बहू के तन की प्यास का इलाज- 1
(Desi Bahu Ki Chudai Kahani)
देसी बहू की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी बहू को बच्चा देने के बाद उससे सेक्स की मांग नहीं की. लेकिन एक दिन मैंने नंगी बहू को चूत उंगली करते देखा तो …
हाय फ्रेन्ड्स कैसे हो … आप सभी लोगों का मैं तहे-दिल से शुक्रगुजार हूं कि आप लोगों ने
बहू के साथ शारीरिक सम्बन्ध
सेक्स कहानी को बहुत पसंद किया और मेरी इस काल्पनिक देसी बहू की चुदाई कहानी को बहुत मजे लेकर पढ़ा.
साथ ही मुझे आप लोगों ने इस सेक्स कहानी को आगे बढ़ाने के लिए भी कहा.
आप में से बहुत से पाठकों ने यह सुझाव भी दिया कि जब बच्चा स्कूल जाने लगा है, तो एक बार मुझे और मेरी बहू को भरपूर समय मिला होगा. तब क्या हुआ था, इस देसी बहू की चुदाई कहानी को लिखने के लिए कहा गया.
हालांकि मैं इस समय दूसरी कहानी लिख रहा था, लेकिन जब इस कहानी को आगे बढ़ाने के लिए ढेरों मेल आने लगे, तो मैं इसी सेक्स कहानी को आगे लिखने बैठ गया.
मेरी प्रिय पाठिकाओं की चुत के लिए अपने मस्त लंड खोले हुए पाठको, आप अपनी जिप खोलकर अपना लंड मुठ मारने के लिए बाहर निकाल लो और लम्बे मोटे लंड से चुदने की आस में बैठीं बुर वालियों से दरखास्त है कि वो अपनी पैन्टी को उतारकर चुत में उंगली करने के लिए तैयार हो जाएं.
अब तक की देसी बहू की चुदाई कहानी में आपने पढ़ा था कि मेरी बहू सायरा ने मेरे बीज से एक बच्चे को जन्म दे दिया था. उसके गर्भ से मेरे पोते के जन्म से लेकर उसके स्कूल जाने तक मैं सायरा से अलग ही रहा था.
अब आगे:
जब से मैंने सायरा से दूरी बना ली थी, तब से उसने सजना संवरना लगभग छोड़ दिया था.
वो मेरे पोते राहुल के साथ अपना समय बिताती थी या फिर उसके स्कूल जाने के बाद घर के काम काज को निपटाती रहती.
उसके बाद अपने कमरे में चली जाती थी.
हां एक बात थी, मेरी सेवा और सम्मान में उसने कोई कमी नहीं छोड़ी थी, लेकिन अब उसमें वो उत्साह नहीं था, जो कुछ समय पहले तक था.
इधर मैंने भी एक तरीके से अपने आपको अपने कमरे में बन्द कर रखा था.
कभी-कभी जब मुझे ज्यादा बैचेनी होती थी, तो मुठ मारकर अपना काम चला लिया करता था.
क्योंकि हम दोनों के बीच एक समझौता था कि जब तक सायरा को अपनी जवानी का मजा चाहिये होगा … तब तक मैं उसे मजा दूंगा, लेकिन बच्चे के बाद मैं उसे नहीं छुऊंगा.
बस इसी वजह से मैं सायरा से दूर रहने की कोशिश करता था … और शायद सायरा भी इसीलिए संयम बरत रही थी.
पर उसके होंठों की मुस्कुराहट के गायब होने के कारण और चेहरे की उदासी के कारण मैं अब बेचैन रहने लगा था.
इन्हीं सब वजह से इधर मैं तीन-चार रात से सो भी नहीं पा रहा था.
इसी क्रम में एक रात मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं यूं ही टहलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया.
मेरी नजर सीधा सोनू के कमरे की अर्ध खुली खिड़की से आती हुयी रोशनी पर गयी. मैं दबे पांव उस तरफ चला गया और खिड़की से झांक कर अन्दर देखने लगा.
मेरी नजर सीधा सोनू के बेड पर थी, जिस पर सोनू सायरा की तरफ पीठ किये हुए सो रहा था और राहुल (मेरा पोता) सोनू के सीने से चिपका हुआ सो रहा था.
पर सायरा … वो पूर्ण रूप से नग्न थी और अपनी चूची को दबाते हुए अपनी चूत में उंगली डालकर अन्दर बाहर कर रही थी.
इस समय उसके दोनों पैर सिकुड़े हुए थे. बीच-बीच में सायरा अपनी जीभ को निप्पल पर चलाने की कोशिश कर रही थी.
उसके मुँह से मादक सिसकारी की आवाज भी निकल रही थी.
उसकी यह कामुक सिसकारी मुझे उन सिसकारियों जैसी नहीं लग रही थी, जब वो मेरे लंड से चुदते हुए निकालती थी.
सायरा अपनी चूत से उंगली निकालती उसको चाटती, फिर जीभ को अपने निप्पल पर चलाती और उंगली को एक बार फिर अपनी चूत के अन्दर डाल देती.
सायरा को इस तरह अपनी चूत की आग को शांत करते देखने से मुझे खुद पर ही बहुत गुस्सा आ रहा था कि मेरी वजह से उसी सायरा को आज अपनी चूत की आग बुझाने के लिए उंगली का सहारा लेना पड़ा रहा है, जिसने मेरी इज्जत बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बिना सोचे समझे दांव पर लगा दी थी.
मैं उसकी इस दबी हुई ख्वाहिश को नहीं जान पाया था. मैं नहीं जान पाया था कि आखिर में वो एक औरत ही है … और उसको भी अपनी आग बुझाने के लिए कुछ न कुछ चाहिए.
इधर मेरा लौड़ा उसकी चूत की गर्मी को शांत कर सकता था … मगर इस समय मैं खुद को कैसे कन्ट्रोल कर रहा था, मैं बता नहीं सकता.
मेरा मन तो कर रहा था कि अभी उसके कमरे को खुलवाकर उसकी कामवासना को शांत कर दूं.
पर अपने बेटे के कमरे में इस तरह जाना भी गैर मुनासिब था, इसलिए मैं खिड़की के बाहर खड़ा होकर अन्दर का नजारा देख रहा था.
उसको इस पोजीशन में देख कर मैं बड़ा विचलित हुआ जा रहा था.
अब सायरा की उंगली और तेज-तेज चलने लगी, फिर वो शांत पड़ गयी. फिर उसने अपनी उंगली चाटी और अपनी उखड़ी हुई सांसों को काबू में करने लगी.
उसके बाद वो उठी और चादर को उसने एक बार फिर से करीने से बिछाया.
जिस समय वो अपने बिस्तर को सही कर रही थी, उस समय उसकी गांड मेरी तरफ थी और जांघों के बीच से झांकती हुयी उसकी चूत जैसे मुझे बुला रही थी कि पापाजी आओ … मेरी प्यास बुझा जाओ.
चादर सही करने के बाद वो अपने कमरे से बाहर की तरफ आने लगी.
मैं जल्दी से एक किनारे हो गया.
वो नंगी ही तेजी से बाथरूम में घुसी और शॉवर ऑन करके नहाने लगी.
उसने दरवाजे को बन्द नहीं किया था, इस वजह से उसका पूरा जिस्म दमकता हुआ दिखायी दे रहा था.
मैं तेज कदमों से बाथरूम में घुस गया और सायरा को पीछे से कस कर पकड़ कर उसकी गर्दन पर चुम्बनों की बौछार कर दी.
इससे पहले सायरा कुछ बोलती, मैंने उसको चुप कराते हुए कहा- कुछ मत बोलो सायरा … ये मेरे लिए शर्म की बात है कि तुम्हें मेरे होते हुए अपनी चूत की गर्मी निकालने के लिए उंगली और ठंडे पानी की जरूरत पड़ रही है.
मैं उसकी पीठ और गर्दन पर चुम्बन की बौछार कर रहा था, लेकिन सायरा मुझे रोकते हुए बोली- अभी नहीं पापा, सोनू जाग रहा है.
इतना कहने के बाद वो तेजी से बाथरूम से बाहर निकली और कमरे में घुस गयी.
अपनी सायरा को थोड़ी देर और नंगी देखते रहने की चाहत से एक बार फिर मैं कमरे में झांकने लगा.
इस बार सोनू ने करवट बदली और सायरा से सॉरी बोलने लगा.
सायरा थोड़ा सा खीझते हुए बोली- तुम्हारा तो अब हर रात को सॉरी बोलकर काम चल जाता है. क्योंकि तुम मेरे अन्दर की सैर करो … उससे पहले ही तुम्हारी सब एनर्जी खत्म हो जाती है.
सोनू ने एक बार फिर सॉरी बोला और इधर सायरा ने कमरे की लाइट ऑफ कर दी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया. मैं पूरी रात सायरा के विषय में ही सोचता रहा.
सुबह होते-होते मैंने इतना तय कर लिया कि जब तक मैं जिन्दा हूं, सायरा के जिस्म को इस तरह से परेशान नहीं होने दूंगा.
ठंड के जाते हुए मौसम का महीना था. सायरा अपने प्रतिदिन के काम को करने में लगी हुयी थी.
मैंने वापिस अपने बिस्तर पर लेटकर अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मेरी हल्की सी नींद लग गयी थी, इसलिए जब मेरी नींद खुली … तो 10 बज रहे थे.
बाहर गुनगुनी धूप खिली थी. मैं रसोई में गया और सायरा को पीछे से कसकर पकड़ लिया और उसके गालों पर, गर्दन पर चुम्बन की बौछार करने लगा.
थोड़ा सा कुम्लाहते हुए सायरा बोली- पापा, छोड़िये ना प्लीज … थोड़ी देर रूक जाओ.
“मुझे तुम्हारे इस मखमली जिस्म से निकलती हुयी पसीने की गंध को मेरी सांसों में बसा लेने दो.” ये कहते हुए मैंने सायरा के साड़ी का पल्लू एक गिराते हुए साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया.
फिर पेटीकोट के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को दबाने लगा.
दो चार चुम्बन उसके चूतड़ों पर देने के बाद मैं खड़ा हो गया. मैं उसके ब्लाउज को और ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए उसके उरोजों को कस कस कर भींचने लगा.
सायरा ने भी अपने हाथों को ऊपर उठाकर अपने सिर को मेरे सीने से सटा दिया और मादक सीत्कार के साथ अपने उरोजों और निप्पलों को दबवाने का मजा लेने लगी.
मैं उसके उरोजों और निप्पलों को मींजते हुए उसकी पीठ पर अपनी जीभ फिरा रहा था.
फिर मैंने सायरा को अपनी तरफ किया और उसके दोनों उरोजों को बारी-बारी से मुँह में भरते हुए नीचे की तरफ आने लगा.
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसकी नाभि पर जीभ फिराने लगा.
कुछ देर बाद एक बार फिर से मैं ऊपर हुआ और उसके उरोजों को, जो अब काफी तन चुके थे, बारी-बारी से मुँह में भरकर चूसने लगा.
फिर सायरा के उरोजों के बीच जीभ चलाते हुए वापस नीचे की ओर बढ़ने लगा. सायरा की चूत देखने के लिए मैंने उसकी पैन्टी उतार दी.
पर यह क्या … उसकी चूत को तो जंगल जैसी झांटों से छुपा रखा था. मैं झांटों पर उंगली फिराते हुए बोला- सायरा, ये तुमने इतनी बड़ी-बड़ी झांटें क्यों उगा रखी हैं?
मुझे लग रहा था कि मैंने जिस दिन सायरा को अन्तिम बार चोदा था, उसके बाद से अपनी झांटें नहीं बनाई थीं.
सायरा बोली- पापा, मैं झांटें किसके लिए बनाती. आप तो मुझसे दूर हो गए और …
इतना कहने के बाद सायरा चुप हो गयी. मैं समझ गया था कि आगे जो वो बोलने वाली थी, वो सोनू की नामर्दी के बारे में था.
औरत को अपनी चूत चिकनी तब अच्छी लगती है, जब उसको चूमने वाला कोई हो.
मैंने सायरा को गोदी में उठाते हुए कहा- चल आज तुझे तेरी झांटों के साथ चोदता हूं. फिर तेरी इस चूत का मुंडन करूंगा.
गोदी में आते ही सायरा मेरे होंठ को चूमते हुए बोली- पापा याद है ना आपको, एक बार आप बोले थे कि आप नंगे हो और मैं तौलिया लपेटे हुए हूं और आज मैं नंगी हूं … और आप लुंगी पहने हो.
“मैं मना कहां कर रहा हूँ. मेरी गांठ खोल दे न … मैंने नीचे कुछ नहीं पहना है. मैं भी नंगा हो जाऊंगा.”
सायरा ने लुंगी की गांठ खोल दी और लुंगी मुझसे अलग हो गयी.
मैं सायरा को लेकर अपने कमरे में आ गया और पलंग पर लेटाकर उसकी टांगों के बीच में आ गया.
मैंने अपनी हथेली में थूक लेकर अपने लंड पर लगाया और सायरा की चूत पर भी चिकने के लिए थूक लगा दिया.
अब मैंने लंड को सायरा की चूत पर सैट किया और हल्का सा धक्का से दिया.
काफी समय से सायरा की चूत प्यासी थी, हालांकि उंगली से चुद तो रही थी, लेकिन लंड और उंगली में फर्क तो होता ही है. इसलिए जैसे ही मेरे लंड का टोपा उसकी धधकती हुयी चूत के अन्दर गया, तो सायरा ‘आह … मर गई ..’ करके कराह उठी.
मैं थोड़ा रूक कर उसके मम्मों को पीने लगा. पहले दिन की तरह उसकी चूत टाईट थी.
मैंने फिर हल्का सा धक्का मारा, एक बार फिर आह की आवाज आयी. सायरा ने अपने आपको बिल्कुल ढीला छोड़ दिया और अपनी आंखें बन्द कर लीं.
मैं रूक रूक कर स्ट्रोक लगाता और उसके मुँह से आह की आवाज आती. अब चूत में ढीलापन आ चुका था और आह की जगह हम्म की आवाज आ रही थी.
फिर मैंने सायरा को जकड़ लिया और पलटते हुए उसको अपने ऊपर कर लिया.
इस समय सायरा मेरे ऊपर थी और मुझसे चिपके हुए ही अपनी कमर को उचका-उचका कर मुझे चोद रही थी.
रसखलन होने से पहले तक हम दोनों ही इसी अवस्था में एक-दूसरे को चोद रहे थे.
मैंने अपना सायरा रस सायरा के अन्दर ही डाल दिया था और मेरा लंड उसके रस से सराबोर हो चुका था.
जब लंड ढीला होकर चुत से बाहर निकला, तो सायरा अपनी उंगली चूत पर ले जाने लगी.
मैंने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा- नहीं, ऐसे ही रहने दो और अपने और मेरे लिए चाय बना लाओ. तब तक मेरे लंड तुम्हारे रस को अपने से चिपकाए रहेगा और मेरा रस तुम्हारी चूत को अच्छा लगेगा.
“जी पापा जी!” कहते हुए सायरा उठी और बोली- पापाजी, आपने भी अपनी झांटें बनाना छोड़ दी हैं क्या!
मैंने उसके गालों को चिकोटी काटते हुए कहा- हां मेरी प्यारी बहू. जब इसको प्यार करने वाला कोई नहीं रहा, तो झांटें तो उग ही आएंगी ना … अब जाओ जल्दी से चाय बना लाओ.
सायरा हंसते हुए उठी और अपने चूतड़ों को मटकाते हुए चाय बनाने के लिए रसोई में चली गयी.
मैं भी रसोई के सामने डायनिंग हाल में बैठ गया और सायरा को चाय बनाते हुए देखने लगा. मेरी नजरों का निशाना सायरा के चूतड़ों पर ही था. इस समय उसके चूतड़ बहुत टाईट और उभरे हुए थे.
सायरा चाय बनाकर ले आयी.
हम दोनों ने चाय पी और मैं खड़ा हो गया.
मैंने सायरा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा- सायरा, मैं हगने जा रहा हूं … अगर तू चाहे तो मुझे शौच करा सकती है. अगर कल को मैं बीमार हो गया और बिस्तर से न उठ पाया, तो तुझे दिक्कत नहीं होगी.
“बीमार पड़ें आपके दुश्मन!” कहते हुए सायरा ने मेरे होंठों पर उंगली रख दी- आपसे पहले अगर मैं बीमार पड़ गयी और बिस्तर पकड़ लिया तो!
“तो जा … तू पहले हग ले, मैं तुझे शौच करा देता हूं.” कहते हुए मैं हंसने लगा.
सायरा मेरे सीने में मुक्के बरसाते हुए बोली- आप बड़े गन्दे हो.
मैंने सायरा की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और सीने से चिपकाते हुए कह- हम दोनों तो पति-पत्नी है न. इतना तो हक है ही मेरा कि मेरे दिल में जो बात है, वो बोल ही दूं.
वो मेरे चूतड़ों में हाथ फेरने लगी और साथ ही उंगली को मेरी गांड के अन्दर डालते हुए और मेरी तरफ देखते हुए बोली- वैसे बात आपकी भी सही है कि जब हम लोगों ने हर जगह का मजा लिया है … तो फिर इससे क्या फर्क पड़ता है. आप जाओ फ्रेश होने, जब फ्री हो जाना, तो मुझे बुला लेना, मैं आपको शौच करा दूंगी.
मैंने उसके गाल थपथपाते हुए कहा- हां अब तुमने बिल्कुल सही बात कही.
मैं सायरा को अपने से अलग करके वाशरूम की तरफ जाने लगा, पर मुझे कुछ याद आया, तो मैं रूक गया और पलट कर सायरा को देखने लगा.
मुझे इस तरह देखने से वो मुझसे इशारे से पूछने लगी- अब क्या हुआ?
मैं सायरा के समीप गया और बोला- रूई, कैंची और हेयर रिमूवर लेकर आ जा. पहले मैं तेरी बुर को चिकना करने का इंतजाम कर दूं, फिर हगने जाऊंगा.
सायरा सब सामान ले आयी. मैं पटली ले कर बैठ गया, जबकि सायरा मेरे सामने खड़ी थी. मैंने पहले उसकी झांटों पर काट-काट कर छोटा किया और फिर बाकी बची हुयी झांटों को रिमूवर से अच्छे से कवर कर दिया.
उसके बाद सायरा ने मेरी झांटों को कुतरना शुरू किया और फिर रिमूवर से मेरे भी बची खुची झांटों पर क्रीम मल दी.
उसके बाद मैं फ्रेश होने चला गया. मैंने वाशरूम का दरवाजा बन्द नहीं किया.
करीब 7-8 मिनट बाद सायरा दरवाजे की टेक लेकर खड़ी हो गयी और होंठों को गोल घुमाते हुए बोली- मियां जी, अगर कर लिया हो तो मैं सुच्ची करा दूं.
मैंने गांड धोते हुए कहा- नहीं ठीक है. मैंने धो लिया है.
“ठीक है … आपने अपने आप अपनी गांड को धो लिया, लेकिन मैं तो अब आपसे ही अपनी गांड धुलवाऊंगी!”
मैंने हाथ धोते हुए कहा- मैंने कब मना किया बेगम, जब तू कहेगी, मैं तुरन्त आ जाऊंगा. अच्छा अब चुपचाप इधर आ कर खड़ी हो जा.
हम दोनों अपनी ही रसभरी इन बातों से हंस पड़े.
फिर मैंने उसे अन्दर आने का इशारा करते हुए कहा, तो वो मेरे सामने आ गई.
इसके बाद मैंने अपनी बहू सायरा की गांड और चुत की चुदाई का मजा लिया. मैंने उसकी चुत की झांटों को साफ़ किया और उसने मेरे लंड की झांटों का जंगल साफ़ किया.
दोस्तो, ये बड़ी ही मदमस्त देसी बहू की चुदाई कहानी है. अगले भाग में इसे आगे लिखूंगा. आप मेल करना न भूलें.
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देसी बहू की चुदाई कहानी जारी है.
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