा समाप्त तो नहीं हुई और बढ़ गई। इसलिए पोर्न भी आज पहली बार देख रही थी।
हर्ष ने पूछा- कैसे लगे पोर्न वीडियो?
पम्मी ने जवाब दिया- बहुत उत्तेजक, आग लगा दी इन्होंने शरीर में! मुझे तो पता ही नहीं था कि मर्दों के इतने बड़े हो जाते हैं।
हर्ष ने छेड़ा- क्या बड़े हो जाते हैं?
पम्मी ने एक्टिंग की, बोली- धत्त, मुझे शर्म आती है।
हर्ष ने कहा- अब तो तेरे बदन की आग तब बुझाऊंगा जब तू बताएगी कि मर्दों के क्या इतने बड़े हो जाते हैं?
और हंस पड़ा।
पम्मी ठिनकी, बोली- हर्ष यार क्यूं तंग कर रहे हो? क्यूं तड़पा रहे हो?
हर्ष ने कहा- तो बता जल्दी!
पम्मी ने कहा- हथियार!
हर्ष ने फिर कुरेदा और कहा- अरे हथियार का कुछ नाम भी तो होगा? वह बता?
पम्मी ने बहुत सकुचाते हुए कहा- लंड!
और हथेलियों में चेहरा छुपा लिया।
हर्ष के लंड में हरकत सी हुई, पम्मी के मुंह से पहली बार लंड सुनकर और पम्मी को इतना लजाते देख, उसके दिल में पम्मी के लिए लाड़ उमड़ा।
उस ने झुक कर पम्मी के माथे पर एक चुंबन अंकित कर दिया।
हर्ष के इतने समीप आने पर पम्मी को पान की महक में दबी हुई शराब की गंध भी महसूस हुई।
उसने उसे परे धकेलते हुए कहा- छी … शराब की कैसी अजीब सी बू आ रही है।
हर्ष ने कहा- पम्मी, अरे तू तो अनछुई कली है, तुझे क्या पता? जब वासना और शराब का नशा मिल जाता है तो शरीर में मस्ती का कैसा तूफान उठता है!
पम्मी ने कहा- अच्छा ऐसा है?
उसने भोलेपन की एक्टिंग जारी रखते हुए कहा- मैं तो अभी तक शराब और वासना, दोनों के नशे से अनजान हूं। तुम कह रहे हो तो फिर ठीक ही होगा. मैं भी कभी तुम्हारे साथ इस नशे को भी ट्राई करूंगी।
जबकि सच तो यह है कि बीयर तो वह बंटू के साथ पी ही चुकी थी।
हर्ष भी धीरे-धीरे उसमें आ रहे परिवर्तन से खुश था।
वह एकदम बोला- हां यार पम्मी, यदि ऐसा होता है तो मज़ा बढ़ जाएगा।
इस बार जब हर्ष ने फिर से पम्मी के होठों की ओर अपने होंठ बढ़ाए तो पम्मी ने उसे धकेला नहीं बल्कि सहयोग करते हुए स्वयं उसके होंठ चूसने लगी।
हर्ष के हाथ स्वतः ही पम्मी के उरोजों और चूतड़ों को सहलाने, दबाने लगे।
पम्मी ने उत्तेजित हो कर हर्ष का कुर्ता उतारा तो हर्ष ने उसकी नाइटी उतार फेंकी।
ब्रा पेंटी में पम्मी की खिलती हुई जवानी ने हर्ष के मन में गुदगुदी करना शुरू कर दिया।
उसने पम्मी की ब्रा उतारी और दोनों स्तनों पर बारी बारी से चुंबन दिया।
पम्मी के बदन में झुरझुरी दौड़ गई।
उस ने हर्ष के सीने के बीचों बीच एक चुंबन दिया और उसके सीने के घने बालों में उंगलियां फिराने लगी।
हर्ष ने भी पम्मी की पैंटी की ओर नजरें घुमाई, उसमें से निकल कर बाहर आती उसकी दो दूधिया और स्निग्ध जांघें और दोनों चिकनी पिंडलियां उसे इतनी आकर्षक लग रही थीं कि उसे अब उत्तेजित करने लगीं।
हर्ष इस नए जिस्म को रौंदने के लिए लालायित हो उठा.
किंतु अब तो पम्मी पूरी तरह उसी के अधिकार में थी और सहयोग भी कर रही थी इसलिए उसे किसी तरह की जल्दीबाजी की आवश्यकता नहीं थी।
वह झुक कर उसकी दोनों चिकनी जांघों पर चुंबन देने लगा।
पम्मी ने अपने मुंह ऐसे सिसकारी निकाली जैसे पहली बार किसी मर्द ने उसकी जांघों पर चुंबन दिया हो।
पम्मी से अब रहा नहीं गया, उस ने इलास्टिक वाले पजामे के ऊपर से अंदर हाथ डालकर हर्ष का लंड पकड़ लिया.
वह कुछ कड़क कुछ नर्म लेकिन गर्म हो रहा था।
पम्मी को उस के लंड को पकड़ना बहुत सुखद लग रहा था क्योंकि यही उसकी गरम चूत को आज और आज के बाद नियमित रूप से चुदाई का मजा देने वाला था।
उधर पम्मी की चूत से खुशबू का एक झोंका उठ कर हर्ष के नथुनों में समा गया।
उसने पम्मी की पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत के बीचों बीच गीले है चुके स्पॉट पर एक प्रगाढ़ चुंबन अंकित कर दिया।
हर्ष के होठों पर चूत रस की नमी लग चुकी थीं।
पम्मी का पूरा बदन झनझना गया।
पम्मी ने कमर से नीचे का हिस्सा ऐड़ियों के बल पर ऊपर उठाकर हर्ष को संकेत दिया कि वह चुदने के लिए किस कदर तड़प रही है।
न्यू कपल सेक्स करने को आतुर था.
हर्ष ने अब पम्मी को नीचे की ओर खींच के लिटा दिया और उस पर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेर दी।
पम्मी का मक्खन जैसा बदन, गुलाब की पंखुड़ियों तथा लाल रोशनी में और अधिक मादक हो उठा।
गुलाब की महक के साथ साथ उस के कामुक बदन की महक हर्ष को मदहोश कर रही थी।
इस के बाद हर्ष ने पम्मी की पैंटी को नीचे खींचा।
कमरे की लाल रोशनी में पम्मी की गोरी चिकनी चूत हीरे की तरह दमक उठी।
जब पैंटी को पम्मी के पैरों से निकालने के लिए हर्ष ने पम्मी के पैर ऊपर उठाए तो पम्मी एक पैर से हर्ष का लंड सहलाने लगी।
हर्ष ने पम्मी की चूत को भी गुलाब की पंखुड़ियों से ढक दिया।
उसके बाद हर्ष ने पम्मी पर चुंबन की बरसात कर दी।
फूंक मार कर पंखुड़ियां हटाते हुए ललाट, आंखों, गालों को चूमता हुआ जब वह होठों पर पहुंचा तो पम्मी की सांसें तेज़ होने लगीं।
सांसों के साथ पम्मी के बूब्स ऊपर नीचे होने लगे।
जिस कारण पुष्ट उरोजों पर रुकी हुई गुलाब की पंखुड़ियां वहां से सरकने लगीं।
गुलाबी पंखुड़ियों में से उभर के आई निप्पलें, गुलाब के ऊपर बैठे भंवरे जैसी लग रही थीं।
आज तो सुहागरात थी, आज तो गुलाब की पंखुड़ियों के साथ पम्मी का फूल जैसा जिस्म और गदराई हुई जवानी को मसले जाने की रात थी।
हर्ष ने पम्मी के अधरों का रसपान करते हुए पम्मी के मुलायम मक्खन जैसे स्तनों को अपनी मुट्ठियों में भींच लिया।
जब हर्ष ने पम्मी की निप्पलों को मसलना शुरू किया तो पम्मी के बदन में कामतरंगें उठ उठ के चूत में गुदगुदी के साथ मीठी मीठी खुजली करने लगीं।
उस के बाद जब हर्ष ने निप्पलों पर अपने होंठ रखे और उन्हें चूसा तो पम्मी अब बदहवास होने लगी।
उस की चूत लंड लेने के लिए लालायित हो रही थी।
उसने हर्ष के पजामे के इलास्टिक में अपने पैर फंसाए और बड़े कामुक स्वर में कहा- तू भी तो इसे बाहर निकाल, मुझे अपने बीच आज कुछ भी नहीं चाहिए।
हर्ष ने पूछा- कंडोम भी नहीं?
पम्मी ने कहा- नहीं. मैं आज अपनी इस अनछुई चूत में तेरे लंड को फील करना चाहती हूं यार!
हर्ष पम्मी के पेट से होता हुआ गुलाब की पंखुड़ियों से ढकी उस की चूत तक पहुंचा।
पम्मी का सारा ध्यान अब अपनी चूत पर केंद्रित हो गया था।
हर्ष ने पम्मी की चिकनी जांघों पर चुंबन देते हुए कहा- पम्मी, कुदरत ने तेरा ये संगमरमरी बदन बहुत मन से तराशा है।
पम्मी तो बेताबी से हर्ष के लंड के प्रवेश की बाट जोह रही थी।
वह बोली- हर्ष, सब कुछ तुम को समर्पित है मेरे राजा!
हर्ष ने पम्मी की स्निग्ध पिंडलियों पर हाथ फेरते हुए पम्मी की तड़प को और बढ़ाया।
उस के बाद वह बढ़ा पम्मी की जांघों के जादुई जोड़ की ओर!
वह समझ रही थी कि हर्ष जानबूझ कर उसे लंड के लिए तरसा रहा है।
हर्ष फूंक मार मार के पंखुड़ियों को हटाने लगा तो हर्ष की गरम ठंडी फूंक से चूत में सरसराहट हो रही थी।
पम्मी के मुंह से सिसकारी निकली, आंखें खोलते हुए उस ने हर्ष को कहा- क्यों मेरी परीक्षा ले रहे हो मेरे देवता?
हर्ष ने मुस्कुरा के पम्मी की उस की बेचैनी का आनंद लिया।
गुलाब की पंखुड़ियां चूत पर हटी तो हर्ष को वहां चूत रस में भीगे, गुलाब की अध खिली कलियों जैसे पम्मी की चूत के भगोष्ठ दिखाई दिए।
हर्ष के होंठ स्वतः चूत के होठों से चिपक गए।
सुहागरात का रूमानी माहौल, हसबैंड के रूप में एक नया किंतु अनुभवी मर्द, चूत के होठों पर उसके होठों का स्पर्श, मम्मी ने पूरे बदन में सनसनी सी महसूस की।
जब हर्ष ने अपनी जुबान चूत के अंदर प्रवेश कराई तो जैसे सनसनी ने एक चक्रवात का रूप ले लिया।
हर्ष की ओरल में निपुण जुबान पम्मी के चूत रस को चाट चाट के चटखारे ले रही थी।
शरीर में निरंतर बढ़ रही उत्तेजना पम्मी की सहनशक्ति से बाहर होने लगी तो उसने गुहार लगाई- हर्ष प्लीज, चोद दो मुझे मेरे राजा, प्लीज़ अब लंड डाल दो।
हर्ष ने अपना आखिरी दांव चला और पम्मी के क्लिटोरिस को होठों से पकड़ के चूसने लगा।
दो मिनट में हर्ष की जुबान की विशेष सेवा से चूत तरंगित होने लगी।
पम्मी का शरीर बिस्तर से ऊपर उठ गया था और उसके मुंह से निकला- हर्ष अब तो डाल दे, अब तो डाल दे हर्ष!
हर्ष ने अपना मुंह पम्मी की चूत पर से हटाया और पम्मी के उठे हुए बदन को थाम कर वापस नीचे बिस्तर पर लिटाया।
अपने थूक से चिकने किए लंड को उसने पम्मी की चूत के बीच टिका कर अपनी उत्तेजना पर नियंत्रण किया और पम्मी से कहा- पम्मी, अब वह घड़ी आ गई है जिसका तुझे बरसों से इंतजार था!
पम्मी ने कहा- मेरा पोर पोर उस पल की प्रतीक्षा कर रहा है हर्ष!
एक कुंआरी चूत की सील तोड़ने के गर्व से भरे हर्ष ने एक गहरी सांस ली जिस से उसके लंड का टोपा और अधिक फूल गया फिर उस ने दम लगा के एक झटका मारा।
पम्मी के मुंह से एक चीख निकली तो हर्ष ने उसके मुंह पर हाथ रखकर उसकी आवाज को दबा दिया।
पम्मी की आंखों से आंसू छलक आए, जो वह बहुत देर तक आंखों को जबरन खुला रखकर लाई थी।
उसकी चूत में हर्ष के लंड के घुसने का जो आनंद पम्मी ने महसूस किया, उसे शब्दों में बयां करना तो कठिन है।
क्योंकि एक तो हर्ष के लंड का आकार बंटू के लंड से लंबाई में भी और मोटाई में भी कहीं अधिक था।
फिर वह आखिर तो उसका पति था जिसके साथ उसे जिंदगी बितानी थी और नए लंड के स्पर्श का सुख भी तो उस अहसास में शामिल था।
कुछ देर पम्मी इस तरह कसमसाती रही कि जैसे उसकी चूत में दर्द हो रहा है।
हर्ष ने भी उसे दिलासा देते हुए कहा- बस पम्मी, दो-तीन मिनट की बात है। उसके बाद तो देखना कि यही लंड जिसने तेरी सील तोड़ के तुझे दर्द दिया है, यह कितना सुकून बरसाता है।
पम्मी ने फिर हर्ष से कहा- हां, अब ठीक लग रहा है अब तू धक्के लगा लेकिन पहले धीरे-धीरे ही लगाना! कहीं मेरी चूत में दर्द फिर से बढ़ न जाये।
हर्ष ने पम्मी की बात मानकर हौले हौले चुदाई शुरू की।
अपनी कमर को चारों तरफ इस तरह हिला हिला के धक्के लगाने लगा जैसे चूत के भीतर लंड से मालिश कर रहा हो।
हर्ष के दोनों हाथ पम्मी के स्तनों से खेल रहे थे और हर्ष बारी बारी से दोनों स्तनों की निप्पलों को चूस रहा था।
जब पम्मी की चूत पूरी तरह रगड़ों के लिए सेट हो गई तो उसने हर्ष से कहा- हां मेरे चोदू राजा, अब जरा शुरू हो जा!
हर्ष ने कमर ऊंची करके जोर-जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया।
पम्मी उछल उछल के चुदाई का मजा ले रही थी।
उस के मुंह से कभी सिसकारी और कभी दबी हुई चीख निकलने लगती।
जब लंड और चूत के घर्षण से उत्तेजना बढ़ी तो पम्मी बेख्याली में बड़बड़ाने लगी- बहुत मजा आ रहा है हर्ष, चोद मेरे राजा चोद … मुझे पहले पता होता कि चुदवाने में इतना मजा आता है तो … मैंने पता नहीं कितने लंड अपनी इस निगोड़ी चूत में ले लिए होते! चोद मेरे चोदू, कस के चो…द!
हर्ष पम्मी की ऐसी कामुक बातें सुनकर और अधिक जोश से भर गया और पम्मी की चूत में करारे झटके लगाने लगा।
एक समय ऐसा आया जब चूत के अंदर आनंद की लहरें, चूत के किनारो को तोड़कर बाहर आने के लिए मचलने लगीं।
फिर वह जादुई पल आया जब पम्मी का पूरा शरीर अकड़ गया, उस की सांसें जैसे रुक गईं, धड़कनें असामान्य रूप से तेज़ हो गई।
उसकी चूत में जैसे तहलका मचा हो, शरीर की नस नस खिंची हुई थी।
चूत इतनी जोर से फड़क रही थी कि उसकी अनुभूति से रोम रोम आनंद में झूम रहा था।
हर्ष का भी पूरा बदन पसीना पसीना हो चुका था।
उस ने लंड को पूरा दम लगा के जड़ तक घुसेड़ रखा था और वीर्य स्खलन के आनंद में डूबा हुआ था।
पम्मी ने हर्ष को उस के चूतड़ों में उंगलियां गड़ा के ज़ोर से भींच रखा था।
हर्ष कमर के ऊपरी हिस्से को ऊंचा कर के अधिक से अधिक ऑक्सीजन ले के सांसों को नियंत्रित कर रहा था, उस के दिल के धड़कनों की आवाज उस के कानों तक गूंज रही थी।
कुछ ही पलों के इस स्वर्गिक सुख को भोगने के बाद हर्ष निढाल हो के निर्जीव पड़ी पम्मी पर गिर पड़ा।
पम्मी अभी भी सामान्य नहीं हुई थी, उसे चोदते समय फूल जैसा लगने वाला हर्ष चट्टान जैसा भारी लगने लगा।
उस ने हर्ष को बोला- दम निकाल दिया मेरा, अब तो हट जा गेंडे!
और अपने ऊपर से धक्का दे के हटाया।
हर्ष को पम्मी की यह अदा भी पसंद आई क्यों कि उस ने परोक्ष रूप से उस के लौड़े और चुदाई क्षमता की प्रशंसा की थी।
हर्ष का लंड अभी भी पूरी तरह मुरझाया नहीं था, उसने पम्मी की चूत से अपना लंड बाहर निकाला और अपने लंड को निहारा।
हर्ष ने अपना लंड जब बाहर निकाल के निहारा तो उसने क्या पाया?
और उसके बाद में हर्ष और पम्मी के बीच क्या-क्या हुआ?
यह जानने के लिए पढ़ते रहें, कहानी के आगामी, उत्तेजना से भरे हुए भाग!
न्यू कपल सेक्स कहानी पर आप के सुझाव और प्रतिक्रिया आमंत्रित हैं।
माधुरी सिंह मदहोश
एवं मनोज सिंह प्रेमी
हमारी आई डी है
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न्यू कपल सेक्स कहानी का अगला भाग: सेक्स है कुदरत का वरदान- 5
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