कुंवारी चूत चुदाई का आनन्दमयी खेल-1

Bhanji Ki Kunvari Choot Chudai ka Khel-1
चुदाई तो मैं पहले भी कई लड़कियों की कर चुका हूँ पर दोस्तों कुंवारी चूत को चोदने का मजा कुछ और होता है।

जब मैंने अपनी भाँजी श्रेया की कुंवारी चूत को चोदा तो पिछली सारी चुदाई भूल गया।

मुझसे बड़ी मेरी चार बहनें हैं।

श्रेया मेरी सबसे बड़ी दीदी की लड़की है।

वो मुझे 7-8 साल छोटी है।

जब मैंने उसे चोदा था तब उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा नहीं रही होगी।

पर इस उम्र में ही वो बड़ी-बड़ी लड़कियों को मात देने लगी थी।

गजब की खूबसूरती पाई थी।

उसके सीने पर उसकी चूचियाँ बड़े-बड़े नागपुरी सन्तरों के जैसी तनी रहती थीं।

उसकी फिगर 34:24:34 की थी जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी।

बात तब ही है जब मेरे जीजा जी की तबियत खराब हो गई थी।

मुझे मम्मी को लेकर उनके घर जाना पड़ा।
मेरा मन तो नहीं था, पर जाना पड़ा।
सोचा था कि मम्मी को छोड़ कर दूसरे ही दिन वापस आ जाऊँगा, पर वहाँ तो कहानी कुछ और ही हो गई।

एक दिन के बजाय एक महीना रूक कर आया वो भी तब आया, जब पिता जी ने फोन करके बुलाया।

दरअसल जिस दिन गया, उसी दिन रात श्रेया की कुंवारी चूत हाथ लग गई।

फिर भला आने का क्या मन करता।

उस दिन शाम को हल्का-हल्का अन्धेरा हो चला था।

जिस कमरे में जीजा जी सोये थे, मोहल्ले की कुछ औरतें उन्हें देखने आई थीं।

मम्मी और दीदी उनके साथ बात कर रही थीं।

मैं भी वहीं दूसरी चारपाई पर रजाई ओढ़े आधा अन्दर आधा बाहर लेटा था।

बिजली थी नहीं.. श्रेया थोड़ी देर बाद एक मोमबत्ती जला कर लाई, जिससे थोड़ा बहुत उजाला हो गया था।

वो उसे टेबल के ऊपर रख कर मेरी ही रजाई में आ कर अपना पैर डाल कर बैठ गई और औरतों की बातें सुनने लगी।

श्रेया कुछ इस तरह से बैठी थी कि उसकी तनी हुई दोनों चूचियाँ मेरी नजर के सामने थीं।
जिन्हें देख कर मेरा लण्ड अपना नियन्त्रण खोने लगा था।

मैं अन्धेरे का पूरा फायदा उठाते हुए उसकी ऊचाईयों को अपनी आँखों से नाप रहा था।

थोड़ी देर में ही श्रेया ने अपना पैर कुछ इस तरह से फैलाया कि उसका पैर मेरे पैर से टकराने लगा।

उसके कोमल चिकने पैरों के स्पर्श ने मेरी भावनाओं को और भड़काने वाला काम किया।

मैंने उसे आजमाने के लिए अपने पैरों को जानबूझ कर आगे-पीछे करने लगा जिससे मेरा पैर श्रेया के चिकने पैरों से रगड़ खाते रहे।

श्रेया ने कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी, बस हल्की सी मुस्कान के साथ एक बार देखा और फिर सामान्य हो गई।

जिससे मेरी हिम्मत को थोड़ा बल मिला।

अब मैं अपने पैर को श्रेया के पैरों के और करीब ले जाने की कोशिश करने लगा।

श्रेया ने भी अपना पैर हटाया नहीं, बस एक-दो बार इधर-उधर किया।

जब भी वो मेरी तरफ देखती मुस्कुरा देती थी, जिससे मुझे और हिम्मत मिल जाती थी।

अब मैं पूरी तरह से रजाई के अन्दर घुस गया।
सिर्फ मेरी मुन्डी ही बाहर थी।

मैं अपनी क्रिया धीरे-धीरे तेज करने लगा।

मेरा लण्ड तन कर लोहे की रॉड बन चुका था।

काफी देर तक ऐसे ही करने के बाद जब मुझे लगने लगा कि श्रेया को भी मजा आ रहा हैं, तो मैंने धीरे-धीरे अपना पैर श्रेया के पैर के ऊपर चढ़ा लिया।

उसकी टाँगें एकदम संगमरमर की तरह चिकनी और कोमल थीं।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

इस बार श्रेया ने मेरी तरफ नहीं देखा, पर मैंने गौर किया कि श्रेया के चेहरे पर गम्भीरता के भाव उभरने लगे थे।

जैसे वो अपने आप को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही हो।

मैं मौके का फायदा उठाता जा रहा था।

मैंने अपने पैरों को उसकी मोटी चिकनी जाँघों तक पहुँचा चुका था।

जब मैंने अपना हाथ उसके पेट पर रखा तो वो काँप उठी और झट से मेरे हाथ को पकड़ कर नीचे कर दिया, पर अपने पैरों को अलग नहीं किया।

थोड़ी देर के बाद मैंने दोबारा कोशिश की।

इस बार भी उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की, पर मैंने बल के साथ उसके हाथ के दबाव का नाकाम कर अपना हाथ उसके पेट से हटने नहीं दिया।

श्रेया ने मेरा हाथ नहीं छोड़ा।

मैं ऐसे ही कुछ देर उसके चिकने पेट को सहलाता रहा।

फिर अपने हाथ को ऊपर की ओर खिसकाना शुरू किया तो पहले तो मेरा हाथ रोकने की हल्की कोशिश की, पर जब मैं नहीं माना तो उसने करवट ले ली और मेरी तरफ पीठ करके रजाई ऊपर तक खींच अपने हाथ से दबा लिया।

अब क्या था मैंने थोड़ा सा आगे खिसक कर उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही अपनी मुट्ठी में कैद कर लिया और हौले-हौले से दबाते हुए उसकी मस्त नरम चूचियों का भरपूर जायजा लेने लगा।

मुझे गजब का मजा आ रहा था।

इस समय मैं सारे रिश्ते-नाते भूल कर श्रेया की चूचियों के साथ खेल रहा था।

थोड़ी ही देर बाद श्रेया को भी मजा आने लगा।
वो हल्का सा पीछे आ गई जिससे मेरे हाथ में उसकी दोनों चूचियाँ आसानी से पकड़ में आने लगें।

अब मैं उसकी दोनों चूचियों के साथ मजे से खेल रहा था।

काफी देर तक ऐसे ही खेलने के बाद मेरा मन उसकी नंगी चूचियों को छूने की इच्छा होने लगी, पर उसकी दोनों चूचियाँ ब्रा में एकदम टाईट कसी थीं।

हाथ अन्दर जाने का कोई प्रश्न ही नहीं बनता था।

तो मैं उसकी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश करने लगा, पर ब्रा भी काफी कसी थी। उसका हुक आसानी से खुलने का नाम ही नहीं ले रहा था।

तो श्रेया ने मेरी मदद के लिए अपनी पीठ को थोड़ा सा घुमा दिया जिससे हुक आसानी से खुल गया।

अब क्या था मैंने झट से हाथ बढ़ा कर उसकी ब्रा के अन्दर डाल दिया और थोड़ा जोर से दबा दिया।

श्रेया के मुँह से हल्की सी चीख निकल पड़ी।

उसने मेरा हाथ फौरन पकड़ लिया।

मैं भी थोड़ा सतर्क हो गया।

फिर हल्के से दो-तीन बार दबा कर जैसे ही मैंने दूसरी चूची को पकड़ा कि बिजली आ गई।

श्रेया ने झट से मेरा हाथ अपनी टी-शर्ट से खींच कर बाहर निकाल दिया और रजाई से बाहर आ गई।

श्रेया जब खड़ी हुई तो उसकी दोनों चूचियां टी-शर्ट के अन्दर लटक रही थीं क्योंकि मैंने उसकी ब्रा खोल दी थी।

श्रेया मेरी तरफ देखे बिना ही कमरे में भाग गई।

मेरा सारा मजा किरकिरा हो गया था।

उसके जाने के बाद जब मैंने अपना लण्ड पकड़ा तो देखा, मेरा लण्ड मस्ती का रस छोड़ने लगा था।

बिजली आने के कुछ ही देर बाद पड़ोस की सारी औरतें भी चली गईं।

उनके जाने के बाद मम्मी और दीदी भी रसोई में चली गईं।

थोड़ी देर में श्रेया मेरे और जीजा जी के लिए खाने की थाली ले कर आई।

श्रेया मुझसे नजरें तो नहीं मिला रही थी, पर उसके होंठों पर शर्मीली मुस्कान फैली हुई थी।

मुझे समझते देर नहीं लगी कि श्रेया को भी इस खेल में मजा आया है।

मेरी तो जैसे लाटरी लग गई थी।
मेरे खुशी का ठिकाना नहीं था।

मैं भूल गया कि श्रेया मेरी भाँजी है और वो भी मुझसे 7-8 साल छोटी है।
मैं तो बस उस कुंवारी चूत को चोदने की सोचने लगा।

श्रेया जैसी मस्त लड़की की कुंवारी चूत को चोदने के ख्याल मात्र से ही मेरा रोम-रोम रोमान्चित होने लगा था।

कहानी जारी रहेगी।

मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top