मैं, मेरी बीवी और चचेरे भाई का सपना हुआ सच -7
(Mai, Meri biwi Aur Chachere Bhai Ka Sapna Hua Sach- 7)
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मधु उठने की कोशिश करने लगी, मैंने उसकी उठने में मदद की और उसे बाँहों में भर कर उठाया।
उसने पहले थोड़े कपड़े सही किये, मतलब नीचे किये, फिर बैडरूम में चली गई।
उसके पीछे पीछे बैडरूम में गया तो वो बाथरूम में जा चुकी थी, में वापस ड्राइंग रूम में आ गया।
नीलेश ने पूछा सब ठीक तो है न?
मैंने कहा- हाँ यार, सब ठीक है।
फिर धीरे से कहा- तू बस शो एन्जॉय कर!
मैंने एक सिगरेट निकाली और जला ली।
तभी किचन में कुछ आवाज़ हुई, मैंने जाकर देखा तो मधु अपना बचा हुआ पैग एक घूंट में खत्म कर रही थी।
उसने मेरी तरफ देखा और अपने बूब्स को दबाते हुए नशीली अदा से अपने करीब बुलाया।
मैंने जाकर मधु को बाँहों में जकड़ लिया और उसकी स्कर्ट उठा कर अपने लण्ड को उसकी चूत पर टच करते हुए उसके टॉप को ऊपर उठा कर उसके बूब्स को अपने सीने से दबाने लगा।
मधु की सिसकारियाँ निकलने लगी, वो धीरे से मेरे कान में बोली- देखा न, तुम हारने वाले हो। मेरा कंट्रोल तुमसे अच्छा है।
मैंने उसकी बात को अनसुना करके अपना आधा लण्ड उसकी चूत में आधा ठेल दिया।
अब तो मधु से रहा ही नहीं गया और वो जोर से चिल्ला उठी- उहह आहह…
उसका पानी मेरे लण्ड पे महसूस होने लगा।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और मधु को अपने आप से दूर कर दिया, फिर धीरे से कहा- इसे कहते हैं कंट्रोल!
और जोर जोर से हंसने लगा।
मधु नाटकीय रूप से गुस्सा होने लगी, बोली- जाओ, मैं आपसे बात नहीं करती। ऐसे भी कोई करता है क्या अपनी बीवी के साथ?
मैंने कहा- अभी तो पूरी रात पड़ी है, अभी तुम्हारे पास और भी बहुत मौके हैं, उकसाओ मुझे इतना कि मैं तुम्हें पागलों की तरह चोदूँ। मधु बोली- आपको उकसाना तो आसान है पर नीलेश भईया के चक्कर में बहुत से अपने जलवे नहीं दिखा पा रही जिसका आप फायदा उठा रहे हो।
मैंने धीरे से बोला- आज तुझे उसी के सामने चोदूँगा मेरी जान!
मधु को इस बात का कतई बुरा नहीं लगा क्योंकि वो यह जानती है कि जब मैं चोदने के लिए उत्साहित होता हूँ तो ऐसे ही गन्दी गन्दी बातें करता हूँ।
तो वो मेरी ताल में ताल मिला कर बोली- जहाँ मर्जी आये, वहाँ पर मेरे बदन के साथ खेलो जहांपनाह!
वो मेरी रग रग से वाकिफ थी, उसे पता था अगर पलट कर ऐसे जवाब देगी तो मैं इतना उत्तेजित हो जाऊँगा कि उसे वहीं चोद डालूँगा।
पर मैंने ऐसा नहीं किया और जाकर सोफे पर बैठ गया।
नीलेश के तो आँख कान सब हमारी बातों में ही लगे थे।
मैंने अपने आप को कंट्रोल करने के लिए अपना ध्यान टीवी में लगाना शुरू किया और नीलेश के हाथ से बिना कुछ बोले उसकी बची हुई सिगरेट ले ली।
2-4 कश लगाने के बाद ही सिगरेट खत्म हो गई थी तो उसे बुझाने के लिए मैं मुड़ा तो किचन के दरवाज़े की तरफ देखकर भौंचक्का ही रह गया।
उधर मधु सिर्फ टॉवल में खड़ी थी।
किचन के दरवाज़े से सटकर जो सोफे से दिख रहा था, शायद नीलेश जहाँ बैठा था वहाँ से नहीं।
मैंने उसको इशारे से बोला- आ जा यहाँ आ जा!
किचन से ही मधु बोलती हुई आई- मैंने सोचा क्यूँ न आप लोगों का साथ दूँ आप लोगों की तरह टॉवल में… और मैं भी पैग पीना चाहती हूँ। क्यूँ भइया, आपको बुरा तो नहीं लगेगा न?
नीलेश ने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा तो उसके पसीने छूट गए बोला- नहीं भाभी, यह आपका घर है, आप जैसे चाहे वैसे रह सकती हैं। और आप लोग मुझसे संकोच करेंगे तो मुझे लगेगा कि मैं आप लोगों के यहाँ गलत आ गया हूँ और मुझे शायद वापस जाना पड़े। प्लीज आप लोग comfortable रहे।
फिर हंसते हुए बोला- आज मैं आपको फालतू सवाल पूछ कर डिस्टर्ब भी नहीं करूँगा, चाहे कैसी भी आवाज़ें आयें।
हम तीनों इस बात पर हंस दिए।
मैं उठा और उसका गिलास जो किचन में रखा था, वो उठा लाया।
अब तीन पैग बने पर अब मधु बैठ नहीं रही थी क्योंकि उसका तौलिया बहुत ऊपर तक था।
वो तो मुझे उसकाने के लिए नीलेश के सामने पहन कर आई थी।
वो सोफे के दूसरी तरफ खड़ी रही, मैं सोफे पर बैठा रहा और बेचारे नीलेश को अपने तने हुए लण्ड को छुपाने के लिए चादर अपने ऊपर डालनी पड़ी।
मैं सोफे पर बैठा बैठा अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चिकनी चूत को सहला रहा था। वो सोफे की तरफ झुकी हुई थी और उसके एक हाथ में गिलास था।
मेरे एक हाथ में गिलास था और दूसरा उसकी चूत पर… थोड़ी देर में मेरी पूरी उंगली गीली हो गई।
इतने में नीलेश उठा और बोला- मैं वाशरूम होकर आता हूँ।
मैंने कहा- क्यूँ बे… मेरी बीवी को टॉवल में देखकर कही तेरा….
बोलते बोलते मधु ने मेरे मुंह पे हाथ रख दिया, बोली- भइया इन्होंने थोड़ी ज्यादा पी ली है, कुछ भी बोले जा रहे हैं। आप प्लीज वाशरूम होकर आइये।
नीलेश बेचारा बिन पानी की मछली जैसा महसूस कर रहा था।
उसके जाते ही मैं मधु का टॉवल थोड़ा पीछे से उठकर उसकी गांड सहलाने लगा।
मधु बोली- आप भी कैसे बात करते हो?
मैंने कहा- चिंता मत कर, वो भी पीया हुआ है, उसे कल थोड़े ही न कुछ याद रहेगा। मैं उसे अच्छे से जानता हूँ।
मैंने मधु को बोला- मैं जैसा कहूँ, वैसा ही करना।
उसने आँखों आँखों में ही हामी भर दी।
जब नीलेश वाशरूम से लौटा तो मैंने मधु का टॉवल नीचे नहीं किया, आराम से उसके आते समय मधु की गांड सहलाता रहा।
मधु मुझे घूर रही थी और धीरे से बोली- टॉवल नीचे कर दो, वो देख रहे है।
मैंने कहा- तू चिंता मत कर, मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ।
नीलेश आराम से नंगी गांड की गोलाई नापता हुआ अपनी जगह पर आकर बैठ गया।
मैं धीरे से मधु से बोला- अगर वो पीये नहीं होता तो कुछ कहता, या वो भी तुम पर चांस मार कर तुम्हें छूने की कोशिश करता। पर वो बहुत पीया हुआ है इसलिए चिंता मत करो उसे कुछ याद नहीं रहने वाला।
नीलेश ने थोड़ी बात सुन के ही आईडिया लगा लिया कि मैंने मधु से क्या बोला होगा।
तो नीलेश टीवी के किसी सीन के बारे में कुछ बोलने लगा। इससे मधु को और भरोसा हो गया कि नीलेश को कुछ समझ नहीं आ रहा और वो बहुत ड्रंक है।
उसी का फायदा उठाते हुए मधु ने सोफे के पीछे से ही मेरा लण्ड टॉवल के ऊपर से पकड़ लिया और सहलाने लगी जो नीलेश देख रहा था।
धीरे से मधु नीलेश को देखते हुए ही मेरा टॉवल हटाते हुए अब सीधे मेरे नंगे लण्ड को सहलाने लगी।
मैंने फिर मधु से कहा- देख… वो देख रहा है पर कोई रिएक्शन नहीं है। और अगर ऐसा होता तो मैं भी तो शर्माता जब तूने मेरा लण्ड बाहर निकाला तो।
फिर मैंने मधु का हाथ पकड़ा और उसे सोफे पर बैठने के लिए घुमा कर अपनी तरफ बुलाया।
मधु सोफे पर आकर बैठी।
अब मैं आधा लेटा हुआ था और मेरी एक टांग मधु की पीठ के पीछे और और एक जांघ के ऊपर! मेरी टाँगें चौड़ी होने की वजह से मेरा लण्ड अब पूरी तरह तौलिये से बाहर था, मधु का हाथ मेरे लण्ड से प्यार कर रहा था और मधु की आँखें केवल नीलेश को देख रही थी, वो अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रही थी कि यह आदमी सुबह सब भूल जायेगा और इसे अभी कुछ समझ नहीं आ रहा।
मधु मेरे लण्ड को छोड़ कर बोली- यार, आप अंदर चलो न! मैं हार गई, प्लीज मुझे अंदर ले जाकर मेरी प्यास बुझा दो। इनको चाहे कुछ याद रहे या न रहे पर इनके सामने में शायद कुछ नहीं कर पाऊँगी, चलो न अंदर!मैंने कहा- ओके, चलो पर देखो ये भी यादगार पल होंगे तुम्हारी ज़िन्दगी के जब तुम एक दूसरे मर्द के सामने चुदवा रही हो। बाकी मैं तुम्हे फ़ोर्स नहीं करूँगा, तुम जैसा कहो वैसा कर लूंगा। पर मैं इसे बहुत सालों से जानता हूँ, इसे दारु के दूसरे पेग के बाद कुछ याद नहीं रहता, इसके साथ कुछ भी करो।
मधु ने कुछ देर सोचा फिर बोली- ठीक है, आज किसी और के सामने नंगी होकर देखती हूँ!
मुझे सोच कर ही करंट दौड़ रहा था।
और मधु ने फिर से मेरे लण्ड को पकड़ कर सहलाने और पुचकारने लगी।
मैंने अपने पांव से मधु का तौलिया हटाना शुरू कर दिया।
मधु ने मेरे लण्ड को चूसना शुरू किया मैंने मधु का तौलिया पूरी तरह उसके बदन से अलग कर दिया। मधु ने भी मेरा तौलिया हटा दिया।
और जब मधु मेरे लण्ड को चूस रही थी मैंने नीलेश को इशारा किया कि ऐसे ही चुतिया बना रह!
मधु अच्छे से लण्ड चूसने के बाद 69 में आने लगी, बोली- आप भी करना चाह रहे होगे न? मैं मरी जा रही हूँ। वाकयी कितना अच्छा लग रहा है।
मैंने कहा- और मजा आएगा, अभी रुक तो सही।
मैंने बोला- नीलेश भाई, कैसी लग रही है मेरी प्यारी नंगी बीवी?
नीलेश बोला- भाभी तो बहुत खूबसूरत हैं।
मधु एकदम चौंक गई और जल्दी से मेरे ऊपर से हट कर तौलिया उठाने लगी।
मैंने कहा- वो ज़िंदा है, सब देख रहा है सब कुछ कर सकता है, पर सुबह सब भूल जायेगा, कोई सोया या मरा हुआ आदमी थोड़े ही है। मधु के चेहरे पर थोड़ी सी शान्ति का भाव आया।
फिर उसने देखा कि जल्दी के कारण वो नीलेश के काफी करीब खड़ी थी, नीलेश का लण्ड भी बाहर की ओर निकला हुआ था।
मैंने मधु का हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया।
मधु बोली- सच में भैया को सुबह कुछ याद नहीं रहेगा न?
मैंने कहा- हाँ यार, सही कह रहा हूँ।
मधु फिर बोली- मैं इनके सामने आपसे और उनसे कैसी भी बातें करूँ न?
मैंने कहा- दिल खोल के जो चाहो करो।
मधु नीलेश से बोली- भैया, आपके टॉवल के अंदर से सब कुछ दिख रहा है।
नीलेश बोला- भाभी, उसे लण्ड बोलते है, हाँ वो बाहर आ गया है। आपको कैसा लगा मेरा लण्ड?
मधु बोली- आपका दिखने में बहुत सुन्दर है।
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मैंने कहा- तुम चाहो तो उसे छू कर देख सकती हो।
मधु बोली- सच में? मेरा मन कर ही रहा था पर मैंने सोचा कि शायद आपको अच्छा न लगे।
मैंने कहा- यार तुम भी कैसी बातें करती हो? अगर किसी और के लौड़े को देखने या छूने से तुम्हारे मेरे लिए प्यार कम थोड़े ही होने वाला है।
थोड़ा रूक कर मैं नीलेश से बोला- नीलेश भाई, अपना टॉवल हटा कर आओ मेरी बीवी को अपना लण्ड दिखाओ, उसे अपने लण्ड को छूने दो।
नीलेश उठ कर खड़ा हो गया और सोफे से बिल्कुल करीब आकर बिल्कुल नंगा मेरी प्यारी बीवी मधु की आँखों के सामने अपने लौड़े को पेश कर दिया।
मेरी बीवी ने मेरी तरफ देखते हुए उसके लण्ड को धीरे से छूने के लिए हाथ बढ़ाये, फिर पूरा मुट्ठी में भर लिया।
मधु बोली- भैया, आपका लंड बहुत अच्छा और तना हुआ है।
नीलेश बोला- भाभी, क्या आप मेरे लंड को चूस कर मेरा पानी निकाल सकती हैं।
कहानी जारी रहेगी।
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