मेरी हसीन सुहागरात
(Meri Haseen Suhagrat)
मेरा नाम कुनाल है। ये मेरी पहली कहानी है। आशा करता हूँ कि आपको पसंद आएगी।
मेरी शादी 4 साल पहले हुई थी। जैसे कि सबको अपनी शादी का इंतज़ार रहता है और सुहागरात का, मुझे भी था। मेरी उम्र अभी 25 वर्ष है।
शादी से पहले मैंने कभी किसी लड़की को चूमा तक नहीं था। सेक्स करने की तो दूर की बात है। हाँ, एक बार रंडी बाज़ार गया था, मगर वहां बिलकुल मज़ा नहीं आया। वो साली मुर्दों की तरह पड़ी रही और मैं चोदता रहा। सिर्फ 5 मिनट मैं 200 रुपये चले गए।
खैर इतने सालों बाद मेरी शादी की बात घर पर चली और मैं खुश भी बहुत था।
2 महीने बाद मेरी शादी होने वाली थी। शादी से पहले मैं सिर्फ उस से फ़ोन पर पर ही बात करता था।
वो मिलने की बोलती थी, मगर मिलने में मेरी गांड फटती थी। सोचता था कैसे बात करूँगा? क्यूंकि इससे पहले कभी किसी लड़की से बात तक नहीं की थी। जितनी इससे की है।
मैं देखने में ठीक-ठाक ही हूँ। बस लड़की पटाना नहीं आता था। फटती थी लड़की से बात करने में। जबसे शादी पक्की हुई थी, मैंने मुठ मारना बंद कर दिया था। सोचता था हैल्थ-वेल्थ बना कर मज़े से चोदूँगा।
जैसे-तैसे 2 महीने पूरे होने को आए और मेरी दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी। बस दिमाग में एक ही चीज़ घूम रही थी कि उसे चोदना है।
मैंने अभी तक उसका फोटो ही देखा था। और वो काफी अच्छी लग रही थी, ठीक है। वो तो सुहागरात के दिन ही पता चलता है कि वो कैसी है।
अब शादी को दो दिन बाकी थे और दोस्त समझाने में लगे थे कि ऐसा करना, वैसा करना। मैं तुझे कंडोम दे दूंगा, बस फाड़ दियो साली की। जितनी मुँह उतनी बातें।
शादी के दिन मंडप में जब वो मेरे साथ बैठी थी तो मेरे दोस्त मुझे इशारे कर रहे थे। और जब मेरा हाथ उससे टच होता तो मैं कांप जाता। कसम से मेरा लंड ज्यादातर खड़ा ही रहता और मैं उसे टांगों के बीच में दबा कर रखता। ऐसा इसलिए हो रहा था, क्यूंकि मैंने २ महीने से मुठ नहीं मारी थी।
जब मैं उसे विदा करा के ले जा रहा था। वो मेरे साथ कार में बगल में बैठी थी। मैं सोच रहा था, कुछ बात करूँ, मगर हिम्मत नहीं हो रही थी। मन में बस ये ही सोच रहा था कि ये वही लड़की है, जिसको मैं चोदूँगा।
अगले दिन पूरे समय यही सोचता रहा कि क्या होगा क्या नहीं। पूरा दिन यही सोचता रहा। दोस्तों से भी नहीं मिला, क्यूंकि वो साले दिमाग खराब करते। मैंने कंडोम ले रखे थे। बस रात होने का इंतज़ार था।
भैया-भाभी सब मुझे मुस्करा कर देख रहे थे। मैं शर्म से पानी-पानी हो रहा था। आखिर रात हो गई और मुझे नहीं पता था कि अन्दर कमरे में क्या हो रहा है? उसके साथ मेरी भाभी थी और भी लड़कियां थीं।
रात के 11 बजे भाभी ने मुझे बुलाया, और कमरे में जाने का इशारा किया। मैं मुस्करा गया। मैं शर्मा भी रहा था। शायद लड़की से ज्यादा।
मैंने कहा- मैं पानी पी कर आता हूँ।
और भाभी ने मुझे पकड़ कर कमरे में ले गईं और कहा, “जो पीना है, अन्दर पी लेना।”
और मेरे अन्दर घुसते ही दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने अन्दर से कुण्डी लगा ली और पर्दा भी लगा दिया। मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था। दिमाग काम नहीं कर रहा था। क्या करूँ? और क्या नहीं?।
मैं उसके पास गया और बगल में बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- तुम पानी तो नहीं लोगी। उसने ‘ना’ में सर हिला दिया।
मैंने उसका घूँघट उठा दिया। कसम से गज़ब लग रही थी और मेरी हालत पतली हो गई। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा उसने मुस्करा कर बस गर्दन झुका ली।
उसके बाद मैं कुछ बोलता उससे पहले ही उसने मुझे दूध का गिलास दे दिया, जो कि बगल में ही रखा था। शायद वो भी डर रही थी। और सोच रही थी कि क्या करूँ?
मैंने गिलास ले लिया, आधा मैंने पिया और आधा उसके दे दिया। वो भी चुपचाप पी गई। अब मेरी थोड़ी हिम्मत बड़ी। मैं उस से चिपक कर बैठ गया।
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूम लिया। ये सब कुछ अपने आप हो रहा था। मुझे समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ। वो भी डर के मारे कंप रही थी।
मैंने उसके गाल चूम लिए। बस वहीं जा कर मेरी हालत ख़राब हो गई। मैंने उसको पकड़ कर पलंग पर गिरा लिया।
उसने कहा- गहने तो उतार लेने दो।
फिर कुछ उसने और कुछ मैंने उतार दिए। इस सब में एक मिनट लगा होगा। मैंने फिर उसे पकड़ लिया और उसके गालों को चूमने लगा। मैं सब कुछ धीरे-धीरे करना चाहता था। मतलब पहले गालों को चूमना, फिर लिप्स को और उसके बाद बाकी सब कुछ।
पहले तो वो चुपचाप लेटी रही। फिर कुछ देर चूमने के बाद उसे भी जोश आ गया। वो भी चूमने लगी। मेरा डर अब ख़तम हो चुका था, और मैं पूरे जोश मैं था। मैं उसके होंठ बेदर्दी से चूस रहा था और वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने धीरे से उसके उभारों पर हाथ रख दिया। बस उसने चूमना बंद कर दिया और वो सिहर उठी। मैं उसे चूमता रहा। एक हाथ से उसके उभारों को दबाता रहा। अब वो बस आँखें बंद कर के मज़े ले रही थी।
मेरी नज़र उसके ब्लाउज के बटनों पर थी। मैंने उसके बटन खोलना शुरू कर दिया। उसकी साँसें तेज हो गईं। ये सब कुछ मुझे पूरी तरह पागल कर रहा था। मैं पागलों की तरह उसको चूस रहा था।
वो भी अब पूरी तरह उत्तेजित हो उठी थी। मैंने उसके बटन खोल दिए और उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी। मैंने पीछे हाथ डाला और उसकी ब्रा भी खोल दी। वो मुझसे चिपक गई। शर्म के मारे वो लाल हो रही थी।
उसका ब्लाउज उतार दिया और ब्रा भी। अब उसके चूचे मेरे सामने नंगे थे। उन मस्त मुसम्मियों को देख कर, मेरी आँखें जैसे फट रही थीं। मेरा लंड खड़ा था। मैं उन रस भरे यौवन कलशों को चूसने लगा।
हाय वो गोरे-गोरे बड़े-बड़े चूचे!! मेरी तो जान ही निकाल रहे थे!
मेरी उत्तेजना बढ़ गई। मुझे लगा मेरा पानी न निकल जाए। इसलिए मैंने आराम से काम लिया। अपने हाथों से ही उसके संतरे दबाता रहा। वो भी पागल हो रही थी। उसकी साँसें मुझे पागल कर रही थीं।
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपनी शर्ट भी उतार दी। वो मुझसे चिपक गई और पूरे शरीर पर चूमने लगी। मुझे लगा मेरा पानी निकलने वाला है। ये इसलिए हो रहा था, क्यूंकि मैंने 2 महीने से मुठ नहीं मारी थी और मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी।
खैर मैंने सब संभाल लिया और उसका पेटीकोट उतार दिया। अब वो सिर्फ चड्डी में थी। उसका दूधिया जिस्म बल्ब की रौशनी में चमक रहा था। मुझे पागल कर रहा था।
मैं उसके पूरे शरीर को जहाँ-तहां चूमने लगा। मैंने अपना पैन्ट भी उतार दिया। चड्डी में मेरा खड़ा लंड देख कर वो लाल हो गई और अपनी गर्दन नीचे झुका ली।
अब मैं सोच रहा था कि अपनी चड्डी पहले उतारूँ या उसकी। खैर मैंने उसकी चड्डी उतार दी। पहले तो उसने मना किया, फिर कुछ नहीं कहा।
मैं उसको पूरा नंगी देख कर पागल हुआ जा रहा था, और समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करूँ। मेरा लंड गीला हो चुका था और लगा जैसे मेरा पानी निकल ही जाएगा।
मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने अपनी चड्डी नहीं उतारी और उसको चूमता रहा। उसकी चूत में ऊँगली की, तो देखा उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। मैं उसको यहाँ-वहां चूमता रहा और मेरा पानी निकल गया। मगर मैंने उसको बताया नहीं, क्यूंकि मैं चड्डी पहना था।
मैंने चड्डी उतार दी, उसकी आँखें बंद थी। उसे पता ही ना चला कि मेरा पानी निकल गया। भले ही मेरा पानी निकल गया मगर मेरा लंड 30 सेकंड बाद फिर खड़ा हो गया। अब मैं खुश था कि अब मज़े से लूँगा।
अब निकलने की टेंशन ख़तम हो गई थी। मैंने कंडोम अपने लंड पर लगा लिया और नंगा उसके ऊपर आ गया और किस करने लगा। मैं उसके पूरे शरीर पर अपना शरीर रगड़ता रहा।
वो तेज़-तेज़ साँसें ले रही थी और पागलों की तरह मुझे चूम रही थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। मुझे लगा चूत गीली है, इसलिए लंड आसानी से चला जाएगा। मगर नहीं गया।
मैंने हल्का सा जोर लगाया, मेरे धक्के के साथ थोड़ा सा लंड अन्दर गया और वो चीख उठी। मैंने डर गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया और पूछा- कुछ हुआ तो नहीं?
इतना सब होने के बाद मैं समझ तो गया था मेरी पत्नी ये सब पहली बार कर रही है और इस बात से बेहद खुश था, सील पैक माल मिला।
अब मैंने दिमाग से काम लिया और उसको बैठा दिया। उसके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर लिटा दिया। जिससे मैं उसकी चूत देख सकूँ। और नीचे खड़ा हो कर उसमें अपना लंड डाल सकूं।
मैंने फिर कोशिश की। अबकी बार मैंने उसके मुँह अपनी हथेली रख दी ताकि वो चीखे तो आवाज ना हो। मैंने जैसे ही लंड उसकी चूत में ड़ाला।
मेरा जरा ही लंड उसकी चूत में गया था कि खून निकलने लगा। उसको ये सब पता नहीं था। उसकी आंखें बंद थीं।
वो दर्द के मारे रो रही थी। उसको इस हालत में देख कर मुझे दुःख भी हो रहा था। खैर मैंने सोचा करना तो है ही, सो मैं धीरे-धीरे लगा रहा। अब उसकी आवाज बंद हो गई थी, और वो भी मज़े ले रही थी।
मैंने अपना लंड थोड़ा सा और अन्दर कर दिया। उसी के साथ उसकी चीख फिर निकल गई। मैंने अपनी हाथ फिर उसके मुँह पर रख दिया और अबकी बार रुका नहीं। वो दर्द से कराह रही थी।
करीब दस मिनट चोदने के बाद मेरा लंड ने पानी छोड़ दिया। मैंने उसकी चुदाई सिर्फ आधे लंड से ही की थी, क्यूंकि पूरा लंड वो शायद ही झेल पाती। पूरे लंड के लिए तो पूरी ज़िन्दगी बाकी थी।
अब मैंने कपड़े से खून साफ़ किया। वो लेटी ही रही। उसको पता ही नहीं था कि उसका खून निकल रहा है। अब मैं उसके बगल में लेट गया और फिर से उसको चूमने लगा।
हम सुबह 4 बजे सोए। मैं पूरी रात उसे चोदता रहा।
मैं जब सुबह करीब 7 बजे ही उठ गया। मेरी पत्नी नहाने जा चुकी थी।
मेरी बाहर निकलने में गांड फट रही थी। मैं चुपचाप फ्रेश होकर बिना किसी की नज़रों में आए, बाहर चला गया और रात होने का इंतज़ार करता रहा।
घर से फ़ोन आया तो बोल दिया- शाम को आऊँगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे इस मेल करें-
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