जीजू ने बहुत रुलाया-1

(JIju Ne Bahut Rulaya)

मेघना 2009-04-25 Comments

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मेरा नाम मेघना है, उम्र 19 साल, शादी को कुछ महीने हो चुके हैं। मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं, मैं भी उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। मैं अपने पति से कई बार चुद चुकी हूँ। मेरी चुदाई मुझे बहुत तकलीफ देती है। मेरे पति मुझे चोदते समय मुझ पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखाते, बेरहम हो जाते हैं। मैं रोती रहती हूँ, वो चोदते रहते हैं।

ऐसा नहीं कि मैं शादी से पहले नहीं चुदी हूँ। मैं शादी से पहले अपने जीजू से कई बार चुद चुकी हूँ। जीजू भी मुझे चोदते समय बेरहम हो जाते थे। शायद सारे पुरुष एक जैसे ही होते हैं। पहले मैं जीजू से अपनी चुदाई के बारे मैं बताती हूँ।

बात उस समय की है जब दीदी की शादी हुई थी। जो मुझसे दो साल बड़ी थी।

हम दोनों बहनें कम सहेलियाँ ज्यादा थी।

हमने एक दूसरी को पूरी नंगी करके देखा था एक दूसरी की चूत भी देखी थी।
लेकिन चुदाई क्या होती है यह पता नहीं था।

दीदी ने ही ससुराल से लौटकर बताया था कि जीजू ने उन्हें कैसे और कितनी बेरहमी से चोदा था।

मैंने एक बार पापा मम्मी को चुदाई करते चुपके से देख लिया था।

तब यह तो पता था कि औरतों के चूत होती है। लेकिन यह नहीं पता था कि लण्ड इतना मोटा और लम्बा होता है और चूत में घुस जाता है।

मम्मी बड़े आराम से चुद रहीं थीं। मम्मी बैड पर लेटी थीं। उनकी टांगें नंगी थीं और ऊपर को मोड़ी हुई थीं। पापा नीचे खड़े थे, वो अपने लण्ड को मम्मी की चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे।

मुझे डर लगा और दीदी को भी दिखाया।
तब दीदी ने बताया था कि पापा मम्मी को चोद रहे हैं।
मैंने पूछा- क्यों?
तो उन्होंने बताया- हर औरत को चुदना पड़ता है।

दीदी साइंस पढ़ती थी, उन्होंने बताया- एक दिन तुझे भी चुदना पड़ेगा, मुझे भी चुदना पड़ेगा।
मैंने पूछा- तकलीफ़ नहीं होती है क्या?
उन्होंने कहा- पता नहीं, जब तू खुद चुदेगी तो पता चल जायेगा।

कुछ सालों में दीदी की शादी हो गई।
वहाँ से लौट कर दीदी ने अपनी चुदाई के बारे में बताया था।

उन्होंने बताया कि जीजू उन्हें पूरी नंगी करके चोदा। चुदाई में लगती भी है और मजा भी बहुत आता है।

अब मेरी भी चुदने की इच्छा होने लगी थी। अगली बार मैं भी उनके साथ उनके घर गई। वो दोनों ही नौकरी करते थे। फ्लैट में दो कमरे थे। एक में वो दोनों और एक में मैं अकेली सोती थी।

मैं रात को बिस्तर में लेटने के बाद उन दोनों की चुदाई के बारे में सोचा करती थी। मुझे देखना था कि ज़ीजू दीदी को कैसे चोदते हैं।

एक रात को मुझे मौका मिल ही गया।
उनके कमरे की लाइट जली थी। दरवाजे में एक छेद था।
मैंने देखा कि जीजू दीदी के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे।

दीदी विरोध कर रही थी, कह रही थी- मेघना जाग जायेगी।
जीजू कह रहे थे- अब मेरे से और इंतजार नहीं होता। आज तो मैं तुम्हें चोदकर ही मानूँगा।

जीजू जबरदस्ती दीदी को नंगी करने लगे तो दीदी गिड़ड़ाने लगी- मान जाओ… मान जाओ… बहुत लगती है। मेरी चीख निकल जाती है। मेघना सुन लेगी।

जीजू नहीं माने, बोले- कि तुम चीखती हो तो और मजा आता तुम्हें चोदने में!

उन्होंने दीदी की साड़ी खींचनी शुरू की। दीदी उनको रोक रही थी।

लेकिन जीजू ने दीदी को एक हाथ से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से दीदी की साड़ी उतार दी।

अब जीजू ने दीदी को पीछे से बाँहों में भर लिया और दीदी का ब्लाउज खोलने लगे।
दीदी जीजू से छूटने की कोशिश कर रही थी, उन्हें अपने ब्लाउज के हुक खोलने से रोक रही थी।

लेकिन जीजू ने ब्लाउज के हुक भी खोल दिये।

मेरी साँसें रुकी हुई थीं।

जीजू ने दीदी का ब्लाउज भी उतार कर फेंक दिया। दीदी की ब्रा उतारने के लिये जीजू को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।

उन्होंने दीदी की ब्रा की पट्टियों को कधों से नीचे उतार दिया। फिर दीदी को घुमाकर बाँहों में कस लिया और पीछे से ब्रा की हुक खोल दी।
अब दीदी का पेटीकोट रह गया था।

ब्रा उतारकर दीदी को छोड़ दिया। दीदी इधर उधर भागने लगी।
जीजू दीदी के पेटीकोट का नाड़ा खोलने को लपके।

दीदी ने नाड़ा पकड़ लिया ताकि खुले नहीं, वह कह रही थी- मान जाओ… रहने दो, इसे मत उतारो।
जीजू बोले- अच्छा ठीक है।

वो रुक गये।

अब दीदी ने नाड़ा छोड़ दिया और अपने स्तनों को पकड़ लिया। जीजू ने लपक कर दीदी को बाँहों में भर लिया। जबरदस्ती दीदी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।

दीदी छटपटाने लगी।
जीजू ने उनका पेटीकोट उतार कर दीदी को नंगी कर दिया और गोद में उठाकर बिस्तर पर पटक दिया।

उन्होंने दीदी के होंथों पर होंठ रख दिए, फिर ऊपर से नीचे तक चाटा।

जब उन्होंने दीदी की चूत चाटी तो दीदी सिसकारी भरने लगी, वो बल खाने लगी।

जब जीजू ने अपने कपड़े उतारे तो मैं जीजू का लण्ड देखकर दंग रह गई।
पापा के लण्ड की तरह बड़ा था।

वो जब दीदी के ऊपर झुके तो दीदी हाथ जोड़कर कहने लगी- मान जाओ… बहुत तकलीफ़ होती है।

जीजू नहीं माने। जीजू ने अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया।
दीदी ने अपने हाथ उनके पेट पर रखे ताकि उन्हें रोक सके। जीजू के बार बार कहने पर हथियार डाल दिये। दीदी ने अब अपने हाथ ऊपर करके सिरहाने रख लिये।

अब दीदी रुआंसी हो चली थी।

जीजू ने लण्ड चूत में घुसाना शुरू किया।
दीदी ने अपने होंठ भींच लिये ताकि आवाज न निकले।

लेकिन जैसे ही जीजू ने धक्का मारा, दीदी की चीख निकल गई- आ … आ … आ … आ!

जीजू का आधा लण्ड दीदी की चूत में फँसा था।
दीदी रो रही थी।

थोड़ी देर दीदी को रुलाने के बाद जीजू ने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड दीदी की चूत में होकर उनके पेट में घुस गया।
दीदी की फिर से चीख निकल गई- आ … आह … आ … आई!

दीदी की हालत देखकर मेरे पैर काँपने लगे, मेरी चूत भी गीली हो गई थी।

कुछ रुककर जीजू ने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर खींचा और थोड़ा सा खींचकर रुक गये।
दीदी की फिर से चीख निकल गई- आ … ओ … आह … आ!

फिर जीजू ने पूरा लण्ड बाहर खींचकर एक झटके में पूरा लण्ड दीदी की चूत में घुसा दिया।
दीदी की फिर से चीख निकल गई- आह … आ … आ … आ!

जीजू अब लगातार लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे।
दीदी भी पहले तो हर धक्के पर चीखती रही ‘आ … आ … आ … आ …’ फिर लगातार रोने लगी।

बाद में उनका रोना सिसकारियों में बदल गया।
अब वह आहें भरने लगी।
थोड़ी देर के बाद जीजू से लिपटने लगी।

और फिर अचानक जाने क्या हुआ … दीदी जीजू से लिपट गई, जीजू को कसकर जकड़ लिया।

जीजू को भी जाने क्या हुआ ऐसा लगा मानो वो पूरे ही चूत में समा जायेंगे और आह… आह… करने लगे।

उस समय तक मुझे उसका मतलब पता नहीं था।
बाद में जब जीजू ने मुझे चोदा तब समझ में आया।

मैं जाकर अपने कमरे में सो गई। नींद तो नहीं आई, आँखों में दीदी की चुदाई घूम रही थी। मुझे लग रहा था जैसे मुझे किसी ने चोद डाला हो।

अगले दिन दीदी काम पर नहीं गई।

जीजू चले गये तब मैंने दीदी से पूछा- क्या जीजू तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?
दीदी बोली- तो क्या तूने सब देख लिया?
मैंने कहा- हाँ।

दीदी बोली- वो तो तेरी वजह से जल्दी जल्दी चोद लिया वरना एक घन्टे तक रुलाते रहते हैं। मेरी पूरी जान निकाल लेते हैं।
वो कैसे? मैंने पूछा।

दीदी बोली- पहले तो आधा ही घुसाकर रुक जाते हैं। उस जगह पर लण्ड सबसे मोटा होता है। ऐसा लगता है जैसे चूत फट जायेगी। जब पूरा लण्ड अन्दर चला जाता है तो आराम मिलता है। फिर दो-चार धक्के मार कर रुला देते हैं और पूरा लण्ड बाहर निकाल लेते हैं। जब मैं शान्त हो जाती हूँ, फिर से दो-चार धक्के मार कर रुला देते हैं और पूरा लण्ड बाहर निकाल लेते है। बड़ी बेरहमी से चोदते हैं।

दिन भर मैं घर पर अकेली रहती थी। मैं स्कर्ट पहनती थी। जब अकेली हो जाती थी तो चड्डी उतार देती थी। अपनी चूत को उंगली से छेड़ती रहती थी।

एक दिन मैं पता नहीं कैसे दरवाजा बंद करना भूल गई।
मेरी आँख लग गई।

शायद जीजू अन्दर आये होंगे। पता नहीं मेरी स्कर्ट अपने आप ऊपर हो गई थी या जीजू ने ऊपर की थी। उन्होंने मोबाइल से मेरी कई नंगी तस्वीरें खीच लीं।

एक दिन वो जल्दी ही घर लौट आये, दोपहर में मुझसे बोले- आओ, तुम्हें बढ़िया फोटो दिखाऊँ।
मैंने कहा- दिखाओ।
उन्होंने अपने मोबाइल में मेरी नंगी फोटो दिखाईं।
मैं वहाँ से भागी तो उन्होंने मुझे पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया।

मैं बोली- छोड़ो जीजू आप तो बहुत बेशर्म हो।
जीजू बोले- अच्छा जी… नंगी तुम सोती हो, और बेशर्म मैं हो गया? मैंने तो नहीं कहा था नंगी सोने के लिये।
मैंने अपना चेहरा हाथों से छिपा लिया।

वो बोले- वैसे तुम्हारी चूत है बहुत सुन्दर। तुम्हारी चूत देखकर तो किसी बु्ढ्ढे का लण्ड भी खड़ा हो जायेगा।
उन्होंने शब्दों में मेरी चूत का नक्शा खींच दिया।
मैंने कहा- जीजू चुप रहो!
मैं फिर भागने को उठी।

जीजा साली की चुदाई की कहानी जारी रहेगी।
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कहानी का अगला भाग: जीजू ने बहुत रुलाया-2

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