याराना का तीसरा दौर-1
(Yarana Ka Teesra Daur- Part 1)
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मेरे प्यार मित्रो, मैं हूं आपका अपना राजवीर. आप मुझसे परिचित हुए थे मेरी दो लम्बी कहानियां
याराना
और
भाई बहन ननदोई सलहज का याराना
पढ़ कर! जिन पाठकों ने ये दोनों कहानियां नहीं पढ़ी हैं, वे कृपया इनको शुरूआत से पढ़ें, तभी आप इस कहानी का भरपूर मजा ले पाएंगे।
जहां तक मैं आपको अपने जीवन में घटित घटनाओं को याराना के माध्यम से बता चुका था ये उसके आगे की आपबीती है।
श्लोक, रीना, मेरे (राजवीर) और सीमा के उस सामूहिक चुदाई के हसीन दौर की शुरूआत करने के बाद हमने ये खेल 8 महीनों तक कई बार खेला। मियां-बीवी का रिश्ता चारों के बीच में ऐसा बना कि कोई भी किसी के भी साथ चुदाई कर लेता था। हम अपने-अपने कमरों में बीवियां बदल कर सोते तो कभी-कभी अपनी बीवियों के साथ। कभी-कभी हम सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम करके अपने मन की मुराद पूरी करते।
इन सब के अलावा एक और महत्वपूर्ण पहलू था हमारा व्यापार … जो कि सफलता के आयाम जल्दी-जल्दी स्पर्श कर रहा था।
राजस्थान के बाद श्लोक की नजर गुजरात में अपने व्यापार के पांव जमाने पर थी। अतः अहमदाबाद में हमारे नए ऑफिस के आरम्भ के कुछ महीनों में ही शानदार परिणामों के कारण मैंने श्लोक को गुजरात में व्यापार के मालिकाना हक प्रदान किए।
व्यापार तो गुजरात में अच्छा शुरू हुआ लेकिन बुरा ये हुआ कि मेरे पिताजी के आदेशानुसार श्लोक को अब गुजरात में ही शिफ्ट होना पड़ा। अतः 8 महीनों के इस स्वर्ग स्वरूपी जीवन को जीने के बाद हमारे बिछड़ने की बारी आ गई थी। रोज की अदला-बदली की चुदाई की आदत से ऐसे दूर हो जाना जैसे एक सदमा था। मगर पैसों के लिए इस त्याग को अपनाना आवश्यक था।
शुरूआत में हमें एक-दूसरे की काफी कमी महसूस हुई पर धीरे-धीरे हमने अपने-अपने माल (बीवी) के साथ चुदाई में खुश रहना सीख लिया। यहाँ रीना और मैं, वहां सीमा और श्लोक अपने में ही रम गए।
श्लोक का काम मैंने सीख लिया था लेकिन एक मालिक और मैनेजमेंट का काम संभालना बहुत ही दिमागी थकान वाला काम था। मुझे श्लोक वाला काम संभालने वाले एक व्यक्ति की जरूरत थी। अतः पिताजी की सलाह पर मैंने विक्रम को अपने पास बुलाया जो कि अपनी बिज़नेस मैनजमेंट की पढ़ाई पूरी कर चुका था।
मेरे लिए बीती रात एक पहेली थी जिसे मैं सुलझाना चाहता था और इसीलिए मैंने अपने घर की छत पर विक्रम (अपने छोटे भाई) को बात करने के लिए बुलाया। मैं उसका इंतज़ार कर रहा था और इंतजार करते-करते बीते हुए समय की घटनाओं को याद करने लगा।
विक्रम यानि कि मेरा छोटा भाई. उसकी आयु 27 साल की थी. वह 3 साल पहले ही बैंग्लोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर लौट था और वहाँ हमारे उत्पाद के उत्पादन के काम को देख रहा था। विक्रम की शादी वीणा (24) से हुई थी। वीणा मेरे पिताजी के मित्र की पुत्री थी। मेरे पिता और वीणा के पिता पक्के मित्र थे।
एक कार दुर्घटना में वीणा के पिता चल बसे और उसके दुख में 2 महीने बाद ही वीणा की माँ का भी देहांत हो गया था। अतः वीणा की माँ की अंतिम इच्छा थी कि 14 साल की वीणा को उसके परिवार वालों के भरोसे न छोड़कर हमारे पिता की छत्रछाया में ही रखा जाए। वीणा हमारे साथ ही बड़ी हुई। कुछ सालों में विक्रम पढ़ाई करने बंगलूरू चला गया।
उसके बाद मेरा विवाह रीना से हुआ। मेरे रीना से विवाह के 3 साल बाद हम घरवालों को पता चला कि विक्रम और वीणा एक दूसरे से प्रेम करते हैं और विवाह करना चाहते हैं। अतः पिताजी ने उनकी इच्छा पूरी की और वीणा की माँ की इच्छा के अनुसार वीणा को हमारे घर में रखने की जिम्मेदारी भी पूरी हो गयी क्योंकि वीणा शायद ही इस घर से ज्यादा कहीं और दूसरे घर में खुश रह पाती।
वीणा-विक्रम अब शादीशुदा थे और अब हमारे यानि रीना-राजवीर के पास जयपुर आ रहे थे।
वीणा और विक्रम दोनों बेहद सुंदर थे और साथ मिलकर परफेक्ट कपल का उदाहरण प्रस्तुत करते थे। वीणा का शरीर रीना की तरह ही भरा-पूरा था जो कि टीवी ऐक्ट्रेस रश्मि देसाई से मेल खाता है। 35 के स्तन, 26 की कमर और 35 के कूल्हे. चेहरा भी रश्मी देसाई की तरह ही गोल, सुंदर, नशीली आंखों वाला था। विक्रम भी आजकल के दाढ़ी भरे चेहरे वाले मर्दों के जैसे ही मॉडल की तरह का लुक रखता था।
दोनों जयपुर आए और साथ रहने लगे। अब यहाँ दो भाई (मैं और विक्रम) अपनी बीवियों के साथ रहते थे जिनमें कोई वासना या गलत सोच का स्थान नहीं था। हम एक साधारण परिवार की तरह अपने जीवन का यापन करने लगे थे। हँसी-मजाक एक परिवार की तरह होता और सब हँसी-खुशी रह रहे थे।
विक्रम ने व्यापार में श्लोक की भूमिका ले ली थी और उसका भली-भाँति निर्वाह कर रहा था। उधर श्लोक भी गुजरात में व्यापार को लेकर सफल था। विक्रम को यहां आए करीब 3 महीने गुजर गए थे।
सब कुछ ठीक चल रहा था। तभी एक शाम श्लोक और सीमा का फ़ोन आया। वो हम दोनों को कुछ दिन के लिए अहमदाबाद बुलाना चाहते थे।
मगर व्यापार को छोड़कर जाना मुश्किल था। उनका मकसद शायद वही सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम हो या अदला-बदली वाली चुदाई रहा होगा। ये भी सच था कि हमें उस अदला-बदली की काफी याद आती थी। सीमा को चोदने के लिए कभी भी लंड फड़फड़ा उठता था। शायद यही हाल श्लोक का रीना के लिए हो रहा होगा। सीमा और श्लोक के द्वारा काफी मिन्नतें करने के बाद मैंने रीना को उनके पास भेजने की अनुमति दे दी। यहां मेरे पास विक्रम और वीणा थे।
एक बहन का भाई के पास रहने चले जाना साधारण बात थी और इसमें किसी को कोई शक नहीं था। लेकिन वास्तविकता क्या थी इससे मैं अच्छे तरीके से परिचित था। अगले दिन रीना अहमदाबाद के लिए निकल गयी।
विक्रम महंगी शराब का शौकीन था। उसकी इस आदत का पता मुझे उनके यहाँ शिफ्ट होने के बाद ही चला। एक बड़े भाई का लिहाज करके विक्रम मेरे सामने नहीं पीता था लेकिन जब मुझे इसका पता चला तो मैंने उसे इसकी अनुमति दे दी। विक्रम एक सभ्य शराबी था। जिसके पीने न पीने का कोई अंदाजा न लगा सकता था। उसको कभी-कभी पीने में मैंने भी कंपनी दी। मगर मैं शराब का ज्यादा शौकीन नहीं था।
बीती रात कुछ ऐसा हुआ था कि जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जो अदला-बदली का खेल मैं दूसरों के साथ खेल रहा था क्या वही खेल नियति मेरे साथ खेलना चाहती थी? या जो बीती रात हुआ था वो एक सोची समझी साजिश थी?
वह रीना के बिना मेरी पहली रात थी। इसलिए विक्रम ने शराब पार्टी का माहौल बना लिया। वीणा हमें जरूरी स्नैक्स परोस कर खाने का इंतजाम कर अपने कमरे में सोने चली गयी थी।
विक्रम और मैंने हँसी-मजाक में शराब पार्टी पूरी की और कब नींद आ गई इसका पता भी न चला।
सुबह नींद हल्की सी खुली तो अपने साथ बिस्तर पर नंगी सोई रीना को मैंने अपनी तरफ खींचा और उससे चिपक कर सो गया। नींद में ही दिमाग की घँटी बजी और याद आया कि रीना तो अहमदाबाद चली गयी है! फिर यहां मेरे साथ बिस्तर पर नंगी कैसे सो सकती है?
मैं झटके से उठ गया और देखा तो चक्कर खा गया। वीणा मेरे कम्बल में पूरी तरह से नंगी गहरी नींद में सोई हुई है। ध्यान दिया तो पता चला कि कमरा भी मेरा नहीं बल्कि वीणा और विक्रम का है। बेशक वीणा का नंगा शरीर नजारे लूटने जैसा होगा पर मैं उस समय मजे लेने की हालत में बिल्कुल नहीं था।
मैं अपने कम्बल में न झांक कर, अपने कपड़े संभाल कर सीधा बाहर आया तो देखा कि विक्रम उसी सोफ़े पर गहरी नींद में सोया पड़ा है जहाँ हमने शराब पी थी। खाना वैसे का वैसे ही रखा है, मतलब हमने शराब के बाद खाना भी नहीं खाया था। मैं सीधे अपने कमरे में गया और तेज धड़कते हुए दिल के साथ शॉवर लेने लगा और तैयार होकर सीधे ऑफिस चला गया।
दिमाग समझ नहीं पा रहा था कि कैसे, क्या हुआ, ये सब?
मैंने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि शायद शराब पीने के बाद जब विक्रम सो गया होगा तो मेरे अंदर का पाप जाग गया होगा और मैं विक्रम के कमरे में जाकर वीणा के पास सो गया होंगा। अंधरे के कारण वीणा ने भी मेरे साथ मुझे विक्रम समझकर सम्बंध बना लिए होंगे क्योंकि जब मैं उठा तो रोशनी तो खिड़की से आए उजाले की थी। लाइट्स तो सारी बन्द थीं।
या फिर क्या पता मैंने उसे सीमा-श्लोक का कमरा समझा हो, क्योंकि इतने दिनों से हम साथ थे और कभी भी किसी भी कमरे में जाकर चुदाई करके सो जाते थे। शायद मैंने वीणा को सीमा समझ कर ही शराब के नशे में चोद दिया हो और वीणा ने विक्रम समझकर मेरे साथ ये सब किया हो! तभी तो रात को कोई बवाल नहीं हुआ। या शायद रीना समझ कर ही वीणा को चोद दिया हो। मेरा मन तरह-तरह के कयास लगाकर खुद ही अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था.
मगर यह सोचते-सोचते दिमाग के 12 बज गए थे। रात को हुई घटना समझ से परे थी। कैसे नजर मिलाऊँगा विक्की (विक्रम) और वीणा से, समझ नहीं आ रहा था।
मैंने अपनी सारी मीटिंग्स कैंसिल की और अपने केबिन में दुबक कर बैठा रहा। रोज समय पर आने वाला विक्रम आज ऑफिस नहीं आया था जिससे मैं समझ गया था कि विक्रम को भी इस बात का अब पता चल गया होगा। उस वक्त ‘काटो तो खून नहीं’ जैसी हालत थी।
सुबह से शाम हो गई लेकिन विक्रम आज ऑफिस नहीं आया था. अब तो उल्टा मेरे घर जाने का समय हो गया था लेकिन घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी. कैसे दोनों से नजरे मिलाऊंगा? रीना को इस घटना के बारे में क्या बताऊंगा?
मुझे तो कल रात क्या हुआ था यह पता भी नहीं था. अतः ऑफिस से मैं सीधा होटल गया और वहां पर खाना खाया और देर रात 10:00 बजे घर की तरफ मेरे कदम बढ़े।
घर जाते-जाते मैंने यह सोच लिया था कि कल रात जो भी हुआ है उसके लिए विक्रम को बुलाकर उससे बात करूंगा और अपने किए की माफी मांग लूंगा। अदला-बदली कर चुदाई का खेल मेरे, सीमा, श्लोक, रीना के बीच ही सहज था लेकिन यह विक्रम था, जिसको कि हमारे इस तरह के अदला-बदली वाले जीवन के बारे में कुछ भी नहीं पता था।
जब मैं अपने फ्लैट पर पहुंचा तो गेट वीणा ने खोला. उसने मुझसे नजर नहीं मिलाई, न मैंने उससे। मैं सीधा अपने फ्लैट के ऊपर वाले कमरे में चला गया और विक्रम को ऊपर आने के लिए फोन किया।
तो दोस्तो, यह सब हुआ मेरे साथ बीती रात। रात की किताब में जो पन्ने अनपढ़े और अनसुलझे रह गए थे उन्हें खोलकर पढ़ने की कोशिश कर ही रहा था कि विक्रम की आवाज आई – भैया!
मेरी तंद्रा टूटी … सोच के सागर से मैं बाहर निकला और बिना नजरें मिलाये मैं विक्रम से बोला- भाई जो कल रात हुआ मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता। शायद यह यकीन करना ना करना मुश्किल हो, लेकिन सच यही है कि जो हुआ मुझे उसका आभास केवल सुबह ही हुआ। मैं वैसे भी शराब का इतना आदी नहीं था कि खुद को संभाल सकूं और शायद शराब का ही कमाल था कि मेरे कदम बहक गए होंगे।
इस पर विक्रम बोला- अगर आपको अपनी की हुई गलती के बारे में पता ही नहीं है तो आप किस बारे में माफी मांग रहे हैं भैया! किसी भी सजा पाने वाले व्यक्ति को उसकी गलती का एहसास ना हो तो वह सजा किस काम की? उसी तरह, जिस तरीके से आप माफी मांग रहे हैं और आपको आपकी गलती का ही पता नहीं तो यह माफी किस काम की?
विक्रम आगे बोला- मैं बताता हूं बीती रात क्या हुआ।
जब हम दोनों नशे में धुत्त हो गए तो आप बहकी-बहकी बातें करने लगे। नशे में मैं भी था पर मैं इसका आदी हूं इसलिए मुझे थोड़ा होश है, बीती रात शराब पीने के बाद आप ने मुझसे कहा- बहुत चढ़ा ली शराब। अब मुझे खुद सीमा पर चढ़ाई करनी है।
मैंने आपसे नशे में पूछा- कौन सीमा?
तो आपने कहा- साले तेरी बीवी सीमा।
मैंने आपको कहा- भैया, मैं श्लोक नहीं हूं, आपका विक्रम हूं। मेरी शादी सीमा से नहीं हुई है. मेरी बीवी वीणा है।
आपने मुझे गाली दी और मेरे कमरे की तरफ बढ़े. आप सीमा के बारे में अनाप-शनाप बोले जा रहे थे कि बहुत दिन हुए चुदाई किए। आज सीमा तेरी फाड़ डालूंगा। आप और मैं दोनों नशे में धुत थे। मैंने आपको हाथ पकड़ कर रोकना चाहा लेकिन रोक नहीं पाया।
वैसे भी जब हम कल शराब पी रहे थे तो मेरी शराब की मात्रा आप से दोगुना थी।
अतः मैं वहीं सोफे पर गिर गया. सुबह जब नींद खुली तो 11:00 बजे थे। रात की आपकी और मेरी की हुई बातें मैं सब भूल गया था। अपने आप को संभाल कर जब कमरे में गया तो देखा कि वीणा कमरे में बैठे हुए रो रही है।
वह अपने इतने आंसू बहा चुकी थी कि पूरा तकिया आंसुओं से गीला था। उसकी हालत और आंखें बता रही थीं कि वह गरीब 2 या 3 घंटे से लगातार रो रही है।
मैंने इसके बारे में वीणा से पूछा तो उसने रोते हुए बताया कि कल रात उसने किसी के साथ भयंकर चुदाई की थी. उसके लिए वह विक्रम ही था यानि कि मैं उसका पति। सुबह जब उसकी नींद खुली तो उसके पास कोई नहीं सोया था, वह पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थी।
लेकिन जब उठ कर बरामदे की तरफ आई तो मुझे सोफे पर सोया देखकर उसने रात का अंदाज़ा लगा लिया कि आप समय से पहले ऑफिस चले गए थे। शराब पीकर रात में सोफे पर ही सो जाना मेरी आदत थी। तभी रीना समझ गई थी कि रात में उसने आपके साथ चुदाई की है. बस यही सब सोचकर वह परेशान हो गई थी। सच बताऊं भैया तो गुस्सा मुझे भी बहुत आया।
आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? मगर फिर मेरा दिमाग ठनका. मुझे रात को की हुई आपकी बातें धुंधली-धुंधली याद आने लगी और धीरे-धीरे सब बातें पूरे दिन में सोचता रहा कि आपके दिमाग में उस वक्त सीमा थी। जो कि आपके साले की बीवी है।
आप उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हैं? आपने भले ही चुदाई वीणा के साथ की हो लेकिन आपके ख्यालों में सीमा ही थी। इतना मुझे समझ में आ गया था मगर सीमा के बारे में ऐसा सोचना मेरी समझ से परे था।
अब आप मुझे बताइए कि आप सीमा के बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं? क्या आप भाभी से खुश नहीं है? या सीमा भी आपसे बहुत प्यार करती है? कैसे सीमा और श्लोक को भी इसके बारे में पता है?
मुझे पता है कि मेरे आने से पहले आप लोग यहां लगभग साल भर साथ रहे। तो शायद आप दोनों के बीच में प्यार हो गया हो या ऐसा कोई संबंध पनपा हो।
मैं दिन भर सोचता रहा कि शायद श्लोक और सीमा को इसके बारे में सच पता चला हो, तभी वह लोग आपसे जुदा हो गए।
आप लोग अब अलग रह रहे हैं। शायद आपने इसीलिए श्लोक को अहमदाबाद वाला मालिकाना हक प्रदान कर अलग किया है। बताइए भैया मुझे इसका जवाब चाहिए और फिर मैं अपना फैसला आपको बताऊंगा कि वीणा और मैंने आप को माफ करना है या सजा देनी है?
हमारा सारा चुदाई का खेल विक्रम के सामने सवाल बन कर खड़ा था. मेरे पास विक्रम की इस बात का कोई जवाब नहीं था। मैं डर गया था कि अब मुझे विक्रम को अदला-बदली करके चुदाई के खेल का पूरा सच बताना पड़ेगा। उसे बताना होगा कि मैंने ये सब किसी को धोखा देकर नहीं किया।
ये सब की इच्छा से था. सबकी खुशी और मजे के लिए था। लेकिन मुझे डर था कि विक्रम मेरे और रीना के बारे में क्या सोचेगा? अगर विक्रम ने इसे सामान्य सामाजिक जीवन के नज़रिये से देखा तो उसका भाई और भाभी दोनों ही उसकी नजरों से गिर जाएंगे। किंतु मैं अब उसे क्या जवाब दूं. ये मुझे समझ नहीं आ रहा था।
विक्रम मुझ पर गिरी हुई सोच होने के इल्जाम लगा रहा था और सीमा को इस नज़रिए से देखने का कारण पूछ रहा था कि ऐसा क्या था कि मैं सीमा की बुरी तरह चुदाई करना चाहता था।
अतः मैंने मन ही मन फैसला लिया कि अब मुझे अदला बदली की चुदाई का सच विक्रम को बताना होगा।
मैंने हिम्मत करके कहा- देखो विक्रम अगर तुम सुनना ही चाहते हो तो सुनो। तुम्हें सब बताता हूं। मैं सीमा के बारे में ऐसा सोचता हूं, मानता हूँ। लेकिन मैंने रीना और श्लोक यानि कि मेरे साले से कोई धोखा नहीं किया। लेकिन अगर मैं तुम्हारे सामने पूरा सच बताऊंगा तो मैं तुम्हारी नजरों से गिर जाऊंगा। शायद तुम्हारी भाभी रीना भी तुम्हारी नजरों से गिर जाए। शायद तुम्हें यकीन भी न हो लेकिन जो मैं बोलने जा रहा हूं वही सच है।
विक्रम- ऐसा क्या है भैया जो मेरे नज़रिए में इतना बदलाव ला देगा?
मैंने कहा- तुम्हें तो पता ही है जयपुर में जब से हमारा बिज़नेस शुरु हुआ तब से श्लोक और मैं अपनी बीवियों के साथ यहीं रहे हैं। कुछ दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा किन्तु कुछ दिनों के बाद हम चारों बहुत घुल-मिल गए और पक्के दोस्त बन गए। हम दोस्तों के बीच दोस्ती के साथ आकर्षण भी आ गया। मैं सीमा के करीब आ गया और रीना श्लोक के काफी करीब आ गयी।
विक्रम- करीब? भाभी और श्लोक तो भाई-बहन हैं। वो तो करीब हो सकते हैं लेकिन आप सीमा से कैसे करीब हो गए।
मैं- श्लोक और रीना का करीब आने का मतलब भाई-बहन वाला करीब नहीं था। भाई-बहन के रिश्ते को भूल कर करीब आने जैसा था।
मेरा और सीमा का रिश्ता साली-आधी घरवाली जैसा था।
हम एक दूसरे के शरीर को पसंद करने लगे थे। शरीर को पसंद करने का मतलब एक दूसरे के शरीर के प्रति इतने सम्मोहित हो गए थे कि एक दूसरे के शरीर को पाना चाहते थे। मैं सीमा के साथ तथा श्लोक रीना के साथ संभोग करना चाहता था।
विक्रम- यह क्या बकवास है भैया! मुझे आपकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है।
मैं- विक्रम! मेरे भाई, एक बात मुझे बताओ। जब से तुम्हारी शादी वीणा के साथ हुई है, क्या उस क्षण के बाद से तुमने किसी अन्य पराई स्त्री के साथ संभोग करने के बारे में नहीं सोचा? क्या तुमने कभी ख्यालों में भी किसी अन्य स्त्री को नग्न नहीं देखा और उसकी चुदाई नहीं की?
विक्रम- भैया! यह तो आदमी के चरित्र में है। आज के इस कलियुग में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जो कि किसी भी पराई स्त्री के बारे में नहीं सोचता हो। आपका और सीमा का मैं एक पल के लिए मान भी सकता हूं लेकिन श्लोक और रीना भाभी जो कि भाई-बहन हैं उनके इस नए रिश्ते के बारे में मुझे विश्वास नहीं हो रहा है जो कि आप मुझे बता रहे हैं।
मैं- विक्रम क्या हम एक-एक बियर पीते हुए यह बात करें?
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. जुड़े रहिये आपकी अपनी पसंदीदा सेक्स स्टोरीज़ साइट अंतर्वासना पर ‘याराना की वापसी’ के साथ।
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