घर की चूतों के छेद -1
(Ghar Ki Chuton Ke Chhed-1)
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दोस्तो.. मैं आज अपनी पारिवारिक कहानी लिख रहा हूँ जो एकदम सच्ची है।
मैं एक बड़े बाप का बेटा हूँ.. मैं बहुत ही हरामी किस्म का लड़का रहा हूँ। ऐसा नहीं है कि मैं शुरू से ही इतना बदमाश लड़का था.. लेकिन क्या है ना.. कि मेरे अन्दर भी एक शैतान छुपा हुआ है.. इस कारण से मैं भी कई बार अपनी वासना पर रोक ना लगाकर भावनाओं में बह जाता हूँ और शायद यही कुछ ऐसे लम्हे होते हैं.. जब इंसान के अच्छे-बुरे की पहचान होती है।
खैर.. मैं क्यों आप सभी को बोर कर रहा हूँ। चलिए आज मैं आप सभी को अपने जीवन में बीते कुछ हसीन पलों को एक कहानी में पिरो कर बताता हूँ। यह सभी घटनाएं मेरे साथ मेरी जवानी की शुरूआत के समय की हैं और मैं सोचता हूँ कि यदि इन परिस्थितियों में जिनमें से होकर मैं गुज़रा हूँ.. यदि आप भी होते.. तो यही सब करते।
यह बात तब की है.. जब मैं लगभग अठारह साल का रहा होऊँगा.. अपने कुछ दोस्तों के साथ-साथ मैं भी गर्मियों की छुट्टियों में नया नया जिम जाने लगा था और कुछ दिनों की मेहनत का असर अब मेरे सीने और गर्दन पर पड़ने लगा था यानि मेरी बॉडी कुछ अलग दिखने लगी थी। इसका नतीजा यह हुआ कि जो भी मुझे कुछ दिनों के बाद मिलता.. वह मुझसे आकर्षित हुए बिना नहीं रहता। ऊपर से मेरी अच्छी हाइट और सूरत में कुदरती भोलापन इस आकर्षण में चार चाँद लगा देते थे।
यह सभी मिलकर मुझे शायद गुडलुकिंग बनाते थे।
वैसे मैं शुरू से ही थोड़ा रिज़र्व किस्म का था.. जिस कारण मैं अधिकतर पर घर में ही रहना ज़्यादा पसंद करता था। घर में वैसे तो किसी चीज़ की कमी नहीं थी। पापा का अपना व्यापार है.. जिसकी तरक्की के लिए वह खूब मेहनत कर रहे हैं। इसलिए वो घर पर कम ही रहते हैं। लेकिन जब भी आते तो हम दोनों भाई बहनों के लिए कुछ ना कुछ महँगी गिफ्ट ज़रूर लाते। मम्मी के अलावा एक बड़ी बहन है जोकि मुझसे दो साल बड़ी है।
हमारी मम्मी एक गृहणी हैं जो ज़्यादा मॉडर्न नहीं हैं.. वे घर में ही रहना ज़्यादा पसंद करती हैं। मतलब मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है.. कोई यह नहीं कह सकता कि यह लेडी इतने बड़े बच्चों की माँ है। मम्मी की उम्र लगभग 38 साल होगी.. लेकिन अभी वह मुश्किल 30 की लगती होंगी। मम्मी और बहन दोनों का ही भरा हुआ बदन है और दोनों के ही सीने पर उभार की अधिकता है। दोनों माँ-बेटी कम बल्कि बहनें ज़्यादा लगती हैं। बाहरी लोग मेरी मम्मी और बहन के सीने पर ही ज़्यादा देखते रहते हैं।
मम्मी को थोड़ा ब्लड-प्रेशर की दिक्कत है.. इस कारण उन्हें ज़्यादा मेहनत या गर्मी सहन नहीं होती। शायद इसी कारण मम्मी घर में थोड़ा कपड़ों के मामले में लापरवाह रहती हैं। मम्मी छोटे और गहरे गले के ब्लाउज पहनना पसंद करती हैं.. जिसमें से मम्मी के मोटे मोटे स्तन देख कर तो बुड्डा भी पागल हो जाए।
मेरी बहन भी टाइट कपड़े ही पहनती है। मैं भी उसकी टाइट टीशर्ट में से झांकते उसके उरोजों को देखता रहता हूँ।
घर में वह मम्मी की तरह ही खुले गले के कपड़े पहनती है। मम्मी तो घर में ब्लाउज और पेटीकोट ही ज़्यादा पहनती हैं.. पुराने हो चुके कॉटन रूबिया के ब्लाउज में से मम्मी के मोटे-मोटे दूध से सफेद मांसल स्तन देख-देख कर मैं पागल होता रहता हूँ।
ऐसे ही मेरी बहन भी घर में स्कर्ट ज़्यादा पहनती है और बड़ी ही लापरवाही से उठती बैठती है। जिस कारण वह भी अपनी जवानी का प्रदर्शन करती रहती है।
मैं इसी जुगाड़ में रहता हूँ कि कैसे भी इनके बदन का मज़ा लूटा जा सके। लेकिन बस दिन-रात देख कर ही मन मसोस कर रह जाता था।
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एक दिन हमारे ही शहर में एक शादी थी और सभी लोग वहाँ गए थे। जो भी वहाँ मुझे देखता मेरी बॉडी की तारीफ किए बिना नहीं रहता।
वहाँ पर मेरी सबसे छोटी बुआ भी आई थी.. जिसने अपनी जवानी में बड़ी रंगरेलिया मनाई थीं और अब शादी के बाद भी एक बार मायके में अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड के साथ पकड़ी गई थीं.. लेकिन वो मामला दबा दिया गया था।
खैर.. आज वह अपने छः माह के बच्चे के साथ कार्यक्रम में आई थी। वहाँ तेज गर्मी के कारण उनका छोटा बच्चा बहुत रो रहा था.. इसलिए मम्मी के कहने पर मैं बुआ को अपने साथ घर ले आया।
बुआ भी बड़ी बिंदास है.. ज़रा भी शर्म संकोच नहीं करती। वहाँ इतनी पब्लिक में गर्मी लगने पर अपने पेटीकोट को उँचा उठाकर पंखे के सामने बैठ गई थी। जब सब उसका मज़ाक उड़ाने लगे.. तो बोली- मेरा पति एक माह से ट्रैनिंग पर गया है और मेरे अन्दर की गर्मी बहुत परेशान कर रही है..
उसकी इस बात पर सब हँस पड़े थे।
मेरे साथ घर आते वक्त भी रास्ते भर वह मुझे जल्दी चलने को कहती रही क्योंकि उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी।
खैर.. घर आते ही बुआ ने सबसे पहले तो कूलर चला कर अपने बच्चे को सुलाया और फिर जब तक मैं ठंडा पानी लाया.. उसने अपनी साड़ी खोल कर एक तरफ फेंक दी और बाथरूम में घुस गई शायद उसे लगा होगा कि मैं कमरे से बाहर हूँ.. इस कारण वह खुले दरवाजे में ही पेशाब करने लगी। मैं पीछे से चुपचाप उसके मोटे-मोटे चूतड़ों के दीदार करता रहा। मूतने से इतनी तेज़ सीटी की आवाज़ आ रही थी और इतनी देर तक कि मानो हफ्ते भर का आज ही मूत रही हो।
जब बुआ पेशाब करके उठी तो पीछे से उसकी चूत का नज़ारा भी हो गया.. जो कि मेरे लिए पहला अनुभव था।
सफेद पैन्टी को अपने चूतड़ पर चढ़ाती हुई वह बाहर आई.. तो मुझे देख कर बड़ी बेशर्मी से बोली- यदि एक पल और रुक जाती तो मेरी चूत ही फट जाती..
उसके मुँह से ‘चूत’ शब्द सुन कर मैं चौंक पड़ा.. लेकिन बुआ अपनी चूत को रगड़ते हुए हँसती रही।
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फिर मुझसे बोली- रात भर सफ़र में नींद ही नहीं आई.. चल यहीं कूलर के सामने सो जाते हैं।
डबलबेड पर बीचों-बीच वह पसर गई… और मुझसे बातें करने लगीं..
लेकिन मेरा सारा ध्यान बुआ के ब्लाउज पर ही था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और उसके दूध से भरे दोनों स्तन ब्लाउज फाड़ बाहर आने को बेताब से हो रहे थे।
उसके निपल्स में से दूध अपने आप बाहर आ रहा था.. जिस कारण उसकी ब्रा भी गीली हो गई थी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. लेकिन वह ताड़ गई और अपने ब्लाउज में हाथ डालकर दोनों मम्मों को खुजलाते हुए बोली- मुझे दूध ज़्यादा आता है.. और मेरा बच्चा इसे पी नहीं पाता.. इस कारण मेरे बोबों में से दूध बह रहा है.. मेरी चूचियाँ दुखने सी लगती हैं।
ऐसा कहते हुए उसने अपने बच्चे को अपने पास खींच लिया और मेरे सामने ही अपने ब्लाउज को एक तरफ से उँचा उठा कर अपने दूध से भरे चूचुकों को बच्चे के मुँह में दे दिया।
उसके मम्मों का आकार देख कर मैं चक्कर में पड़ गया.. उसके मम्मे ऐसे लग रहे थे मानो अभी फट पड़ेंगे।
बुआ के पैर कूलर की हवा के रुख़ की तरफ थे.. जिस कारण हवा के प्रेशर से उसका पेटीकोट घुटनों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और वह बार-बार अपनी चूत को खुज़ाए जा रही थी।
बच्चे के मुँह में अपना दूसरा स्तन देते हुए वह बोली- शायद रात भर बस में बैठे रहने के कारण चूत मे खुजली हो गई है.. साली बड़ी मीठी-मीठी खुजलन सी हो रही है।
उसके मम्मों की चौंचें दूध पिलाने से बड़ी लंबी हो गई थीं.. जिन्हें वह अन्दर भी नहीं कर रही थी। बच्चा बड़े ज़ोर-ज़ोर से दूध चूसते हुए आवाज़ कर रहा था।
तो बोली- यह साला भी अपने बाप पर गया है.. पूरा रस निचोड़ लेता है और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
यूँ ही इधर-उधर की बातें करने के दौरान बोली- तूने किसी गर्लफ्रेंड से चक्कर चलाया कि नहीं.. या यूँ ही हाथ ठेला चला रखा है?
मैं समझ तो गया था पर जानबूझकर सीधा बन रहा था।
बुआ बोली- हमारे समय में तो साले सब लौंडे गंडमरे थे.. कोई साला हिम्मत ही नहीं करता था और आज जब इतनी आज़ादी है तो तुम साले सीधे बनते हो।
कूलर की ठंडी हवा के बीच हल्की-फुल्की बातें करते हुए हम कब सो गए.. पता ही नहीं चला।
शाम को लगभग चार बजे जब मेरी नींद पेशाब के लिए खुली तो मैं बुआ के दोनों मम्मों को देखता ही रह गया।
वे पूरी तरह से वापस दूध से भर गए थे। चूचुकों में से दूध की बूँदें टपक रही थीं और तनाव के कारण उनमें लाल खून की नसें साफ़ दिखाई पड़ने लगी थीं।
दूसरी तरफ बुआ का पेटीकोट भी जाँघों तक चढ़ गया था.. जिसमें मैं बार-बार झुक कर उसकी सफ़ेद पैन्टी को देख रहा था। बुआ की चूत की फाँकों में पैन्टी का आगे का हिस्सा दब सा गया था और साइड से रेशमी सुनहरे बाल दिखाई पड़ रहे थे।
जब मैं पेशाब करके वापस आया.. तब तक शायद आहट से बुआ जाग गई थी.. और झुक कर अपने बैग में से कुछ ढूँढ रही थी, तब उसके बड़े-बड़े बोबे लटकते हुए बड़े सेक्सी लग रहे थे।
मैंने अपना लण्ड सहलाते हुए पूछा तो बोली- मैं चूचियों का पंप ढूँढ रही हूँ.. जिससे कि मेरे बोबों का दूध निकालना पड़ता है। मेरे दोनों बोबे बहुत दुख रहे हैं। इनका दूध नहीं निकाला तो इनमें से खून छलकने लगेगा।
यह सुन कर मैं घबरा सा गया.. लेकिन चूचियों का पंप नहीं मिला.. शायद किसी और बैग में रख दिया होगा।
दोस्तो, शायद मेरे नसीब में मेरे परिवार के छेदों का ही सुख लिखा था।
आप को एक एक घटना बिल्कुल सत्य के आधार पर लिख रहा हूँ मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कहानी आप सभी की अन्तर्वासना को जगाने में पूर्ण रूप से सफल होगी। आप सभी मुझे अपने विचारों से अवश्य अवगत कराएं मुझे ईमेल लिखियेगा.. इन्तजार रहेगा।
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