छोटी कहानियाँ-1

Antarvasna 2012-08-22 Comments

प्रेषक : हरेश जोगनी
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को हरेश जोगनी का नमस्कार !
आपके लिए फ़िर कुछ छोटी छोटी कहानियाँ लेकर आया हूँ। ये सारी कहानियाँ झूठी हो सकती हैं।

रचना- अजी सुनते हो? टीवी बंद करो और खाना खा लो !
सतीश- रुको न ! अभी हीरो हिरोइन को बेडरूम में ले जाएगा और !
रचना- और क्या? तुम्हें हिरोइन चोदने देने वाली है? वो तो मैं ही हूँ तुम्हारी हिरोइन !
सतीश- हाँ क्यों नहीं? पर ये फ़िल्मी सीन देखने के बाद चोदने की इच्छा बढ़ जाती है।
रचना- हाँ साली कपड़े जो ऐसे पहनती हैं !

सतीश- तुम ऐसे कपड़े क्यों नहीं पहनती?
रचना- इस बात पर लाकर दो ! ऐसे मस्त लगूंगी कि दो दिन छुट्टी लेकर चोदते रहोगे ! मुझे भी इन घरेलू कपड़ों से बोरियत होने लगी है, मुझे भी हॉफ़ पेंट्स, टाईट बिना बाहों वाला टी-शर्ट, टाईट लेगिंग और जो भी सेक्सी कपड़े हों वो चाहिएँ। बोलो कब लाकर देते हो?
सतीश- तो चलो, अभी चलते हैं मॉल में ! ऐसे कपड़े ला देता हूँ कि लण्ड खड़ा ही रह जाए !
रचना- खड़ा मैं रहने दूँगी तब ना !

मिस्टर लाम्बा और मिस्टर घोष :

मिस्टर घोष पड़ोस में लाम्बा के यहाँ जाते हैं और
घोष- अरे लाम्बा, आज घर पर हो? क्या बात है?
मिसेस लाम्बा- आज इनका मूड बन गया तो छुट्टी ली। आप क्यों घर पर हैं?
घोष- मुझे भी मन कर रहा था।
लाम्बा- अरे घोष क्या करेगा घर बैठ कर?
घोष- जो तू करेगा वो मै भी करूँगा।

लाम्बा- साले, मैं बीवी को चोदने के लिए घर पर हूँ।
घोष- हाँ बरोबर ! मैं भी इसलिए घर पर हूँ।
लाम्बा- अरे, तेरी बीवी तो मायके गयी है, तो?
मिसेस घोष- तो क्या मुठ मार लेंगे !

लाम्बा- अरे मुठ क्यों मारेगा, मेरी बीवी है न?
घोष- अ.. अ.. अ… क.. क… क्या.. ? अगर भा…भी…जी को ऐ…त…रा..ज न हो…..तो !
मिसेस लाम्बा- मुझे भला क्यों ऐतराज होने लगा? एक से भले दो ! वो तो इतने दिनों से ये ढून्ढ रहे थे और मैं भी कि तीन खिलाड़ी कुछ खेल करें ! मगर एक शर्त है-

अगली बार आपकी बीवी को भी मेरे लाम्बा जी से चुदवाना होगा।
घोष- अरे, वो तो तुम्हारे मर्द यानी मेरे दोस्त लाम्बा के लम्बे लौड़े को लेने के लिए बेकरार थी, बहुत बार उसे लम्बा के बदन को छूने का दिल होता था।
लाम्बा- यानि साले घोष ! तेरी बीवी को मेरा बदन चाहिए और मेरी बीवी को तेरा बदन ! चल साले, शुरू करते हैं मेरी बीवी से।
और फिर चालू हो गई ग्रुप चुदाई की नई दास्तान !

***

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को हरेश जोगनी का नमस्कार !
आपके लिए फ़िर कुछ छोटी छोटी कहानियाँ लेकर आया हूँ। ये सारी कहानियाँ झूठी हो सकती हैं।

जेनी और रीटा
रीटा- हेलो जेनी, क्या कर रही है?
जेनी- साली, ऐन मौके पर फोन किया, अरे मेरा हसबैंड आया है, बेडरूम में इन्तजार कर रहा है।

रीटा- उ हु उ हु ! याने आज मस्त चुदाई होने वाली है? ऐ तूने क्या पहना है?
जेनी- जब पूरे कपड़े उतरने को हैं तो पहनूँ क्यों?
रीटा- साली, तू बुद्धू है ! पूरे नंगापन से आधा नंगापन ज्यादा मज़ा देता है मर्दों को ! मेरा मर्द तो मेरी नाईटी का रंग देखकर पागल हो जाता है !
जेनी- ऐसी बात है ! तो मैं स्किन कलर की लेगिंग और ऊपर स्लीवलेस हाफ टीशर्ट पहनती हूँ।
रीटा- पहन कर मुझे दिखाना ! मैं तेरे यहाँ आती हूँ।
जेनी- अच्छा !

थोड़ी देर बाद रीटा आती है !
रीटा- अरे वाह, साली क्या लग रही है? सांवला रंग और यह कलर-कम्बिनेशन ! तेरे मर्द का लौड़ा काबू में नहीं रहेगा।
जेनी- तू भी चल एक कोने में छुप कर देख कैसे चलता है?
रीटा- देखूँ आज कैसे चुद रही है मेरी सहेली?
रीटा चुपके से बेडरूम में चली गई और पर्दे के पीछे छुप गई।

जेनी अन्दर आई तो उसका मर्द जोसेफ बोला- जेनी, साली देर से अन्दर आई? पर क्या सेक्सी कपड़े पहने हैं ! देख कर लण्ड काबू से बाहर हो गया।
जेनी- जोसेफ हमारा यह खेल कोई चुपके से देखने आया है।
जोसेफ – चुपके से क्यों? यहाँ सामने कुर्सी पर बैठ कर देखे, उसकी भी तमन्ना पूरी करते हैं।
जेनी- रीटा, अब बाहर आओ, जोसेफ बुला रहा है।
रीटा बाहर आई !
जोसेफ- अरे रीटा तुम? बैठो ! बैठो कुर्सी पर और देखो हमारा खेल !
और रीटा ने दोनों की चुदाई को मस्त एन्जॉय किया।

सुरेश- अरे टोनी, क्या चल रहा है?
टोनी- कुछ नहीं यार मुठ मारने की सोच रहा था कि तू आ गया।
सुरेश- उसमें क्या? मैं मार देता हूँ ! जब अपने हाथ आज़ाद हों और लौड़े को कोई सहलाता है तो बड़ा मज़ा आता है।
टोनी- साले इतने दिनों से क्यों नहीं बताया?
सुरेश- तूने बताया? नहीं न ! मेरी क्या गलती है?

टोनी- चल अब उतार मेरे पूरे कपड़े और मेरे सामने बैठ कर खेल मेरे लौड़े के साथ।
सुरेश- अरे, चलो, काम हो गया !
टोनी- कौन सा काम?
सुरेश- गांड मारने और मरवाने का !
फिर दोनों का खेल शुरू हुआ जो एक घंटे तक चला।

***

सीधे खड़े रहो
बस में भीड़ थी और एक सुन्दर औरत बस के झटके सम्हालने की कोशिश कर रही थी और उसका बेलेंस बिगड़ रहा था।
सीट पर बैठा मर्द बोला- मैडम, मेरे ऊपर मत गिरना।
औरत- मैं क्या जानबूझ कर कर रही हूँ? झटके कितने लग रहे हैं।
वो- ऊपर लगे हेंडल को पकड़ो।

औरत मन ही मन में बोली- साले ऊपर पकड़ूंगी तो बगल के बाल दिखेंगे और तो और गिरूँगी तो तुझे मेर नर्म बदन छूने को मिलेगा।
अगले ही पल उस मर्द के पड़ोसवाली सीट खाली हुई और औरत झट से बैठ गई।
थोड़ा आगे जाने के बाद :
औरत- तुम बड़े शरीफ बन रहे हो?
वो- तो मैं हूँ ही शरीफ !
औरत ने उसके कान में कहा- बड़े बड़े शरीफ इस भोंसड़े पर कुर्बान हुए हैं ! तू कौन से खेत की मूली है? तेरा मूले जैसा लौड़ा तनक जाएगा, देख अभी से क्या हाल है तेरी पैंट में !
इतना कहकर उसने उसको अगले स्टॉप पर उतरने कहा और दोनों उतर गए। बाकी लोग देखते रहे गए कि यह क्या माजरा है।

नीचे उतरते ही :

औरत- चलो कोई मस्त होटल में ले चलो, खिलाओ-पिलाओ और फिर मुझ पर गिरो जैसे मैं बस में गिर रही थी।
वो- तुम साली बड़ी चालू चीज हो? तुम्हारे बगल के थोड़े से बाल दिखे तभी मैंने सोचा कि शोरूम में इतना तो गोदाम में कितना?
औरत- हाँ और तू शरीफ? साले गोदाम एकदम साफ़ है, अभी तुझे उधर ही घुसना है।
वो- मैंने बहुत ब्ल्यू फिल्में देखी हैं पर !
औरत- आज वो सब तुझे करना है और मुझे चुदाना है ! तेरे जैसे अनजान को तो मैं सब सिखा दूँगी।
बाद में दोनों ने खाना, पिया और उस औरत ने उसको एक होटल में कमरा बुक करवा के उससे मस्त चुदवा लिया और उस शरीफ मर्द को मस्त चोदू बना दिया।

[email protected]

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category हास्य रस- चुटकुले or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

छोटी कहानियाँ-1

Comments

Scroll To Top