होली में बॉस ने मारी गांड
(Holi Me Boss Ne Mari Gaand)
पिछली होली का खुमार उतरा नहीं था कि इस साल भी होली आ गई…
कुछ जल्दी ही आ गई।
होली से एक दिन पहले रवि ने कहा कि इस बार बॉस की होली में उसे भी बुलाया गया है।
बॉस यानी किशोरकांत… मैने उन्हें एक बार ही देखा था, लंबी-तगड़ी कद काठी-गठा हुआ शरीर, बुलंद आवाज।
मैंने रवि से पूछा- क्या पहन कर जाना होगा?
रवि बोला- .यार बॉस की पार्टी है… ऑफिस स्टॉफ में सिर्फ हमीं को बुलाया गया है। बॉस खुश हो गये तो प्रमोशन हो जायेगा। लेकिन ड्रेस कोड का मुझे भी नहीं पता!
मैं रवि का इशारा समझ गई थी।
होली वाले दिन मैंने जींस-शर्ट पहनी और अपने पर्स में एक टाइट नेकर और स्लीवलैस टी शर्ट रख ली, सोचा कि जैसा माहौल होगा वैसा पहन लूंगी।
आखिर रवि के बॉस किशोरकांत को खुश भी तो करना था।
किशोर कांत का बंगला शानदार था। लॉन में होली खेलने का इंतजाम था।
वो एक तरफ कुर्सी पर बैठे थे, एक एक करके लोग उनके पास जा रहे थे और रंग लगा रहे थे।
उनकी पत्नी मनीषा भी आसपास ही घूम रहीं थी, काफी सेक्सी पत्नी थी… चुलबुली!
होली की मस्ती के बीच मनीषा मुझे एक तरफ ले गई और फुसफुसाते हुए बोली- इतने कपड़े पहन कर होली खेलोगी तो रंग कैसे लगेगा? थोड़ी सेक्सी बन जाओ।
मैं उनका इशारा समझ गई थी, मैंने तुरंत पर्स से टाइट नेकर और स्लीवलैस टी शर्ट निकाल ली।
मनीषा बोली- ये वाली ड्रेस ठीक है। एक बार फिर से किशोर जी से होली खेल लो और हाँ… अपनी ब्रॉ भी उतार दो।
मैंने कपड़े बदले और अपनी ब्रॉ उतार दी।
अब मेरे दोनों कबूतर उड़ने को तैयार थे।
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दूसरी बार बॉस किशोर कांत से होली खेलने पहुँची तो उनकी निगाहें मेरे ऊपर से हट नहीं रहीं थी, वो मेरी टी शर्ट के अंदर का एक्सरे करने की कोशिश कर रहे थे।
खैर मैंने उन्हें फिर रंग लगाया और लोगों की भीड़ में खो गई।
दोपहर तक होली खत्म होने लगी थी, इसी दौरान मनीषा जी फिर आईं और बोली- थोड़ी देर रुक कर जाना!
थोड़ी देर बाद बंगले में हम दोनों के परिवार ही बचे थे।
मनीषा मुझसे बोलीं- होली तो एक बहाना है, दरअसल किशोर का लंड खड़ा नहीं होता है और मेरी चूत प्यासी रह जाती है। अगर रवि मेरी प्यास बुझा दे तो…?!
मैंने रवि से बात की.. मामला प्रमोशन का था… रवि ने हां कर दी।
लेकिन एक सवाल बाकी था… बॉस को पता चल गया तो क्या होगा?
इसका जवाब मनीषा ने दिया- दफ्तर में ही कड़क हैं, घऱ में तो जितना लंड ढीला रहता है उतने ही खुद भी ढीले रहते हैं।
हम तीनों उनके बैडरूम में पहुंच गये।
कमरे में मनीषा ने टीवी पर एक चुदाई की फिल्म लगाई जिसमें एक आदमी से दो लड़कियां चुदाई करवा रहीं थी।
मनीषा ने रवि से कहा- ऐसे करना है।
सीन में उस आदमी ने एक लड़की की चूत में लंड डाल रखा था और दूसरे की चूत पी रहा था।
मैंने मनीषा से कहा- पहले मैं आपको थोड़ा गर्म कर लेती हूँ फिर रवि का काम आसान हो जायेगा।
उनके जवाब देने के पहने ही मैंने आगे बढ़ कर उन्हें चूमना शुरु कर दिया।
मनीषी हल्की-हल्की गर्म होने लगी।
इसी बीच रवि ने घुटने के बल बैठकर उनकी चूत को चूसना शुरू कर दिया।
मनीषा सिसकारियाँ लेने लगी।
अब मैंने उनकी चूचियों को मुंह में भर लिया… क्या मस्त चूचियाँ थीं।
मनीषा की चूत पीते पीते रवि ने मेरी चूत में ऊंगली करनी शुरू कर दी, मेरी उत्तेजना भी बढ़ने लगी थी, मैंने मनीषा को बिस्तर पर गिराया और अपनी चूत मनीषा के मुंह के आगे कर दी।
तभी रवि ने अपना लंड मनीषा की चूत में डाल दिया।
मनीषा पागलों की तरह मेरी चूत चाटने लगी।
वहीं रवि के लंड की रफ्तार भी बढ़ गई थी, पूरा कमरा हम तीनों की आवाज से गूंज रहा था।
तभी रवि ने मेरी पीठ पर हाथ मारा और हटने को कहा, मेरे हटते ही रवि ने मनीषा को होठों को पीना शुरू कर दिया था।
उसी समय मनीषा ने पूरी ताकत लगा कर रवि को एक तरफ ढकेला और बोली- ऊपर आऊँगी।
अब रवि नीचे था और मनीषा ऊपर!उसकी गांड पूरी रफ्तार से थिरक रही थी।
थोड़ी ही देर में उसकी चूत से धार छूटी और वो रवि के ऊपर गिर गई।
थोड़ी देर में उनकी सांस शांत हुई तो मैंने मनीषा से कहा- अभी मैं बाकी हूं।
मनीषा ने कहा- रेनू… तू किसी तरह से किशोर का लंड खड़ा करके उसका पानी निकाल दे।
किशोर कांत… मैं मन ही मन सोचने लगी… उसका शरीर तो पहलवानों वाला है.. मेरा तो कीमा ही बन जायेगा।
खैर.. मरती क्या न करती।
मनीषा ने किशोर को उसी कमरे में बुला लिया।
होली वाले कपड़े पहने किशोर कमरे में आये तो हम तीनों को नंगे देख कर मुस्कराने लगे, मनीषा से बोले -…कैसा रहा डार्लिंग…??
मनीषा बोली- ..मस्त चुदाई… लेकिन अभी रेनू की चुदाई बाकी है, ये तुमसे चुदवाएगी।
किशोर बोले- ..मुझसे? ..यार तुम्हे तो पता है मेरा लंड खड़ा ही नहीं होता, कैसे होगा?
मैंने कहा- देखिये किशोर जी.. मेरी चूत प्यासी है… इसकी प्यास तो मिटानी ही होगी।
किशोर कहने लगा- मेरा नाम किशोर है.. इससे जी हटा दो। दूसरी बात… मुझे गांड मारने का शौक है। मनीषा इसके लिये तैयार नहीं होती इसीलिये मनीषा के सामने लंड खड़ा नहीं होता।
मैंने कहा- बस.. इतनी सी बात है… मार लो मेरी गांड… लेकिन मनीषा.. तुमने भी मेरी चूत पीने का काम बीच में छोड़ दिया था उसे पूरा करना होगा।
मनीषा तुरंत तैयार हो गई।
मेरी गांड को देखते ही किशोर का लंड खड़ा हो गया, उसने मेरी गांड में एक तेल लगाया और मुझे कुतिया बना कर अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया।
…उफ… कितना मोटा था… किशोर का लंड धीरे-धीरे मेरी गांड में भीतर तक जा रहा था।
पूरा अंदर जाने के बाद उसके लंड की रफ्तार बढ़ने लगी, तभी मौका पाकर मनीषा मेरे नीचे लेटी और मेरी चूत पीने लगा।
मेरी चूत और गांड दोनों पर एक साथ हमला हो रहा था और मेरी होली पर चुदाई की रस्म पूरी हो रही था।
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