होली के बाद की रंगोली-1
(Holi Ke Baad Behan Ke Sath Rangoli- Part 1)
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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे नशा उतरने के बाद भी पंकज की बहन और उसकी पत्नी इस सारे भाई बहन की चुदाई के प्रकरण से खुश थे और किसी को कोई अफ़सोस नहीं था। इसका कारण यह था कि सोनाली भी अपने भाई के लंड के सपने देखा करती थी और पंकज रूपा ने उसे वादा किया कि वो उसका सपना पूरा करने में उसकी मदद करेंगे।
अब आगे…
हमारे दिन (और रातें) मज़े में कट रहे थे। मुझे 2-2 चूत चोदने को मिल रहीं थीं। घर में किसी की शर्म लिहाज़ करने की ज़रुरत नहीं थी। सब सारा समय नंगे ही रहते थे। XXX विडियो टीवी पर ऐसे चलते थे जैसे घरों में आम तौर पर म्यूजिक चैनल चलते हैं, माहौल एकदम मस्त था।
लेकिन एक दिन जब सोनाली को चोदने के बाद मैं रूपा को चोद रहा था तो मैंने देखा कि सोनाली लेटे-लेटे हमें देख रही है लेकिन उसका ध्यान कहीं और ही था जैसे किसी और ख्याल में खोई हुई हो।
तब अचानक मुझे याद आया कि उसे भी अपने भाई की याद आ रही होगी। हम दोनों भाई-बहन की चुदाई देख कर उसका भी मन उसके भाई से चुदवाने को करता होगा। हमने उससे वादा भी किया था लेकिन हम अपने मज़े में इतने खो गए थे कि भूल ही गए।
मुझे ये सोच सोच कर बहुत आत्मग्लानि का अनुभव हुआ और मैं झड़ नहीं पाया। जैसे ही रूपा झड़ी, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और मैं दोनों के बीच लेट गया। मेरा खड़ा तना हुआ लंड देख कर सोनाली बोली- अरे तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है। लाओ मैं एक बार फिर चुदवा लेती हूँ।
पंकज- नहीं, अभी मूड नहीं है।
सोनाली- अरे ऐसा क्या हो गया? अभी तो पूरे जोश में रूपा की चुदाई कर रहे थे।
पंकज- वही तो… जब मैं उसे चोद रहा था तो मैंने देखा तुम पता नहीं किन ख्यालों में खोई हुई हो। तब मुझे याद आया कि तुमको भी शायद सचिन से ऐसे ही चुदवाने तमन्ना हो रही होगी। और हमने तुमको वादा भी किया था लेकिन हम भूल ही गए। मुझसे तुम्हारी उदासी देखी नहीं गई इसलिए मूड ख़राब हो गया।
इतना सुनते ही सोनाली ने मुझे गले लगा लिया और जोर से एक चुम्मी लेकर मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ते हुए बोली- जिसका पति उसके बारे में इतना सोचता हो वो भला उदास कैसे रह सकती है। आपने बिल्कुल सही समझा, मैं अपने भाई के ख्यालों में ही खोई हुई थी। लेकिन मुझे पता है आप अपना वादा नहीं भूले हैं और निभाएंगे भी इसलिए अभी तो मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है।
उसकी आँखों में आंसू भर आये थे और मुझे पता था वो ख़ुशी के आंसू थे। उसने मुझे बहुत ही कोमल सा चुम्बन किया और हम एक दूसरे के होंठों को हौले हौले चूसने लगे। इस चुम्बन में वासना की उफान नहीं बल्कि सच्चे प्यार की स्थिरता थी। हम दोनों एक दूसरे की ओर करवट किये हुए लेटे थे और एक दूसरे को बाहों में भरे हुए सर से पाँव तक एक दूसरे से चिपके हुए थे। हमारी जांघें और पैर आपस में ऐसे गुत्थम गुत्था थे जैसे आपस में बंध जाना चाहते हों।
स ऐसे ही चिपके हुए मैं कभी उसकी पीठ सहलाता तो कभी नितम्बों से होता हुआ जाँघों तक हल्के से सहला देता, तो कभी स्तनों के बाजू से अपनी उंगलियाँ सरसरा देता।
सोनाली ने धीरे से अपना हाथ पीछे से अपने दोनों पैरों के बीच सरकाया और उसकी दोनों जाँघों के बीच दबे मेरे लिंग को धीरे से अपनी योनि में फिसला दिया। ना तो हमारा चुम्बन टूटा, ना ही आलिंगन लेकिन हम दोनों ने धीरे धीरे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। कभी वो हल्के से मेरे नितम्बों को अपनी हथेलियों से मसल देती तो कभी मैं अपने हाथों से उसके स्तनों तो दबा देता या फिर उसके नितम्बों को अपनी हथेलियों का सहारा देकर अपना लिंग उसकी योनि की गहराइयों तक पहुंचा देता।
यह सब हम बहुत आराम से और हौले हौले कर रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो आज हमने पहली बार प्यार करना सीखा था। ना जाने कब तक हम ऐसे ही धीरे धीरे अपने इस अनूठे समागम के आनन्द में गोते लगाते रहे।
और भी अजब बात यह थी कि जब हम अपने अतिरेक पर पहुंचे तो भी हमारी रफ़्तार बहुत तेज़ नहीं हुई, ना ही हमारा आलिंगन या चुम्बन टूटा। लेकिन इतनी देर तक पहले कभी हमने पराकाष्ठा (climax) का अनुभव नहीं किया था। काफी देर तक मेरा लिंग सोनाली की योनि में वीर्य की वर्षा करता रहा और उसकी योनि भी मेरे लिंग को ऐसे चूसती रही जैसे कोई बच्चा अपना अंगूठा चूसता है।
सब ख़त्म होने के बाद भी हम ऐसे ही चिपके पड़े रहे, बीच बीच में कभी कभी मेरा लिंग झटका मार देता तो उसकी योनि भी कस जाती या उसकी योनि में खिंचाव आ जाता और उसकी वजह से मेरा लिंग झटके मारने लगता।
हम पता नहीं कितनी देर ऐसे ही पड़े रहते लेकिन रूपा हमें वापस इसी दुनिया में वापस ले आई।
रूपा- भैया!!! भाभी!!! ये क्या था?
तब हमें होश आया कि हम अकेले नहीं थे। मैंने धीरे से सोनाली की पीठ पर हाथ फेरा और उसे सहलाते हुआ अपना लिंग बाहर निकाल लिया और उसके गालों पर एक प्यार भरा चुम्बन देकर मैं बैठ गया।
सोनाली भी उठ कर बैठ गई थी।
मैं- यार क्या था ये तो नहीं पता लेकिन ऐसा पहले कभी अनुभव नहीं किया था। शायद इसी को प्यार करना कहते हैं।
रूपा- तो अब तक जो हम कर रहे थे वो क्या था?
सोनाली- वो चुदाई थी!
और इतना कह कर सोनाली हंस पड़ी। हम दोनों भी हंसने लगे। खैर उस वक़्त तो रात बहुत हो गई थी और हमको सबको नींद आ रही थी इसलिए हम सो गए लेकिन एक बात जो मुझे समझ आई वो यह कि जब सेक्स में इमोशन (भावनाएं) भी हों तो वो एक अलग ही अनुभव होता है। लेकिन अब भावनाएं कोई K-Y जेली तो है नहीं कि बाज़ार से लाओ और चूत में लगा के चुदाई का मज़ा बढ़ा लो। वो तो जब आना होता है तभी आती हैं। और चुदाई का मजा तो कभी भी लिया जा सकता है।
इसलिए ज्यादा भावनाओं में बहने के बजाए मैं अपनी बीवी को उसके भाई से चुदवाने के तरीके सोचने लगा। अगला दिन इसी उधेड़बुन और रोज़मर्रा के कामॉम में निकल गया। रात को जब सब खाना खाने बैठे तब मैंने ये बात निकाली- मेरे इस बारे में सोचने से ही अगर सोनाली को मुझ पर इतना प्यार आ सकता है तो सोचो अगर मैंने सच में अगर इसको इसके भाई से चुदवा दिया तो ये मुझे कितना प्यार करेगी।
सोनाली- हाँ, मैं यही सोच कर इतना भावुक हो गई थी कि मेरा पति मुझे कितना प्यार करता है। मेरी ख़ुशी के लिए वह ये काम तक करने को तैयार है जो कोई पति सपने में भी मंजूर नहीं करता।
रूपा- नहीं भाभी, मैंने अपनी शादीशुदा सहेलियों से सुना है कई पति आजकल स्वैपिंग करते हैं। अपनी पत्नियों को दूसरों से चुदवाते हैं और खुद उनकी पत्नी को चोदते हैं।
सोनाली- हाँ… लेकिन वो तो ये सब अपनी मस्ती के लिए करते हैं ना। मेरे भाई की तो कोई बीवी भी नहीं है।
रूपा- हाँ, लेकिन बदले में आपने भी तो भैया को मुझे चोदने दिया ना।
सोनाली- हाँ, क्योंकि मैं भी तुम्हारे भैया से उतना ही प्यार करती हूँ, इनकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
मैं- सो स्वीट! तुमको जो करना था वो तुम कर चुकीं लेकिन अभी तो हमको तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ करना है ना। तो देखो मैंने बहुत सोचा है इस बारे में। हमको बहुत सम्हाल कर कदम उठाने पड़ेंगे। कुछ गड़बड़ हो गई तो ना केवल तुम बल्कि मैं और रूपा भी बदनाम हो जाएंगे।
सोनाली- हाँ वो तो है। देखो अगर आसानी से हो सकता हो तो ठीक है नहीं तो रहने दो। मैं तुम्हारे साथ ही खुश हूँ।
मैं- चिंता ना करो, मैंने बहुत सोच समझ कर ऐसा प्लान बनाया है कि खतरा बहुत कम है।
रूपा- क्या प्लान है वो भी तो बताओ?
पंकज- देखो, 2-3 महीने बाद राखी है। तब तक तुम सचिन से फ़ोन पर बातें करते समय पता करो कि वो भी अब तक तुम्हारे बारे में वैसा ही सोचता है या नहीं। हो सके तो थोड़ी भूमिका भी बना लेना और फिर राखी पर उसको एक हफ्ते के लिए बुला लो यहाँ। त्यौहार ही ऐसा है कि कोई शक भी नहीं करेगा और काम भी हो जाएगा।
रूपा- अरे यार नहीं भैया, मैंने तो इस राखी के लिए बहुत प्लान बना रखे थे कि इस बार कुछ स्पेशल तरीके से मनाऊँगी आपके साथ। कोई और टाइम सोचो ना?
पंकज- हम्म… ऐसा है तो… एक काम करेंगे!!… सोनाली, तुम उसको राखी से पहले ही बुलवा लेना तो अगर सब कुछ सही हुआ तो राखी से पहले ही सोनाली सचिन से चुदवा चुकी होगी और फिर हम चारों मिल कर तुम्हारे हिसाब से स्पेशल राखी मना लेंगे।
रूपा- हाँ ये बात कुछ ठीक है. और वैसे भी भाभी की वजह से ही तो मैं आपके साथ इतना खुल पाई हूँ। इनकी इजाज़त ना होती तो आज हम तीनों यहाँ नंगे बैठ कर खाना न खा रहे होते। इसलिए इनके लिए इतना रिस्क तो ले ही सकते हैं।
सोनाली- अब खाना खत्म हो गया हो तो बेडरूम में चलें। एक तो तुम लोगों ने मेरी और सचिन की चुदाई की बात कर करके मुझे इतना गर्म कर दिया है कि देखो ये कुर्सी तक गीली हो गई मेरे चूत के रस से।
पंकज- ऐसा है तो चलो रूपा, आज स्वीट डिश में तुम्हारी भाभी की चूत का रस ही चाट लेंगे दोनों भाई-बहन।
इसके साथ ही सब हंस पड़े और हाथ मुह धो कर अगली चुदाई के लिए तैयार होने लगे।
दोस्तो, आपको यह भाई-बहन और पत्नी की त्रिकोणीय चुदाई की कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।
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