आग और फूस का बैर- 1

(Married Sex X Kahani)

सनी वर्मा 2025-01-06 Comments

मैरिड सेक्स X कहानी में एक लड़की की शादी हुई तो उसे चुदाई का बहुत शौक था पर उसका पति उसे बहुत कम चोदता था. वह बेचारी पति का लंड लेने को तरस जाती थी.

दोस्तो, आज की कहानी एक पुरानी कहावत पर आधारित है.
वो कहते हैं न कि आग और फूस का बैर होता है.
कहीं फूस का ढेर हो और पास में आग जल रही हो तो फूस के ढेर में आग लगने की संभावना बहुत है.

ठीक उसी तरह अगर किसी के जिस्म में आग लगी हो और पास में कोई शोला बदन हो तो आग और भड़क जाती है.

आज की मैरिड सेक्स X कहानी है रिया और प्रिया की.
दोनों एक ही उम्र की चचेरी बहनें हैं.
रिया प्रिया से छह महीने बड़ी है.
दोनों स्वप्न सुन्दरी जैसा सौन्दर्य और चंचलता लिए हुए हैं.

रिया की शादी सेठ मंगल दास सर्राफ के बड़े बेटे अजय के साथ हुई.

शादी में ही मंगल दास जी और उनकी पत्नी सावित्री देवी को रिया की चचेरी बहन प्रिया पसंद आ गयी अपने छोटे बेटे विजय के लिए.

स्वभाव में विजय ज्यादा बातूनी और स्मार्ट था.
उन्हें लगा कि विजय और प्रिया की जोड़ी खूब जमेगी.

शादी के बाद सावित्री देवी ने बहू रिया से इस बाबत बात की तो उसने बताया- प्रिया अपनी मां से ज्यादा ही जुड़ी है. वह उनके बिना रहना ही नहीं चाहती. तो चाचाजी यह चाहते हैं कि प्रिया की शादी लोकल हो जाए ताकि वह बिना रोक टोक के मायके आ सके.

बात आई गयी हो गयी.
पर मंगल दास और सावित्री देवी के दिलोदिमाग पर प्रिया बस चुकी थी.

उसका एक कारण ये भी था कि बहू रिया ने उनका घर इतनी अच्छे ढंग से संभाल लिया था.
हालाँकि अजय शांत स्वभाव का सीधा सादा व्यक्ति था पर रिया और अजय खुश दिखते थे तो मंगल दास सोचते थे कि अगर प्रिया भी रिया जैसी ही हुई तो उनके छोटे बेटे विजय की जिन्दगी भी संवर जायेगी.

मंगल दास किसी सोसाइटी में टावर में रहते थे.
नीचे मंगल दास और सावित्री देवी, उसके ऊपर के फ्लैट में अजय और रिया और ऊपर का तीसरा फ्लैट पूरा फर्निश्ड था विजय और उसकी बीवी के लिए.

ऊपर के दोनों फ्लैट्स को जोड़ता एक अंदर जीना (सीढ़ियाँ) था, जो अक्सर बंद ही रहता.

विजय मनमौजी था. जहां कुछ अच्छा बनता, खाना वहीं खाता.
उसकी और रिया की खूब पटती थी. दोनों आपस में एक दूसरे का नाम लेते.

सावित्री देवी ने बहुत समझाया- ये तेरी भाभी है इसका नाम मत लिया कर, भाभी बोला कर!
तो विजय अल्हड़पन से जवाब दे देता कि यदि रिया अजय को भैया और अजय उसे भाभी कहे तो मैं भी कह लूंगा.
आखिर रिया ने ही हंसकर सावित्री देवी से कहा- लेने दीजिये नाम, है तो मेरे बराबर ही!

रिया विजय को भैया कहती तो विजय जवाब ही नहीं देता था.
आखिर थक हारकर उसने भी नाम लेना ही शुरू कर दिया.

अजय और रिया की नयी नयी शादी हुई थी पर उनकी सेक्स लाइफ बहुत सुस्त चल रही थी.
सुबह 11 बजे अजय शॉप पर पहुंचता था और रात 9 बजे तक वापिस आ जाता था.
उसके बाद बाद भी अजय नीचे थोड़ी देर मां के पास रुकता.

जब माँ उलाहना देती कि ऊपर बहू अकेली है, तब ऊपर आता और बस खाना खाकर थकान का बहाना बना कर सो जाता.

रिया की जवानी उबाल मारती थी.
वह अजय को अपनी अदाओं से खूब रिझाती और उकसाती.
पर हफ्ते में एक दो दिन के अलावा उनका सेक्स हो ही नहीं पाता.

अजय को हफ्ते पन्द्रह दिन में एक दिन सामान लेने दिल्ली जाना होता, तो वह साप्ताहिक छुट्टी से पहले दिन दोपहर बाद जाता, रात को दिल्ली रुकता और अगले दिन सुबह चलकर शाम तक वापिस आ जाता.
यह उसका तय रूटीन था.

विजय सुबह 9.30 तक पहुंचकर शॉप खोलता.
पर शाम को 6 बजे उसकी ड्यूटी खत्म हो जाती.

उसके बाद विजय घर जाकर खाना खाकर यार दोस्तों में घूमता और देर रात घर लौटता.

रात को मंगल दास अजय के साथ दुकान बढ़वाकर घर लौटते.

मंगल दास तो नीचे अपने फ्लैट पर खाना खाकर थोड़ी देर टीवी देखकर सो जाते.

पर ऊपर अजय और रिया की जिन्दगी अगले 12 घंटों के लिए बिल्कुल निजी होती.
किसी की कोई दखलंदाजी नहीं.
पर अजय उसका कोई फायदा रिया को नहीं देता था.

अजय रोजाना एक पेग लेता था.
उसे रिझाने के लिए रिया ने उसके साथ पीने की भी कोशिश की पर अजय बहुत शुष्क रहता.

रिया तितली की तरह उन्मुक्त आसमान में उड़ना चाहती थी पर अजय उसे टोकता तो कभी नहीं था पर साथ भी नहीं देता था.

और रिया को फेशन का बहुत शौक था.
वह अकेले में अक्सर फ्रॉक या शोर्ट मिडी ही पहनती.
सावित्री देवी कभी ऊपर आती नहीं थीं.

अजय को शॉप भेजकर रिया ही पूरी दोपहर नीचे सवित्री देवी के पास रहती, फिर शाम को जब ऊपर आ जाती.
तब अगले दिन ही उसकी सावित्री देवी से मुलाक़ात होती.

जब अजय शॉप जा रहा होता, तब रिया ढंग से कपड़े पहनकर नीचे आती और सावित्री देवी और मंगल दास के पैर छूकर आशीर्वाद लेती.

हाँ कभी विजय डिनर पर या ब्रेकफास्ट पर आ जाता तो रिया लॉन्ग फ्रॉक या नाईट सूट डाल लेती.

विजय और उसके बीच कोई लिहाज वाली बात अब नहीं रही थी.
दोनों बेबाक थे.

कई बार तो विजय उसे छेड़ देता- रिया तुम्हारी गर्दन पर किसी बड़े मच्छर के काटने का निशान है.
रिया भागी जाती शीशे में देखने कि कहीं अजय ने काट कर कोई निशाँ तो नहीं बना दिया.

विजय कभी भी रिया के गले लग जाता, रिया भी हंसकर उसे धक्का दे देती.
उन दोनों के मन में ही कोई खोट नहीं था.
अजय भी उन्हें एसा करते देखकर खूब हंसता.

अजय रिया की शादी को एक साल होने को आया.
उन लोगों ने शादी की वर्षगाँठ पर एक पार्टी रखी.

पार्टी में प्रिया और उसका परिवार भी आया.

प्रिया गजब की खूबसूरत लग रही थी.
मंगल दास से अब रहा नहीं गया.

उन्होंने प्रिया के पिताजी से प्रिया को विजय के लिए मांग ही लिया.

प्रिया के पिताजी को इतने बड़े घर का रिश्ता मना करने का कोई कारण ही नजर नहीं आया.
पर प्रिया कुनमुनाई कि मम्मी से दूर मैं नहीं रहूंगी.

तो सावित्री देवी और रिया ने उसे समझाया- यहाँ से तुम्हारी मम्मी का घर मात्र चार छह घंटे का ही तो रास्ता है. जब मन करे, चले जाना, एक दो दिन रहकर आ जाना.

प्रिया और रिया बराबर की ही उम्र की थीं.
रिया का मन भी ससुराल में उचाट हो रहा था तो उसने सोचा कि बचपन की सहेली प्रिया के आने से उसका मन लगेगा.

आखिर रिया के बार समझाने और अच्छा परिवार की दुहाई देने पर प्रिया की शादी विजय से हो ही गयी.

विजय अजय के मुकाबले ज्यादा ही आशिक मिजाज साबित हुआ.
हनीमून पर वे मालदीव्स गए.

विजय तो निहाल हो गया था प्रिया जैसे सेक्सी वाइफ पाकर!
वह तो प्रिया को टांगें सीधी करने का मौक़ा ही नहीं देता था.
प्रिया भी उसका भरपूर साथ देती.

पर हाँ, रात को जब तक वो एक घंटा अपनी मम्मी से बात नहीं कर लेती, उसे नींद नहीं आती.

अब उसके और विजय के बीच इसी बात को लेकर तनातनी होने लगी.
विजय का मन लिपटा लिपटी का हो रहा होता और प्रिया मम्मी से फोन पर लगी होती.

या सेक्स के बाद विजय का मन होता कि वह प्रिया को आगोश में लेकर सोये और प्रिया … वह अपनी मम्मी को फोन मिला रही होती.

विजय सेक्स का इतना शौक़ीन था कि उसे बिना दो-तीन सेशन लगाये चैन नहीं पड़ता.
प्रिया उसका साथ तो देती पर बार बार विजय को यह अहसास होता कि वह केवल जिस्मानी तौर पर उसके साथ है, दिमाग में उसके अपना मायका चल रहा होता.

विजय अब अपने सारे शिकवे रिया से कहता.
रिया भी क्या कहती … वह बस यही कह देती कि समझाऊंगी उसे!

दो तीन महीने तो जैसे तैसे निकले … अब हर पन्द्रह दिन बाद प्रिया दो तीन दिनों के लिए नए नए बहाने बनाकर मायके जाने लगी.

पीछे खाने की तो कोई दिक्कत थी ही नहीं.
रिया डिनर में वही बनाती जो विजय को पसंद होता और उसे बड़े स्नेह से खिलाती.

अब उसके और विजय के हंसी मजाक नॉन वेज भी होने लगे थे.

रिया कहीं न कहीं अपने आप को गुनाहगार मानने लगी थी प्रिया के मसले में!
वह जानती थी कि ऐसा होगा और फिर क्यों उसने विजय को नहीं रोका.

विजय और रिया में बहुत लगाव था.
जब अजय नहीं होता था तो शादी से पहले विजय उस शाम अपना पूरा समय रिया को देता, उसे अपनी बाइक पर खूब घुमाता.

रिया के मम्मे मांसल थे और वह शहर से बाहर बाइक से घूमने पर दोनों ओर टांगें करके विजय से चिपक कर बैठती.
उन्हें देखकर कोई भी यह समझ सकता था कि ये लैला मजनू हैं, इश्क फरमाने निकले हैं.

दोनों जम कर मस्ती करते.
मन में कोई खोट नहीं था और मंगल दास और सावित्री देवी उन्हें कोई टोका टाकी नहीं करते थे.

बल्कि विजय को बियर पीने का या सिगरेट की कोई लत नहीं थी, ये तो आहिस्ता से रिया ने विजय को डलवा दी.

विजय केवल रिया के साथ ही कभी कभार ले लेता, वरना अलग वो अपने दोस्तों में भी कभी नहीं लेता था.

कुल मिलाकर शादी से पहले विजय और रिया अच्छे दोस्तों की तरह रहते थे.

अब विजय शाम को शॉप से सीधा घर आ जाता और फिर प्रिया के साथ ही पूरा टाइम बिताता.
रिया और प्रिया अपनी अपनी सेक्स लाइफ खुलकर बात कर लेतीं.

पर बस प्रिया की सूई केवल मायके जाने की बात पर अटक जाती.
प्रिया जब विजय की आशिकी का जिक्र रिया से खुलकर करती तो कहीं न कहीं रिया के मन में मलाल आ ही जाता.

एक दिन प्रिया ने हल्ला मचा दिया- मेरी मम्मी की तबियत खराब है, मुझे तुरंत जाना है.
उसी दिन अजय भी दिल्ली जाने वाला था.

रिया ने प्रिया को बहुत समझाया- चाची जी की ऐसी तबियत खराब नहीं है कि तुम जाओ.
पर प्रिया किसकी सुनती थी … वह तो टैक्सी लेकर सुबह ही मायके चली गयी.
लगता था इस बार वो तीन चार दिन रुक कर ही आएगी.

विजय का मुंह फूला हुआ था.
दोपहर बाद अजय को भी जाना था तो विजय सुबह बिना नाश्ता किये ही गुस्से में शॉप पर चला गया.

रिया ने मंगल दास ज़ी के साथ नाश्ता भेजा भी, पर उसने नहीं खाया.
तो रिया ने अजय से कहा- विजय को एक घंटे के लिए जबरदस्ती घर भेज दो.

विजय घर आया तो रिया उसे लेकर अपने फ्लैट में गयी और उसका हाथ पकड़कर जबरदस्ती नाश्ता कराने लगी.
लेकिन विजय बहुत गुस्से में था.
उसने रिया से कहा- ऐसे मेरी जिन्दगी कैसे चलेगी?

विजय ने बताया कि रात उसका मूड बहुत अच्छा था, प्रिया भी सेक्सी नाईटी पहन कर बेड पर आ गयी थी. उनके बीच प्यार शुरू ही हुआ था कि प्रिया की मम्मी का फोन आ गया. उनकी कमर में कुछ नचका आ गया था. साधारण सी बात थी. पर बस प्रिया का मूड उखड़ गया. उसने तो रोना शुरू कर दिया. फिर इस शर्त पर चुप हुई कि सुबह वह मायके जायेगी.

विजय बोला- इससे तो मेरी शादी नहीं होती तो अच्छा था, कम से कम मैं तुम्हारे साथ खुश तो था.

रिया उठी और फ्लैट का मेन डोर बंद करके आई और फिर विजय से बोली- तुम तो अब भी मेरे साथ खुश रह सकते हो.
विजय बोला- तुम और अजय कितने खुश रहते हो. और एक हम हैं.

रिया ने विजय का हाथ थामा और बोली- तुमसे आज तक नहीं कहा. पर तुम क्या जानो मैं किस तरह समय काट रही हूँ अजय के साथ!
वह रो पड़ी.

उसने अपनी सारी मैरिड सेक्स X कहानी विजय को बता दी.
रिया बोली- सिर्फ जितने समय तुम मेरे साथ होते हो, उतने समय ही मैं हंसती हूँ. बाकी समय तो घुटती रहती हूँ. जब प्रिया मुझे तुम्हारे सेक्स के बारे में बताती है तो भी मुझे रश्क होता है. काश मैं तुम्हारी बीवी होती.

विजय हक्का बक्का सा था.
उसने रोती हुई रिया को चुप कराते हुए गले लगाया.
रिया कस के चिपक गयी उससे.

विजय ने भी उसे थाम लिया और लिपटा लिया अपने से!

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मैरिड सेक्स X कहानी का अगला भाग: आग और फूस का बैर- 2

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