बीवी को गैर मर्द के नीचे देखने की चाहत-3
(Bivi Ko Gair Mard Ke niche Dekhane Ki chahat- Part 3)
मेरी सेक्स स्टोरी के पिछले भाग
बीवी को गैर मर्द के नीचे देखने की चाहत-2
में आपने पढ़ा कि मैं संजू अपनी बीवी मंजू को गैर मर्द राज से चुदवाने ऋषिकेश ले गया था. वहां पर मैंने उन दोनों को मौक़ा दिया.
यह कहानी अभी राज के शब्दों में चल रही है.
अब आगे:
मंजू और मैं दोनों बिस्तर में पड़े थे! मंजू उठी और बाथरूम में चली गयी, मैंने भी कपड़े पहने और बालकोनी में खड़े होकर गंगा जी दर्शन का आनंद लेने लगा! सब कुछ बेहतरीन लग रहा था, लगता भी क्यों नहीं जब मनचाही इच्छा पूरी हो जाये, तो खुशी तो होती ही है!
तभी संजू ने डोरबेल बजाई, मैंने दरवाजा खोला, संजू के चेहरे पर प्रश्नवाचक भाव थे, मानो पूछना चाहता हो कि बात आगे बढ़ी? उसे क्या पता कि बात आगे बढ़ कर वापस जगह पर भी आ गई!
उसने मंजू के बारे में पूछा तो मैंने बताया उसके शरीर पर तेल लगा हुआ था तो साफ कर रही है!
संजू मुझे बालकोनी में ले गया और उत्तेजित हो कर पूछा- कुछ किया तुमने या नहीं?
मैंने उसे कान में उसे आगे का सारा खेल समझा दिया!
वो मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखते हुए बोला- दिखते शरीफ हो लेकिन हो बड़े कमीने!
हम दोनों एक साथ मुस्कुरा पड़े.
रात में कुछ पेग पीने के बाद खाना खाकर हम तीनों एक ही रूम में कुछ देर बात करने लगे.
फिर मैंने संजू मंजू से विदा ली और अपने रूम में आने लगा तो संजू अपने रूम के बाहर दरवाजे तक मुझे छोड़ने आया.
बाहर निकलते वक्त संजू ने मेरे हाथ में कुछ दिया और कहा- ठीक से करना, कोई गड़बड़ न हो जाये!
संजू ने मुझे आंख मारी और दरवाजा बंद कर दिया.
अब आगे का हाल संजू की जुबानी:
राज जा चुका था, मैं वापस रूम में आया तो मंजू नाइटी पहन रही थी. मैंने उसे पीछे से पकड़ा और उसकी गर्दन में किस करके उससे बोला- राज के सामने ही बदल लेती, इतनी शर्म क्यों?
वो भी मजाक में बोली- जाओ बुला के लाओ, उसके सामने बदल लूंगी!
हम दोनों हँसने लगे.
फिर मैंने उसको दोनों हाथों से पेट पर पकड़ कर पूछा- जान आज कुछ खास हो जाये?
वो मुस्कुराई और बोली- क्या खास?
मैंने उसे कहा- आज हम दोनों राज को फील करके सेक्स करें?
मंजू बोली- पागल हो तुम!
लेकिन आज उसकी ना में मुस्कुराहट भी थी हामी भी थी… मैंने पेट से ऊपर को हाथ बढ़ाते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया.
मंजू की सिसकारियां मैं सुन सकता था, महसूस कर सकता था. अतः मैंने अपनी हरकतें तेज कर दी, उसकी गर्दन पे काटते हुए मैं कान में फुसफसाया- सोचो, राज तुम्हारी चुत में उंगली डाल रहा है ऐसे!
और अगले ही पल मेरा हाथ मंजू की चुत की तरफ बढ़ चला.
“तुम राज को रोकोगी नहीं क्या?”
मंजू- राज, प्लीज़ ऐसा मत करो, मुझे कुछ हो रहा है!
मैंने फिर मंजू को बोला- देखो, वो तो रुक ही नहीं रहा है, उसने अब तुम्हारी ब्रा को खोल दिया है, और मैंने खुद ही उसकी ब्रा खोल दी.
अब मंजू के जिस्म की बढ़ती हुई गर्मी उसे बेचैन कर रही थी, वो चुप थी! मैंने उसे राज के लिए मना लिया था लेकिन फिर भी मन में डर था कि वो फिर से मना नहीं कर दे.
मंजू बोल उठी- ओह्ह… राज क्या कर रहे हो तुम?
ऐसा सुनते ही मेरे मन में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, मैं खुश हो गया. मंजू पर भी शराब का असर पूरा था, उसने लड़खड़ाई आवाज में कहा- जान चोदो न मुझे!
मैंने उसे उठा कर बिस्तर में पटक दिया और उसे नंगी करने लगा.
मंजू अब पेट के बल लेट गयी, उसकी गांड की चमक ऐसे लग रही थी मानो कह रही हो ‘संजू आओ मुझे भी खुश करो’ तभी मैंने उसकी गांड पर ही चाटना शुरू कर दिया! मंजू मस्ती में अपनी गांड हिलाने लगी, उसे भी आनन्द के सागर में कूद जाने की प्रबल इच्छा थी!
मैंने फिर उसकी पीठ पर चूमना शुरू कर दिया, मंजू बेकरार हो चुकी थी, मैंने फिर मंजू को छेड़ा ओर कहा- राज का हाथ तो तुम्हारी गांड पर भी जा रहा है.
और मंजू की गांड को दबा दिया.
मंजू सिसकारियाँ लेने लगी- ओहह…
अब मैंने मंजू को बिस्तर में पेट के बल लेटा दिया और मंजू अब मुझे अपने ऊपर खींचने लगी, जाहिर था कि गैर मर्द से चुदाई की बात सुन कर वो भी ललचाई हुई थी.
मैंने कमरे की सारी लाइट बन्द कर एक नाइट बल्ब जला दिया. अब मैं मंजू को जगह जगह किस करने लगा मंजू भी मुझे ईंट का जवाब पत्थर से देने लगी.
मैंने मंजू से हिम्मत कर पूछ ही लिया- मंजू, अगर राज सच में यहां पर होता तो तुम क्या करती?
मंजू अब खुल चुकी थी क्योंकि हम दोनों कई बार ऐसी बोल बोल कर ही सेक्स करते थे तो मंजू बस मुस्कुरा कर बोली- वो यहां होता तो तुम्हें बाहर भेज देती.
“और फिर क्या करती?”
मेरे इस सवाल से मंजू और उत्तेजित हो गयी और बोली- फिर मैं राज से चुदवाती!
उसके मुख से यह सुन कर मेरे लंड का कड़कपन बढ़ने लगा!
मैं- फिर?
मंजू- फिर वो मेरे जिस्म को नोचता और तुम देखते मुझे उससे चुदते हुए!
उसकी बातें सुनकर मैं मस्त हो गया, जोश में मैं बिस्तर में घुटनों के बल बैठा और अपने नितम्ब को अपने पैर की एड़ी पर टिका दिये, मंजू को पीछे की तरफ से अपनी गोद में बैठा लिया. उसकी दोनों टांगें मेरी टांगों के बाहर थी और उसकी गांड और चुत के बीच में मेरा लंड टिका हुआ था.
मैंने उसकी गर्दन पर फिर से चूम लिया और बोला- राज को बुला दूँ क्या?
मंजू सिसकारियाँ लेती हुई बोली- हाँ बुला लो!
मैंने उसके दोनों हाथों को पीछे खींचते हुए कसकर पकड़ लिया. और तभी मंजू के शरीर पर दो हाथ और चलने लगे.
एक पल के लिए मंजू बौखला सी गयी और बौखलाती भी क्यों न… वो मेरी सेक्सी बातों में राज के ख्याल में मगन थी और किसी और ने उसके शरीर पर छू लिया तो उसका ध्यान टूटना लाजमी था.
मंजू ने आंख खोल कर देखी तो उसके मुख से निकला- राज तुम??
मंजू के आगे राज एकदम नंगा खड़ा था.
मंजू- संजू प्लीज़, मुझे नहीं करना, छोड़ो मुझे!
मैं- क्या हुआ जान?
कहते हुए मैंने राज को आगे बढ़ने का इशारा किया.
मंजू जिस गोद में बैठ कर अभी तक मजे कर रही थी, अब वो उसी गोद से आजाद होने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैंने उसको जकड़ रखा था. तभी राज ने अपना काम चालू कर दिया.
मैं सामने लगे बड़े शीशे में राज और मंजू ओर खुद को पूरा नग्न देख पा रहा था. राज ने मंजू के गालों को चाटना शुरू किया और धीरे धीरे उसके गाल से गले पर चाटता जा रहा था. मंजू खुद को मुक्त करने के लिए छटपटा रही थी.
और छटपटाती भी क्यों नहीं… मंजू एक नारी ही तो थी, वह नारी शर्म जिसका गहना होता है!
तभी राज उसके स्तनों पे भूखे शेर की भांति झपटा ओर उन्हें पागलों की भाँति चूसने लगा. मैं शीशे में देख देख कर आनन्दित हो रहा था. मंजू का विरोध अब उम्म्ह… अहह… हय… याह… सिसकारियों में बदल गया था!
राज उसके स्तनों को चूमते चूमते उसकी नाभि ओर चुत के ऊपर के भाग तक गया और उसने उसकी क्लोटेरियस को चूसना शुरू कर दिया. उसे जोश में देख मैंने भी मंजू की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया, मैं कभी उसकी गर्दन चूमता, कभी उसके गाल दो तरफा वार मंजू को पागल किये जा रहे थे!
मेरी नज़र शीशे से हट नहीं रही थी क्योंकि मुझे सबसे ज्यादा मज़ा मंजू को जोश में देख कर आ रहा था! मेरे आनन्द की तरंगों का एहसास वो ही ले सकते हैं जिन्होंने खुद की बीवी को किसी और की बांहों में जोश में छपटाते देखा हो! राज पूरी शिद्दत से मंजू को काबू में करने पर लगा था और मंजू धीरे धीरे खुद पर से अपना नियंत्रण खोती जा रही थी.
अब राज मंजू के शरीर से खुद को कस लिया और उसके गले में चूमने लगा उसके हाथ मंजू की पीठ और मेरे पेट के बीच में आ गये थे.
मंजू को कस कर पकड़े हुए उसके गालों को चूमने में मस्त राज मुझे देख तक नहीं रहा था. मैंने मंजू की सिसकारियां सुन उसके हाथों को ढीला छोड़ दिया और राज उसे अपनी गोद में बैठा कर फिर से चूमने लगा. मंजू ने भी अब दोनों हाथों से राज को जकड़ लिया और उसे जोश में काटने लगी, ओहह… ओह… की आवाज से ही राज ओर मैं जोश से लबालब हो गए!
मंजू अब राज की गोद में बैठ कर अपनी कमर को हिलाये जा रही थी! कभी राज की छाती नोचती, कभी उसके गालों को काट देती, मानो बरसों की प्यास आज बुझने वाली हो. और होती भी क्यूँ नहीं… नए जिस्म से जिस्म टकराने का मज़ा ही कुछ और होता!
शायद इसिलये कहते हैं कि स्वाद बदलते रहें, जिंदगी खुद ब खुद बदल जायेगी!
मंजू ने राज को ऐसे जकड़ रखा था मानो आज निचोड़ के ही छोड़ेगी. मैंने भी पीछे से मंजू को जकड़ लिया. मंजू अब दोनों तरफ से अपने बदन पर हाथ और दांत महसूस कर रही थी.
अब मंजू ने राज को बिस्तर पर गिरा दिया और उसके बदन पर किस करने लगी और मेरे हाथ मंजू की चुत में जा पहुँचे! मैं उसकी चुत को सहलाता जा रहा था और उसकी पीठ पर चूम रहा था.
मैं खुश था कि मेरी सेक्सी बीवी आज एक नए लन्ड का आनन्द लेने वाली थी… वो भी मेरे सामने!
उसने राज के बदन को चूमना चालू रखा और मैंने उसके बदन को सहलाना! मंजू ने राज के लन्ड को हाथों में ले लिया और फिर मुंह में डाल कर गपागप चूसना चालू कर दिया. राज का लन्ड पहले से ही कड़क था, मंजू ने उसे चूस कर आग में घी का काम कर डाला.
राज अब मंजू के बालों को कस कर पकड़ कर जोर जोर से आगे पीछे करने लगा! मुझसे अब ये सब देख बर्दाश्त के बाहर हो गया. मंजू के मुख से ऊहह… ऊहह… की घुटी घुटी आवाजें आ रही थी जो मुझे मेरी कल्पनाओं के साकार होने का आभास करवा रही थी.
मैंने राज को हटने को कहा और मंजू के बालों को पकड़ा और उसके मुख में अपना लन्ड डाल दिया! मंजू रंडियों की तरह मेरे लन्ड और आन्डों को ऐसे चूस रही थी मानो राज से चुदवाने का एहसान उतार रही हो… ऐसा मज़ा, ऐसा वहशीपन मैंने पहले कभी नहीं देखा था.
अब मैंने राज को इशारा किया, राज ने भी देर न करते हुए एक ही झटके में मंजू की चुत में जोरदार वार किया.
मंजू की जोरदार चीख निकली- आईई… मा… नहीं… रुको प्लीज़!
लेकिन राज ने तब तक स्पीड पकड़ ली थी! अब मंजू की चुत में दर्द था किन्तु हल्का!
मंजू अब चुदाई में मग्न होने लगी थी, उसके मुख से ‘ओह्ह… आहह…’ की मधुर आवाजें शुरू हो चुकी थी. अब मेरा सारा ध्यान मंजू की चुदाई देखने में था.
मैंने उठ कर लाइट ऑन कर दी!
मैंने देखा कि मंजू का नंगा बदन राज के सामने था! राज ने मंजू की गांड को कस रखा था और झटके पर झटका मारते जा रहा था और मंजू हर झटके पे ओहह… ओहह… करते हुऐ कामुक से और कामुक होती जा रही थी.
मैं फिर से मंजू के आगे जाकर बैठ गया क्योंकि मैं उसे चुदते हुए देखना चाहता था, यही तो मेरी इच्छा थी जो आज राज पूरी कर रहा था!
मेरे सामने मेरी बीवी किसी और के लन्ड का भोग ले रही थी!
एक समय ऐसा आया जब मंजू तड़पने लगी, उसकी आवाज में तेजी आ गयी, वो बुरी तरह हांफने लगी, शायद उसका स्खलन होने वाला था. यही तो वो पल था जिसे देखने को मैं पागल हो रहा था… अपनी बीवी को किसी और लन्ड से स्खलित होते हुए देखना!
आहहहह… आहहह… उफ.. करती हुई मंजू कभी अपना मुंह पकड़ती, कभी होंठ!
हाय… मेरी बीवी स्खलित हो रही थी! उसने मेरे लन्ड को कस कर पकड़ लिया और हिलाने लगी मानो अपने साथ साथ मुझे भी स्खलित करना चाहती हो. वो पगली क्या जाने कि वो ऐसा न भी करती तो मैं तो उसको किसी ओर के लन्ड का सुख पाते देख ही स्वयम् स्खलित होने को उत्तेजित था. उस पर उसकी मादक सिसकारियां मुझे वैसे ही पागल किये जा रही थी! एक कामुक आवाज के साथ मंजू की आँखें बंद होने लगी. मंजू का मुंह खुला हुआ था, वो चीखना चाहती थी लेकिन चीख नहीं पा रही थी!
धीरे धीरे मंजू निढाल होने लगी और मेरी ही आँखों के सामने वो बिस्तर में गिर पड़ी. मैं भी उसको देख देख उत्तेजना में बह गया और दीवाल की आड़ ले सुस्ताने लगा, राज भी अंतिम पड़ाव में था, उसने मंजू की टांगें खींच कर बेड से बाहर की और उसकी दोनों टांगों के बीच खड़ा हो गया. अब मंजू पेट के बल ही पड़ी थी और उसके कमर से नीचे के हिस्से में दोनों टांगों के बीच राज खड़ा था और साथ में खड़ा था राज का लन्ड जो अब किसी भी पल अपनी फुहार मंजू के ऊपर छोड़ देना चाहता था!
राज ने मंजू की दोनों जांघों से उसे पकड़ कर उठा दिया और फिर को अपने लंड को मंजू की चुत से सटाकर एक बार फिर जोरदार वार किया. ऊहह… की आवाज करते हुए मंजू उठने की कोशिश की लेकिन वो फिर पस्त हो गयी.
राज ने धक्के लगाने चालू कर दिए! मंजू के हिलते हुए चूतड़ राज को और उत्तेजित कर रहे थे, कुछ ताबड़तोड़ झटकों के साथ राज का भी स्खलन हो गया, राज मंजू के ऊपर गिर पड़ा.
हम तीनों का ही स्खलन हो चुका था, लिहाजा हम तीनो हो थक गए थे! मेरी बीवी तो अभी भी हांफ रही थी.
राज और मैं एक दूसरे को देखकर मुस्करा पड़े! फिर हम तीनों एक ही बिस्तर में सो गए!
सुबह जब नींद खुली तो हम तीनों ही नंगे पड़े थे, मंजू हम दोनों के बीच थी, उसका मुंह मेरे सीने में था और गांड राज की तरफ! राज अभी भी घोड़े बेच कर सो रहा था मानो कोई किला फतेह कर लिया हो!
मैंने मंजू के चेहरे को ऊपर कर उसके माथे पे एक किस किया तो उसकी नींद भी खुल गयी. वो मुझे देख शरमा गयी और मेरे सीने से चिपक गयी.
फिर उसे अपने पीछे राज के होने का एहसास हुआ, उसने पलट कर देखा तो राज पेट के बल सोया हुआ था मानो मगरमच्छ शिकार करने के बाद आराम कर रहा हो!
मंजू मेरी तरफ मुडी और उसने मुझसे पूछा- राज कल रात में अंदर कैसे आया?
मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट देख मंजू की उत्सुकता बढ़ गयी, वो राज के अंदर आने का राज जानना चाहती थी!
मैंने उसे बताया- कल रात जब मैं राज को बाहर तक छोड़ने गया तो मैंने दरवाजे की चाबी ही उसे दे दी थी ताकि वो दरवाजा बाहर से लॉक कर दे और मौका पाकर अंदर भी आ जाए और ये प्लान तब बना जब तुम बाथरूम में थी! हमारी योजना सफल हुई. हा हा हा…
मेरी हँसी की आवाज सुन राज जाग गया और बोला- भाई, योजना आपकी नहीं, भाभी जी की सफल हुई!
मैं- कैसे?
राज- कल जब आप बाहर गए थे तो हम दोनों ने एक तेजी वाला राउंड सेक्स किया उसके बाद जब भाभी जी ने मुझे कहा कि ‘संजू मुझे किसी और मर्द से चुदवाना चाहते हैं, मैंने तुमसे सेक्स किया और तुम पर मैं विश्वास करती हूं लिहाजा आज मैं आपने पति को खुश करने के लिए तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हूं. उनकी आँखों के सामने उन्हें पसंद है वो रोज सेक्स के समय मुझसे किसी और से चुदने की बात करते हैं तो मेरा भी मन करता है कि काश सच में होता तो कितना मज़ा आता!’ तो हम दोनों ने मिलकर ये सारी योजना बनाई कि मैं (राज) आपको चाबी वाला उपाय सुझाव दूँ और भाभी की योजना कामयाब हुई!
मैं हैरान था कि मैंने अपनी चाहत खुद पूरी की या मेरी बीवी ने मेरी चाहत पूरी की.
खैर जो भी हो, चाहत तो मेरी ही पूरी हुई.
उसके बाद फिर हमने पूरे दिन औऱ पूरी रात मस्ती की.
सुबह बुझे मन से हमने राज से विदा ली.
मैं राज का धन्यवाद कहना चाहता हूं कि मेरे सपने को साकार करने में मदद की और मेरे कहने पर उसने यह कहानी भी आपके समक्ष रखी.
आप सबको कैसी लगी बताइयेगा जरूर!
धन्यवाद. नमस्ते. फिर मिलेंगे!
दोस्तो, आपने मेरी बीवी की चूत चुदाई की यह कहानी संजू के शब्दों में सुनी, बोल उसके थे, लेखनी मेरी!
अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि जिसे यह कपोल कल्पित कहानी लगे, वो उसकी अपनी सोच… जिसे हकीकत लगे, वो उसकी अपनी समझ!
मुझे मेसेज में उल्टे उल्टे सवाल पूछ कर मेरा अपना समय न बर्बाद करें. हमारा कार्य अन्तर्वासना पर अपनी कहानी भेज कर आप पाठकों की सेवा करना है.
और उसके साथ साथ अपने सभी पाठकों का मनोरंजन करना है. इसके साथ साथ मैं अपने अन्तर्वासना के प्रबंधकों को भी प्रणाम करना चाहता हूं जिनकी सोच के कारण आज अन्तर्वसना इस मुकाम पर पहुँची है. ये एक ऐसा माध्यम है जिसमें हम अपनी आपबीती आप सबके आगे प्रस्तुत भी कर देते हैं और हमें किसी भी प्रकार का परिचय किसी को नहीं देना पड़ता है. साथ के साथ तमाम स्त्री पुरूष भी उन कहानियों में खुद को उसका नायक नायिका समझ कर आपने आप को सन्तुष्ट कर लेते हैं.
धन्यवाद मित्रो! आप सभी को, अन्तर्वासना के सभी रचनाकारों को प्यार और मेरे सबसे प्रिय रचनाकार जूजाजी को भी प्यार जिनके मार्गदर्शन के कारण मैं अपनी कहानियों को लिख पाया.
अंत में यही कहना चाहूंगा कि अब वापसी तभी होगी जब कुछ नया घटित होगा. अब कब होगा, क्या होगा ना जाने… लेकिन जब कुछ हकीकत में हो तो लिखने का उद्देश्य यही होता है कि सेक्स का जो आनन्द मैंने लिया, पाठक भी उस आनन्द को ले सकें.
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