टीवी देखते हुए चूत में उंगली
(TV Dekte Hue Choot Mein Ungli)
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ते हुऐ मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपनी कोई कहानी भेजूँ, हालांकि मेरी हिन्दी अच्छी नहीं है।
यह मेरी पहली कहानी है, अगर कहानी में कोई त्रुटि हो तो मुझे माफ कर देना।
सर्वप्रथम मैं आपको अपना परिचय दे दूँ। मैं सामान्य परिवार का एक लड़का हूँ मेरा नाम अमित दुबे है। मैं 25 साल का हूँ और मैं एक शासकीय सेवा में हूँ।
मैं दिखने में गोरा हूँ और आकर्षक हूँ, कई लड़कियाँ तो मुझ से बस ट्रेन में ही पट जाती हैं। मेरा कद 5’6″ है और मेरे लन्ड का नाप 7 इन्च है।
मैं बहुत ही कामुक मिजाज का हूँ और पल में किसी से भी दोस्ती करने का कौशल रखता हूँ।
तो बात है इसी सर्दी के मौसम की.. जब में छुट्टियों में अपने घर गया तो मैंने देखा कि मेरे घर पर एक लड़की बैठी थी, जो करीब 22 या 23 वर्ष की रही होगी।
मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया। वह बहुत ही मस्त थी और उसके उरोज निम्बू के आकार के छोटे-छोटे, पर बहुत ही मस्त थे।
वो दुबली-पतली थी, मगर मस्त माल थी और कुछ तो मुझे इसलिए भी मस्त लग रही थी क्योंकि काफी दिन से कोई लड़की हाथ नहीं लगी थी।
वो भी मुझे देखते ही मुस्कुरा दी थी क्योंकि उसके सामने मेरे घर पर मेरी मम्मी और भाभी शायद मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ कर चुके थे।
मेरे घर वाले वैसे भी मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ करते हैं तो उसके मन में भी मुझसे मिलने की उत्सुकता बढ़ गई होगी।
उसने साड़ी पहन रखी थी, थोड़ी देर बाद मुझे पता चला वो हमारे दूर के रिश्तेदार की लड़की ममता है, वो शादीशुदा है और हमारे शहर में किसी कार्यक्रम में आई है।
थोड़ी औपचारिक बातों के बाद सब सामान्य हो गया।
हमारे यहाँ कमरे में एक दीवान लगा है, जिस पर मम्मी, मैं और ममता बैठे थे। उस दीवान के सामने ही टीवी रखी है। उस समय भाभी रसोई में काम कर रही थीं।
शाम के 7 बजे थे, सर्दी कड़ाके की थी।
हम सब रजाई में घुस कर बैठे थे। मेरा शैतानी दिमाग यही सोच रहा था कि कुछ किया जाए, पर कैसे? मम्मी के होने की वजह से मैं कुछ कर भी नहीं सकता था।
इतने में कामदेवता ने मेरी सुनी और भाभी ने मम्मी को सब्जी बनाने को बुला लिया।
मैंने राहत की सांस ली और रजाई के अन्दर अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़ने की कोशिश करने लगा।
मेरा दिल जोर से धड़क रहा था और डर भी लग रहा था, पर आदत से मजबूर था।
मेरा हाथ एक बार उसके हाथ पर टकराया भी, उस समय मेरी और उसकी नजरें टीवी पर ही थीं।
आज टीवी मेरा बहुत साथ दे रही थी मेरा ध्यान तो बस इसमें था कि कैसे भी मैं उसके हाथ को पकडूँ।
मैं कई कहानियों में पढ़ चुका हूँ कि सीधे बात चुदाई पर पहुँच जाती है, पर मेरे हिसाब से ऐसा नहीं होता।
मैंने बहुत हौले-हौले से उसके हाथ पर अपनी एक ऊंगली स्पर्श करते हुए रखी थी। वो भी हाथ नहीं हटा रही थी, तो मुझे लगा कि उसकाभी मन है।
अब आगे कैसे बढ़ता.. कहीं वो भड़क ना जाए..? यह सोच कर मन मारकर एक ही उंगली के स्पर्श का मजा ले रहा था।
फिर मैंने अपना पैर भी उसके पैर पर स्पर्श कर दिया।
अब मुझे दोहरा मजा आ रहा था और वो भी कुछ नहीं कह रही थी। अब मैंने उसकी उंगली पकड़ कर दबा दी।
मैं बहुत डर गया जब वो हल्का सा दूर को सरक गई।
मैंने डर कर उंगली छोड़ दी पर मैंने महसूस किया कि उसने हाथ नहीं हटाया था।
मुझे बहुत खुशी हुई.. मैं कई लड़कियों को चोद चुका हूँ, पर वो ऊंगली पकड़ने का मजा ही कुछ अलग था। बोलते हैं ना.. मुफ्त में मिली मलाई कौन छोड़ता है।
मेरा पैर अब भी उसके पैर पर लग रहा था।
मैं इतना भी चूतिया नहीं था कि उसके हाथ नहीं हटाने का मतलब नहीं समझता। मैंने उसका पूरा हाथ पकड़ लिया और सहलाने लगा।
हम दोनों की नजरें अब भी टीवी पर टिकी थीं।
मेरी हिम्मत अब बढ़ गई और मैंने पैर को उसके पैरों पर फेरा और हाथ से उसके हाथ और उंगलियों को सहलाता रहा।
मैंने अचानक उसका हाथ छोड़ा और उस हाथ से उसका एक उरोज मसल दिया, वो तड़प उठी ‘उई…’
वो चिल्लाते-चिल्लाते रूकी.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, पर अब मैं कहाँ मानने वाला था, फिर भी मेरे ऊंगलियाँ उसके उरोजों को सहलाती रहीं।
अब मैंने दूसरे हाथ से उसके उस हाथ को पकड़ कर अलग किया और एक हाथ से उसका दूध जोर से मसल दिया, वो हल्का सा ‘सी.. सी’ करने लगी।
मेरी यही आदत है एक बार लड़की पटने के बाद छोड़ता नहीं हूँ। अब उसकी नजर टीवी पर और मेरी नजर रसोई की ओर थी।
मेरे एक हाथ में उसका हाथ और दूसरे हाथ में उसके मस्त चीकू थे, उसके बोबे छोटे थे पर मस्त थे।
मैं अब अपनी औकात पर आ गया था। मैंने उसके चूचियों को खींचते हुऐ उसे अपने पास को किया और उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा।
मेरा ध्यान लगातार रसोई की तरफ था और मैं उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसके चूचुकों को खींच रहा था।
मुझे उसके चिल्लाने और सिसकारियों की भी परवाह नहीं थी क्योंकि हमारा रसोई पीछे थोड़ा दूर को था और मेरी नजर भी उसी तरफ थी।
मैंने अच्छे से उसके होंठों को चूसा, एक-दो बार काटा भी और जो हाथ मैंने उसका पकड़ रखा था, उसे भी मैंने जोर से दबा रखा था।
वो भी मजे ले रही थी, पर इतने में मम्मी आ गईं और मुझे उसे ना चाहते हुऐ भी छोड़ना पड़ा।
मैंने सोचा अब क्या करूँ? मैं उठ कर गुसलखाने में गया और वहाँ थोड़ी देर अपना लण्ड हिलाया, पांच मिनट हुऐ होंगे और मुझे किसी के आने की आहट हुई।
मैंने अपना पजामा ठीक किया और बाहर देखा तो वही थी। मैंने उसे लपक कर पकड़ लिया और चूमने लगा।
उसके उरोजों को कसके मसला, वो ‘उई मा… मर गई’ बोल पड़ी।
उसने बोला- छोड़ दो.. कोई मेरी आवाज सुन लेगा.. मैं शादीशुदा हूँ।
मैंने कहा- मैं कहाँ तुझसे शादी करना चाहता हूँ, पर अब तू मेरे शहर में मेरे घर आई है, तो तुझे बिना चोदे नहीं जाने दूँगा।
बोली- कुछ भी नहीं करने दूँगी.. बाहर जाने दो.. किसी को शक हो जाएगा।
मैंने कहा- मैं जब तक इशारा ना करूँ रात को दीवान से उतरना मत.. नहीं तो तू तो गई.. समझी..!
उसने मुस्कुरा कर ‘हाँ’ की और वो बाथरूम में दरवाजा बन्द करके मूतने लगी, पर उसके मूतने की सीटी की आवाज मुझे आई, फिर मैं उसके निकलने से पहले बाहर आकर दीवान पर बैठ गया।
फिर हम सबने खाना खाया, पापा भी आ चुके थे.. खाने के बाद दीवान के नीचे बिस्तर लग गया था।
पापा नीचे बिस्तर पर बैठ कर टीवी देख रहे थे। मम्मी, में और वो, वहीं दीवान पर रजाई में बैठे थे। वह बीच में बैठी थी और उसका हाथ मेरे हाथ में था।
मम्मी को सोना था तो मम्मी बोलीं- ममता, तू भाभी के कमरे में जाकर सो जाना, जब तक टीवी देखनी है देख।
मम्मी नीचे लगे बिस्तर पर लेट गईं पापा भी थके होने के कारण सो गए।
मैं मम्मी की नजर बचा कर रजाई के अन्दर उसके उरोज मसलने लगा।
मैं बेखौफ उसकी चूचियों को मसल रहा था, उसने जब दो-तीन बार मुझे रोकने की कोशिश की पर मैं नहीं माना तो वो लेट गई और मम्मी की तरफ मुँह करके मम्मी से बात करने लगी।
मैं उसके पैरों की तरफ बैठा था और वो पैर सिकोड़ कर मम्मी की तरफ मुँह करके लेटी थी। अब तक मैं बहुत गर्म हो गया था तो मैंने उसकी साड़ी में हाथ घुसेड़ दिया और उसके घाघरे के अन्दर उसकी जांघ सहलाने लगा।
उसने मेरा हाथ रोकने के लिए पकड़ लिया। मैं थोड़ी देर रूक गया।
फिर मम्मी ने उससे कु़छ पूछा और वो जवाब देने के चक्कर में उसने मेरा हाथ छोड़ दिया।
मैंने बिना देर किए हाथ आगे बढ़ा दिया।
उसने अन्दर चड्डी नहीं पहन रखी है और मेरा हाथ उसकी चूत पर पहुँच गया।
उसकी चूत पर हल्के-हल्के से बाल थे। अब वो मेरा हाथ हटा भी नहीं सकती थी वरना मम्मी को शक हो जाता इसलिये वो मुँह टीवी की तरफ करके टीवी देखने लगी।
मैं चूत पर हाथ लगा कर मौके का इन्तजार करता रहा। फिर मम्मी ने उससे कुछ पूछा और जैसे ही उसने जवाब देने के लिये मुँह उधर किया मैंने एक उंगली पूरी अन्दर पेल दी, पर वो कुछ नहीं कर सकती थी।।
मम्मी को जवाब देकर वो फिर टीवी देखने लगी। मैं उंगली को अन्दर चलाने लगा और उसके चेहरे पर मस्ती और दर्द के भाव दिखने लगे।
मैंने जोर-जोर से उंगली अन्दर-बाहर की, वो भी मस्ती लेती रही।
हमारी नजरें टीवी पर टिकी थीं।
अब तक मम्मी-पापा दोनों सो चुके थे, फिर मैंने दो उंगली उसकी चूत में मिला कर घुसेड़ दीं, दर्द के मारे उसने बिस्तर को कस कर पकड़ लिया।
अगर कोई कुंवारी लड़की होती तो चिल्ला देती, पर वो सह गई।
मैं उंगली अन्दर-बाहर करता रहा और उसका पानी जब तक नहीं निकला, मैंने उसे छोड़ा नहीं।
मैंने फिर उसका रस मैंने उसी की साड़ी से साफ किया और उससे कहा- अभी बाथरूम में आ जा… और नहीं आई तो वापस आ कर तेरी फाड़ दूँगा।
मैं बाथरूम में चला गया।
मुझे नहीं पता या तो वो डर कर या उत्तेजना के कारण बाथरूम की तरफ आ गई। सर्दी के कारण सब सो चुके थे, हमारा बाथरूम अच्छा बड़ा है, तो मैंने उसे हाथ पकड़ कर अन्दर ले लिया।
वो बोली- मुझे छोड़ दो.. कोई आ जाएगा।
मैंने कहा- तेरा पानी तो मैंने निकाल दिया… मेरा कौन निकालेगा.. कोई नहीं आएगा.. मम्मी-पापा सोचेगें कि तू भाभी के कमरे में है और भाभी सोचेगी तू टीवी देख रही है और अब ज्यादा नखरे मत कर वरना यहीं चोदूँगा तुझे फिर कोई आए या न आए मुझे परवाह नहीं है।
ऐसा बोल कर मैं उसके होंठ चूसने लगा और उरोज दबाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना पजामा और चड्डी नीचे करके उससे कहा- ले मेरा लण्ड चूस।
वो मना करने लगी, तो मैंने कहा- चुपचाप चूस ले.. वरना यहीं बाथरूम में ही बहुत चोदूँगा रात भर नहीं छोडूँगा तुझे..
वो डरी सहमी सी मेरा लण्ड चूसने लगी, मैं उसके मुँह को ही चूत समझ कर चोदने लगा।
फिर पांच-दस मिनट में मेरा पानी निकल गया और मैंने सारा पानी उसे पिला दिया, बचा-खुचा उसके मुँह पर चुपड़ दिया।
वो बोली- अब तो छोड़ दो.. मैंने आज तक अपने पति का भी नहीं चूसा.. आपका चूस लिया, अब मुझे जाने दो।
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मैंने कहा- एहसान किया क्या?
फिर मैंने उससे कहा- कल मैं तुझे चोदूँगा और हो सकेगा तो गांड भी मारूँगा.. चुपचाप चुदवा और मरवा लेना.. वरना तू तो गई।
उसने इतरा कर मना किया- मैं कुछ नहीं करवाऊँगी।
मैंने कहा- कैसे नहीं करवाएगी.. अभी तो जा के सो जा.. पर कल तैयार रहना वरना तू तो गई समझ.. इतना करवाने के बाद नखरे मत कर.. नहीं तो अभी ही निपटा दूँगा।
फिर वो मुस्कुराते हुए चुपचाप जा कर सो गई और मैं दूसरे दिन की योजना बनाने लगा।
दोस्तो, मैंने उस ममता की चुदाई भी की, एक बार फंसी लड़की को कैसे छोड़ता, ये किस्सा भी सुनाऊँगा.. पर अगली कहानी में.. जब तक इन्तजार करें.. ममता की मूसलाधार चुदाई वाली कहानी का।
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