फ़ौज़ी अंकल
प्रेषक : शक्ति कपूर
मैं उस समय लगभग अट्ठारह साल की थी, तब का यह किस्सा है। मेरे माता-पिता किसी की शादी में बाहर गए हुए थे।
उस दिन मैं एक सेक्सी प्रोग्राम टीवी पर देख रही थी। उसमें एक लड़का लेटा था तथा एक लड़की उसके पास बैठ कर उसके बदन से मस्ती कर रही थी। फिर लड़की ने अपना कुरता खोल दिया, अब वो ब्रा में थी। फिर लड़के से उसने अपनी ब्रा का हुक खुलवा लिया। फिर लड़की ने लड़के के कमीज के सारे बटन खोल दिए। अब लड़का उसके स्तनों से खेलने लगा। लड़की को बड़ा मजा आ रहा था, लड़के का लंड भी उठ गया था तथा वो ऊपर को तन गया था। लड़के ने लड़की की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। अब लड़की ने भी लड़के की पैंट के बटन खोल कर उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया।
मैं यह सब देख रही थी तथा बहुत मजा आ रहा था। मेरी भी चूत अभी गीली हो रही थी। मैंने अपनी चूत में अंगुली डाली तो बड़ा मजा आया। मैंने सोचा कि बिस्तर पर लेट कर मजा लूँगी लेकिन इसी वक्त मुझे लगा कि मरे पीछे भी कोई टीवी देख रहा है। मैंने जल्दी से टीवी बंद किया और पीछे देखा। मेरे अंकल जो फौज में काम करते थे, वो भी देख रहे थे। मैं उनको देख कर मुस्करा दी और बिस्तर पर चली गई, मैं नींद का बहाना करने लगी।
आधे घंटे बाद मुझे लगा कि मेरे साथ कोई सोया हुआ है। मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह फौजी अंकल ही होंगे। उन्होंने अपने शरीर को मेरे शरीर से छुआ दिया। मैंने नींद का बहाना जारी रखा। धीरे धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे वक्ष पर रखा। फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने हाथ को फिराने लगे। एक चूची से दूसरी चूची तक धीरे धीरे हाथ फिराते रहे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।
धीरे धीरे वो अपने हाथ को मेरी कमर पर ले गए और फिर वो अपना हाथ मेरी टांगों के बीच में ले गए। उन्होंने मेरी चूत पर अपना हाथ फेरा।
मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।
अब वो मेरी कुर्ती के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगे। वो अपने हाथ मेरी कमर के नीचे डाल कर मेरी कुर्ती की ज़िप तक पहुँचाना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए। मैं धीरे से टेढ़ी हो गई। इसका फायदा उन्होंने उठाया और जल्दी से मेरी कुर्ती की ज़िप खोल दी। इसके बाद उन्होंने मेरी कुर्ती को भी उतार दिया।
मैंने फिर भी नींद का बहाना जारी रखा।
अब मेरी कमर पे सिर्फ ब्रा थी। अंकल मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी चूची को दबाने लगे। अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मेरे तन-बदन में आग लग रही थी।
इसी बीच मेरे हाथ के पास एक कड़क चीज थी, यह अंकल का लंड था। अंकल अपना हाथ मेरे नंगे बदन पर घुमाने लगे, मेरे बदन पर चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया और वो मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगे। उनसे नाड़ा खुला नहीं और उल्टा उलझ गया।
अब मैं सोचने लगी कि क्या किया जाए !
किस तरह नींद में रह कर नाड़े को खोला जाए?
मैंने नींद में ही कहा- दरवाजा खुला न रहे ! नहीं तो बिल्ली आकर सब दूध पी लेगी।अंकल जल्दी से उठ कर दरवाजा बंद करने चले गए. मैंने जल्दी से अपना नाड़ा खोल कर इस तरह थोड़ा सा बांध दिया कि आसानी से खुल सके।
अंकल दरवाज़ा बंद करके आये। थोड़ी देर बाद हाथ फिरा का मेरा नाड़ा भी खोल दिया। अभी सलवार उतारने के लिए मुझे फिर अंकल की मदद करनी जरुरी थी। अंकल ने मेरी सलवार को नीचे खिसकाना चालू किया तो मैं थोड़ा सा ऊपर हो गई ताकि मेरी सलवार आसानी से उतर सके। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अंकल का लंड भी बहुत बड़ा और कड़ा हो गया था जो कि मेरे बदन, जांघ से तथा मेरे हाथ से छू रहा था। अंकल कभी मेरी ब्रा में हाथ डालते तो कभी मेरी पैंटी में !
मैं अब तरपने लगी थी। अब अंकल ने अपने होंट मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और उनको चूमने लगी।
अंकल ने पूछा- यह तुमको अच्छा लग रहा था?
मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा था।
उन्होंने बोला- अब मैं जो करूँगा वो तुम्हें बहुत ज्यादा मजा देगा।
उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। फिर अपनी लुंगी भी खोल दी। उनका लंड एक दम कड़ा और लम्बा था। फिर उन्होंने मुझे पूछा- वैसलीन या घी कहाँ रखा है?
मैंने उनको पूछा- यह क्यों चाहिए?
तब उन्होंने बताया- तुम पहली बार चुदवा रही हो, इसलिए जरुरी है। इससे मेरा लंड तुम्हारी चूत में आराम से घुस जायेगा।
मेरी चूत तथा अपने लंड पर वैसलीन लगा कर वो मेरा चुम्मा लेने लगे तथा जोर जोर से मेरे वक्ष की मालिश करने लगे।
उन्होंने कहा- अब तुम अपने दोनों पांव फ़ैला लो !
मैंने दोनों पांव फ़ैला लिए।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, फिर धीरे धीरे उसे दबाने लगे। मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा था तथा दर्द भी हो रहा था। फिर उन्होंने थोड़ा सा लंड और दबा दिया।
अंकल बोले- घबराओ नहीं ! पहली बार दर्द होता हैं लेकिन इतना मजा आता है कि पूछो मत !
सही था, मैं तो पूरा लंड लेना चाहती थी। थोड़ी सी देर में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मुझे भी दर्द हुआ तथा खून भी निकला लेकिन इतना मजा आया कि पूछो मत।
अब अंकल ऊपर-नीचे होने लगे और मैं भी अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। बहुत ज्यादा मजा आ रहां था…
कुछ मिनट तक ऊपर-नीचे करने के बाद अंकल एकदम अकड़ से गए और इसी बीच मेरे चूत के अन्दर भी जूस निकल गया।
इसके बाद तो अंकल मुझे एक जगह लेकर गए, वहाँ हमने चुदाई का बहुत मजा लिया। लेकिन यह सब अगली कहानी में लिखूंगी।
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