सेक्स बिना भी क्या जीना- 1
(Hot Couple S3x Kahani)
हॉट कपल S3x कहानी एक धनिक परिवार के बेटे बहू की है. कम उम्र में ही दोनों ने प्यार करके एक नये जीव का बीजारोपण भी कर लिया. तो दोनों की शादी हो गयी. उसके बाद भी मस्ती चालू रही.
दोस्तो, अब मेरा प्रयास ये होने लगा है कि अब मेरी कहानियां लीक से हटकर मेरे किसी पाठक या परिचित की जिन्दगी से जुड़ी किसी घटना पर आधारित हों.
आज की कहानी मेरे एक पाठक राजेश वर्मा की है.
राजेश का पुश्तैनी व्यापार सर्राफा, साहूकारी का था. अपने पिता की अकेली संतान थे. खूब चलती हुई दुकान थी.
राजेश अब 55 साल की उम्र पर आ गए थे. बड़ा पुश्तैनी मकान, पर रहने वाले अकेले.
हॉट कपल S3x कहानी आज से 34 साल पहले से शुरू करते हैं.
राजेश जवानी से ही बहुत शौक़ीन और आकर्षक व्यक्तित्व के व्यक्ति थे.
वर्मा समुदाय में प्रायः बच्चे सुंदर होते ही हैं.
राजेश की भी जवानी में एक बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की चुलबुली लड़की प्रिया से नैन मटक्का हुआ.
अभी राजेश मात्र 21 वर्ष के थे और प्रिया 20 की.
दोनों पास के मोहल्लों में ही रहते थे, आपस में घरों में आना जाना था.
उन दोनों की लव स्टोरी एक साल तक छिपते-छिपाते चलती रही; लुक छिप कर दोनों पिक्चर भी देख आते.
बाद में इतनी हिम्मत बढ़ने लगी कि दोनों प्रिया की एक सहेली के घर पर भी एकांत में मिलने लगे.
जवानी ऐसी जोर मारने लगी की प्रिया ने अपनी सहेली को पटा लिया की वो उन्हें कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दिया करे,
अब राजेश और प्रिया बंद कमरे में चोंचें लड़ाने लगे.
प्रिया ने शुरुआत में तो मना किया पर उसकी भी जवानी उबल रही थी और राजेश के प्यार में वो दीवानी हो गयी थी.
तो चुम्बनों से शुरू हुआ तूफ़ान फिर मम्मे दबाने और चूत में उंगली करने से होता हुआ शारीरिक संबंधों पर आ ही गया.
राजेश प्रिया को इतना गर्म कर देता कि अब प्रिया खुद ही राजेश का लंड पकड़ लेती.
दोनों ने यह कसम मंदिर में खा ली थी कि इस साल हम शादी कर ही लेंगे … वो भी घर वालों की रजामंदी से.
प्रिया को राजेश पर विश्वास था.
अब महीने में एक दो बार दोनों मिलने लगे एकांत में और अब उनके बीच भरपूर सेक्स भी होने लगा.
एक डेढ़ घंटा उन्हें मिलता था एकांत का, तो इतना तो बहुत है अपनी जिस्म की आग बुझाने के लिए!
प्रिया ने कई बार कहा- अपने अपने घर वालों से बात कर लेते हैं.
पर बस यहीं राजेश बात को टाल देता.
वैसे तो प्रिया बिना कंडोम के सेक्स नहीं करती, पर कई बार कंडोम एक होता और राउंड दो लग जाते.
दोनों में प्यार की पींगें ऐसी बढ़ी कि प्रिया गर्भ से हो गयीं.
अब आनन-फानन में दोनों के परिवारों ने आपसी सहमति से दोनों की शादी करवा दी.
हनीमून पर दोनों काश्मीर गए.
हालाँकि प्रिया पेट से थी पर जितना लुत्फ़ हनीमून का हो सकता था, दोनों ने उठाया.
बाद में प्रिया हँसती हुई अपनी भाभी से कह रही थी- इन सात दिनों में राजेश ने मुझे टांगें नीचे करने ही नहीं दीं.
प्रिया की मनपसंद सेक्स पोजीशन थी राजेश के ऊपर बैठकर उसकी घुड़सवारी करते हुए चुदाई करना.
इसमें उसके मम्मे लहराते तो राजेश उन्हें लपक लेता.
उनकी बेपनाह मुंहब्बत का अंजाम भी समय से आ गया.
22 वर्ष के होने से पहले ही राजेश एक सुंदर और स्वस्थ बच्चे के पिता बन गए.
मां बनने के बाद प्रिया की सुन्दरता और बढ़ने लगी.
दोनों की राम सीता की जोड़ी थी.
प्रिया बहुत घरेलू पर चुलबुले स्वभाव की थी.
राजेश की मां ने उसे बेटी जैसा प्यार दिया.
बच्चे को तो दादा दादी ने पाला और राजेश-प्रिया ने जिन्दगी के भरपूर मजे लूटे.
दोनों सेक्स के शौक़ीन थे, इसका प्रमाण तो उन्होंने शादी से पहले ही दे दिया था.
पर शादी के बाद उनका उतावलापन इतना बढ़ गया कि पूरे कुनबे और दोस्तों की बिरादरी में आपस में खुल्लम खुल्ला प्यार के लिए बदनाम थे दोनों!
लेकिन काम के प्रति राजेश और घर की जिम्मेदारियों के प्रति प्रिया बहुत गंभीर थी.
तो किसी को कोई शिकायत नहीं थी.
बेटा कुनाल पढ़ाई में बहुत तेज निकलता चला गया और प्रारम्भिक शिक्षा के बाद अपने नंबरों के बल पर दून स्कूल में प्रवेश पा गया.
हालाँकि दादा दादी इस पक्ष में नहीं थे कि एकमात्र बच्चे को पढ़ने बाहर भेजा जाए.
पर उसके भविष्य और सम्बंधित अध्यापकों की राय पर सब ने जी कड़ा करके कुनाल को पढ़ने बाहर भेज दिया.
एकमात्र बच्चे के बाहर जाने के बाद अब प्रिया पर काम की जिम्मेदारी और कम हो गयी.
दूकान से आने के बाद राजेश का पूरा समय अपने कमरे में ही बीतता या साप्ताहिक छुट्टी के दिन दोनों गाड़ी लेकर कहीं घूमने निकल जाते.
सेक्स में इतना मन रमता था दोनों का कि रोज कुछ नयापन सेक्स में हो, इसका प्रयास प्रिया करती.
चलती गाड़ी में जितना सेक्स हो सकता था उन्होंने किया.
लॉन्ग ड्राइव पर प्रिया के लाख मना करने पर भी राजेश नहीं मानता बिना प्रिया की चूत में उंगली किये.
अब प्रिया भी गर्म हो जाती तो वह जींस की ज़िप खोल कर राजेश का लंड बाहर निकाल लेती और लपर लपर चूसती.
देहरादून के आसपास जंगल सा था तो राजेश कितनी ही बार झुटपुटे में गाड़ी खड़ी करके प्रिया को चढ़ा लेता अपने ऊपर.
प्रिया फटाफट एक सेक्स सेशन को अंजाम देती और फिर उनकी गाड़ी आगे चल पड़ती.
प्रिया की सास ने अपनी ही बिरादरी की एक असहाय और अकेली महिला आशा को सहारा देने के लिए अपने घर पर घरेलू काम काज के लिए रख लिया था.
आशा का दुनिया में कोई नहीं था.
सुन्दरता के बल पर उसकी शादी एक पैसे वाले घर में हो गयी.
उसका पति बहुत शौकीन था तो आशा को पति ने कपड़ों-गहनों से लाद दिया था.
पर बस उसके पति को सेक्स की बीमारी थी.
वह हर समय सिर्फ सेक्स सोचता वो भी अमानवीय तरीके से.
आशा को यह बाद में मालूम पड़ा कि वह नपुंसक है, बच्चे पैदा करने में असमर्थ … और गांडू है.
उसका कोई शराबी दोस्त है जो उसकी गांड मारता है.
आशा ने इसे भी नियति मान लिया.
पर हर समय सेक्स की डिमांड, न दिन देखता, न रात. सबके बीच से खींच ले जाता सेक्स के लिए और फिर कमरे में शुरू होता यातना का दौर.
उसे सनक थी कि हर समय जिस्म चिकना रखो.
अब रोज-रोज तो वेक्सिंग कैसे करती आशा.
इसी बात पर वह हाथ छोड़ देता.
पागलपन इतना कि आशा के प्राइवेट पार्ट्स में कभी बोतल घुसा देता, कभी खीरा कभी कुछ और!
आशा के लाख हाथ जोड़ने पर भी पीछे से सेक्स जरूर करता.
कुल मिला कर आशा परेशान हो गयी.
एक दिन तो हद हो गयी.
उसका पति अपने उसी शराबी दोस्त को घर लिवा लाया.
आशा कमरे से बाहर आ गयी.
थोड़ी देर बाद जब किसी काम से कमरे में गयी तो देखा कि उसके पति और उसके दोस्त ने अपने कपड़े उतार रखे हैं.
उसका दोस्त आशा के पति की गांड मार रहा था.
आशा को देख कर दोनों ठिठके.
जब आशा बाहर जाने लगी तो उसके पति ने उसे जबरदस्ती रोक लिया और दोस्त के सामने ही आशा को जबरदस्ती नंगी कर लिया.
आशा रोती रही.
पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ा.
उसने आशा के पीछे अपना लंड घुसा दिया और उसके दोस्त ने आशा के पति की गांड में अपना लंड घुसा दिया.
आशा की चीख निकल रही थी.
पर उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था.
इसके बाद आशा का पति आशा को भी मजबूर करने लगा कि वह उसके दोस्त के साथ भी सेक्स करे.
आशा बाथरूम के बहाने से बाहर आयी और ऐसे ही तुरंत घर छोड़ कर भाग आई.
मगर जाती कहाँ?
तो अपने स्वर्गवासी पिता के एक मित्र के घर आसरा लेने पहुंची.
वहां भी उसका पति आकर गाली गलौच करता तो उसके पिता के मित्र ने उसे इस शहर में भेज दिया और यहाँ वह एक वृद्धाश्रम में रहने लगी.
आशा अच्छी पढ़ी-लिखी थी, स्कूल वगैरा में नौकरी भी की.
पर अकेली महिला को इस समाज के भूखे भेड़िये खा जाना चाहते हैं.
तो आशा उसी वृधाश्रम में सेवा कार्य करने लगी.
पढ़ी लिखी होने से पूरा वृद्धाश्रम उसने ही संभाल लिया था.
पर वहां भी उसका गठीला बदन और ख़ूबसूरती उसे खा गयी.
एक राजनीतिक छुटभैया उस पर निगाह रखने लगा और एक रात के अँधेरे में उसने आशा से जबरदस्ती करने की कोशिश की.
तो आशा अपनी इज्जत बचा कर बाहर भागी और सामने से आती राजेश की मां से जा टकराई और उनसे लिपट कर रो पड़ी.
बस इतनी सी कहानी थी आशा की!
उसे राजेश की मां ने अपने घर का सदस्य बना लिया.
आशा प्रिया की हमउम्र थी.
पर सही मायनों में उससे ज्यादा सुंदर और काम में बहुत सलीकेदार.
धीरे-धीरे आशा ने प्रिया को दीदी बनाकर उसके दिल में जगह बना ली और पूरे घर का दायित्व संभाल लिया.
उनका कमरा इतने बड़े मकान में ऊपरी मंजिल पर था.
नीचे राजेश के माता पिता रहते और ऊपर राजेश और प्रिया.
ऊपरी मंजिल पर ही उनके कमरे के बगल में आशा का कमरा और बाथरूम था.
बाथरूम दोनों के मिले हुए थे.
मतलब किसी भी बाथरूम की आवाज दूसरे में जाना लाजिम था.
राजेश और प्रिया तो रात के आठ बजे तक कमरे में बंद हो जाते अगले दिन सुबह तक के लिए.
पर आशा को किचन का काम निबटाते निबटाते रात के दस बज ही जाते.
उस समय भी राजेश प्रिया के कमरे से धमाचौकड़ी की खुसरपुसर बदस्तूर आती थी.
पर आशा दबे पाँव अपने कमरे में जाती जिससे राजेश को डिस्टर्बेंस न हो.
अब बिस्तर पर पड़े पड़े प्रिया और राजेश की आहें और हांफने की आवाजें आशा को बहुत बेचैन रखतीं.
राजेश और प्रिया सेक्स के बाद रात को सोने से पहले शावर जरूर लेते.
तो बाथरूम से उनकी चिपटा चिपटा और चूमा चाटी की आवाजें सुन आशा की चूत में चीटियाँ सी रेंगती.
अक्सर उसकी उंगली अपने दाने को मसलने लगती.
पर जल्दी ही आशा अपने मन को समझा लेती कि अब उसे ये सपने देखने का भी कोई हक़ नहीं.
राजेश पूरी तरह पत्निव्रता थे.
उन्होंने कभी किसी दूसरी स्त्री को गलत निगाह से देखा ही नहीं.
और जरूरत भी क्या थी इसकी … प्रिया उनकी हर फरमाइश पूरी करती.
चाहे सेक्स की हो, चाहे पाश्चात्य स्टाइल के कपड़े पहनने की हो, चाहे कोई और शौक हों जो आमतौर पर उस जमाने की लड़कियां करने में संकोच करती थीं.
अब उनकी आहों की आवाज नीचे भले ही न जाए, पर आशा तो बेचैन रहती ही थी.
वह लाख कोशिश करती उनके कमरे से आती आवाजों पर से ध्यान हटाने की … पर ऐसा हो नहीं पाता.
अक्सर ही कमरे की सफाई के दौरान उसे कंडोम के खाली पैकेट या हैण्ड टॉवेल बेड के नीचे पड़े मिलते.
एक बार तो उसे बेड पर तकिये के नीचे वाईब्रेटर भी रखा हुआ मिला.
प्रिया बहुत लापरवाह थी इस मामले में.
घर का सामान बाज़ार से आशा ही लाती.
प्रिया उससे कितनी ही बार वेक्सिंग क्रीम मंगाती और पैसे अलग से देती कि मांजी को मत बताना!
आशा भी सोचती कि इतनी वेक्सिंग क्रीम और स्ट्रिप्स का दीदी करती क्या हैं.
इतना तो वो भी नहीं लगाती थी अपने जिस्म पर जबकि उसका पति तो पागल था चिकनेपन का!
राजेश के दूकान से आने के बाद प्रिया कमरे में ही रहती.
नीचे से आवाज आने पर बस प्रिया फटाफट नाईटी पहनती और काम करके ऊपर भाग आती.
वह दिन में ही सारा काम संभाल लेती राजेश के आने से पहले तो सास को भी कोई शिकायत नहीं रहतीं.
और सास भी अपने बेटे की रंगीनियत से वाकिफ थीं.
बस यूं ही रंगीनियत लिए जिम्मेदारी और जिन्दगी चल रही थी.
पैसे की खूब आमद थी तो खर्चों पर कोई रोक नहीं थी.
राजेश के पिता ने व्यापार की पूरी जिम्मेदारी राजेश पर सौंप दी थी.
राजेश बहुत समझदार थे, पैसा जोड़ कर चलते थे, बर्बाद नहीं करते थे.
प्रिया अब पूरी तरह से आशा पर निर्भर थी.
आशा ने घर की हर जिम्मेदारी को बखूबी संभाल लिया था.
चाहे घर का सामान आना हो या पैसे का लेन-देन; चाहे दूकान से पैसे आने हों, नया गिरवी के जेवर रखने हों, राजेश और प्रिया को आशा पर इतना विश्वास था कि प्रिया अलमारी की चाभी उसे दे देती और प्रिया सब काम बखूबी कर लेती.
जिम्मेदारियां निभाते हुए भी उनकी निजी जिन्दगी की रूमानियत कम नहीं हुई.
आज आशा को दस वर्ष हो गए इस घर में!
प्रिया आशा दोनों हमउम्र थीं और आशा खासी पढ़ी लिखी और सभ्य थी तो दोनों की मित्रता गाढ़ी हो गयी थी.
आशा प्रिया को दीदी जरूर बोलती थी पर दोनों के हंसी मजाक चलते रहते.
आशा से प्रिया अपनी मालिश और वेक्सिंग वगेरा भी करवा लेती.
प्रिया आशा को जोर देती कि वह अपनी भी वेक्सिंग करके अच्छी बन कर रहा करे.
आशा कहती कि किसके लिए करूँ ये सब!
तो प्रिया झिड़क देती- अपने लिए करो!
दोनों की गहरी छनती थी आपस में!
एक दो बार तो ऐसा हो गया कि राजेश को कभी कभार पीने की सनक लग जाती.
वह पीता भी प्रिया के साथ ही था.
तो उस रात प्रिया पहले ही आशा को बता देती कि अगर उसके कमरे से हॉट कपल S3x का ज्यादा शोर आये तो प्लीज़ नीचे मत बताना.
एक रात तो हद ही हो गयी.
जब आशा को इनके कमरे से कुछ गिरने की आवाज आई.
नीचे से राजेश के पिताजी ने पूछा- क्या गिरा?
तो आशा ने बात संभाली- कुछ नहीं मेरा पैर टकरा गया, मेज लुढ़क गयी.
पर जब वह राजेश के कमरे में पहुंची तो हल्का सा धक्का देने से दरवाजा खुल गया और अंदर सोफे पर राजेश और प्रिया पीकर टुन्न पड़े थे बिलकुल नंग धड़ंग और बगल में मेज उलटी पड़ी थी.
उस पर से शराब की बोतल सोडे की बोतल और जग वगैरा नीचे गिरे पड़े थे.
प्रिया को हल्का सा होश था.
आशा ने उसे सहारा देकर बेड पर लिटाया और राजेश के ऊपर एक चादर डाल दी और हँसती हुई कमरे से बाहर आ गयी.
सुबह ही 5 बजे उसके कमरे में प्रिया आ गयी और बहुत शर्माते हुए उसने उससे माफ़ी मांगी.
आशा हँसती हुई बोली- पीते समय कम से कम कपड़े तो पहन लिया करो.
अब प्रिया क्या बताती कि ‘राजेश को सनक चढ़ गयी थी कि तुम मेरे ऊपर बैठकर, मेरा लंड अंदर लेकर पेग बनाओ और दोनों ऐसे ही पीते-पीते बेसुध हो गए.’
खैर, प्रिया आशा पर पूरा भरोसा करती थी.
हाँ, राजेश जरूर एक दो दिन आशा से नजर बचाता रहा.
आशा को भी अब आदत हो गयी थी उनके कमरे से आती आह … उह … की आवाजें सुनने की.
वह बस मुस्कुरा देती.
हालाँकि ये आवाजें उसके टूटे हुए सपनों को जगातीं … पर आशा समझ गयी थी कि अब ये सब सपने हैं उसके लिए.
रोटी और छत मिल रही है, यह क्या कम है.
यह हॉट कपल S3x कहानी तीन भागों में होगी.
हर भाग आपको अलग मजा देगा.
कमेंट्स और मेल करते रहें.
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हॉट कपल S3x कहानी का अगला भाग: सेक्स बिना भी क्या जीना- 2
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