तुम्हारी छाती से सरका पल्लू ऐसे
(Tumhari Chhati Se Pallu Sarka Aise)
तुम्हारी छाती से सरका पल्लू ऐसे
बड़े बड़े गोल बरफ से ढके पर्वतों से छंटे हों काले बादल जैसे
इस बरफ की थोड़ी आइस क्रीम हमें भी चखा दो
उफ्फ़ इन प्यासे होंठों पे अपनी नुकीली चोटियाँ चुभा दो
हाइ…ईइ इस बैकलेस ब्लाउज़ ने ले ली मेरी जान
इन तराशी हुई नंगी घाटियों ने डूलाया मेरा ईमान
बह जाने दो आज मुझे आज इन उतार चढ़ावों में
चलाने दो अपनी जीभ की नाव इस मांसल नदी में
और भिगो देने दो इस गुलिस्ताँ को अपने वासना के रस से…
चूचियों की आत्मकथा
मेरा जन्म 12 साल बाद हुआ
जब मैं बिल्कुल छोटी थी
तब मैं फ्रॉक में सोती थी
फिर मेरे आकार का विस्तार हुआ
नींबू बढ़ कर अनार हुआ
जब मैं बढ़ने लगी
हर किसी की नज़र मुझ पे पड़ने लगी
हुआ फिर ब्रा मेरा घर
अब लगने लगा मुझे डर
जब मेरा साइज़ हुआ और बड़ा
जाने कितनों का हुआ खड़ा
भीड़ में लड़कों ने हाथ मारा
मुझे एहसास हुआ बहुत प्यारा
फिर ना जाने कितनों ने दबाया
सच कहूँ तो बड़ा मज़ा आया
किसी ने प्यार से सहलाया
किसी को प्यार से चुसवाया
किसी ने मुझे मसल दिया
किसी ने मुझपे अपना पोपट रग़ड़ दिया
अब जब मैं गई झूल
सारे मादरचोद मुझको गये भूल…
What did you think of this story??
Comments