जिस्म की खूबसूरती ने रण्डी बना दिया- 1
(Desi Pussy First Sex Kahani)
देसी पुसी फर्स्ट सेक्स कहानी में एक सुंदर सेक्सी हसीन लड़की की शादी हुई. वह अब तक अनछुई कुंवारी थी. उसके शौहर ने उसे पहली ही रात को बेरहमी से चोदा.
दोस्तो, आज की कहानी मेरी एक पाठिका की आपबीती कहानी है.
मैंने इसमें एक नए विषय को छूने का प्रयास किया है.
असल बात यह है कि इस कहानी का हर अक्षर कहानी की नायिका सायरा के जीवन के इर्द गिर्द घूम रहा है.
इस देसी पुसी फर्स्ट सेक्स कहानी का हर पन्ना सायरा की जिन्दगी का हिस्सा है और उसी की जुबानी यह कहानी मैंने उससे सुनकर बस शब्दों में पिरो दी है.
सायरा एक मध्यमवर्गीय परिवार की बड़ी लड़की है और अपने अब्बू जनाब शमीम भाई और अम्मी जायरा बेगम की जान है सायरा.
उन दोनों ने बड़े नाजों से पाला है उसको!
शमीम भाई के पुरखे उज्ब़ेकिस्तान से आकर यहाँ बस गए थे.
तो खानदान में लड़कियों को विरासत में वही खूबसूरती मिली थी.
सायरा परी की तरह सुंदर गोरी चिट्टी थी.
रंग ऐसा कि छू लो तो गंदा हो जाए. गुलाबी काया, हर समय खिलखिलाती, तितली की तरह उड़ती थी सायरा.
जनाब शमीम भाई का पुश्तेनी कारोबार तो अब रहा नहीं, अलबत्ता एक पुरानी हवेली और एक छोटा सा आम का बाग था.
दो-तीन छोटी छोटी दुकानें, जिनके किराए से बस घर चल रहा था.
शमीम भाई ने नवाबी के खुमार में तीन लड़कियां पैदा कर लीं.
पर सायरा उनकी जान थी … उसे अच्छे से पढ़ाया.
कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही शमीम भाई को नाते रिश्तेदारों ने सलाह दी कि सायरा पर जवानी छा गयी है और इस बेदाग़ सुन्दरी को किसी राजकुमार के हाथ सौंप दो, कहीं कुछ ऊंच-नीच हो गयी तो हाथ कुछ नहीं आयेगा.
शमीम भाई के सामने अपनी पैसों की मजबूरी थी … वो किसी से क्या कहते.
बस ऊपर वाले से दुआ ही मांगते रहे की उनका वज़न कुछ कम करवा दे.
वक्त की बात, शमीम भाई की फूफी एक रिश्ता लेकर आ गयीं.
लड़का दुबई में कारोबार करता था, यहाँ आना-जाना लगा रहता था.
दिल्ली नरेला में अपना बड़ा मकान, भरा पूरा घर और सबसे बड़ी बात की कोई मांग जांच नहीं.
बल्कि वे शादी का सारा खर्चा उठाने को तैयार थे.
लड़का यानि साजिद भी माशाल्ला बांका गबरू जवान था.
रिश्ते में कोई कमी नहीं लगी.
बस चट मंगनी, पट ब्याह.
सायरा को साजिद की मां ने जम कर खरीददारी करवाई.
कपड़े जेवरात हर चीज़ उन्होंने दिलवायीं.
वे तो सायरा के हुस्न की मुरीद हो गयी थीं.
पैसे की इफरात थी.
सायरा के हर अरमान को मानों पंख लग गए.
रही सही कसर साजिद ने उसे दुबई से पाश्चात्य कपड़े लाकर पूरी कर दी.
सायरा दुल्हन बन ससुराल आ गयी.
पूरे मोहल्ले में और नाते रिश्तेदारों में उसकी बेदाग़ ख़ूबसूरती की ही चर्चा थी.
जितनी भी औरतों ने उसे मुंह दिखाई दी सबने उसकी मासूमियत और हुस्न की तारीफ की.
केवल एक औरत थी, जो सायरा को देख कर कुढ़ रही थी, वो थी रुखसाना!
रुखसाना मजबूत कद काठी की औरत थी, भरा हुआ सेक्सी जिस्म.
बातचीत में भी बहुत चालाक थी रुखसाना.
रुखसाना साजिद के दूर के रिश्ते के चचेरे भाई आमिर की बीवी थी.
आमिर साजिद का जिगरी दोस्त भी था और साजिद के ऑफिस में नौकरी भी करता था.
सायरा ने कानों कान यह भी सुना कि रुखसाना ने सजिद पर डोरे डाले हुए हैं.
घर पर मेहमानों की भीड़ थी तो साजिद के अब्बू ने उनकी सुहागरात के लिए एक पांच सितारा होटल में सुइट बुक कर दिया था दो रातों के लिए.
घर के हर छोटे बड़े को सख्त ताकीद थी कि इन दो दिनों में नए जोड़े को बिला वजह डिस्टर्ब न किया जाए.
उनका मन होगा तो वे होटल से घर आ जायेंगे, न होगा तो नहीं आयेंगे.
अगले हफ्ते साजिद सायरा को दुबई ले जाने वाला था, पंद्रह दिन के लिए.
यह बात साजिद ने शादी तय होते ही सायरा को बता दिया था कि सायरा को शादी के बाद ससुराल में ही रहना होगा. साजिद महीने में एक दो बार आता रहेगा. कभी कभार वह उसे दुबई ले जायेगा, पर हमेशा नहीं.
सायरा ने इसे अपनी नियति मान संतोष कर लिया था.
उसके जिस्म की आग अभी भड़की नहीं थी, उसे मर्द की संगत का अंदाज नहीं था.
उसे नहीं मालूम था की एक दिन उसकी चूत की आग उसे तबाही की ओर ले जायेगी.
खैर, साजिद और सायरा पहले से लगी एक अटेची लेकर होटल आ गये.
रात गहरा गयी थी.
थकान भी पूरी थी.
पहली रात तो उनकी सफर में ही निकल गयी थी.
सूईट में पहुँचते ही साजिद ने सायरा को अपने आगोश में जकड़ लिया और उसके लबों को बेरहमी से चूसने लगा.
सायरा को इतना उतावलापन बड़ा नागवार गुजरा.
वह तो इस उम्मीद से थी कि उसका शौहर उसकी ख़ूबसूरती के कसीदे पढ़ेगा, जीने मरने के वायदे करेगा.
पर यहाँ तो ऐसा लगा कि साजिद का निकाह सायरा से नहीं बल्कि उसके जिस्म से हुआ है.
फिर सायरा ने सोचा कि आखिर उसके घर और ससुराल की बराबरी कैसी.
उसका निकाह तो केवल उसके जिस्मानी ख़ूबसूरती की वजह से ही हुआ.
सायरा ने भी अपने को सौंप दिया साजिद को.
साजिद ने उसे कपड़े उतारने को कहा.
सायरा बोली- गरमी थी बाहर! मैं अभी फ्रेश होकर नहा कर कपड़े बदल कर आती हूँ.
साजिद हँसते हुए बोला- ये अटेची तो दिखावे भर को आई है. अब दो दिन कपड़े मत पहनना.
सायरा सकपका गयी.
हालाँकि उसकी एक भाभी ने उसे एक दो बार पोर्न मूवी दिखाते हुए सब बता दिया था कि शादी के बाद शौहर अपनी बीवियों के जिस्म से कैसे खेलते हैं और क्या क्या करते हैं.
पर ये सब इतनी जल्दी होगा, सायरा को अंदाज नहीं था.
वह तो बड़े अरमानों से एक सेक्सी नाईटी खरीद कर लायी थी कि सुहाग सेज पर पहनूंगी.
इसलिए उसने हिम्मत कर के साजिद से कहा- अब मैं पूरी आपकी हूँ. जैसा आप कहेंगे, वैसा करूँगी. पर मेरे भी कुछ अरमान हैं. मैं आपके लिए सजना चाहती हूँ. मुझे कुछ मोहलत दे दीजिये.
पता नहीं क्या सोच कर साजिद ने उसे इजाजत दे दी और खुद अपने लिए एक पेग बनाने लगा.
तभी साजिद के मोबाइल पर रुखसाना का फोन आ गया.
असल में रुखसाना और साजिद के बीच जिस्मानी सम्बन्ध बन गए थे.
रुखसाना बखूबी जानती थी कि मर्द को लहंगे के नीचे कैसे लाया जाये.
उसका शौहर आमिर उसे बिस्तर पर संतुष्ट नहीं कर पाता था, कमाता धमाता भी कुछ ख़ास नहीं था तो रुखसाना के खर्चे भी पूरे नहीं होते थे.
साजिद को वो पहली नजर में ही भा गयी थी.
तो एक शादी के बाद होटल में अकेले में साजिद मियाँ को रुखसाना टकरा गयीं और फिर अपने होटल के कमरे में रुखसाना को बहला फुसलाकर साजिद ने अपनी हवस को अंजाम दे दिया.
रुखसाना ने यह महसूस कर लिया कि यह अमीरजादा उसकी जिस्मानी जरूरतों के साथ उसकी घर चलाने में भी मदद करेगा.
तो दोनों ने अपनी इस हवस को मोहब्बत का नाम दे दिया.
तब से रुखसाना साजिद की रखैल बन गयी.
साजिद जब चाहता, जैसे चाहता रुखसाना के जिस्म से खेलता.
पहली रात में ही रुखसाना ने जिस तरह टांगें खोल कर चुदाई करवाई थी और साजिद का लंड चूसा था.
साजिद उनकी बेसाख्ता सेक्स की हवस का कायल हो गया.
उसके बाद तो साजिद की पैसे की मदद से रुखसाना के लटके झटके बढ़ते गए.
वो एक अय्याश रंडी की तरह अपना जिस्म साजिद को परोसती रही और उसकी कीमत वसूलती रही.
साजिद जब मर्जी आमिर को कहीं भी बाहर काम के नाम पर भेज देता और फिर उन दो तीन दिनों में रुखसाना को दिन-रात पेलता.
अगर साजिद के अंदर भरपूर चुदाई का माद्दा था तो रुखसाना भी साजिद को थका कर ही चेन लेती.
साजिद ने उसके सारे छेद अपने गाढ़े माल से भर दिए थे और रुखसाना इसके बावजूद भी कभी न थकती.
रुखसाना साजिद की किसी भी जिस्मानी डिमांड को मना नहीं करती.
वो जितना आगे से चुदवाती, तो गांड मरवाने में भी कभी एतराज नहीं था उसे!
तो जब तक सायरा दुल्हन की तरह बहुत झीने कपड़ों में सज कर अपनी सुहाग सेज पर बैठी, तब तक मुतवातिर (लगातार) रुखसाना साजिद को उलाहना देती रही कि नयी दुल्हन की चांदनी तो एक रात में ढल जायेगी.
रुखसाना ने साजिद से वायदा ले लिया कि वह जल्दी ही रुखसाना के साथ हमबिस्तर होगा.
साजिद ने जब दुल्हन बनी सुहाग सेज पर बैठी सायरा को देखा तो उसके अंदर का मर्द जाग उठा.
उसका लंड तन गया.
वह अब रुखसाना को भूल चुका था, उसे तो केवल अपनी दुल्हन के रसीले होंठ और आम की तरह तने मम्मे नजर आ रहे थे.
उसके जहन में बार बार सायरा की चिकनी चूत आ रही थी.
उसने झटपट में अपने कपड़े बदले और एक लुंगी और कुर्ता पहन कर बेड पर आ गया.
उसका पेग उसके हाथ में था.
उसने पेग को बेड पर साइड में रखा और सायरा के होंठ चूमते हुए पहली बार उसके हुस्न की तारीफ़ करी.
साजिद ने पेग सायरा के होंठों की ओर बढ़ाया.
सायरा के न-न करते हुए जबरदस्ती उसे एक घूँट पिला ही दिया.
लेकिन सायरा को अहसास हुआ कि उसने कोई जहर का घूँट पी लिया हो.
उसने अपने को सम्भाला और फिर साजिद के हाथ से पेग लेकर एक हल्का सा घूँट और लिया और फिर साजिद के होंठ से अपना मुंह भिड़ाकर वो घूँट साजिद के हलक में डाल दिया और अपनी जीभ उसकी जीभ से टकरा दी. उसकी यह अदा साजिद को भा गयी.
फिर सायरा ने कहा- मेरे आका, आज मैं आपको अपना शवाब पिलाऊंगी और उसके नशे के सामने आप इस पेग के नशे को भूल जायंगे.
साजिद की समझ में कुछ नहीं आया.
सायरा लिपट गयी साजिद से और लगी उसे ताबड़ तोड़ चूमने!
अब तक सायरा को अहसास हो गया था कि साजिद खेला खाया है. इसकी हवस की भूख नजाकत से नहीं बल्कि बेशर्मी से काबू होगी.
सायरा ने लिपटते लिपटते साजिद से कान में फुसफुसाकर कहा- मेरे मालिक, अब मेरे और आपके बीच इन कपड़ों का क्या काम!
कह कर उसने साजिद की लुंगी में हाथ डाल कर पहली दफा किसी मर्द का लंड पकड़ा.
वह सिहर गयी, एक मजबूत मूसल उसके हाथ में था.
सायरा के दिमाग में वही पोर्न मूवी चल रही थी.
उसने साजिद का मूसल कस के मसल दिया.
अब साजिद भी एक्शन में आ गया.
उसने सबसे पहले तो अपना कुर्ता उतार फेंका और फिर उसी रफ़्तार से सायरा को भी बेपर्दा करते हुए मादर जात नंगी कर दिया.
सायरा को शर्म तो बहुत आ रही थी पर उसे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी थी.
वह रुखसाना और साजिद की फोन पर बातचीत को समझ चुकी थी.
उसे अहसास था कि वह इस लड़ाई को केवल अपनी जिस्मानी ख़ूबसूरती और अक्ल के सही इस्तेमाल से ही जीत सकती है.
सायरा ने अपने को साजिद के आगोश में डाल दिया.
निश्चित रूप से सायरा का नंगा बदन रुखसाना से बहुत ऊपर था.
साजिद दीवाना ही रहा था सायरा की जिस्म से महकती खुशबू और भभकती आग का.
तब साजिद ने सायरा के मांसल मम्मों को दबोच लिया.
वह किसी बच्चे की तरह बदल बदल कर उन्हें चूस रहा था.
सायरा ने भी मौके की नजाकत को देखते हुए कहा- थोड़ा सब्र रखिये. मैं पूरी की पूरी आपकी हूँ, जल्दी भी क्या है!
कहते हुए सायरा ने अपनी टांगें फैला दीं और साजिद को अपनी मखमली चूत दिखाते हुए उसका सर नीचे की ओर धकेला.
साजिद भी उसकी बात समझते हुए नीचे हो गया और सायरा की चिकनी टांगों को और खोल दिया और अपना मुंह उसकी जन्नत पर रख दिया.
सायरा ने वहां इतर लगा रखा था.
साजिद के नथुने खुशबू से महक गए.
सायरा ने उसके बालों को पकड़ा और उसे अपनी चूत की ओर खींच लिया.
साजिद बहक गया.
उसने होंठ सायरा की मखमली रेशमी फांकों पर रख दिए.
वहां पहले से गीलापन था.
सायरा ने अपनी उंगलियों से अपनी फांकें और खोल दीं.
साजिद ने सीधे अपनी जीभ अंदर घुसा दी.
अब साजिद तो सायरा की ख़ूबसूरती के जाल में उलझता जा रहा था.
साजिद ने जितनी हो सकती थी जीभ अंदर की.
सायरा ने मचलणा शुरू किया … उसकी आहें निकल रही थीं.
वह बार बार ‘आह उह … मेरे मालिक …’ कह कर कसमसा रही थी.
साजिद ने महसूस किया कि सायरा अपने मम्मे अपने हाथों से मसल रही है.
तो उसने सर बाहर निकाला और सायरा के ऊपर तैरता हुआ ऊपर होकर उसके मम्मे चूसने लगा.
सायरा ने उसका लंड पकड़ लिया और साजिद से खुशमद सी की कि वह उसका लंड चूसना चाहती है.
साजिद तो निहाल हो गया उसकी इस फरमाइश पर!
वह बगल में लेट गया तो सायरा उठी और साजिद के ऊपर से होती हुई उसने उसका लंड चूम लिया और बोली- हाय दैय्या, इतना बड़ा? मेरे सनम मुझ पर करम करना!
अब सायरा ने इस अंदाज से साजिद का लंड चूसना शुरू किया कि साजिद के मुंह के पास उसकी चूत हो.
अब सायरा को कहने की आवश्यकता नहीं पड़ी.
दोनों 69 होकर एक दूसरे को चूमने चूसने लगे.
सायरा ने अपने मुंह में साजिद का लंड ऐसा दबोचा कि साजिद को ऊपर वाला याद आ गया.
उसको अहसास हो गया कि अगर उसने अपने को सायरा से नहीं छुड़ाया तो सायरा उसका लंड अपने मुंह में ही खाली कर देगी.
उसने जबरदस्ती सायरा को ऊपर से हटाया और नीचे लिटाकर उसकी टांगें चौड़ा लीं.
सायरा ने उससे मिन्नत की- मेरी बुलबुल अभी कुंवारी है, ज़रा आराम से कीजिएगा. थोड़ी सी क्रीम लगा लीजिये.
साजिद ने बेड के पास रखा वेसलीन मॉइस्चराइजर अपने लंड पर लगाया और फिर पेल दिया सायरा की कुंवारी चूत में!
देसी पुसी फर्स्ट सेक्स में हुए दर्द से सायरा की चीख निकल गयी.
वह मिन्नत करने लगी- इसे बाहर निकाल लीजिये.
पर साजिद तो मर्द था … मर्द को दर्द कहाँ … उसने अपनी पेलमपेल जारी रखी.
हाँ, इतना जरूर था कि उसने शुरूआती स्पीड धीरी रखी.
मॉइस्चराइजर की वजह से लंड आसानी से अंदर फिसल रहा था.
सायरा की झिल्ली फट गयी थी पर उसके दिल में भी सुहागरात की चुदाई की आस थी.
कुल मिलाकर अब सायरा भी चुदाई का मजा लेने लगी और साजिद का साथ देने लगी.
साजिद को अहसास हो गया था कि सायरा की चूत से खून आ रहा है तो उसने भी अब चुदाई की पोजीशन नहीं बदली और लगातार पेलते हुए अपना सारा वीर्य सायरा की चूत में खाली कर दिया और बगल में निढाल होकर पड़ गया.
सायरा थोड़ी देर में उठी और अपने बेग में भाभी द्वारा रखी एक पेन किलर गोली ली और फ्रेश होकर सो गयी.
इस कहानी के कुल 5 भाग हैं.
आप देसी पुसी फर्स्ट सेक्स कहानी के हर भाग पर अपनी राय मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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