भतीजी की कुंवारी चूत का रस
(Bhatiji Ki Kunvari Chut Ka Ras)
प्रणाम दोस्तो.. मैं अपने जीवन की घटना से अवगत करा रहा हूँ.. परंतु और भी कुछ घटनाएँ ऐसी हैं.. जो मेरे जीवन की घटनाओं में शामिल हैं।
मैंने आप सभी को अपना परिचय पिछली कहानी में बताया ही था.. लेकिन अब और समय ना गंवाते हुए आपको बता दूँ कि यह 2005 की घटना है। मेरे यहाँ मेरे बड़े भाई की लड़की अनीता जैन आई हुई थी.. वो मेरे भाई की बड़ी लड़की थी.. अनीता की उम्र 18 साल रही होगी। वो स्कूल में पढ़ती थी.. उसका रंग थोड़ा सांवला जरूर है.. लेकिन वो बहुत ही सुंदर है।
उसके सीने पर बड़े-बड़े स्तन उभर चुके थे, पीछे बड़े-बड़े गोल कूल्हे बहुत ही सुंदर थे। उसे देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था.. क्या करूँ कुछ भी नहीं सूझ रहा था। मैं उससे बातों-बातों में ही उसके स्तन तथा कूल्हों को स्पर्श कर देता था.. वो हर दिन मुझे बेकाबू कर रही थी।
मैं रात को उठकर उसकी चड्डी निकाल कर उसको सहलाता था तथा उसके ऊपर मेरा लण्ड रख के हिलाता था। दो टाँगों के बीच जिस जगह पर उसकी चूत होती.. उसी जगह पर लण्ड रख देता और मेरा वीर्य गिरा देता था।
फिर मैं उसकी चूत की भीनी-भीनी खुश्बू को मजे से सूँघता था।
उसकी कमसिन अदा मुझे बहुत गरम कर चुकी थी.. वो एक बहुत ही नाज़ुक माल था। उसे चोदना जैसे मेरे लिए बहुत ज़रूरी हो गया था.. लेकिन वो मेरी सग़ी भतीजी थी।
मैं उसे चोदने के लिए बहुत बेकरार हो चुका था।
एक रात बहुत ज़ोर से बारिश आई और मेरा घर छोटा है.. इसीलिए मेरी इच्छा कुदरत ने पूरी कर दी।
बारिश की वजह से मेरी माँ ने कहा- अनीता, आज की रात तू अपने चाचा के साथ में सो जा..
अनीता धीरे से मेरे पलंग पर आकर एक बाजू में सो गई। वो मेरी तरफ पीठ करके सोई.. उस दिन उसने लहंगा और कुर्ती जैसी शर्ट पहना हुआ था। वो पीछे से बहुत सुंदर लग रही थी। उसके बड़े-बड़े कूल्हे और कूल्हों की गहरी दरार मुझे उत्तेजित कर रही थी। मेरी आज इच्छा पूरी होने वाली थी। घर का एकदम कोरा माल मेरे पास था.. इसलिए मेरी आँखों से नींद गायब थी।
रात गहराने लगी और घर के लोग धीरे-धीरे सोने लगे.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी।
तकरीबन रात का एक बज गया होगा तब तक मैं हिम्मत बाँध रहा था और मैं धीरे से उसके पीछे से सट गया।
वाउ.. उसके शरीर की भीनी-भीनी खुश्बू मुझे मदहोश करने लगी..
मैं अपने इस कच्चे माल के पीछे से सट गया.. उसके कूल्हों की नर्माहट मुझे महसूस होने लगी।
मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसके सीने पर रख दिया.. इतना ही मेरे लिए बहुत था। मेरा 6 इंच का लण्ड खड़ा हो गया था। धीरे से हिम्मत करके मैंने उसका एक मम्मे को दबाया.. बहुत ही कठोर स्तन थे।
आज मेरे लिए घर का माल था और मैं धीरे-धीरे उसके संतरे दबाने लगा। सारे लोग सो गए थे.. सिर्फ़ मैं ही जाग रहा था।
अब मैंने उसकी शर्त के बटन खोल दिए.. नीचे उसने कुछ नहीं पहना था। उसके दोनों चूचे आज़ाद हो गए.. और मैंने उत्तेजना में आकर उसके चूचे ज़ोर से दबा दिए।
उसकी सिसकी निकल गई.. मतलब साफ था कि वो भी जाग रही थी।
मेरे लिए अब और भी आसान हो गया था। मैं उसके कूल्हों को सहलाने लगा.. बड़े-बड़े कूल्हों को दबाने में बहुत मज़ा आ रहा था।
अब मैंने धीरे-धीरे उसका लहंगा ऊपर को उठाया.. और उसके कूल्हों के ऊपर उसकी केले जैसे भरी हुई मांसल टाँगें थीं।
मासूम सी कली.. जो मेरे हाथ आई थी.. उसकी छोटी सी चड्डी में उसके कूल्हे बाहर झाँक रहे थे। उसके कूल्हों की इलास्टिक में मैंने हाथ डाल दिया और उसके चिकने चूतड़ों को सहलाने लगा।
मेरा लण्ड ज़ोर-ज़ोर से हिचकोले ले रहा था और बाहर आने के लिए बेकरार था..
मैंने अपनी निक्कर धीरे से पैरों से निकाली.. और उसकी चड्डी की इलास्टिक में हाथ डाल कर उसे भी चूतड़ों से नीचे को सरकाया।
उसने अपने कूल्हों को ऊपर को किया और चड्डी निकालने में मेरी मदद की। अब हम दोनों सिर्फ़ नर-मादा थे.. वो भी नीचे से पूरी नंगी थी।
उसकी रजा जान कर उसे मैंने चित्त लिटा दिया।
अब मेरे सामने चोदने लायक कोमल माल था। मैंने उसका त्रिभुज प्रदेश टटोल कर देखा… उसकी चूत पर घुँघराले बड़े-बड़े बाल उगे हुए थे.. उसकी चूत फूली हुई.. बिकुल गर्म समोसा की तरह लग रही थी।
वो एक मासूम तथा नाज़ुक माल था।
मैं आज बहुत खुश था.. चूत के होंठ बड़े-बड़े थे.. आपस में चिपके हुए थे, उसकी चूत के ऊपर एक बड़ा सा दाना था।
उसकी चूत के होंठों को अलग किया.. तो पाया उसकी चूत से रस निकल रहा था।
मैंने उसका एक पैर मोड़ लिया.. और उसकी नाज़ुक चूत के मुहाने पर लौड़ा रख दिया।
हाय क्या गरम चूत थी उसकी.. आज मेरे घर का माल मेरे हाथ में था। मैंने मुँह से थूक निकाला और उसकी बुर के होंठों को पूरा गीला कर दिया और मेरा सुपारा उसकी मासूम कली के मुँह में लगा कर धीरे से ज़ोर लगाया.. उसकी चूत ने जगह दे दी.. और मेरा आधा सुपारा उसकी चूत में फंसा दिया।
अब लौड़े ने अपनी जगह निशाने पर ले ली थी। मैंने ज़ोर से एक धक्का मारा.. उसकी कराह ‘आह्ह..’ निकल गई।
मेरा आधा लण्ड अनीता की चूत में समा चुका था। वो दर्द से कराहते हुए धीरे से मुझे मना कर रही थी.. मैं जरा रुक गया.. उसके रसीले स्तन सहलाने लगा उसकी चूत तथा उसकी चूत के बालों में उंगली सहलाने लगा.
कच्ची कली की चूत में आधा लण्ड फंस चुका था.. मैं उसका पेट.. नाभि.. स्तन सहलाता रहा और अपने लौड़े को धीरे-धीरे हिलाता भी रहा।
इस तरह मैंने पूरा लण्ड अनीता की चूत में फंसा दिया।
घर के सारे लोग सोए हुए थे और मैं उसकी चूत का उद्घाटन कर चुका था.. उसकी टाइट चूत में मेरा लण्ड जकड़ चुका था.. उसकी चूत का कौमार्य टूट चुका था।
क्या मस्त चूत थी अनीता की..!
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मुझे बहुत मजा मिल रहा था.. मैं उसकी चिकनी रानों तथा चूचों को सहलाता गया और चूत में धक्के मारता गया।
अब मैंने उसको दूसरी तरफ मुँह करके लिटाया.. मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया.. उसके कूल्हों को मेरी तरफ खीच कर बाहर को निकाला। फिर उसके कूल्हों को अलग करके लण्ड को चूत के छेद पर रखकर धक्का मारा.. और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में फिर से फंसा दिया।
मैंने उसका कुरता ऊपर को उठाया.. उसकी पीठ पर अपने अधर रख कर चूमता हुआ उसे पीछे से हचक कर चोदने लगा।
अब उसे भी मज़ा आ रहा था.. वो अकड़ने सी लगी थी.. जिससे अहसास हो रहा था कि शायद वो झड़ चुकी है।
मैंने भी उसके दोनों स्तनों को पकड़ कर आख़िरी धक्के मारे और ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में गिरा दिया।
आज मैंने अपनी इच्छा पूरी की.. और रात में फिर एक राउंड मारने वाला था.. लेकिन उसने मना किया।
अब अनीता मेरे लौड़े का स्वाद चख चुकी थी तो कोई चिंता की बात नहीं थी वो जब चाहे मुझे हासिल होने वाला माल बन चुकी थी।
अपनी बात मुझे ज़रूर लिखें.. इंतजार रहेगा।
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