बीवी की चूत चुदवाई गैर मर्द से-8
(Biwi Ki Chut Chudwai Gair Mard Se- Part 8)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बीवी की चूत चुदवाई गैर मर्द से-7
-
keyboard_arrow_right बीवी की चूत चुदवाई गैर मर्द से-9
-
View all stories in series
आप सभी पाठक जनों का तहेदिल से शुक्रिया!
मेरे फेसबुक अकाउंट पर कम से कम 500 से ज्यादा फ्रेंड रिक्वेस्ट आ चुकी हैं, हर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजने वाला मेरी पत्नी नेहा को चोदने को आतुर है।
मैं अपने सभी पाठकों को बताना चाहता हूँ कि इस कहानी का वर्णन मैंने अपने उस याहू मैसेंजर फ्रेंड की कहानी पर किया है.. जिसने अपनी बीवी और उसके बारे में इस प्रकार का वर्णन किया था। यह कहानी उसी आधार पर लिखी गई है।
अभी तक आपने पढ़ा कि सुबह-सुबह नेहा को चोदने के बाद डॉक्टर साहब और नेहा सो गए।
लगभग साढ़े दस बजे के करीब वो जगे। उनके जागने से थोड़ी पहले ही मेरी नींद खुली थी।
वो दोनों बातें करने लगे।
आज संडे होने के कारण डॉक्टर साहब रिलैक्स थे और नेहा उनके कंधों पर अपना सर रख के लेटी थी।
डॉक्टर साहब नेहा से बोले- यार चाय पीने का मन था.. तुम्हारा ये फुसफुस कब उठेगा?
नेहा बोली- रात को इतनी दारू पी है साले ने.. और मुठ भी मारी है.. देखो चूत का ढक्कन.. साला कैसे सो रहा है।
डॉक्टर साहब नेहा को चिपटा कर किस करने लगे और बोले- अरे यार तुम ही चाय बना लो।
नेहा बोली- यार तुम मेरी इतनी रगड़-रगड़ कर लेते हो कि पूरे शरीर में दूसरे दिन दर्द रहता है। थकान उतरवाने के लिए इसे उठा कर अभी मालिश करवानी पड़ेगी।
डॉक्टर साहब बोले- तुम अपने लिए एक मालिश वाली रख लो.. कोई तुमको छुए ये मुझे अच्छा नहीं लगता। तुम्हारे इस गोरे चिकने शरीर पर कोई आदमी अपने हाथ रगड़े।
नेहा हँसने लग गई और बोली- यार मेरा ढक्कन ‘आदमी’ कहाँ है।
फिर एक पल बाद बोली- अच्छा मेरे सरकार, रख लूँगी.. अभी तो चाय पीनी है.. इसको उठाती हूँ। ये अभी बना कर ले आएगा।
डॉक्टर साहब बोले- अरे तुम ही बना लो ना!
नेहा बोली- मैं..! अरे मेरी जान, यह तुम्हारी और मेरी सेवा के लिए ही है। अभी बनवाती हूँ इस ढक्कन से चाय.. सो ही तो रहा है.. ये ही उठ कर चाय बनाएगा।
नेहा ने मुझको धक्का देना चालू किया, बोली- सोते रहोगे क्या आज दिन भर, उठो..!
मैं उठ कर बैठ गया।
नेहा बोली- जाओ, चाय बना लाओ।
मैं उठ कर चाय बनाने चला गया।
डॉक्टर साहब एक वाशरूम में और नेहा दूसरे वाशरूम में चले गए। दोनों वाशरूम से आकर फिर बिस्तर पर आ गए।
मैं किचन से चाय बना कर लाया और बिस्तर पर रख दी, उनसे बोला- मैं वाशरूम से आता हूँ।
नेहा बोली- अरे.. खाली चाय..! कुछ साथ में बिस्किट्स भी ला सकते थे।
मैंने कहा- देता हूँ।
मैं उनको बिस्किट्स दे कर वाशरूम में चला गया।
मैं लौट कर आया तो वो दोनों चाय पी चुके थे और चिपके बैठे थे।
नेहा बोली- सुनो आज कहीं जाना नहीं.. मार्किट चलना है। कुछ इनको शॉपिंग करनी है और कुछ मुझको भी लेना है।
मैंने कहा- आप दोनों चले जाओ।
नेहा बोली- तुमसे राय नहीं मांगी.. कहा है कि तुम्हें साथ चलना है।
मैं बोला- मैं चल कर क्या करूँगा?
नेहा बोली- चलोगे तो समझ में आ जाएगा।
इतने में डोरबेल बजी।
नेहा बोली- देखो कौन है?
मैं देखने गया तो देखा हमारी कामवाली बाई आई थी।
मैंने नेहा से कहा- हमारी कामवाली बाई आई है।
नेहा मुँह बना कर बोली- लो यार.. इसको भी अभी आना था।
वो मुझसे बोली- देखो वो बेडरूम में नहीं आए और उससे सिर्फ ब्रेकफास्ट बनवा कर वापस भेज दो।
मैंने दरवाजा खोला तो वो अन्दर आ गई। उसने पूछा- भाभी कहाँ हैं?
मैंने कहा- उसकी तबियत ठीक नहीं है.. वो सो रही है।
वो बेडरूम की तरफ बढ़ी तो मैंने कहा- उनको सोने दो, तुम नाश्ता बना कर चली जाओ.. कल घर साफ़ कर देना।
वो नाश्ता बनाने लगी।
मैं बेडरूम में आ गया। मैंने देखा डॉक्टर साहब ने नेहा को ऊपर लिटा कर चिपकाया हुआ था और उसे किस कर रहे थे। एकदम से दरवाजा खुलने के कारण नेहा डॉक्टर साहब से अलग हो गई और उसने मुझसे कमरा बन्द करने को बोला।
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने कमरा बंद किया तो बोली- वहाँ उसके पास नहीं रह सकते थे। वो इधर आ जाती तो.. साले चूतियानंदन.. जाओ वो जब तक है उसी के पास बने रहो और कमरे में मत आना। खुजली होती रहती है बस साले चूतिये को.. अब दफा हो यहाँ से..! और दरवाजा बंद करके जाना।
मैं उसके पास किचन में आ गया, कामवाली ने थोड़ी देर में नाश्ता बना लिया और चली गई।
इसके बाद मैं कमरे में आया तो डॉक्टर साहब बोले- अब मैं चलता हूँ.. दोपहर में आता हूँ।
नेहा बोली- अरे ऐसे नहीं.. तुमने नाश्ता नहीं किया है, घर जा कर क्या करोगे? कहीं नहीं जाना है आज.. अभी साथ में नहाएंगे.. नाश्ता करेंगे और फिर शॉपिंग पर चलेंगे।
डॉक्टर साहब चुप हो गए।
नेहा मुझसे बोली- जो कल गाड़ी में इनका बैग था.. वो कहाँ है?
मैंने कहा- गाड़ी में ही होगा।
नेहा बोली- तुम भी न.. जब तक कुछ बताओ नहीं.. तुमसे कुछ नहीं होता है। उस बैग में इनके कपड़े हैं.. जाओ ले कर आओ।
मैं बैग लेने के लिए कमरे से निकला तो नेहा डॉक्टर साहब से बोली- जब टाइम होता है, तो तुमको भागने की पड़ी रहती है। घर जा कर क्या करते? एक तरफ तो बोलोगे कि बीवी हो। मैं तुम्हारी बीवी हूँ तो तुमको बीवी के साथ एंजॉय करने के बजाए भागने की पड़ी है।
डॉक्टर साहब बोले- अरे यार तुम भी ना..
उन दोनों की इतनी बातें सुन कर मैं बैग लेने चला गया।
बैग लेकर मैं कमरे में आया तो डॉक्टर साहब बोले- मैं नहा कर आता हूँ।
वो वाशरूम में जाने लगे तो नेहा रोमांटिक होते हुए बोली- अकेले नहाओगे?
वो हँसने लगे बोले- यार फिर क्या तुम्हारे साथ नहाना है?
नेहा बोली- हाँ.. तो क्या हुआ? रात में तो टाँगें उठा-उठा कर मेरी चूत ले सकते हो.. नंगे चिपक कर रात भर सो सकते हो.. तो नहाने में क्या दिक्कत है?
नेहा मेरी तरफ देख कर बोली- क्यों बे.. तुझको कोई दिक्कत है फुसफुस? मैं इनके साथ नहाऊँ या कुछ भी करूँ और वैसे भी मैंने पति की पोस्ट से तुमको टर्मिनेट कर दिया है, अब तो मैंने सचिन को अपना पति बना लिया.. तो मैं अपने पति के साथ नहाऊँ या चुदूँ.. तुझको कोई दिक्कत है क्या?
मैं कुछ नहीं बोला तो बोली- अब फूटोगे नहीं.. अब भी कोई दिक्कत है क्या?
मैंने कहा- नहीं नहीं.. कोई दिक्कत नहीं है।
नेहा बोली- चलो तुम दूर से हम दोनों को नहाते हुए देख कर मुठ मार लेना.. मैं परदा हटा दूंगी।
हमारे बाथरूम में गलास की वाल है अगर कर्टेन हटा दो तो अन्दर जो भी नहा रहा होगा.. वो साफ़ दिखेगा।
डॉक्टर साहब ने अपने कपड़े उतारे। अब वो सिर्फ फ्रेंची में थे और नेहा नाईटी में थी।
डॉक्टर साहब बोले- इसी नाइटी में नहाना है क्या?
वो बोली- बाथरूम में तो चलो यार!
वो दोनों बाथरूम में चले गए।
मेरी नंगी बीवी बाथरूम में यार के साथ
नेहा ने जानबूझ कर बाथरूम का कर्टेन हटा दिया। डॉक्टर साहब ने नेहा की नाईटी उतार दी और अब वो सिर्फ ब्रा-पेंटी में थी। नेहा इस वक्त बहुत सेक्सी लग रही थी।
डॉक्टर साहब ने नेहा को अपने से चिपका लिया और शावर चला दिया। ठंडा-ठंडा पानी जैसे ही दोनों के शरीर पर पड़ा.. नेहा डॉक्टर साहब से एकदम से चिपक गई।
डॉक्टर साहब ने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, उसकी नंगी चूचियों पर शावर का पानी गिर रहा था।
बहुत ही मस्त मंज़र था… नेहा की रेड पेंटी भी डॉक्टर साहब ने उतार दी।
नेहा ने भी डॉक्टर साहब की फ्रेंची नीचे कर दी, उन्होंने फ्रेंची पूरी तरह से उतार दी। अब वे दोनों बिल्कुल नंगे एक-दूसरे से चिपटे हुए शावर के नीचे खड़े थे।
नेहा ने बाथ जैल लेकर डॉक्टर साहब के सीने पर लगाया, फिर कंधों पर, फिर उनके लंड पर और नीचे बैठ कर डॉक्टर साहब के पूरे शरीर पर मल दिया।
डॉक्टर साहब भी बाथ जैल लेकर नेहा की चूचियों पर मलने लगे, वे उसकी चूचियों के निप्पल मसलने लगे, नेहा अंगड़ाई लेने लगी।
डॉक्टर साहब ने नेहा की चूत में उंगली डाल दी और उसकी चूत में उंगली को हिलाने लगे।
नेहा बोली- तुम न.. बाज़ नहीं आओगे। मुझको मालूम है कि तुम्हारा फिर चोदने का मन है।
शावर में नेहा ने डॉक्टर साहब का लंड सहलाना शुरू कर दिया, उनका लंड एकदम टाइट हो गया था।
नेहा नीचे प्लास्टिक के स्टूल पर बैठ कर डॉक्टर साहब के लंड पर अपनी जीभ मारने लगी, फिर उसने डॉक्टर साहब के लंड को धीरे-धीरे चूसना शुरू कर दिया।
डॉक्टर साहब नेहा की चूचियां मसल रहे थे.. ऊपर से शावर से पानी गिर रहा था, डॉक्टर साहब ने नेहा को ऊपर खींच लिया और उसकी चूचियों के निप्पल चूसना शुरू कर दिए और उंगली चूत में घुसा कर उमेठने लगे।
कुछ ही पलों में चुदास बढ़ गई और डॉक्टर साहब ने नेहा को एक झटके में गोदी में उठा लिया, नेहा ने अपने पैर डॉक्टर साहब के पीठ के पीछे बांध लिए। डॉक्टर साहब ने नेहा की चूत में लंड डाल कर नेहा को गोदी में उठा लिया।
अब डॉक्टर साहब खड़े-खड़े ही नीचे से उछाल-उछाल कर नेहा की चूत में लंड के झटके देने लगे।
नेहा बोली- वाह मेरे राजा.. पूरे गबरू मर्द हो.. बीवी को गोदी में एक ही झटके में उठा लिया।
नेहा की ‘आह्ह.. आह्ह..’ की आवाज आने लगी।
डॉक्टर साहब नेहा को गोदी में उछाल-उछाल कर नीचे से लंड के धक्के देते रहे।
फिर डॉक्टर साहब ने नेहा को नीचे उतार कर उसको झुका दिया। नेहा दीवार के सहारे झुक कर खड़ी हो गई और डॉक्टर साहब ने नेहा को पीछे से पेलना चालू कर दिया।
ऊपर शावर से पानी गिरना चालू था। जिस वजह से चुदाई में ‘फट.. फट..’ की आवाज और ‘आह्ह.. आह्ह..’ की आवाज आ रही थी।
नेहा की बाथरूम से कामुक आवाजें आ रही थीं- ओह सचिन.. उह सचिन.. उह आग लगा दी.. आह्ह..
डॉक्टर साहब ने नीचे से हाथ डाल कर नेहा के हिलती हुई चूचियां मसलनी चालू कर दीं। चूचियों को मसलने के साथ ही डॉक्टर साहब नेहा की चूत में पीछे से धक्के पर धक्का दिए जा रहे थे।
नेहा की आवाज आ रही थी ‘हाय.. क्या चोदते हो मेरी जान.. इस हिजड़े से तो चूत चुसवा-चुसवा कर ही अपनी चूत की आग बुझानी पड़ती थी.. आह्ह.. और जोर से चोदो मेरे राजा.. आह्ह्ह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह्ह्ह.. मैं गई.. ई..ईई..
नेहा छूट गई तभी डॉक्टर साहब ने भी पिचकारी छोड़ दी।
नेहा सीधी हुई, उन्होंने एक-दूसरे को फिर से जैल लगाया और नहा कर बाथरोब पहन कर बाहर आ गए।
आपके ईमेल की प्रतीक्षा रहेगी।
[email protected]
कहानी जारी है।
What did you think of this story??
Comments