दोस्त की बीवी की प्यारी चूत का नशा-2
(Dost Ki Bivi Ki Pyari Chut Ka Nasha- Part 2)
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पिछले भाग में आपने देखा कि मैंने तनु को किस तरह प्यार किया और अपना दीवाना बनाया अब आगे..
सुबह उठकर मैं अपने घर गया और फिर ऑफिस चला गया।
वहाँ पर मुझे और राजेश को बॉस ने केबिन में बुलाया।
उन्होंने कहा- अमरीका में हमारा एक कर्मचारी बीमार पड़ गया है और उसने 30 दिन की छुट्टी ले ली है। उसकी जगह हम दोनों में से किसी एक को जाना होगा।
मैंने एक बहाना देकर मना कर दिया और राजेश का जाना तय हो गया।
यह खबर मैंने तनु को दी और वो ख़ुशी से पागल हो गई। राजेश को 7 दिन बाद जाना था इसलिए हम दोनों ने शापिंग की और जाने का दिन आ गया।
राजेश ने उस दिन मुझे घर पर बुलाया और तनु का ख्याल रखे के साथ उसकी जरूरत की चीजें ला देने का वादा लिया।
मैं उसे भरोसा दिलाया- तुम बेफ़िक्र रहो मैं इधर भाभी की अच्छे से ‘देखभाल’ कर लूँगा।
मैं और तनु राजेश को छोड़कर एयरपोर्ट से 5 बजे वापस आ गए। फिर हमने मूवी जाने का प्लान बनाया और हम दोनों ने सिटीगोल्ड आश्रम में ‘लव गेम्स’ देखने जाने का प्लान बनाया।
फिर तनु रेडी होने चली गई और जब वो तैयार होकर मेरे सामने आई तो मैं उसे देखता ही रहा गया।
वो बला की ‘काँटा माल’ लग रही थी.. उसने स्लीवलैस ब्लाउज और लाल रंग की साड़ी पहनी थी।
आगे से नाभि से नीचे बंधी साड़ी क़यामत ढा रही थी तो पीछे से उसकी आधी नंगी पीठ कामुकता बिखेर रही थी।
वो मेरे हाथों में हाथ डाल कर चल दी।
सिनेमा हॉल पहुँच कर हम दोनों टिकट लेकर बैठ गए और किस्मत से हमारी सीटें कार्नर की थीं।
उसके बाद मूवी स्टार्ट हुई और धीरे-धीरे किसिंग सीन आने लगे। मैंने उसकी पीठ पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा.. तनु को भी मजा आ रहा था।
फिर मेरा हाथ उसके ब्लाउज में गया और मैं उसके मम्मों को दबाने लगा, वो भी मूवी के मज़े के साथ रोमांस का मज़ा ले रही थी। फिर मैं उसे चुम्बन करने लगा और वो मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसका ब्लाउज थोड़ा खोला और उसके मम्मों को पूरे हाथ में भरते हुए दबाने लगा। इसी तरह हमने मूवी खत्म की और रेस्टोरेंट में खाना खाकर घर आ गए।
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तनु को उसके घर छोड़ कर मैं अपने घर आ गया और थोड़ा ऑफिस का काम किया।
जब सब सो गए तब मैंने तनु को कॉल किया और मैं उसके घर चला गया।
ऐसा इसलिए किया था ताकि किसी को शक न हो।
जब उसने दरवाजा खोला तो उसने ब्लैक कलर की नाईटी पहनी हुई थी.. जिसमें से पूरा बदन दिख रहा था।
मैंने अन्दर जाकर उसे सीधा अपनी गोद में उठा लिया और सोफे में लिटाकर चुम्बन करने लगा, वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।
हम दोनों ने काफी देर चूमाचाटी की।
अब हम दोनों हद से ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे.. तभी तनु मुझसे बोली- डियर एक मिनट में आती हूँ।
वो मुझे छोड़ कर किचन में जाने लगी।
मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं उसके पीछे-पीछे चला गया।
उसने वहाँ जाकर अभी फ्रिज खोल कर आइस ट्रे ही निकाली थी कि मैंने उसके हाथ से आइस ट्रे लेकर उसे वहीं प्लेटफॉर्म पर ही लेटा दिया और उसकी नाइटी उतार दी।
अब मैंने आइस ट्रे से बर्फ का टुकड़ा लिया और उसके पूरे बदन पर फिराने लगा। वो मचल उठी.. इस स्थिति में वो और भी कातिल लग रही थी।
फिर मैं उसके मम्मों को चूसने लगा।
वो भी मादकता से लबरेज आवाजें निकालने लगी।
मैंने उसकी टांगों को अपने कन्धों पर रखा और उसकी मखमली चूत को चाटने लगा।
अब मैंने नीचे रखी डलिया में से एक मूली निकाली और मूली को उसकी चूत में डालने लगा।
वो कराहने लगी.. पर मैं उसकी जाँघों पर चुम्बन करने लगा। मैंने मूली चूत में घुसेड़ी कुछ देर बाद उसे मजा आने लगा और उसकी चूत पानी निकालने लगा.. वो झड़ गई।
फिर मैंने सही पोज में करके अपना लण्ड उसकी बुर में डाला उसने एक मीठी आह्ह.. भरी और अपने पैरों से मेरे जिस्म को जकड़ लिया।
धकापेल चुदाई होने लगी।
मैंने उसके मदमस्त मम्मों को अपनी मुट्ठी में भर कर उसे हचक कर चोदा।
कुछ मिनट की रंगीन और रसीली चुदाई के बाद तनु झड़ गई।
उसके गरम रज से मेरा लौड़ा भी पिघल गया और मैंने भी अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
उस रात हमने 3 बार चुदाई की।
फिर हर रोज़ एक ही काम था, पूरा एक महीना हम दोनों ने खूब चुदाई की।
मैंने एक बार तनु से कहा- तनु मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।
तनु ने मना कर दिया क्योंकि अगर उसके पेरेंट्स को पता चलता.. तो वो इस गम को सहन नहीं कर पाते और ऐसे ही मर जाते।
मैंने भी तनु की भावनाओं को समझा और उसे यूँ ही प्यार करता रहा।
आज भी हम दोनों मौका मिलते ही सेक्स करते हैं।
कुछ दिन बाद तनु ने बताया कि वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है। तो मैं बहुत खुश हुआ।
तनु ने भी अब पूरा सच राजेश को बता दिया।
पहले वो बहुत गुस्सा हुआ लेकिन अब वो बदनामी के डर से कुछ नहीं बोलता।
अब तो हम उसकी मौजूदगी में ही सेक्स करते हैं।
पर किस्मत हर बार साथ नहीं होती। कुछ समय बाद उसका पुणे ट्रांसफर हो गया और वो दोनों वहीं शिफ्ट हो गए।
अब तो तनु के बिना सूना-सूना लग रहा है लेकिन मैं महीने में अभी भी दो बार तनु के पास जाता हूँ।
कहानी कैसी लगी, अपने सुझाव जरूर भेजिएगा।
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