यह आग कब बुझेगी- 4
(Xxx Sister-in-law Sex Kahani)
Xxx सिस्टर इन ला सेक्स कहानी में मैं अपने ननदोई जी के मोटे लंड से चुद गयी. असल में उन्हें पता चल गया था कि मैं अपने जीजू से चुद कर आई हूँ. तो उन्होंने इसका फायदा उठाया और मजा मुझे मिला.
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कहानी के तीसरे भाग
‘सज़ा’ जो बन गई मज़ा
में अब तक आपने पढ़ा कि 40 वर्षीय एक कामुक औरत नीलम, अपनी हसरतों को पूरा करने की ठान लेती है। इस सिलसिले में वह पति की सहमति से एक गैर मर्द जीतू के पास जाती है और पहली बार किसी गैर मर्द के लंड से चुदाई का भरपूर आनन्द लेती है. जीतू खुश होकर नीलम को एक कीमती उपहार भी देता है। वह इस नए अहसास से तृप्त और प्रसन्न होकर वापस रिसोर्ट पहुंचती है जहां उसका सामना दैवयोग से अपने जीजाजी से हो जाता है। जीजा उसके राज को राज रखने के लिए उसे चोदना चाहता है। जीजा जी के इस प्रस्ताव को नीलम खुशी खुशी स्वीकार कर लेती है।
जब जीजा दो बार उसकी चुदाई करके, उसके बाजू में लेटा हुआ राहत की सांस ले रहा होता है, तब नीलम के मन में क्या विचार आते हैं.
उसके साथ आगे क्या होता है पढ़िए इस कामोत्तेजक Xxx सिस्टर इन ला सेक्स कहानी में:
आज शादी संपन्न हो चुकी थी, दूल्हा दुल्हन तो कल रात सुहागरात मनाएंगे पर मैंने तो आज ही जीजा के साथ ‘गैर मर्द रात’ मना ली थी।
मैं इस आनन्द में डूबी हुई थी कि 2 दिनों में मेरी चूत में घुसने वाला यह मेरा दूसरा नया लंड था।
जब हम दोनों की सांसें सामान्य हो गईं तो जीजा जी उठे, उन ने अपना पजामा और कुर्ता पहना, बहुत धीरे से दरवाजा खोल कर, वे अपने कमरे में पहुंच गये।
उनके जाने के थोड़ी देर बाद मैं भी उठी।
मैंने अपने साथ लाए नैपकिन से अपनी चूत को साफ किया, गाउन पहना और बिना आवाज किए धीरे से दरवाजा खोला और इस कमरे से निकल कर अपने कमरे में पहुंचकर चुपचाप दीदी के पास जाकर लेट गई।
इन 2 दिनों में दो लंड के आनन्द से तृप्त, मस्ती में डूबी हुई, मेरे साथ घटे इस आनन्ददायक पूरे घटनाक्रम को मानसपट में दोहराती हुई मैं गहरी नींद में सो गई।
मुझे पता नहीं था कि सामने वाले कमरे की खिड़की से एक जोड़ी आंखें मुझको घूर रही थीं।
अगले दिन हम अपने अपने शहर की ओर रवाना हो गए।
जीजाजी अपने शहर जयपुर निकल गए और हम चित्तौड़ आ गए।
अभी मेरी ननद और ननदोई महीपाल हमारे साथ ही थे।
घर पहुंच कर सारा घर साफ किया, चाय बनाई।
उसके बाद मैं खाने की तैयारी में जुट गई।
इधर मेरे पति सुनील कुछ जरूरी सामान लेने बाजार गया हुए थे।
उधर मेरी ननद नहाने गई हुई थी.
इतने में मैंने देखा कि मुझे अकेला पाकर मेरे ननदोई महीपाल आंखों में शरारत लिए मेरी ओर आ रहे थे।
मैं उसकी आंखों की शरारत को समझने की कोशिश कर रही थी.
कुछ समझ पाती मैं … उससे पहले उन्होंने मेरे पास आकर मुझे चौंकाते हुए मुझसे कहा- नीलू सच बताना, कल हमारे कमरे के सामने वाले कमरे में तूने और तेरे जीजा ने दो ढाई घंटे तक क्या किया?
मैं एकदम सकपका गई, मेरा चेहरा सफेद पड़ गया।
अभी एक हसीन मुसीबत से तो छुटकारा मिला भी नहीं था कि एक और नई मुसीबत ईनाम की तरह मेरे गले पड़ गई।
मेरा कामुक दिमाग तेजी से कम करने लगा.
इतना तो अब मुझे भी पता था कि यह मुसीबत मुझे एक बार फिर एक और गैर मर्द के नीचे ले कर जाएगी।
जैसे जीजा ने जीतू के साथ चुदाई वाले राज की कीमत मेरी चूत से वसूली, वैसे ही ननदोई जी भी अब जीजा के साथ चुदाई वाले मेरे राज की कीमत मेरी चूत से वसूल करेंगे।
मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि मैं ननदोई जी को क्या बोलूं?
मैं यह चाहती थी कि ननदोई जी को यह पता ना चले कि मैं खुद नया लंड लेने के लिए उतावली हूं।
इसलिए मासूम बनते हुए महीपाल से मैंने सीधे ही पूछ लिया- आप मुझसे क्या चाहते हो? साफ साफ बताओ?
महीपाल जी ने कहा- देख नीलू, तेरा बदन इतना मादक है कि मेरी जगह किसी भी मर्द को मौका मिलता तो तेरे साथ चुदाई के मजे लेना चाहता। अब जब तूने तेरे जीजा को अपने ऊपर चढ़ने दिया तो हमारा भी कुछ तो हक बनता है। तेरा जीजा तेरी बहन का पति है, मैं सुनील की बहन का पति। नीलू, केवल साली ही नहीं, सालाहेली* भी आधी घरवाली होती है।
मैं ऊपर से तो नर्वस दिख रही थी पर अंदर तो मेरी नए लंड की प्यासी चूत फिर से रिसने लगी थी।
मैंने फिर मायूसी भरे स्वर में कहा- ननदोई जी, अब मैं क्या कर सकती हूं? आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लेना। अब गलती हुई है तो सजा भी भुगतनी ही पड़ेगी। जब भी मौका मिलेगा तब या तो तुम मुझे बता देना या मैं तुम्हें इशारा कर दूंगी।
महीपाल कद में तो मेरे पति जैसा ही थे, पर उनका वजन बहुत ज्यादा था, कम से कम 90 किलो।
मैं अब आगे की कल्पना करने लगी कि क्या इतना वजन मैं झेल पाऊंगी?
और क्या इनका लंड इनके शरीर जैसा ही मोटा होगा या नहीं?
और जैसा कि मैंने पहले बताया है, मुझे मर्द के नीचे उसके आगोश में दबकर चुदने में बहुत मजा आता है.
किन्तु महीपाल को देखकर मुझे लगा कि जब भी यह अपना वजन मुझ पर डालेगा तो ये तो मुझे कुचल ही देगा।
लेकिन चाहे जो हो जाए, अब तो मुझे उनके भारी भरकम शरीर के नीचे जाना ही था.
पहले यह महीपाल द्वारा मांगी गई मेरे राज की कीमत थी जो अब मेरी दबी हुई हसरत बन चुकी थी।
हमारी बात खत्म हुई.
तभी ननद रानी भी नहा कर आ चुकी थी और सुनील भी बाजार से सामान लेकर आ गए थे।
उसके बाद ननद रानी ने मुझसे कहा- मुझे चित्तौड़ का किला देखे कई साल हो गए हैं, मेरी बहुत इच्छा है देखने की! आज वहां चलते हैं।
मैंने कहा- यार दीदी, मैं तो बहुत थक रही हूं, घर का काम भी फैला है, मैं तो रेस्ट करूंगी।
उधर महीपाल ने भी जब इतनी जल्दी मुझे चोदने का मौका हाथ लगते देखा तो कहा- यार सुनील, मैं तो कुछ ही दिन पहले एक बार किसी काम से चित्तौड़ आया था तो दोस्तों के साथ किला घूम कर आया हूं। तुम ऐसा करो कि तुम दोनों भाई बहन हो आओ। मैं भी रेस्ट करूंगा।
घर से किले तक जाने और आने में कम से कम दो ढाई घंटे तो लगने ही थे।
वे दोनों जैसे ही रवाना हुए, मैंने महीपाल को मुस्कुराते हुए कहा- दीदी और सुनील किला देखने गए हैं, तब तक आप भी किला फतह कर ही लो।
‘अंधा क्या मांगे, दो आंखें’
ननदोई जी मेरी बात सुन कर खुश हो गये.
वे बाथरूम गये और हल्के होकर वापस कमरे में आये।
उन ने आकर बिना समय गंवाए तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए और मुझे भी पूरी नंगी कर दिया।
मैंने देखा कि उनका लंड लटका और भीगा हुआ था।
स्पष्ट था कि वे लंड धोकर आये थे और चुदाई की शुरुआत अपना लंड चूसाने से करना चाहते थे।
मुझे भी कोई ऐतराज नहीं था क्योंकि मुझे ताजा ताजा धुला हुआ नर्म लंड चूसना बहुत पसंद है।
क्योंकि जब भी मेरे पति नहा कर आते हैं तो मैं रोज नियम से उनका तरोताजा लंड चूसती हूं।
मैंने घुटनों के बल बैठ के महीपाल के लंड को मुंह में ले लिया और उनके आंड सहलाते हुए अपनी जुबान का कमाल दिखाने लगी।
ननदोई जी के मुंह से आनन्द की सिसकारियां निकल रही थीं।
उनका लंड धीरे-धीरे फूलने लगा।
ननदोई महीपाल तो मेरे हमउम्र ही हैं तो दो-तीन मिनट में ही उनका लंड पूरी तरह तन्ना गया।
क्योंकि मुख मैथुन की मस्ती के साथ,नई चूत मिलने का करंट भी तो उसको मिल रहा था।
मैंने देखा कि उनका लंड मेरी उम्मीद के मुताबिक, पुष्कर वाले जीतू, मेरे पति सुनील और मेरे जीजा तीनों के लंड से अधिक मोटा था।
मुझे लगा कि इस बार तो भगवान की यह कैसी कृपा बरसी है कि एक के बाद एक, तीन दिनों में तीन नए लंड मुझे मिल गए थे।
और आज तो मुझे सबसे अधिक मोटा लंड मिलने वाला था जो मेरी चूत को मस्त करेगा।
मुझे लगा कि एक बार औरत की चूत में किसी भी गैर मर्द का लंड चला जाए तो उसकी झिझक खुल जाती है.
उसके बाद उसकी चूत को नए लंड का चस्का बढ़ जाता है।
फिर उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसकी चूत में कितने लंड गए.
जब महीपाल जी ने चोदने के इरादे से मेरे मुंह से अपना कड़क हो चुका लंड निकाला तो ही मैं अपने कामुक ख्यालों से बाहर आई।
मैं उठी और पलंग के किनारे बैठ गई।
ननदोई जी ने मुझे उसी स्थिति में लिटा दिया और मेरे दोनों पैर घुटनों से मोड़कर, पलंग पर टिका दिए और मेरी जांघों को फैला दिया।
अब मेरी रिसती हुई चूत मुंह खोले जैसे उनके लंड को आमंत्रित कर रही थी।
महीपाल जी ने पहले तो चूत को चाट चाट के गीला किया और अपने लंड के लाल सुर्ख सुपारे को, मुख लार से चिकना किया।
मैंने भी सहयोग करते हुए चुदने को तैयार अपनी चूत के बाहरी होठों को उंगलियों से फैलाया.
ननदोई जी ने चूत के बीच में लंड को टिका के एक जोर का झटका दिया।
एक बार तो ऐसा लगा मानो मेरी चूत फट गई हो, मेरी सांस जैसे एकदम से रुक गई हो … किंतु कुदरत ने चूत में इतनी लोच दी है कि वह बड़े से बड़े लंड को आसानी से अपने भीतर समा लेती है।
कुछ ही पल में ननदोई जी का मोटा लंड मेरी चूत में अच्छे से सेट हो गया।
अब उन ने मेरे ऊपर झुक कर मेरे दोनों बोबे बारी बारी चूसते हुए धीरे-धीरे कमर हिलाना शुरू किया.
मुझे उनका यूं हौले हौले चोदना बहुत अच्छा लग रहा था।
लेकिन मुझे तो महीपाल के भारी भरकम शरीर के नीचे दबकर चुदाई का आनन्द लेना था।
मैंने ननदी के पिया को कहा- मुझे अब सीधे लेटने दो और मेरे ऊपर आकर अपने साले की बीवी को चोदो।
महीपाल जी हंसते हुए कहने लगे- नीलू, तू मेरे वजन से दबकर मर जाएगी.
तो मैंने कहा- आपके नीचे दबकर आपके मोटे तगड़े लंड से चुदते हुए मुझे मौत भी आ जाए तो वो कितनी हसीन होगी!
मेरी इस बात से ननदोई जी एकदम उत्साह से भर गये।
उसके बाद उन ने फिर से मेरी चूत में लंड घुसाया और मुझे दबोच कर वैसे ही चोदने लगे जैसा मैं चाहती थी।
हमारी घनघोर चुदाई कम से कम 15 मिनट तक चली।
पहले तो मुझे लगा आज मेरा चरम नहीं उठेगा क्योंकि मैं 2 दिन से लगातार चुद रही थी और रात में भी जीजा से चुद के झड़ी थी.
पर नए चेहरे और नए लंड में कुछ तो खास बात होती है.
महीपाल जी के मांसल लंड ने मेरे बदन में वो उत्तेजना भरी कि मेरा चरम फिर से उठने लगा।
मैंने महीपाल जी को कहा- यार मेरा बस होने वाला है, अब बिना रुके लगातार रगड़ दो जोर से!
महीपाल जी ने चुदाई की गति पैसेंजर से एक्सप्रेस वाली कर दी।
दो मिनट में ही मैं बदहवास होने लगी।
घर में कोई नहीं था … मैं चिल्लाने लगी- मजा आ गया यार महीपाल … मजा आ गया यार … तुमने पहले क्यों नहीं चोदा? ननद जी कितनी खुशकिस्मत है जो जब चाहे तुम्हारे मस्त लंड से चुदाई का मजा लेती हैं।
मेरा चरम मेरी चूत पर दस्तक दे ही रहा था कि महीपाल के लंड से वीर्य की धार ने चूत को बेचैन कर दिया।
लेकिन … इससे पहले कि लंड निर्जीव हो, मैंने उसे पकड़ कर चूत के मुहाने पर दो चार बार रगड़ा और बस मुझे चरम सुख, परम आनन्द की प्राप्ति हो गई।
मेरी बहन और मेरे पति की बहन चोदने वाले, दोनों मर्दों ने बारी बारी मुझे भी चोद दिया था।
चरम सुख के क्षणों में मेरी सांसें ऐसे फूल गई थीं जैसे मैं किसी के नीचे नहीं दबी पड़ी हूं बल्कि दौड़ कर किसी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ रही होऊं।
Xxx सिस्टर इन ला सेक्स के बाद मैं बहुत देर तक मस्ती के सागर में डूबी अपनी सांसों को सामान्य करती रही।
जब सुनील और मेरी ननद क़िला देखकर वापस लौटे, तब मैं तो रसोई में काम कर रही थी और ननदोई जी नहाने गये हुए थे।
उन्हें बिल्कुल पता नहीं चला कि पीछे से हम दोनों ने चुदाई के क्या क्या खेल खेल लिए हैं।
शाम को ननद और महीपाल जी भी अपने घर रवाना हो गए.
रात में मैं सुनील की बांहों में थी।
उनको पिछले कई दिन से चोदने का मौका नहीं मिला था।
इसलिए उन्होंने मेरे को चोदने की इच्छा से अपना हाथ आगे बढ़ाया.
पर मैंने कहा- नहीं यार, आज बिल्कुल भी इच्छा नहीं है।
उन्होंने कहा- अरे यार, कितने दिन हो गए तुझे चोदे हुए! आज तो चोदने दे!
मैंने कहा- तुमको चोदे हुए चाहे कितने ही दिन हो गए हों! पर इन 3 दिनों में मेरी चूत ने तो तीन तीन गैर मर्दों के नए नए लंड ले लिए हैं।
सुनील एकदम चौंक गये और बोले- यह क्या कह रही है तू? पुष्कर वाले जीतू का तो मुझे पता है, बाकी दो मर्द कौन हैं जिन्होंने तुझे चोद दिया है? जल्दी बता न यार?
मैंने तीनों मर्दों की कहानी विस्तार से सुनील को सुना दी.
उनका कड़क लंड सुनकर और अधिक अकड़ गया।
उन्होंने उत्तेजित होते हुए कहा- अब तो भेनचौद कुछ भी हो जाए, आज तो मैं तेरी गांड मार के अपना तूफान ठंडा करूंगा।
सुनील ने मुझे उल्टा लिटाया और बहुत सारा तेल लगाकर अपना लंड और मेरी गांड को चिकना किया और अपने लंड को मेरी गांड में दम लगा के, दांत भींच के जबरदस्ती घुसेड़ दिया।
मेरे मुंह से घुटी हुई सी चीख निकल गई- अरे साले निर्दयी, जालिम जरा आराम से तो मार!
उसके बाद सुनील कहने लगे- मैं तो सोच रहा था कि आज तेरी चुदाई करके तुझे मस्त कर दूंगा. पर यहां तो साला मामला कुछ और ही निकला। तू तो बहुत बड़ी मादरचोद निकली नीलू!
उसके बाद में सुनील ने वासना के आवेग में किस तरह मेरी गांड को गुफा बनाया, मैं बयान नहीं कर सकती।
लेकिन मुझे इस बात की खुशी थी कि उन्होंने कोई नाराजगी जाहिर नहीं की बल्कि उनको भी मेरी आपबीती से अतिरिक्त उत्तेजना ही मिली थी।
10 मिनट तक शानदार वाली गांड की गुड़ाई करने के बाद सुनील ने मेरी गांड में वीर्य का झरना बहा दिया।
उसके बाद वे पस्त होकर मेरी पीठ पर अपना पूरा वजन डाल के स्खलन का आनन्द लेते रहे।
तीन दिनों में मैं तीन नए लंड ले कर कामसुख से पूरी तरह निहाल हो चुकी थी।
पहले तो ऐसा लगा जैसे मेरी चूत को अब किसी नए लंड की कोई तमन्ना बाकी नहीं रही।
लेकिन कामवासना के खेल में ऐसा अधिक समय तक होता नहीं है।
कुछ दिन निकलते ही मेरा शरीर फिर बेचैन होने लगा, वासना फिर दिमाग में चढ़ने लगी और नजर ढूंढने लगी फिर कोई नई मस्ती, फिर कोई नई सनसनी, फिर कोई नया मर्द!
प्रश्न था- यह आग कब बुझेगी?
उत्तर है- जिस्म की यह आग कभी नहीं बुझती।
तो मेरे रसिक और कामुक पाठको, आप सबको कैसी लगी मेरी सहेली की यह सच्ची Xxx सिस्टर इन ला सेक्स कहानी?
कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएं।
मैं सभ्य विचारों के उत्तर अवश्य दूंगी।
बहुत से पाठक बहुत अधिक गैर ज़रूरी बातें करते हैं, कृपया ऐसी बातों से बचें।
*सालाहेली > सलहज
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