आपा का हलाला-11

(Aapa Ka Halala- Part 11)

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मैं लंड से उसकी चूत रगड़ने लगा और अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे मारा.एक हल्की सी रुकावट पार करने लंड पूरा जड़ तक मेरी कुंवारी दुल्हन की बुर में समा गया और दिलिया की चीख निकल गयी- आईई आहाह आआआआ आईईईई स्स्सस!
मगर गजब की हिम्मत थी उसमें … अपने हाठों में मेरा चेहरा लेकर चूमते हुए बोली- गज़ब किला फ़तेह किया तुमने आमिर … आई लव यू! बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि मेरी चूत को तुमने एक ही धक्के में ही फाड़ दिया. अब शांत रहो, कोई धक्का मत मारना. और मेरे बदन को चूमो. जब मैं अपने चूतड़ उछालूं तो शताब्दी की स्पीड से चोदना और मेरे झड़ने की परवाह मत करना. मैं पहले ही झड़ चुकी हूँ. मेरी फ़िक्र न करते हुए मस्ती से अपना पूरा रस मेरे अंदर ही डाल देना. मैं आपके बच्चे की माँ आज ही की चुदाई में बनना चाहती हूँ.

फिर कुछ देर बाद उसने अपने चूतड़ ऊपर उछाल कर इशारा किया. मैंने अपने लंड को धीरे धीरे से दिलिया की चूत से बाहर करने की कोशिश चालू कर दी और वो भी ‘अह अह्ह येस्स अह्ह्ह येस और आह्ह अह्ह …’ करने लगी.
लेकिन दिलिया की चूत मेरे लोड़े को कसने लगी और लण्ड को जकड़ लिया. सच में बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था मुझे. ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड अंदर फंस गया हो. मैंने निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन लंड बाहर नहीं निकल रहा था.

फिर मैंने दिलिया को लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया. जब मैं उसके ऊपरी ओंठ चूसता था तो चूत लण्ड को जकड़ने लगती थी और जब निचले ओंठ को चूसता था तो चूत लण्ड को ढीला छोड़ देती थी. जब मैं उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसता था तो चूत लण्ड को अंदर खींचने लगती थी जैसे चूत लण्ड को चूस रही हो.
मेरी चीखें निकलने लगी- अह्ह आह येस अह्ह येस्स आह्ह अह्ह आह मजा आ गया.
मैं जन्नत में था.

फिर तो जैसे मुझे दिलिया की चूत की चाबी मिल गयी. मैं उसका निचला ओंठ चूस कर अपना लण्ड हल्का से पीछे करता था फिर कस कर धक्का लगा कर उसका ऊपरी ओंठ चूसने लगता था जिससे चूत लण्ड को जकड़ लेती थी, उसकी जीभ को चूसने लगता था तो जैसे चूत लण्ड को अंदर खींच कर चूसने लगती थी.

दिलिया को भी मजा आने लगा, उसने अपने टाँगें उठा कर मेरी पीठ पर लपेट ली.
मैंने भी ओंठ चूसने और अपनी चोदने की स्पीड को बढ़ा डाली और मेरे धक्के और भी तेज हो गए. मैं पूरे लंड को अन्दर डाल के बाहर निकालता था और फिर जोर से वापस अन्दर पेल देता था. और मेरे लंड के झटकों से दिलिया के बड़े चूचे उछल रहे थे.

करीब दस मिनट चोदने के बाद फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैंने ध्यान रखा कि मेरा लण्ड मेरी नयी दुल्हन की चूत से बाहर न निकले. मैं कुछ देर के लिए अपनी तीसरी बेगम नंगे जिस्म के ऊपर ही पड़ा रहा.

कुछ देर के बाद वो शांत हुई तो मैं उसके बूब्स को चूसने लगा और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा. और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसकी बगलों को चाटा, वह पागल हो गयी और मुझे कस कर पकड़ लिया. मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वो फिर से गर्म हो गई।

मेरा लंड तो मेरी दुल्हन की चूत में पहले से ही था, फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो पहले तो वो चिल्लाई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
लेकिन फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है?
वो बोली- हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है … हाईईईई … म्म्म्मम।
मैं उसको चूमता रहा और उसके बूब्स सहलाता रहा.

कुछ देर बाद मैं दिलिया को उठा कर बैठ गया, दिलिया मेरी गोद में थी, मैंने ध्यान रखा कि मेरा लण्ड चूत से बाहर न निकले. और फिर हम बैठ कर चोदन करने लगे. मैं नीचे और दिलिया मेरे ऊपर थी। मैं उसका निचला ओंठ चूस कर अपना लण्ड हल्का से पीछे करता था फिर कस कर धक्का लगा कर उसका ऊपरी ओंठ चूसने लगता था जिससे चूत लण्ड को जकड़ लेती थी. फिर उसकी जीभ को चूसने लगता था तो जैसे चूत लण्ड को अंदर खींच कर चूसने लगती थी.

मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे धीरे दिलिया अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। और मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे उस समय कितना मज़ा आ रहा था। वो मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वजह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी नयी ब्याहता बहुत मज़े कर रही थी।

सच कहूँ तो मेरी दिलिया बहुत मादक लग रही थी, उनके रेशमी सुनहरी बाल चारों तरफ फ़ैल गए थे. दिलिया उन्हें पीछे करते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ रख देती थी मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर उनका साथ दिया. मेरा लंड उसकी चूत के अंदर पूरा समा जाता था तो दोनों की आह निकलती थी.

फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे, मैं उसकी चूचियों को खींचने लगा तो दिलिया सिसक जाती … उसके बाद हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं दिलिया को बेकरारी से चूमने लगा। चूमते हुए हमारे मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी. फिर मैंने दिलिया की जम कर चुदाई की और उनको जन्नत की सैर कराई।

मैं दिलिया के ओंठ चूस रहा था. दिलिया बोली- मेरा निचला होंठ चूसो!
मैं निचला होंठ चूसने लगा तो मेरी दुल्हन की चूत ने मेरा लण्ड ढीला छोड़ दिया, वह ऊपर उठ गयी और लण्ड बाहर आ गया.

तभी दिलिया ने अपनी अलमारी से दो साड़ी निकाली और पंखे के ऊपर डाल कर दो झूले बना लिए और एक में वो बैठ गयी और दूसरा थोड़ा लम्बा बनाया और मेरे चूतड़ों के नीचे डाल कर मुझे बिठा दिया.
फिर वो इस तरह से बैठी कि उसने अपनी चुत लण्ड के ऊपर लगा दी और थोड़ी नीचे हुई सर्र से लण्ड थोड़ा सा अंदर गया. दिलिया ने अपने हाथ ऊपर कर लिए और बोली- मुझे लिप-किश करो.
मैं बाजुओं के सहारे झूले पर बैठ गया और उसका निचला होंठ चूसने लगा, दुल्हन की चुत ढीली होने लगी. फिर दिलिया घूमने लगी उसने दोनों पैर बैठे बैठे दायीं ओर कर लिए और खुद को थोड़ा नीचे किया.

सच में मजा आ गया … ऐसा लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ. हम दोनों कराह रहे थे ‘आआह ह ऊऊह्ह …’

कुछ देर में वह फिर घूमी और अपनी पीठ मेरी ओर कर दी. हम दोनों कराह रहे थे ‘आआह … बहुत मजा आ रहा है!’
और वो फिर घूमी और दोनों पैर बायीं और कर दिए फिर उसने मुँह मेरे सामने कर लिया. हम फिर किस करने लगे, कभी मैं उसका ऊपर का होंठ चूसता कभी नीचे का तो कभी जीभ से जीभ मिला कर जीभ चूसते. मुझे लग रहा था जैसे मेरे लण्ड की नसें कस रही हों.

और मेरी तीसरी बीवी इसी तरह घूमती रही. ऊपर झूले में बल पड़ रहे थे और झूला कस रहा था. पर वह जोर लगा कर लण्ड पर पेंच कस रही थी. लण्ड धीरे धीरे पूरा अंदर चला गया. ऊपर झूला कसने के कारण दिलिया को ऊपर खींच रहा था.

फिर दिलिया बोली- अब तुम भी घूमो.
मैं जैसे दिलिया घूमी थी, उसका उल्टा घूमने लगा. जब दोनों के झूले पूरे कस गए तो हम दोनों बिस्तर से ऊपर हो हवा में लटक गए.

तब दिलिया ने खुद को ढीला छोड़ दिया और मुझे बोली- मुझे ढीला छोड़ दो!
और उसने पैर भी ऊपर उठा लिए. झूले के दबाव के कारण दिलिया उलटी घूमने लगी और हम दोनों बेतहाशा चिल्लाने लगे. दोनों के बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैंने भी खुद को ढीला छोड़ पैर ऊपर उठा दिए मैं भी उल्टा घूमने लगा. झूला ऐसे कई बार घूमा और हम भी घूमे. हमारी हालत ख़राब थी. फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.
मैंने दिलिया की चूत अपने वीर्य से भर दी. मैं दिलिया की जीभ चूसने लगा और मेरी दुल्हन दिलिया की चूत मेरे लण्ड का रस निचोड़ती रही. सच में … बता नहीं सकता कि हमें कितना मजा आया.

हम दोनों झूले से नीचे उतरे तो मेरा लण्ड अभी भी अकड़ा हुआ था और दिलिया निढाल पड़ी थी. मैंने दिलिया को सहलाया उसका निचला ओंठ चूसा तो दिलिया की चुत का छेद वापस सिकुड़ गया था.

मेरे लण्ड पर कई नील पड़ गए थे. दिलिया ने मेरे लण्ड पर पड़े हरेक नील तो चूमा, फिर प्यार से सहलाते हुए और मैंने दिलिया के लिप्स पर किस किया और कहा- आय लव यू आपा … आपको चोद कर मैं धन्य हो गया!
दिलिया निढाल होकर लेट गयी, मैं उसको प्यार से सहलाने लगा और किस करने लगा और बोला- दिलिया, क्या तुमको मजा आया? दर्द तो नहीं हुआ?
वो बोली- बहुत मजा आया.

मेरी आपा जो अब मेरी दुल्हन थी, उसकी चूत बुरी तरह से सूज चुकी थी लेकिन मेरा लण्ड तना हुआ खड़ा था.
दिलिया लण्ड को खड़ा देख शर्मा कर सिकुड़ गयी और मुझसे लिपट गयी और बोली- मुझे और चोदो!

फिर मेरे हाथ दिलिया के बड़े बूब्स के ऊपर चले गए. वो सिसकारियाँ भर रही थी और एकदम मादक आवाजों से मुझे भी मोहित कर रही थी. दिलिया के बूब्स एकदम मोटे थे और उसके निपल्स एकदम कस गए थे. वो गहरी साँसें ले के अपने पेट को हिला रही थी.

तभी दरवाजा खटखटाया गया और मेरी पहली बेगम सारा अंदर आयी. सारा दिलिया से लिपट गयी और बोली- आपा, आप तो सबसे कमाल हो. आपने तो जबरदस्त नया पोज़ निकाला है.
और मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली- अब मुझे भी चोदो!

मैंने सारा के कपड़े निकाल दिए और उसे किस करने लगा. मैंने सारा के हर अंग को चूमा और फिट पेट के बल लेटा दिया पीठ को चूमा और चाटा. मैंने सारा के मांसल गोरे चूतड़ों की जम कर जीभ से चटाई की और दांत से हल्के हल्के काटा भी.

सारा मस्त हो गयी, उसकी चुत पूरी गीली थी. वह मेरी और दिलिया की मस्त चुदाई देख कर कई बार झड़ चुकी थी.

मैंने उसके मोमे दबाये, चूचियों को चूसा और सारा की चुत में उंगली करने लगा. वह ‘ऊऊह आआह्ह …’ करने लगी, उसे फिंगर सेक्स का मजा देने के बाद मैंने सोचा कि अब उसकी चूत में लंड डालने का सही टाइम हो गया है.
मैंने उसके बूब्स को दबाये और उसके निपल्स को अपनी जीभ से हिलाने लगा. फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया और अपना टनटनाया हुआ लंड उसकी चूत में पीछे से डालकर चोदना शुरू किया. सारा भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी. उसका चिल्लाना एकदम बंद हो गया.

मैं उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा। मैं पीछे से उनके मोमों को पकड़ कर दबाता रहा और चूचुक मसलता रहा. जब मैं उनके मोमे दबाता था और फिर सारा को लिप किस करता तो इससे मेरा लण्ड अंदर बाहर जाता रहा. करीब बीस मिनट तक लगातार उसको उस पोज़िशन में चोदा.

सारा की हालत बुरी थी, मेरे साथ चुदने में वो भी दो बार झड़ गई थी और आज उसे चुदाई का अलग ही आनंद और संतोष मिला था.
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने सारा की चूत अपने वीर्य से भर दी.

फिर कुछ देर आराम करने के बाद मैं दिलिया की जीभ चूसने लगा. मेरा लंड फिर कड़क हो गया. मैं दिलिया की चूत में लण्ड डाल दिया और लिप किश करते हुए चोदने लगा. उसकी चुत बंद होती रही और खुलती रही और वो मेरे लण्ड का रस निचोड़ती रही.

मैंने कस कस के झटके दिए और मेरे लंड का एक एक बूंद वीर्य मैंने दिलिया की चूत के अन्दर भर दिया. दिलिया की चूत का पानी भी धार मार गया. हम दोनों के पानी के मिलने से दिलिया के चेहरे पर एक अजीब सा सकून था.

दिलिया को खुश देख के मुझे भी बड़ी ख़ुशी हुई. लेकिन मेरे लण्ड अब बैठ नहीं रहा था और नील गहरे हो गए थे.

तभी सारा बोली- मुझे भी दिलिया की तरह चुदना है.
और दिलिया की तरह झूले पर चढ़ गयी और मुझे नीचे लिटा कर ऊपर आ गयी फिर गोल घूमी … फिर हम दोनों घूमते रहे और झड़ गए.
मेरे लण्ड पे नील और गहरे हो गए और लण्ड दुखने लगा परन्तु झड़ने के बाद भी बैठा नहीं.

मैंने सारा को अपनी बाहों में ले लिया और उनकी चूत से बिना लंड को निकाले ऐसे ही लेटा रहा और तीनों चिपट कर सो गये.

कहानी आगे जारी रहेगी
आपका आमिर
दोस्तों, आप अपने विचार मेरी ईमेल [email protected] पर दें.

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