हवस के रिश्ते नहीं होते

(Havas Ke Rishte Nahi Hote)

कमल किशोर 2015-12-30 Comments

नमस्कार दोस्तो.. मैं यह अपनी हवस की पहली कहानी लिखने जा रहा हूँ.. जो कहानी ना होकर मेरी सच्चाई है, यह एक ऐसी सच्चाई है.. जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।

मैं श्री गंगानगर राजस्थान का रहने वाला हूँ, अभी मेरी उम्र 26 साल है। यह घटना एक साल पहले की है.. जिसमें मैंने अपनी भांजी को पटाया। उसकी उमर उस समय 19 साल थी वह जयपुर आगे की पढ़ाई पढ़ने के लिए गई हुई थी। मैं उस समय जयपुर में एमबीए की तैयारी कर रहा था। मेरी भांजी का नाम उर्वशी है।
उसे उसके उस स्कूल में मुझसे मिलने से कोई रोक-टोक नहीं थी। हमारी उम्र में ज्यादा फर्क ना होने के कारण वह मुझे मामू कहा करती थी।

उसका फिगर बहुत अच्छा तो न था.. पर बहुत ही आकर्षक था। उसकी लंबाई 5’5″ है, वह बिल्कुल पतली सी लड़की थी.. उसके स्तन भी छोटे थे। रंग हल्का सा सांवला सा था.. पर ऐसा था कि किसी को भी अपने आकर्षण में बाँध सकती थी। जो भी उसको देखता.. उसका लण्ड खड़ा हो सकता था।

उसको मोबाइल मैंने ही ले कर दिया था वह मोबाइल मल्टीमीडिया वाला नहीं था.. हम लोग मैसेज से चैट किया करते थे। धीरे-धीरे हम दोनों खुलने लगे और एक-दूसरे के अंतरंग दोस्त बनते चले गए। अभी हम दोनों सेक्स के विषय पर तो बात नहीं करते थे.. पर किस और हग तक बात कर लिया करते थे।

इसी तरह मैं उसे बार-बार डार्लिंग लिख दिया करता था। वह भी जवाब में डार्लिंग लिख देती थी। फिर मैंने उसे ‘आई लव यू’ लिखना शुरू कर दिया.. तो उसने भी एक बार जो ‘आई लव यू’ लिख दिया तो मेरा रास्ता खुल गया था।

फिर मैंने उसे ‘आई हग यू’ लिखा और उसके बाद ‘आई किस यू’ भी लिखा पर उसने जवाब नहीं दिया.. ना ही वह नाराजगी दिखाई।
उसने कहा- यह सब हमारे बीच ठीक नहीं है.. हमारा रिश्ता मामा-भांजी का है।
फिर धीरे-धीरे हम लोग सामान्य हो गए।

एक बार दिसंबर की छुट्टियाँ होने वाली थीं.. तो मेरे जीजा जी ने बोला- उर्वशी को घर आना है इसे तू साथ में ले आना।
मैं मान गया।

अगले दिन मैंने बस में स्लीपर की रिजर्वेशन करवा ली, हम अपनी बर्थ में जा बैठे और पर्दे लगा लिए थे। उसने टाइट जींस और व्हाइट टॉप पहना हुआ था। वो कयामत लग रही थी।

ठीक आठ बजे बस चल पड़ी। बस चलते ही कंडक्टर और बस के लोग बार-बार आ रहे थे.. जो किसी ना किसी बहाने से पर्दा हिला देते और अन्दर देखते। शायद उनकी नियत डोल गई थी। मैं भी यह सब समझ रहा था।

मैंने रजाई निकाली और हम दोनों ने ओढ़ ली। वह एक तरफ को पीठ टिका कर बैठी थी और मैं दूसरी तरफ बैठा था। रजाई में मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था, मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें हग करना चाहता हूँ।

उसने ‘हाँ’ तो नहीं की.. पर मना भी नहीं किया। मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसका चेहरा पकड़ कर उसके लबों पर अपने लब रखने ही वाला था कि उसने रोक दिया।
वह बोली- यह सब गलत है।
मैंने कहा- ठीक है.. पर हग तो कर ही सकता हूँ..
और मैंने उसे अपनी बाँहों में कैद कर लिया।

वह भी मुझे अपनी बाँहों में जकड़े हुए थी। इसके बाद मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर और कान के नीचे ले जाकर किस करनी शुरू कर दी। कुछ समय ऐसा करने के बाद उसके हाथ मेरे बालों में फिरना शुरू हो गए थे।

मैं समझ गया था कि वह गर्म हो गई है तभी मुझे लगा कि बस का कंडक्टर आ रहा है.. तो मैं सीधा लेट गया। बस के कंडक्टर ने पर्दा हिलाया.. तो इस बार मैंने उसे डांट दिया और ऑफिस में शिकायत करने की धमकी दी। वह कुछ नहीं बोला और चला गया।

इसके बाद हम फिर शुरू हो गए। अब मैंने उसके होंठों का चुम्बन लिया.. तो उसने मना नहीं किया.. बल्कि अब वो मेरा साथ देने लगी। मैंने उसका टॉप ऊपर को कर दिया और उसके स्तनों को चूसने लगा, ब्रा तो उसने पहले ही नहीं पहनी थी, मैं उसके स्तन जोर-जोर से चूस रहा था.. नींबू के आकार के बहुत ही छोटे स्तन थे.. पर एकदम कड़े थे।

मैंने एक हाथ से उसके एक स्तन को मींजना शुरू किया और दूसरे स्तन को मुँह में ले लिया। अब उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
फिर उसने धीरे से मेरे कान में कहा- यहाँ पर कोई भी देख सकता है.. यहाँ ये सब सुरक्षित नहीं होगा..

फिर हम दोनों सोने की कोशिश करने लगे.. पर नींद नहीं आ रही थी। जब भी बस रुकती हम दोनों सीधे होकर सो जाते रहे.. और जैसे ही बस चलती.. तो हम एक-दूसरे के आगोश में खो जाते।

ऐसा करते-करते सुबह हो चली थी और हम अपने घर को आ गए थे। फिर मैंने अपने जीजा जी को फोन किया- उर्वशी अभी आपके पास नहीं आएगी.. वह कुछ दिन हमारे घर ही रहेगी।
उन्होंने हामी भर दी।

अब हम दोनों खुश हो गए थे। अब जब भी मौका मिलता तो हम एक-दूसरे की बाँहों में आ जाते। एक-दूसरे को स्मूच करते.. एक-दूसरे के मुँह में जीभ को डालते.. पर जब तक मेरे मम्मी-पापा घर पर हैं.. तब तक यह मुमकिन नहीं था कि इससे और आगे बढ़ें।

अब हम दिन भर कुछ न कुछ मस्ती करते और रात को मैं अपने कमरे में और वह अपनी नानी के साथ यानि कि मेरी मम्मी के साथ उनके कमरे में सो जाती।

बस हम मैसेज से चैट किया करते थे। तीन-चार दिन निकल जाने के बाद अचानक ही मेरी मम्मी का ब्लडप्रेशर कम हो जाने की वजह से चक्कर आने शुरू हो गए। मैं और पापा उन्हें जल्दी से जल्दी कार में हॉस्पिटल ले गए।

डॉक्टर ने उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कर लिया, डॉक्टर बोला- कोई भी चिंता की बात नहीं है.. कमजोरी की वजह से ऐसा हो गया।
उसने इलाज शुरू कर दिया।

पापा ने मुझे जल्दी से घर जाने को बोला क्योंकि उर्वशी घर पर अकेली थी। मेरे तो मानो पर निकल आए थे।
मैं घर पहुँचा.. आते ही उर्वशी ने पूछा- नानी जी कैसी हैं?
तो मैंने बताया- सब ठीक है.. रात भर वहीं रहेंगी।

उसके बाद हम दोनों बेडरूम में चले गए और मैंने उसे जाते ही दबोच लिया। हम पागलों की तरह एक-दूसरे को चूम रहे थे। मैंने उसकी लोवर और टी-शर्ट निकाल दी, उसके बाद खुद भी नंगा हो गया।
हमने कम्बल ऊपर ले रखा था.. क्योंकि ठंड बहुत थी।

फिर मैंने हीटर ऑन किया, अब कमरे की और हमारी गर्मी बढ़ती जा रही थी। हम दोनों बिल्कुल नग्न हो गए थे और एक-दूसरे को नाम लेकर बुला रहे थे।
अब मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया। सबसे पहले मैंने उसके पैरों को चुना और धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता चला गया। वह बहुत जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी। फिर मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया।
वो ‘आह्ह…’ कर रही थी।

इसके बाद मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। वह मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी.. मैं उसकी योनि को चूस रहा था। वह अपनी योनि में मेरा मुँह दबा रही थी। इसके बाद हम 69 की पोजीशन में आ गए.. पर उसने मेरा लण्ड मुँह में नहीं लिया और कहने लगी- मुझे यह अच्छा नहीं लगता।

उसकी योनि में से पूरी तरह से पानी निकल रहा था, वो जोर-जोर से ‘आहाह..’ कर रही थी.. उसके मुँह से कामुक आवाजें आ रही थीं।

फिर मैंने उसे सीधा किया.. उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और अपने लिंग को उसकी योनि के द्वार पर टिका दिया। मेरा लिंग उसकी योनि में घुसता चला गया। तब मुझे पता चला कि वह पहले भी चुदाई करवा चुकी थी। उसने मुझे बाद में बताया कि वह अपने ब्वॉयफ्रेण्ड से कई बार शारीरिक संबंध बना चुकी थी।

कुछ देर इस पोजीशन में संभोग क्रिया के बाद उसने कहा- अब मैं ऊपर आऊँगी।
मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया और वह मेरे ऊपर आकर हिलने लगी, उसके छोटे-छोटे नींबू भी मस्त खेल रहे थे।

कुछ देर के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी गर्मी चढ़ चुकी थी।
तभी वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गई, उसका पानी निकल गया था।

अब मेरी बारी थी। मैंने उसे पलंग के किनारे पर खींच कर उसके पैरों को नीचे लटकाया और खुद नीचे खड़ा होकर उसकी योनि में अपना लिंग फिर से घुसेड़ दिया, वह अपनी दोनों मुट्ठियों में चादर को खींचे हुई थी, कुछ तेज झटके लगाने के बाद मैं भी झड़ गया।

उस रात में हम दोनों ने तीन बार संभोग किया।

अगले दिन मम्मी को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई थी।
उर्वशी अपने घर चली गई।

दोस्तो, आपको मेरी हवस की कहानी कैसी लगी, जरूर मेल करना।
[email protected]

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