मेरी मदमस्त रंगीली बीवी-18

(Meri Madmast Rangili Biwi- Part 18)

इमरान 2016-07-16 Comments

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मैं जानना चाह रहा था कि अंकल का लन्ड देख सलोनी की क्या प्रतिक्रिया रही थी।

सलोनी- अंकल पहले मुझे पकड़ते थे तो उनके लंड का मुझे अहसास तो होता था और जहाँ भी चुभता, बहुत सख्त लगता था।
अंकल जब आते थे तो हमारे साथ ही रहते थे तो एक बार हम सब छत पर सो रहे थे, अंकल भी एक तरफ़ सो रहे थे।

सुबह सुबह मुझे पेशाब करने की लगी तो मैं वहीं छत की नाली पर कर के जब आई तो गर्मी के कारण अंकल ने सिर्फ़ लुंगी ही पहनी थी जो खुल चुकी थी और उनका नंगा लंड मुझे दिखा… मैंने देखा कि वो नन्हा सा, बहुत नर्म सा है।

मुझे बहुत जिज्ञासा हुई कि यह तो बहुत बड़ा और सख्त लगता था… पर अभी यह ऐसे कैसे दिख रहा है?
मैंने पास जाकर देखा, मैं खुद को रोक ना पाई और हाथ लगा कर देखने लगी, पर वो बहुत नर्म लगा।

अब वहाँ उस वक्त उनसे पूछ तो सकती नहीं थी… पर मन में इच्छा रह गई जानने की!

अगले दिन शाम को जब छत पर ही वो मेरे साथ छेड़छाड़ कर रहे थे, मैं उनकी गोदी में थी, मेरे चूतड़ों में सख्त सा लगा, उस वक्त कोई और था नहीं, हम दोनों ही थे… मैंने अंकल से पूछ ही लिया- यह मेरे चूतड़ों में क्या चुभ रहा है?

वे बहुत हंसे, बोले- खुद ही देख लो!
अंकल ने तब भी लुंगी पहनी हुई थी, मैंने हाथ लगा कर देखा… तो उनका लंड काफ़ी बड़ा और सख्त लग रहा था।

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मैंने अपने मन की बात उनको बताई कि सवेरे मैंने जब देखा था तब यह बहुत छोटा और मुलायम था।
अब यह ऐसा कैसे हो गया?

तब अंकल ने मुझे बताया और उस दिन पहली बार मैंने अपने हाथों से हिला कर उन का पानी निकाला था।

सलोनी की ऐसी सेक्स भरी बातें सुन कर मेरा भी पानी निकलने को तैयार था, पता नहीं मैंने कैसे रोका हुआ था।

कलुआ और पप्पू के लंड तो सलोनी के हाथ में पानी गिरा भी चुके थे, उन को भी सलोनी की बातें बहुत मजा दे रही थी।

जावेद चचा सलोनी की चूत को चाटते हुए रूके- मेमसाब, अपनी इस प्यारी सी चूत में एक बार तो मुझे चोदने दो ना? जब मेरे ये लड़के चोद चुके तो मुझे क्यों नहीं दे रही हो?

सलोनी- नहीं, बस अब बहुत हो गया… चलो अब काम पर लग जाओ!
जावेद चचा- लेकिन आपने अपनी पहली चुदाई की बात तो बीच में छोड़ दी कि कैसे हुई आपकी चुदाई?

सलोनी- बस अब मैं और ज्यादा नहीं बताऊँगी, फ़टाफ़ट काम खत्म करो और जाओ यहां से… साहब कभी भी आ सकते हैं!
पप्पू- मैडम, यह तो आधी अधूरी बात रह गई!

सलोनी- कुछ आधा अधूरा नहीं… 3-4 रातों तक तो वे वैसे ही मस्ती करते रहे, चोदा नहीं मुझे… बस हल्के हल्के लंड को अन्दर करते थे और बाहर निकाल लेते थे।

फिर जब मेरे एग्जाम में कई दिनों की छुट्टी आई… तो उस रात उन्होंने काफ़ी चिकनाई लगाकर मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसाया था।
उस रात मुझे बहुत दर्द हुआ था और खून भी निकला था! अंकल उस रात बहुत खुश हुए, उस रात अंकल ने मुझे अच्छी तरह चोदा… और फिर जब तक मैं वहाँ रही… तकरीबन हर रात बात बार चोदते थे।

चलो हो गई कहानी पूरी… अब उठो यहाँ से!

तभी चचा उठे और उन्होंने अपने हाथ से अपना पानी सलोनी की जांघ पर गिरा दिया।
सलोनी- आह… अह… चचा, माने नहीं ना तुम… चलो अब जाओ काम पर लगो।

और सबने अपने आप को ठीक ठाक कर के कपड़े पहन लिए।

अब मैंने देखा कि अब यहाँ ज्यादा कुछ मसाला नहीं बचा है तो मैं एकदम दरवाज़े से बाहर निकला, वैसे ही लॉक कर दिया… जिससे किसी को कोई शक ना हो।
करीब दस मिनट बाद मैं ऐसे ही घूमते हुए लौट कर आ गया।

तीनों बाहर काम में लग चुके थे और दरवाज़ा खुला हुआ था।
मैं बिना कुछ बोले बैडरूम में आया तो तब तक सलोनी ने बैडरूम एकदम से ठीक ठाक कर दिया था।

सलोनी ने शॉर्ट्स और टॉप ही पहने हुए थे।

इन सब का पानी तो निकल चुका था लेकिन मेरा अभी भी अधूरा था।
वे तीनों बाहर काम में लगे थे और मैंने सलोनी को पीछे से पकड़ा तो सलोनी बोली- ओह्ह… कहां रह गये थे आप? ये तीनों तो बहुत सुस्त हैं, देखो जरा भी काम नहीं निपटाया!

मैं- अरे जानेमन, कर तो रहे हैं तब से लगातार, अभी मैंने देखा बाहर, तीनों काम में ही लगे हुये हैं।
सलोनी- अब आपको क्या हुआ? बाहर से आते ही ये छोटे ज़नाब क्यों अकड़ रहे हैं? कि अभी से मुझे तंग करने लगे?

मैं- अरे यार, बाहर बड़ी कंटीली आइटम दिख गई थी तो मन चुदाई का करने लगा!
सलोनी- अच्छा? तो अब ये ज़नाब दूसरों को देख कर भी खड़े होने लगे? पर अभी तो रुको, बाहर वे लोग हैं, उनको जाने दो, सब कसर पूरी कर दूँगी।

यही अदाएँ तो मुझे पसन्द थी मेरी जान की… कभी मुझे या मेरे लंड को निराश नहीं करती… हर समय हम दोनों का पूरा ख्याल रखती।
मैं- अरे यार, वे बाहर काम कर रहे हैं… ऐसे में तो चुदाई का ज्यादा मजा आयेगा… आओ ना…

और सलोनी जान मान गई।
मैंने दरवाज़ा बन्द करने की कोई जरूरत नहीं समझी… वैसे भी बैडरूम का दरवाजा स्लाइडिंग है, उस पर परदा था… वही परदा जिसमें से अभी कुछ देर पहले मैंने सब कुछ देखा था… और वो पूरी तरह से ढका हुआ नहीं था।

मेन गेट भी खुला था जिससे मैं अन्दर तो आ गया पर बन्द नहीं किया था।
इसके बावजूद इस बार मैंने मज़े लेने की सोची, जो काम मैं बाहर रह कर करता था, आज सोचा कि मैं चोदूँगा सलोनी को और देखता हूँ इनमें से कोई हमें देखता है या नहीं!

अगर देखता है तो क्या करेगा?
मैंने आवाज़ करते हुए सलोनी को कसके अपने बदन से चिपका लिया, अपने हाथ आगे ला कर मैंने सलोनी की शॉर्ट्स का बटन एक बार फिर खोल दिया।

बेचारी शॉर्ट्स भी सोच रही होगी कि अभी पहने हुये दस मिनट भी नहीं हुये और उतरने की बारी फिर आ गई। ये लड़की आख़िर पहनती ही क्यों है मुझे?

और मैंने शॉर्ट्स के अन्दर हाथ से सलोनी की प्यारी और चिकनी चूत को सहलाया तो शॉर्ट्स अपने आप ही नीचे सरकती हुई सलोनी के पैरों में गिर गई।

पूरी नंगी थी सलोनी नीचे से… उसने कोई कच्छी नहीं पहनी थी!

तभी मुझे बाहर हल्की सी आहट सी सुनाई दी… कौन आया देखने?
कहानी जारी रहेगी।

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