मैंने अपनी दुल्हन के साथ सुहागरात मनाई
(First Night New Wife Fuck Story)
फर्स्ट नाईट न्यू वाइफ फक़ स्टोरी मेरी शादी के बाद पहली रात यानि सुहागरात की है. उस रात और उससे अगली रात हम पति पत्नी के बीच क्या क्या कैसे कैसे हुआ?
दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है, जिसे मैं बड़ी सकुचाहट के बाद आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.
मेरा नाम राजेश शर्मा है और मैं नागपुर, महाराष्ट्र में रहता हूँ. अभी मेरी उम्र 38 वर्ष की है. मैं राज्य सरकार में सेवारत हूँ.
मेरी हाइट 6 फीट है और मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और मोटा है.
मेरी यह फर्स्ट नाईट न्यू वाइफ फक़ स्टोरी लगभग आठ वर्ष पहले शुरू हुई थी. उस समय घर वालों की पसंद से मेरा विवाह रायपुर में हो गया. मेरी पत्नी रागिनी की हाइट 5’7″ है और वो गदराये बदन की है. मुझे दो साले, एक बड़ा, एक छोटा और एक साली भी है.
मेरी फर्स्ट नाईट न्यू वाइफ फक़ स्टोरी भी थोड़ी अलग ही है. उस रात का वो कमरा, वो बिस्तर, वो खुशनुमा माहौल, उस पर एक जवान, सुंदर लड़की के तन को पाने की लालसा, सच में मैं बहुत ही उत्तेजित था.
कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और सीधा बिस्तर पर बैठी पत्नी रागिनी के पास बैठ गया.
वह भी महरून कलर की साड़ी में सजी संवरी बैठी थी, बहुत सुंदर लग रही थी.
मैंने सबसे पहले उसके होठों को चूमा, उसके रसीले होठों को चूमता चला गया, चूमता ही चला गया.
तभी रागिनी ने झटके से मुझे, अपने से अलग किया तो मैं समझ ही नहीं पाया कि क्या हो गया.
पता चला कि ज्यादा जोर से चूमने से उसके होंठों में दर्द होने लगा था.
वह बोली- धीरे से चूमिए, नहीं तो सूज जाएंगे.
मैं तो उत्तेजित था लेकिन उसके कहने पर मैंने थोड़ा धीरे चूमना शुरू कर दिया.
उसके बाद मैं उसके गुलाबी गालों को चूमने लगा. मेरा एक हाथ सरक कर उसके सुडौल मम्मों पर चला गया और मैं उन्हें दबाने लगा.
मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी. मेरा लंड बाहर निकलने के लिए फुंफकार मार रहा था.
मैंने धीरे से रागिनी का ब्लाउज खोल दिया.
लाल रंग की डिजाइनर ब्रा में उसके दोनों कबूतर बाहर आने को फड़फड़ा रहे थे.
मैंने ब्रा न खोलते हुए ऊपर से ही उसके मम्मों को सहलाना शुरू रखा और उसके साथ साथ गर्दन, कंधे को चूमता ही रहा.
वो भी इसका आनन्द ले रही थी.
इसके साथ ही कभी-कभी रागिनी की सिसकारी निकल जाती थी.
चूमते-चूमते मैं उसकी पीठ की ओर जाकर उसको चूमने लगा.
मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स को दबा रहे थे.
उसकी सिसकारियां बढ़ रही थीं, तो मेरी उत्तेजना भी बढ़ गई थी.
मेरा लंड भी पूरा टाईट हो गया था.
तभी पीठ को चूमते हुए मैंने उसकी ब्रा खोल दी. उसके दोनों कबूतर बाहर निकल कर आ गए.
मैंने अपने दोनों हाथों से उसको दबाना शुरू रखा.
ऐसा करते हुए मैंने उसे खड़ा कर दिया.
अब मैं बिस्तर पर बैठकर ही उसके बड़े प्यारे मम्मों को बारी बारी से चूस रहा था.
उसके गुलाबी निप्पल को जीभ से टच करते ही वो पीछे को सरक गई.
मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए आगे खींचा और मेरा हाथ उसकी भरी हुई गांड पर घूमने लगा.
मैं अब थोड़ी ताकत से उसकी गांड दबाने लगा.
इतने में ही वह भी कसमसाने लगी.
उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया और मेरे कपड़े भी निकालकर मुझे पूरा नंगा कर दिया.
नंगा होते ही मेरा फनफनाया हुआ लंड झटके मारने लगा था.
उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और मुझे खड़े-खड़े ही चूमने लगी.
काफी देर खड़े रहकर इसी तरह की चूमा चाटी करके हम दोनों फिर से बिस्तर पर बैठ गए.
मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी.
अब मेरे सामने उसकी फूली हुई एकदम चिकनी चूत थी.
मैंने धीरे से चूत को छुआ, तो वो सिहर उठी.
मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू रखा, वो सिसकारियां भरने लगी और उसके हाथ का दबाव मेरे लंड पर बढ़ गया.
वो कहने लगी- अब और मत तड़फाओ, जल्दी से इसे अन्दर डाल दो.
मैंने उसको और तड़फाने के लिए कहा- किसे डाल दूँ और कहां डाल दूँ!
तो उसने हाथ से अपनी चूत की ओर इशारा किया.
मैंने कहा- ये क्या है?
तब उसने शर्माते हुए कहा कि मेरी फुद्दी है.
मैंने इस सिचुएशन का फायदा उठाते हुए अपने लंड को उसके मुँह के पास ले आया लेकिन उसने लंड चूसने से मना कर दिया.
तो मैंने सोचा कि आज पहली बार है, इसे आगे मनवा लेंगे.
मैंने बिना क्रीम के ही अपना लंड उसकी चूत में डालने का प्रयत्न किया लेकिन मैं असफल रहा.
उसकी चूत वाकयी बहुत टाईट थी.
फिर मैंने कोल्डक्रीम लेकर अपने लंड के सुपारे पर और थोड़ी सी क्रीम उसकी चूत में लगा दी.
अब मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद के पास रखकर धीरे से धक्का दिया, तो मेरा सुपारा सटाक से उसकी चूत में चला गया.
उसको थोड़ा सा दर्द हुआ, सही में बहुत ही टाईट चूत थी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लंड का सुपारा किसी बोतल में पैक हो गया हो.
मैंने धीरे से उसके होंठों को चूमते हुए एक पोजीशन ली और एक जोरदार धक्का लगा दिया.
‘हाय राम … मर गई … आह निकालो इसे … आंह दुख रहा है.’ ऐसा कहते हुए वो छटपटाने लगी.
वो तो मेरे होंठों से वह दबी थी, अन्यथा चीख की आवाज पूरे घर में चली जाती.
मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में घुस चुका था. उसकी चूत की झिल्ली भी शायद फट चुकी थी क्योंकि उसके खून का गीलापन भी मेरे लंड को महसूस हो रहा था. लेकिन मैं उसी पोजीशन में उसके ऊपर पड़ा रहा, उसे चूमता रहा.
वह छटपटाती रही और दो मिनट बाद वह थोड़ी शांत हो गई.
मैंने उसी पोजीशन में धीरे-धीरे धक्के देना शुरू कर दिए.
अब शायद उसका दर्द भी कम हो चुका था और वो भी इस चुदाई का आनन्द लेने लगी थी.
मौका देखकर मैंने फिर अपनी पकड़ मजबूत की और पोजीशन लेकर एक जोरदार धक्का दे दिया और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया.
वो मेरी पकड़ से निकलने के लिए जोर लगाने लगी, कसमसाने लगी, उसकी आंख से आंसू निकल गए.
मैं उसके होंठ, गाल, गर्दन सबको चूमता जा रहा था.
उसी पोजीशन में तीन-चार मिनट के बाद उसका दर्द कम होने लगा.
मैंने धीरे धीरे धक्के देना शुरू किया. कुछ धक्कों के बाद में उसका दर्द भी शायद काफूर हो गया था क्योंकि उसने भी अपनी गांड उठाकर धक्का देना शुरू कर दिया था.
हम दोनों ही इसका आनन्द ले रहे थे लेकिन उत्तेजना के कारण अगले पांच मिनट में ही हम दोनों का पानी निकल गया.
मैंने अपना लंड उसकी चूत में से बाहर नहीं निकाला.
मेरे लंड के मुरझाने के कारण उसकी चूत का पानी, मेरे वीर्य के साथ बहकर थोड़ा बाहर आने लगा था.
मैं उसी पोजीशन में था. जब लगभग दस मिनट में मेरे लंड ने फिर हिलोरें लेना शुरू कर दिया तो लंड उसकी चूत के अन्दर ही टाईट होने लगा.
मेरे लंड के टाईट होते ही उसकी चूत भी कसमसाने लगी.
मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया.
वो उत्तेजित होने लगी.
मैंने उसी पोजीशन से दूसरी बार उसकी चुदाई शुरू कर दी.
उसकी चूत गीली होने के कारण इस बार उसे कम तकलीफ हुई.
वो भी नीचे से अपनी गांड उठाकर धक्के मारने लगी.
उसके मुँह से ‘आहहह … ओहह …’ निकलने लगा. उसके हाथों की पकड़ मेरी पीठ पर थी.
लगभग आठ-नौ मिनट में हम दोनों कुछ आगे-पीछे झड़ गए.
इतने में ही मैं थक गया था.
मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत में से निकाला तो हमारे वीर्य के साथ साथ थोड़ा खून भी बाहर निकलने लगा.
मैंने पेपर नैपकिन से उसे साफ किया.
रागिनी बाथरूम जाने के लिए खड़ी हुई तो लड़खड़ा सी गई.
मैंने तुरंत उसे पकड़ा और बाथरूम तक ले गया.
उसकी चाल में थोड़ी लड़खड़ाहट आ गई थी.
हम दोनों पेशाब करने के बाद कमरे में आ गए.
अब मेरी इच्छा एक बार और चुदाई करने की थी लेकिन उसकी हालत देखकर उसने मना कर दिया.
सुबह घरवालों के सामने उसकी किरकिरी न हो इसलिए फर्स्ट नाईट न्यू वाइफ फक़ के बाद हम दोनों ही चुम्मा-चाटी करके नंगे ही एक-दूसरे से चिपककर सो गए.
सुहागरात को अपनी प्यारी बीबी के कौमार्य को रौंदने के बाद मुझे बहुत गहरी नींद आई.
सुबह 9 बजे रागिनी (पत्नी) ने ही मुझे उठाया. वो नहा धोकर एकदम फ्रेश लग रही थी.
उसका चेहरा भी चमक रहा था. उसके बाल गीले थे, उसी के पानी को छिटक कर उसने मुझे नींद से उठाया था.
मैंने लेटे हुए ही उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसे चूमने लगा.
एक मिनट बाद वो बोली- ये चुम्मा-चाटी बाद में कर लेना, अभी नीचे सब तुम्हारी राह देख रहे हैं. दोपहर में मोहल्ले की लेडीज भी आने वाली हैं, कुछ कार्यक्रम है.
ये कहकर वो चली गई.
मैं बेमन से उठा, फ्रेश होकर नीचे आया.
बुआजी, भाई, भाभी, मेहमान सभी मुझे देख रहे थे, मैं थोड़ा झेम्प गया.
बुआजी बोलीं- बाबू बहुत देर तक जागे थे क्या … बड़े लेट उठे हो!
मैं कुछ कह नहीं पाया.
तभी रागिनी ने चाय लाकर दी, मैंने चाय पी ली और नहाने चल दिया.
दिन भर तो कार्यक्रम में बीत गया.
रात को भोजन के बाद मैं जल्दी ही अपने कमरे में चला गया.
रागिनी, मम्मी और बहन के साथ काम कर रही थीं, इसलिए उसे आने में देर हो गई.
उसके आते ही मैंने उसे पकड़कर बिस्तर पर लिटा दिया और चुम्मा-चाटी करने लगा.
वो भी मेरे ही समान उत्तेजित थी.
कई मिनट तक चुम्मा-चाटी के पश्चात वो बोलीं- कपड़े बदल लूं!
मैंने कहा- नहीं, कपड़े निकाल दो.
मैंने तुरंत ही उसे नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया.
मैं आज उसे ऊपर से नीचे तक निहार रहा था.
गदराया बदन, सुडौल बूब्स, गहरी नाभि, उभरी हुई गांड, फूली हुई चिकनी चूत, भरी हुई जांघें. यह सब देखते ही लंड महाराज फनफनाने लगे.
रागिनी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी.
मैंने प्यार से उसे बिस्तर पर बैठाया और उसके मस्तक, गाल, होंठ, गर्दन को चूमने लगा. एक हाथ से आराम से उसका बूब दबाने लगा.
वो भी इन कोमल स्पर्श से आनंदित होने लगी.
मैं धीरे से उसकी पीठ को चूमने लगा और दोनों हाथों से उसके मम्मों को, निप्पलों को दबाने और मसलने लगा.
फिर धीरे से मैं सरककर उसके सामने आ गया और एक हाथ से एक दूध को दबाता और दूसरे को चूसता था.
दोनों मम्मों को इसी तरह से सहलाते और चूसते ही वह गर्मा गई और सिसकारियां भरने लगी.
आज उसने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.
मैंने धीरे से उसे अपने लंड को प्यार करने को कहा.
उसने शर्माते हुए मेरे लंड को दोनों हाथों से पकड़ लिया, उसके सुपारे की चमड़ी को बार बार आगे पीछे करने लगी.
मैं अपने लंड को उसके मुँह के पास ले गया तो उसने मेरे लंड को अपने गालों से सहलाया, अपने हाथों से मसला लेकिन मुँह में नहीं लिया.
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.
पने हाथ से उसकी चूत को सहलाता जा रहा था. उसकी चूत पूरी गीली हो गई.
रागिनी बोली- अब अपने महाराज को हमारी फुद्दी में डाल दो, बहुत बेचैन हो रही है.
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और पोजीशन लेकर अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया.
मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था.
आज बिना क्रीम के लंड के जाने के कारण उसे दर्द तो हुआ लेकिन वह उसे सह गई.
मैंने उसी स्थिति में धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया और मौका देखकर पोजीशन लेकर एक जोरदार धक्का देकर अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.
‘अरे माँ री … मैं मर गई.’
ये कहते हुए उसने अपने होंठ भींच लिए.
लेकिन कुछ ही देर में ही वो नार्मल हो गई और मैंने चुदाई शुरू कर दी.
पांच मिनट बाद मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए कहा और पीछे से लंड डालकर चुदाई शुरू कर दी.
थोड़ी ही देर में वो झड़ गई.
मैंने धीरे से उसे फिर नीचे लिटाया और चोदने लगा.
अब मैं पूरी ताकत से उसे चोद रहा था.
उसे भी अब मजा आ रहा था.
आज मुझे चुदाई करने में ज्यादा मजा आ रहा था और कुछ देर बाद वो भी नीचे से झटके देने लगी.
थोड़ी देर बाद हम दोनों एक साथ ही झड़ गए.
पांच मिनट तक हम दोनों वैसे ही पड़े रहे.
दोनों का रस उसकी चूत से बहकर बाहर आ रहा था.
आज रागिनी ने नैपकिन से अपनी चूत और मेरे लंड को साफ किया.
दिन भर कार्यक्रम के कारण वो थकी हुई थी.
अब उसकी इच्छा सोने की थी.
मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया बाद में उसके कान की लौ को चूमने लगा. उसके बूब्स और निप्पलों को सहलाने, खींचने और चूमने लगा.
इससे वह भी मुझसे लिपट गई और चूमने लगी.
आज मैं उसके निप्पलों को जोर से चूस रहा था, दांतों से उसे दबाकर धीरे से काट भी लेता था, तब उसकी सिसकारी निकल जाती थी.
ऐसा करते-करते मैं और नीचे आकर उसकी गहरी नाभि को चूमने लगा.
वो कमर हिलाने लगी.
मैं एक हाथ से उसकी चूत को सहलाते जा रहा था.
उसकी चूत पनिया गई थी.
आज मैं उसे पूरी तरह से उत्तेजित करने वाला था.
मैंने धीरे से अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.
वो चिंहुक उठी और बोलने लगी- अब ज्यादा मत तरसाओ, अपने लंड महाराज को मेरी फुद्दी में डाल दो.
मैंने नाभि छोड़ दी और नीचे आ गया.
मैं उसकी भरी पूरी जांघों को चाटने लगा, चूत की फांकों को मसलने लगा.
वो तड़फने लगी और अपनी जांघों से ही मुझे पकड़ने लगी, बार बार अपनी कमर उठाने लग गई, मेरे लंड को पकड़ने का प्रयत्न करने लगी.
मैंने देखा कि लोहा गर्म है, तो मैंने धीरे से उसकी चूत की फांकों को चाटना शुरू किया.
वह सिहर उठी. उसने अपने हाथों से मुझे अलग करने का प्रयत्न किया लेकिन मैं डटा रहा.
अंत में उसने हार मान ली और फुदक-फुदककर अपनी चूत चटवाने लगी.
अब वो पूरी तरह पनिया गई थी और झड़ने के करीब आते जा रही थी.
तभी मैंने चाटना बंद कर दिया.
वो तड़फने लगी. वो मेरे लंड को सहलाने लगी और कहने लगी- ये क्या आग लगा कर छोड़ दिया … जल्दी से मेरी फुद्दी की आग को शांत कर दो.
तब मैंने कहा- पहले मेरे लंड को प्यार करो, तभी ये सब हो पाएगा.
उसने कहा- मैं नहीं कर सकती, उल्टी हो जाएगी.
मैंने कहा- चोकोबार चूसती हो ना, वैसे ही चूसो.
थोड़ी नानुकुर के बाद मजबूरन उसने मेरे लंड के सुपारे को पहले होंठों से छुआ, मेरे लंड के सुपारे को अपने होंठों पर फिराने लगी, फिर जीभ से उसे छुआ और जीभ सुपारे पर घुमाने लगी, सुपारे को धीरे से चूसने लगी.
मुझे अलौकिक आनन्द की प्राप्ति हो रही थी.
मैंने भी धीरे से थोड़ा-थोड़ा करके अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और सरक-सरककर 69 की पोजीशन ले ली.
अब मेरा लंड उसके मुँह में और उसकी चूत मेरे मुँह में थी.
उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी.
मैं अपनी जीभ से उसकी गीली चूत चूस रहा था.
मैंने अपने हाथों से उसकी चूत की फांकों को अलग किया और उसकी चूत के भगनासे पर जीभ घुमाने लगा.
वो कांपने लगी और जोर से मेरे लंड को चूसने लगी.
अब रागिनी को भी लंड चूसने में मजा आ रहा था.
वह चटखारे लेकर मेरे लंड को पूरे मुँह में घुसाकर चूस रही थी.
यूं ही चूसते-चाटते पांच मिनट में ही हम दोनों झड़ गए.
उसने मेरा वीर्य पी लिया और मैंने उसका रस चाट लिया.
दिन भर के कार्यक्रम और दो बार की चुदाई से हम दोनों ही थक गए थे और हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर वैसे ही सो गए.
आपको मेरी फर्स्ट नाईट न्यू वाइफ फक़ स्टोरी और प्रस्तुतिकरण कैसा लगा, कृपया मेरे ईमेल पर बताएं.
अपनी दुल्हन के साथ हनीमून पर गया, वहां हमने क्या क्या किया, ये सब मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा.
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