चांदनी रात में छत पर लुगाई की चुदाई
हॉट सेक्स विद वाइफ का मजा मुझे शादी के 13 साल बाद तब मिला जब वो मायके गयी हुई थी. मैंने उसे सेक्स के लिए कहा तो वो मुझे छत पर ले गयी.
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राकेश कुमार है. मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से कस्बे सांची से हूँ. मैं अन्तर्वासना को पिछले 15 साल से पढ़ता आ रहा हूं.
यूं तो मैं सेक्स कहानी लिखने का बहुत दिनों से सोच रहा था लेकिन ये जो घटना मेरे साथ क़ल हुई तो मैंने सोचा कि ताज़ा रस ही लिख कर आप सभी को मजा दूँ.
असल में मुझे हॉट सेक्स विद वाइफ का मजा मिला. वही लिख रहा हूँ.
मेरी पत्नी का नाम सुनीता है.
सुनीता सेक्सी शरीर की मालकिन है, लेकिन सेक्स के नाम से कोसों दूर है. वो हफ्ते दो हफ्ते में एकाध बार सेक्स कर ले, तो ठीक, नहीं तो आप खुद ही समझदार हैं कि मुझे अपने लंड को किस तरह से शांत करना पड़ता होगा.
जी हां, आप सही समझे, मुझे मुठ मार कर ही काम चलाना पढ़ता था.
रंडियों को चोदना मुझे पसंद नहीं है और दूसरी चूत का इंतजाम करना मेरे वश के बाहर का काम है. मेरे पास एक ही रास्ता था; हॉट सेक्स विद वाइफ!
इस सेक्स कहानी में मेरी बीवी का दिल कैसे बदल गया, उसी को मैंने लिखा है.
हुआ कुछ यूं कि मेरी बीवी मायके गई हुई थी. मुझे चुदाई की चुल्ल हो रही थी. कई बार मुठ मार चुका था. मगर बीवी को कुछ दिन बाद वापस आना था.
जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं एक दिन अपनी ससुराल चला गया.
मेरी ससुराल का घर ज्यादा बड़ा तो नहीं है … फिर भी तीन कमरे हैं.
मैं उस दिन रात को 11:30 बजे वाली ट्रेन से अपनी ससुराल के लिए निकल गया था.
पहुंचते-पहुंचते एक बज गया था.
उधर लगभग सभी लोग सो गए थे. बस मैं और मेरा साला जाग रहा था. मेरी बीवी गहरी नींद में थी.
मैंने अपने कपड़े बदले और पलंग पर लेट गया.
मेरे पास ही नीचे जमीन के मेरी बीवी सुनीता सोई हुई थी.
उसके बगल में उसके मम्मी डैडी और मेरी बिटिया भी सोई थी.
मुझे नींद नहीं आ रही थी. लंड खड़ा था और चूत चूत कर रहा था.
रात को लगभग 1:30 बज गए थे.
तभी सुनीता का हाथ मेरे हाथ पर चलने लगा.
मैंने भी पलंग से ही उसके हाथ को अपने हाथ में ले लिया और अपना हाथ नीचे ले जाकर उसकी टांगों में डाल दिया.
वो मेरे हाथ को उठा कर अपने पेट पर ले आई, तो मैं उसके पेट पर उंगलियां घुमाने लगा.
मैंने उससे इशारे में कहा- मुझे चूत लेनी है.
वो हाथ से दिलासा देती हुई धीमी आवाज में कहने लगी- अभी सो जाओ, बाजू में मम्मी सो रही हैं.
लेकिन मेरी आंखों में नींद कहां थी.
मैंने उसकी चादर हाथ डाल दिया और उसकी कुर्ती धीरे-धीरे ऊपर तक सरकाने लगा.
अब उसकी नर्म नर्म 32 साइज़ की चूचियां मेरे हाथ में थीं.
मैं धीरे-धीरे उसकी चूचियों को दबाने लगा और उसके पेट पर ही अपना हाथ चलाने लगा.
फिर मैं अपना एक हाथ सुनीता की सलवार तक ले गया.
मगर उसने मेरा हाथ फिर से हटा दिया.
तभी मैंने एक हाथ से उसकी ब्रा को ऊपर की ओर सरका दिया जिससे उसके बूब्स आजाद हो गए.
उसने मेरा हाथ वहां से भी हटा दिया. उसने कहा- चुपचाप सो जाओ. कुछ नहीं हो सकता है.
मगर मेरा मन मानने को तैयार नहीं था.
मैंने थोड़ी देर बाद फिर उसकी चादर में हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों पर हाथ घुमाने लगा.
अब सुनीता की नींद उड़ चुकी थी, वह पूरी तरीके से गर्म हो गई थी लेकिन घरवालों के कारण कुछ नहीं कर सकती थी.
लगभग 2:30 बजे वो मेरी बात मान कर उठी और उसने मुझे इशारा कर दिया कि छत पर आ जाओ.
सभी लोग गहरी नींद में सो गए थे. उसने मुझे छत पर आने का इशारा कर दिया था और आगे बढ़ गई थी.
मैं भी उसके पीछे पीछे चल दिया.
फिर छत पर जो हुआ, उसका मुझे सपने में भी अंदाज नहीं था.
उसने छत पर दरी बिछाई और मुझे अपनी ओर खींच लिया. उसने खुद ही अपने हाथ से कुर्ती उतार दी और अपने दोनों मम्मे पर मेरे हाथ रखवा कर मसलवाने लगी.
सुनीता बोली- अब आ जाओ और आज मेरे इन दोनों मम्मों को खा जाओ.
मैं भी 20 दिन का भूखा था, तो सुनीता के ऊपर टूट पड़ा और उसके दोनों मम्मों को बारी-बारी से पिया.
इससे वो बेहद गर्म हो गई और मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरे औजार को सहलाने लगी.
पूरे सात इंच का मेरा मोटा औजार भी तैयार हो गया था.
लेकिन आज मेरी बीवी को अभी कुछ और ही मंजूर था. उसने मेरे खड़े लौड़े को अपनी चूत में ना लेकर मुझे हटा दिया. फिर मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मुझको तो इस बात का अंदाजा ही नहीं था.
पूरे 13 साल में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था.
वो न जाने किस वासना के वशीभूत होकर मेरा लंड चूस रही थी.
उस समय मैंने ज्यादा कुछ न सोच कर अपना लंड चुसवाना जारी रखा और मजा लेता रहा.
कुछ ही देर में मेरा लंड बहुत कड़क हो गया था.
फिर धीरे से उसने अपनी सलवार सरकाई और पैंटी भी उतार दी.
अब वह पूरी तरह से नंगी हो गई थी.
मैं कुछ करने की सोचता, मगर सुनीता उसी समय फिर से किसी भूखे बच्चे की तरह मेरे लौड़े पर झपट पड़ी और लंड को लॉलीपॉप के जैसे चूसने लगी.
मैंने भी उसके मम्मों को अपने हाथों से दबोचा और मसल कर खेलने लगा.
कुछ ही देर में उत्तेजना चरम पर पहुंच गई थी और मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था.
मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसको लिटा दिया.
वो किसी सड़क छाप रंडी की तरह अपनी टांगें खोल कर गांड उठाने लगी.
उसकी चूत लपलप कर रही थी.
मैंने निशाना साधा और अपना गर्म गीला लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया.
उसकी मीठी सी आह निकली और उसने गांड उठाते हुए लंड को चूत में लेना शुरू कर दिया.
घपा घप घपा घप करते हुए चुदाई का खेल शुरू हो गया.
चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे मैं पूरी ताकत से सुनीता की चूत का भोसड़ा बनाने पर तुला हुआ था.
लगभग 20 मिनट तक मजेदार चुदाई चली.
फिर मैंने महसूस किया कि सुनीता की चूत ने मेरे लौड़े को चांपना शुरू कर दिया था.
उसका बदन भी अकड़ने लगा और मुँह से आंह आंह की आवाज निकलनी शुरू हो गईं.
कुछ ही झटकों में वो झड़ गई और चूत में पानी की गर्मी से मेरा लौड़ा भी विचलित हो गया.
मैंने भी दस बारह तेज तेज शॉट मारे और उसकी चूत में ही झड़ गया.
हम दोनों तेज तेज सांसें ले रहे थे और खुश भी थे.
मैं उसे चूमने लगा, वो भी मेरे सीने से चिपक कर मुझे प्यार करने लगी.
तभी उसने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- सुनो, मुझे एक बार और करना है. इस बार तुम मेरे मुँह में रबड़ी डालना.
मैं हैरान था कि सुनीता को आज क्या हो गया है.
मैंने उससे कहा- ओके मेरी जान, लंड खड़ा होने में दस मिनट लगेंगे फिर तुम्हारी इस कामना को भी पूरा कर दूंगा.
वो गाली देती हुई बोली- माँ की चूत दस मिनट की … तुम मेरी चूत से लंड बाहर निकालो, मैं अभी लंड चूस कर खड़ा कर देती हूँ.
मेरी आंखों में हद से ज्यादा खुशी थी कि सुनीता मेरी इच्छानुसार चुदाई का मजा दे रही थी.
मैंने लंड चूत से खींचा, तो सुनीता झट से उठ कर बैठ गई और मुझे बगल में लिटा लिया. मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर उसमें लगा हुआ चूत लंड के मिश्रित माल को चाटने लगी.
ये देख कर … और उसकी कामुकता को सोच कर मेरे लंड में जान आने लगी.
कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से अकड़ गया.
सुनीता लंड को खड़ा होते देख कर गर्व से लंड हिलाने लगी और लंड से बात करने लगी.
सुनीता मेरे लंड से- मेरे प्यारे लौड़े … तुमने मेरा दिल खुश कर दिया. आज तुम इतनी जल्दी खड़े न होते तो मुझे तुम पर बहुत गुस्सा आता.
मैं बस अपनी सुनीता में हुए इस बदलाव को ही देख रहा था.
खैर … इस बार वो मेरे खड़े लौड़े पर ही चढ़ गई और धकाधक गांड उठाती हुई चूत में लंड लेने लगी.
दस मिनट बाद वो थक गई और मुझसे बोली- अब तुम ऊपर आ जाओ.
मैंने बिना लंड चूत से निकाले उसे पलटाया और उसके ऊपर चढ़ गया.
उसने अपनी टांगें हवा में फैला दीं और मैंने लंड पेलना चालू कर दिया.
कोई दस मिनट और चुदाई चली होगी कि सुनीता झड़ गई.
मगर मैं अभी भी दौड़ रहा था.
वो मुझे अपनी चुचियों पर खींच कर दूध पिलाने की कोशिश करने लगी थी.
शायद उसे भी आज पहली बार चुदाई में इतना ज्यादा मजा आया था.
मैं अब फ्री होने वाला था कि उसने मुझे लंड चूसने की याद दिलाते हुए अपने ऊपर से हटाया और मुझे खड़ा करके मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी.
कुछ ही पलों में लंड ने झड़ना शुरू कर दिया और सुनीता पूरा वीर्य पीती चली गई.
दोस्तो, मुझे आज से पहले इतना मजा कभी नहीं आया था. लंड चूस कर हम दोनों लेट गए और एक दूसरे से बात करने लगे.
मैंने उससे कहा- सुनीता आज तुमने मेरे मन की बात सुन ली. आज तक मैंने इतना मजा कभी नहीं लिया था.
वो मंद मंद मुस्कुराती हुई मेरी आंखों में देखती रही और मुझे चूमती रही.
सुनीता अभी एक पारी और खेलना चाहती थी.
उसने मेरी गर्दन को अपने मम्मों पर रखा और दोबारा मुझसे अपने मम्मे चुसवाने लगी.
उसने मेरे पूरे बदन पर किस की बौछार कर दी.
बीस मिनट बाद उसने मेरा लंड फिर से चूसा और मेरा हथियार फिर से तैयार हो गया.
इस बार मैंने सुनीता से कहा- मुझे आज पीछे से डालने का मन है.
उसने एक बार भी मना नहीं की.
ये मेरे लिए संसार का आठवां आश्चर्य था.
वो बिना कुछ बोले उठी और अपनी गांड हिलाती हुई छत की रेलिंग पकड़ कर घोड़ी बन गई.
उसने गांड हिलाते हुए कहा- लो डार्लिंग डालो.
मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है.
लेकिन मैं भी उसके मुँह में अपना मुँह डाल कर किस करता रहा.
तभी वह कहने लगी- अब जल्दी करो … सुबह होने वाली है.
मैंने भी देर न करते हुए पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया.
वो एकदम से चिल्ला उठी- आंह मर गई … ये क्या कर रहे हो जान, मेरी गांड में नहीं चूत में लंड डालो … उधर से बाहर निकालो.
लेकिन लंड गांड में घुस चुका था और मैंने सुनीता की चिल्लपौं को रोकने के लिए कहा- साली कुतिया, हल्ला मत मचा … भैन की लौड़ी तेरी गांड में लंड घुस चुका है, अब झड़ कर ही निकलेगा.
मैं सुनीता की गांड में नॉन स्टॉप धक्के पर धक्के लगाता ही रहा.
दस मिनट बाद उसने मुझको हटा दिया और मुझे नीचे लिटा दिया.
वो खुद मेरे ऊपर आ गई.
उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर सैट किया और उस पर कूद कर खुद ही चुदने लगी.
बीस मिनट बाद जब मेरा वीर्य निकलने को हुआ और वह थक गई तो अपने मुँह में लौड़े को ले लिया और लंड चूस कर मुझे डिस्चार्ज करने में लग गई.
कुछ ही पलों में लंड की रबड़ी को सुनीता ने खा लिया और मेरे बाजू में लेट गई.
मैं भी थक कर चूर हो गया था.
आज सुनीता को चोद कर मजा आ गया था. आज 13 साल में पहली बार मेरे मन की चुदाई हुई थी.
उसने मेरे लौड़े को साफ किया और कहने लगी- खुश हो कि नहीं … आई लव यू.
मैंने कहा- जान आई लव यू टू थैंक्यू.
तब मैंने उससे पूछा- सुनीता आज तुम्हारे अन्दर इतना सेक्स कैसे जाग गया?
उसने कहा- ऐसा नहीं है यार कि मुझे अच्छा नहीं लगता, लेकिन आपके आने का कारण मैं समझ रही थी इसलिए मैंने सोचा कि आज आपको खुश करके ही भेजूंगी.
अब सुबह के 5:00 बजने वाले थे; सुनीता ने कपड़े पहन लिए थे और वो नीचे चली गई थी.
अन्तर्वासना के सभी पाठको, यह मेरी कोई काल्पनिक सेक्स कहानी नहीं है, ये मेरी सच्ची आपबीती है.
इस सेक्स कहानी को लिखने का मकसद केवल मेरी खुशी जो मुझे हॉट सेक्स विद वाइफ से मिली, को जाहिर करना ही है.
आपको सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे बताएं.
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