चचेरे भाई की बीवी को ग्रुप सेक्स में शामिल किया -1
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keyboard_arrow_right चचेरे भाई की बीवी को ग्रुप सेक्स में शामिल किया -2
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आपने मेरी पिछली कहानी पढ़ी और बहुत सराहा मुझे आपके अभिवादन भरे emails मिले और बहुत अच्छा लगा की आप आगे की कहानी पढ़ने के लिए बेताब है।
मेरी पिछली कहानी के मुख्य एवं संक्षिप्त वर्णन। बुआ के लड़के नीलेश का मेरे घर दिल्ली में आना, लंड चूसना। फिर अपनी बीवी को उसके साथ सोने के लिए तैयार करना। फिर तीनो की मस्त चुदाई और अब नीलेश की बीवी अपने मायके से सीधा दिल्ली मेरे घर आ चुकी है।
हमने गाड़ी घर पे ही खड़ी करके पैदल चल के जाने के बारे में सोचा।
नीलेश ने पूछा- क्यूँ, कैसी लगी नीता?
मैंने कहा- भाई चलती फिरती एटम बम है वो तो, और तू जिस हिसाब से बता रहा था उससे तो मिलने का मन ही नहीं था मेरा। नीलेश बोला- चल यार, इतनी भी खूबसूरत नहीं है… तू तो ऐसे ही तारीफों के पुल बाँध रहा है।
तो मैंने हंसते हुए कहा- तो फिर तू जितने भी दिन यहाँ है, उतने दिन और रात तेरी बीवी को मैं चोदता हूँ और तू तेरी भाभी की ले! तू भी खुश में भी।
नीलेश बोला- तुझे सच में इतनी अच्छी लगी नीता?
मैंने कहा- कोई शक?
नीलेश बोला- यार, तू कैसे भी बस ग्रुप सेक्स का इंतज़ाम कर, ज़िन्दगी का मज़ा आ जायेगा जब अपनी बीवी नीता के सामने मधु भाभी को चोदूँगा… और तू मेरे सामने मेरी बीवी की चूत बजाएगा।
मैंने कहा- हाँ यार, कुछ चल तो रहा है दिमाग में… पर ढंग से कोई सटीक आईडिया नहीं आ रहा! खैर तू चिंता मत कर, नीता की चुदाई के लिए मैं कुछ भी करूँगा।
नीलेश बोला- यार, अब तो तू हद कर रहा है, इतनी भी सुन्दर नहीं है नीता और मधु भाभी के सामने तो कुछ भी नहीं है।
मैं बोला- वो तेरी बीवी है इसलिए तुझे छोड़ के सबको अच्छी लगेगी!
और हम दोनों हंसने लगे।
टहलते टहलते हम दोनों ठेके के करीब आ गये थे, मैंने कहा- तेरी बीवी को ड्रिंकिंग से कोई परहेज़ तो नहीं है न?
नीलेश बोला- वो नहीं पीती पर कोई और पिए तो शायद उसे कोई प्रॉब्लम नहीं होनी चाहिए। चल लेकर चलते हैं, अपन तो पिएंगे ही। मैंने फटाफट एक बोतल, कुछ खाने पीने के सामान वगैरह लिए और घर की ओर चल दिए।
शाम को रंगीन बनाने का इंतज़ार अपने चरम पर था, बोतल, चिकन, चिप्स और बाकी चखना देख कर मधु दरवाज़े पर ही समझ गई की आज की शाम भी यादगार शाम होने वाली है, उसके चेहरे पर उत्सुकता का भाव साफ़ दिखाई पड़ रहा था, वो भी बेताब थी ये देखने के लिए की आखिर मैं ऐसा क्या करूँगा जिससे नीता भी हमारी सामूहिक चुदाई का हिस्सा बन जाये।
खैर जब तक हम लौट कर आये, मधु ने पूरा घर दिवाली की तरह सजा दिया था, हर जगह खुशबू वाली मोमबत्तियाँ लगा कर घर के वातावरण को खुशनुमा और मादक बनाया हुआ था। हर चीज़ सलीके से तरतीब के साथ रखी हुई थी। मैंने घर में घुसते ही ऐसे सुसज्जित घर को देखकर मधु से कहा- वाह यार, बीवी तुमने तो दिल खुश कर दिया। घर कितना अच्छा लग रहा है बस बेचारा कभी भी तुम्हारी बराबरी नहीं कर पता। घर की सबसे सुन्दर चीज़ तो तुम हो।
मधु थोड़ा मुस्कुराई और शर्मा कर खाने का सामान हाथ से लेकर किचन में चली गई.
नीता सोफे पर बैठ कर सब सुन रही थी, बोली- सुनो, देखो भैया कितने अच्छे हैं, अपनी बीवी की कितनी अच्छे से तारीफ़ करते हैं, कुछ सीख लो उनसे!
नीलेश तुनक कर बोला- तू कुछ ऐसा काम भी तो किया कर कि तारीफ़ कर सकूँ।
नीता आश्चर्य के भाव से सिर्फ नीलेश को देखती रही और फिर सर झुका लिया।
मैंने कहा- वाह भाई वाह, इतने दिनों बाद मिल रहे हो और फिर भी लड़ रहे हो? कितना प्यार है तुम दोनों के बीच।
नीता की तरफ देखकर बोला- नीता, तुम थक गई होगी, चाहो तो थोड़ी देर कमर सीधी कर लो, अंदर जाकर लेट जाओ।
नीता बोली- नहीं भैया, मैं ठीक हूँ, गाड़ी में भी में सोती हुई आई हूँ।
मैंने मजाकिया अंदाज़ में नीलेश की तरफ देखकर बोला- भाई देख ले, ये तो अपनी नींद पूरी करके आई है जिससे…
और मैं चुप होकर बोतल टेबल पर रख कर गिलास लेने किचन में चला गया, गिलास बर्फ सोडा और ज़रूरी सामान के साथ बाहर आया तो नीलेश और नीता दोनों सोफे पर बैठ कर कुछ कानाफूसी कर रहे थे, दोनों हाथों में हाथ डाल के नए युगल प्रेमी की तरह दिख रहे थे।
मुझे देखते ही दोनों थोड़ा ठिठक गए और हाथ दूर कर लिए।
मैं सामान टेबल पर रख के दोनों के करीब आया और नीलेश का हाथ उठाया और नीता के कंधे पर रख दिया और नीता का हाथ उठाया और नीलेश की कमर पर रख दिया और कहा- देखो, इसे दोस्त का घर समझो और दोनों आराम से रहो, अब इतने दिनों बाद मिले हो तो बहुत कुछ होगा एक दूसरे से बतियाने और पूछने को!
नीता को शायद बहुत अच्छा लगा।
नीलेश बोला- हाँ यार, मैं तो जानता हूँ फिर भी ये घबराई तो मैं भी पीछे हट गया। अब हम लोग जॉइंट फैमिली में रहते हैं, इसलिए ऐसे ही हो गए हैं।
मैं नीता को आँख मार कर बोला- ऐसा महसूस करो कि यहाँ कोई है ही नहीं… और हाँ, अगर पीने का मूड हो तो बता देना, मैं सर्व कर दूंगा।
नीता जैसा एकदम चौक गई और नीलेश से बोली- यार आप भी न… भाभी बेचारी अकेली लगी हुई है किचन में!
मधु वहीं से बोली- अरे तुम थकी होगी, बैठो आराम से, मैं भी बस आती हूँ अभी।
पर नीता कहाँ सुनने वाली थी, वो तब तक तो उठ के किचन में चली ही गई।
नीता के किचन में जाने के बाद हम दोनों अपने पैग और गाने लगाने में मस्त हो गए। नीलेश ने मस्त रोमांटिक गानों का कलेक्शन लगा दिया और मैंने बढ़िया से पैग तैयार कर दिए, पैग उठाकर हम दोनों भी किचन में चले गए।
मैं किचन में जाकर मधु की तरफ पैग बढ़ाकर बोला- चियर्स डार्लिंग!
मधु ने मेरे गिलास को किस किया और छोटा सा सिप लेकर बोली- चियर्स जान!फिर मैंने गिलास नीलेश की तरफ बढ़ाया और गिलास से टकरा के बोला- चियर्स!
और अपने पैग को सिप करने लगा।
हमारी इस हरकत को देखकर नीता को भी लगा कि शराब पीने का यह रोमांटिक अंदाज़ अच्छा है, नीलेश जो पैग पीने के लिए लगभग मुंह से लगा ही चुका था, उसके घूंट मारने से पहले नीता ने नीलेश के हाथ को रोका और अपने होंठों के पास लेकर मधु की तरह किस करके एक छोटा सा सिप किया और बोली- चियर्स नीलू!
नीलेश भी अपना पैग थोड़ा ऊँचा उठा कर बोला- थैंक्स एंड चियर्स डार्लिंग!
मेरी कोशिश कामयाब होती सी दिख रही थी, मुझे यही देखना था कि नीता ऐसी परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देती है।
मैंने नीलेश को थोड़ा छेड़ते हुए कहा- हाँ भाई नीलू?
और हंसने लगा।
नीलेश बस सर नीचे करके मुस्कुराता रहा।
हम लोग ऐसे ही किचन और ड्राइंग रूम में इधर उधर करते करते गानों का मज़ा लेते हुए दो पैग डाउन हो चुके थे। थोड़ा नशा होने लगा था और थोड़ा मुझे दिखाना था जिससे मेरी हरकत अगर किसी कारण से बुरी लग भी जाए तो नाम शराब का बदनाम हो।
मैंने पीछे से जाकर मधु को पकड़ा और उसके गले पे धीरे से काट कर किस कर लिया।
नीलेश कमरे में था पर नीता वही खड़ी थी, मधु जान करके मुझे हटा कर बोली- अरे आप भी कहीं भी शुरू हो जाते हो, देखो नीता यही खड़ी है।
मैंने नीता की तरफ देखा और बोला- तो खड़ी रहने दो उसे, हमने बता ही दिया था कि यहाँ एक ही नियम है कि कोई नियम नहीं है।
नीता बोली- भाभी, भैया आपको बहुत प्यार करते हैं।
मधु बिना कुछ बोले सर झुक कर मुस्कुरा दी।
मैं मधु के चूतड़ों पर एक चटाक लगा कर किचन से बाहर आ गया।
नीलेश बोला- यार राहुल, तू तो रोज़ नहा कर पैग पीता है, तो आज बिना नहाए कैसे पीने लगा?
मैंने थोड़ा झूमते हुए कहा- यार, वो नीता है न… इसलिये… और अपन को शाम को नहाने के बाद कपड़े पहनना पसंद नहीं है। तो तेरी बीवी को असहज लगता, इसलिए ऐसे ही पी ली आज!नीलेश बोला- यह तो गलत बात है, मतलब हम लोगों की मौजूदगी की वजह से तुम लोग असहज हो रहे हो।
और जोर से आवाज़ लगा कर बोला- नीता, चलो हम लोग किसी होटल में रात गुज़ार के आते हैं।
मधु नीता से धीरे से बोली- यार लगता है, दोनों को चढ़ गई है। इन लोगों की बातों को ज्यादा दिल से मत लगाना।
नीता बोली- भाभी, वो भैया को बोलिए न कि वो नहा लें, तो लड़ाई खत्म ही हो जाएगी।
मधु बोली- तुम जाकर बोल दो, तुम्हारी बात नहीं टालेंगे। हम दोनों में से तो वो किसी की नहीं सुनने वाले!
नीता किचन के दरवाज़े से खड़े होकर बोली- भइया, आप नहा के आ जाइये।
मैं नीता की तरफ देख कर बोला- ओके!
नीलेश बोला- जा अगला पैग तेरे आने के बाद ही बनाएंगे।
मैं थोड़ा गुस्से में बोला- तू नहीं बनाएगा पैग, पैग या तो मैं बनाऊंगा या या… या नीता बनाएगी।
नीता की तो शक्ल देखने लायक थी।
खैर मैं नहाने गया और आ गया तौलिया लपेट कर, मैं आकर सोफे पर बैठ गया और बोला- नीलेश तू भी नहा आ, नहाने के बाद पीने का मज़ा ज्यादा आता है। जो चढ़ी थी, वो थोड़ी सी उतर गई है, और सुरूर बहुत अच्छा है।
नीलेश नीता से बोला- मेरा तौलिया दे देना ज़रा!
और वो बाथरूम की तरफ चला गया।
जब तक नीता ने तौलिया निकाला, तब तक वो बाथरूम में जा चुका था।
मधु ने नीता को कोहनी मार कर कहा- जाओ तौलिया दे आओ भैया को।
नीता इशारे के साथ भावना को समझ गई थी, बोली- अच्छा मैं अभी आई।
नीलेश बाथरूम से गीला और नग्न अवस्था में बाहर आ गया, नीता बोली- ये लो तौलिया और अंदर जाओ, कोई आ जाएगा।
नीलेश बोला- यहाँ कोई बच्चा थोड़े ही है जो कोई आ जायेगा, तुम्हें तौलिया लेकर आने को बोला ही इसलिए था कि तुम्हें थोड़ा सा… बोलते बोलते गीले बदन ही नीता को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।
नीता के हाथ से तौलिया छूट गया और नीलेश के खड़े लंड पर जाकर टंग गया।
नीता के कपड़े भी थोड़े से गीले हो गए पर बेचारी कुछ एक महीने से प्यासी थी इसलिए उसे उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो इस आज़ादी और अपने चुम्बन का रस ले रही थी।
कहानी जारी रहेगी।
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