सासु मां की मचलती चूत को मेरे लंड का सहारा- 1
मदर इन ला सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी क्लासमेट पटा कर शादी की थी. मेरे ससुर की मौत हुई तो मेरी बीवी ने बताया कि उसके माँ बाप रोज चुदाई करते थे.
हाय दोस्तो, मैं नितिन साहू छत्तीसगढ़ के गांव का निवासी हूँ.
मेरी उम्र 26 साल, हाईट 5 फीट 9 इंच, रोज योगा कसरत और बचपन से मेहनत वाला काम करने के कारण हृष्ट-पुष्ट, तंदरुस्त और बलिष्ठ शरीर वाला हूँ. शरीर का रंग गोरा है.
मेरे लंड का आकार इतना है जिससे मैं किसी भी महिला को पूरी तरह संतुष्ट कर सकता हूँ.
यह मदर इन ला सेक्स कहानी है मेरी सासु मां की, जिनका नाम कविता है.
सासु मां की उम्र 42 साल है. हाइट 5 फिट 6 इंच है और 36-32-40 का मदमस्त बदन है.
रंग भले ही सांवला था, लेकिन जब वो अपने हुस्न के जलवे बिखेरती हैं तो अच्छे अच्छों का लंड उनकी जवानी को सलामी देने लगता है.
बात उन दिनों की है, जब मैं स्कूल में था … तो मैं एक लड़की को पसंद करता था.
उसका नाम मोनिका था.
वो हमारी कक्षा में आई थी. जब से आई थी, तब से वो मेरे दिल और दिमाग में छा गई थी.
जैसे जैसे समय निकलता गया, मैं उसको चाहने लगा लेकिन उसको इजहार नहीं कर पाया.
जब हम बड़ी कक्षा में आए, तो उसके पापा का रायपुर में ट्रांसफर हो गया, जो मेरे लिए अति पीड़ादायक था क्योंकि मोनिका भी स्कूल छोड़कर जाने वाली थी.
बहुत दिन तक मैं गम में रहा था, फिर मैंने अपने आपको संभाला और मैं आगे कॉलेज की पढ़ाई के लिए रायपुर आ गया.
जब मैं स्कूल में था, तो उस समय मोबाइल वगैरह नहीं आया था.
उसी वजह से उससे नंबर भी नहीं ले पाया था.
जब मैं रायपुर आया तो अपने पढ़ाई में लग गया.
फिर एक दिन मेरे मोबाईल में किसी की कॉल आई.
वो मेरे स्कूल के क्लासमेट लड़की की कॉल थी, उसे मैं बहन मानता हूँ.
उसने ऐसे ही मेरे हाल चाल पूछने के लिए कॉल किया था.
वो मुझे अपने बारे में बताने लगी.
उससे बातचीत में मालूम हुआ कि मोनिका उसी के साथ पढ़ती है.
मैंने दिमाग दौड़ाया और उससे कहा कि मैं व्हाट्सएप ग्रुप बनाता हूँ, उसमें तेरे फ्रेंड्स के जितने कॉन्टैक्ट नंबर होंगे, उनको जोड़ देना और मैं बाकी लोगों को जोड़ दूंगा.
उसने कहा- ओके भैया. सारे लोग एक दूसरे के बारे में अच्छे से जान जाएंगे.
फिर उसी ग्रुप में से मुझे मोनिका का नम्बर मिल गया.
मैं उसका नम्बर पाकर बहुत खुश हो गया था क्योंकि मुझे मोनिका से फिर से जुड़ने का मौका जो मिल गया था.
धीरे धीरे हम सब ग्रुप में एक्टिव होने लगे, बातें होने लगीं.
एक रात को मैंने सोचा कि क्यों न मोनिका को पर्सनल मैसेज करता हूँ.
मैंने उसको मैसेज किया.
उसका रिप्लाई आया और हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे.
उसने मेरे बारे में जाना तो वो चहक उठी और हमारे बीच पुरानी यादें ताजा होने लगीं.
धीरे धीरे हम लोग एकदम पक्के फ्रेंड बन गए और मैं उससे बहुत हंसी मजाक करने लगा.
इसी तरह वो भी मुझसे खुल कर बातें करने लगी.
अब मुझे थोड़ी सी हिम्मत आ गई, तो मैंने सोचा कि मैं अपने स्कूल लाइफ के प्यार को उसके सामने लाऊं.
एक दिन ऐसे ही मैंने उसको कॉल किया और कहा कि मुझे तुमसे कुछ बात करना है यार.
वो बोली- जो बोलना है, बोल डाल. ऐसे भी हम दोनों के बीच में क्या छिपा है.
मैंने कहा- मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ मोनिका … जब से तुम स्कूल में आई थी, मैं तभी से ये बात कहना चाहता था.
वो बोली- बस इतनी सी बात, वो तो मुझे पता था. मैं जब स्कूल में थी, तभी समझ गई थी लेकिन तू मूर्ख था. तूने मुझे इतनी सी बात कहने के लिए इतना समय लगा दिया.
मैं हैरान था.
उसने कहा- मैं भी तुम्हें बहुत पसन्द करती हूँ नितिन … आई रियली लव यू.
बस फिर क्या था.
उस दिन हम दोनों एकदम खुल गए. हमारा एक दूसरे से मिलना शुरू हो गया और हमारा प्यार परवान चढ़ने लगा.
फिर एक दिन हुआ यूँ कि मैं उनके घर गया.
जब मैं घर के अन्दर गया तो मैंने उसकी दीदी और उसकी मां को देखा.
मैं तो उन दोनों को देखता ही रह गया, दोनों एकदम पटाखा माल थीं.
उसकी दीदी को मैं स्कूल टाइम से जानता था लेकिन वो शहर में आने के बाद माल हो गई थी.
हां मैंने उसकी मां को पहली बार देखा था.
मैं एकटक देख ही रहा था कि तभी मुझे होश आया और मैंने मां को प्रणाम किया.
दीदी को भी नमस्ते किया.
फिर हम लोग बातें करने लगे.
मुझे उसकी दीदी की नजरें समझ में आ गईं कि ये तो साली रांड है.
उसकी दीदी मेरे एकदम करीब आ गई और मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगी, फिर गांव के बारे में पूछने लगी.
मां अन्दर चली गई थीं, वो मुझे किचन से बार बार देख रही थीं.
मोनिका की मां बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत थीं, ये मुझे बाद में मालूम चला था.
मैं भी बाहर आने के बाद ये सब के बारे में जानने लगा था और समझने लगा था.
फिर मैं अपने घर आ गया.
अब मैं उसके घर अक्सर जाता था, उसके घर के लोगों से मेरा अच्छा खासा रिश्ता बन गया था.
मोनिका कॉलेज में पढ़ रही थी. उससे घर में पढ़ाई नहीं हो पाती थी, वो ऐसा कहकर हॉस्टल में रहने लगी थी.
अब वो मुझसे रिश्ता जुड़ने के बाद शनिवार और रविवार को मेरे साथ दिन भर घूमती और रात मेरे साथ बिताती.
उन्हीं दिनों मेरी सरकारी जॉब भी लग गई थी.
फिर कुछ यूं हुआ कि हमारा प्यार उजागर होने लगा और हमने घर वालों के सामने शादी की बात रखी.
मगर हमारे रिश्ते के बीच जातिवाद आ गया और शादी के लिए मना कर दिया गया.
हम दोनों ने अंतरजातीय विवाह कर लिया और उसके बाद हम दोनों एक फ्लैट में रहने लगे.
सिर्फ उसकी छोटी बहन कीर्ति हमारे संपर्क में थी.
कुछ दिनों के बाद मोनिका की दीदी की शादी हो गई और शादी के एक साल बाद पापा जी का देहांत हो गया.
उनकी मृत्यु के बारे में हमें किसी ने नहीं बताया.
फिर कीर्ति ने मुझे कॉल करके बताया और मैं बहाना करके मोनिका को ले गया.
वो दुख का समय था, उस समय हमें किसी ने ताना नहीं दिया.
उस दुख के समय उसके परिवार में से किसी ने भी सासु मां का साथ नहीं दिया.
न ही दीदी के पति ने भी उनका साथ दिया.
ये सब स्थिति को देखते हुए सब चीजों को मैंने संभाला.
सब विधि आदि मोनिका के छोटे भाई और मैंने मिल कर की.
पिताजी के अंतिम संस्कार की सारी विधि पूरी होने के बाद हम लोग अपने घर जाने लगे.
तभी सासु मां ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- बेटा रुको, मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम्हें गलत समझा. तुम बहुत नेक दिल इंसान हो. हमने तुम्हें स्वीकार नहीं किया, लेकिन आज तुमने ही हमारा साथ दिया.
ऐसा कहकर सासु मां मुझसे चिपककर रोने लगीं.
मोनिका उनको चुप कराने लगी.
मैंने मोनिका को कहा- तुम यहां रुक जाओ, मैं शाम के शाम आ जाऊंगा.
इस तरह से हम लोग एक हफ्ते तक वहीं रहे, मां को संभाला.
पापा जी का सरकारी जॉब था तो उनकी जगह में छोटे बेटे को अनुकंपा में नियुक्ति में सहायता की.
क्योंकि उसने अभी अभी ही अपना स्नातक पूर्ण किया था, उसकी नियुक्ति में वक्त लगना था.
मैंने सारी कागजी कार्यवाही कर दी थी.
जब सब कुछ नार्मल हो गया, तब हम दोनों अपने घर आ गए.
मोनिका और मैं पति पत्नी हैं तो स्वभाविक सी बात है कि हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बनता था.
वहां रहने के कारण हमारे बीच सेक्स नहीं हो पा रहा था.
उस दिन सेक्स करते समय मोनिका रोने लगी, उसको अपने पापा की याद आ गई.
मैंने उसे चोदते हुए पूछा- क्यों रो रही है?
उसने बताया कि पता नहीं यार मेरी मां बगैर पापा के कैसे रहती होंगी. एक भी ऐसी रात नहीं हुई होगी, जब मेरी मां ने मेरे पापा के साथ ना बिताई होगी.
मैंने मोनिका को शांत किया.
फिर मैंने उससे कुरेद कर पूछा- साथ में सोते थे … इसका क्या मतलब है?
वो बताने लगी- हमारे सोने के बाद मम्मी पापा दोनों लोग पूरे कपड़े निकालकर एक ही चादर में सोते थे. वो दोनों पूरे नंगे सोते थे और उन दोनों में रोज चुदाई होती थी. मैं एक दिन धोखे से उठ गई थी और उनको सेक्स करते देखी थी. फिर मैं रोज उनकी चुदाई लीला देखती थी. हम लोग इतने बड़े बड़े हो गए थे, उसके बावजूद भी मम्मी पापा की चुदाई बिना नागा चलती थी.
मैंने मोनिका की चूची मसलते हुए कहा- अच्छा तो इसी के कारण मम्मी जी का सब आइटम इतना बड़ा बड़ा है.
मोनिका हंसती हुई कहने लगी- हां यार, एक दिन तो मैंने मम्मी को बाथरूम में धोखे से नंगी देखा था, तो सोचने लगी थी कि काश ऐसे जिस्म की मालकिन के लिए कोई आपके जैसे मर्द होता.
हम दोनों ने हंस बोल कर चुदाई का खेल खत्म किया और सो गए.
अब लगभग हर रात मैं अपनी बीवी की चुदाई के समय मम्मी की चर्चा छेड़ देता और मोनिका मासूमियत से अपनी मम्मी के बारे में सेक्सी बातें करने लगती थी.
फिर मेरा दूसरे शहर में ट्रांसफर हो गया.
अब भी हम दोनों फोन पर मां का हाल चाल पूछते ही रहते थे.
एक दिन मुझे रायपुर में बहुत काम था.
मैं वहां गया और मुझे वापस जाने के लिए रात हो गई थी. मैं सोच रहा था कि क्या करूं.
फिर मैंने सोचा कि इतनी रात को वापस घर नहीं जाऊंगा, यहीं ससुराल में रुक जाता हूँ.
मैंने फोन किया और सासु मां को खाना बनाने के लिए कह दिया.
वो बोलीं- ठीक है बेटा, आ जाना.
मैं अपना काम खत्म करने के बाद अपनी ससुराल पहुंचा और मां को प्रणाम करने के लिए झुका.
तो वो मुझसे कहने लगीं- बेटा तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं है.
ये कहकर मां ने मुझे अपने सीने से लगा लिया. उनके दोनों बूब्स मेरे सीने से दब गए.
मेरा दिमाग खराब हो गया.
वो मुझसे काफी देर तक चिपकी रहीं.
मैं भी अपनी सास के मम्मों का अहसास करता रहा. मेरा मूड बनने लगा था.
फिर मां ने मुझसे अलग होकर कहा- बेटा नहा धोकर फ्रेश हो जाओ. मैं सबके लिए खाना लगा रही हूँ.
हम चारों ने डिनर किया मैं, सासु मां, साला और छोटी साली साहिबा.
सरकारी क्वार्टर के बारे में तो आप जानते ही हो कि कैसे रहा जाता है.
एक कमरे का घर था.
मां और साली साहिबा रूम में और मैं और साला बाहर सोए. मैं रात को वाशरूम जाने के लिए उठा.
उनके घर का जो वाशरूम था, वो सासु के रूम से होकर जाता था.
मैं चला गया.
फिर वापस आ रहा था तो मेरी नजर सासु मां और साली साहिबा की तरफ गई.
मैंने जो देखा, वो देख कर मैं दंग रह गया.
जैसा कि मोनिका ने बताया था कि मां पापा नंगे सोते थे. मगर ससुर के देहांत के बाद भी मैंने मां को उसी स्थिति में देखा.
आज भी उनके शरीर पर पेटीकोट बस था और वो बेसुध सोई हुई थीं.
कम रोशनी वाले बल्व में उनकी गोरी और मोटी जांघें मुझे स्पष्ट दिख रही थीं.
सासु मां ने चादर ओढ़ी थी, उसमें से एक टांग पूरी तरह से बाहर निकली हुई थी.
मेरी मदर इन ला सेक्स की खुली किताब लग रही थी.
मैं हिम्मत करके और करीब चला गया और गौर से देखा.
सामने मस्त माल दिख रहा था तो सूंघने लगा.
अब मेरा मन चुदाई के लिए डोलने लगा था, रुका ही नहीं जा रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि उनको पटक पटककर चोद दूँ.
लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और हॉल में आकर सो गया.
सुबह हुई, सभी लोग उठे, नहाए धोए और नाश्ता करने बैठ गए.
कुछ देर बाद मालूम हुआ कि साले और साली को गांव जाना था, कुछ देर बाद वो दोनों चले गए.
मैं वहीं बैठा ही था.
मुझे मेरे बॉस का फ़ोन आ गया था कि नितिन तुम्हें अभी एक सप्ताह तक रायपुर में रहकर काम करना है.
मैंने मोनिका को कॉल करके बता दिया कि मैं एक हफ्ते तक ससुराल में रुकूँगा. यहां का काम बढ़ गया है.
उसने कहा- ठीक है … इसी बहाने मम्मी को भी आपका साथ मिल जाएगा.
मैंने सासु के मम्मे याद करते हुए मन में सोचा कि हां और मुझे भी कुछ न कुछ मिल ही जाएगा.
अब इसे मेरी किस्मत कहो या और कुछ … मैं अपनी सासु मां के चक्कर में लग गया.
एक घंटा बाद मैं अपने काम में लग गया और घर के बाहर सारे दिन काम में लगा रहा.
शाम को वापस आया, फ्रेश हुआ.
सासु मां ने भोजन के लिए कहा.
हम दोनों ने खाना खाया.
सासु मां सामने बैठी थीं.
मैंने रात में जो नजारा देखा था, मुझे वो ही याद आ रहा था.
मैं सोने की तैयारी करने लगा, हॉल में बिस्तर की व्यवस्था कर रहा था.
तभी सासु मां ने मुझे आवाज देकर बुलाया.
उस समय वो अपने पेटीकोट अवतार में आ गई थीं.
उनको यूं देखकर मैं स्तब्ध रह गया.
वो मुझे यूं देख कर बोलीं- क्या देख रहे हो बेटा?
मैंने कहा- कुछ नहीं, मैं इस अवस्था में अब तक केवल आपकी बेटी को देखा है.
फिर उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- बेटा, आज मेरे जांघों में बहुत दर्द हो रहा है. मेरे पैरों की मालिश कर दोगे?
मैंने कहा- ठीक है, तेल दे दो … आज मैं आपकी मस्त मालिश कर देता हूँ. मुझे बहुत अनुभव है.
वो हंस कर बोलीं- मेरी बेटी की मालिश करते होगे न?
मैंने वासना से सास को देखते हुए कहा- हां, बहुत रगड़ा है उसे!
फिर वो कातिल नजरों से मुझे देखती हुई लेट गईं और अपने पेटीकोट को जांघों तक सरका दिया.
उनकी मांसल गदरायी हुई जांघें और कामुक शरीर देखकर मेरे लंड फुंफकार मारने लगा.
दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको अपनी सासुमां की चूत चुदाई की कहानी के बारे में लिखूँगा.
आप मुझे मेल करके बता सकते हैं कि आपको मदर इन ला सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
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मदर इन ला सेक्स कहानी का अगला भाग:
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