सेक्स है कुदरत का वरदान- 2

(Xxx Fire Of Sex)

Xxx फायर ऑफ़ सेक्स कहानी में दो दोस्त एक दूसरे की माँ बहन चोद चुके थे. अब उनकी शादी के बात चलने लगी तो वे एक दूसरे की बीवी चोदना चाहते थे. उधर उनकी माँ अलग खेल खेल रही थी.

कहानी के पिछले भाग
दोस्तों ने की मॅाम स्वापिंग
में अब तक आप ने पढ़ा कि बंटू और मोंटी सेक्स का मजा लेने के लिए कई तरह के बातें, कई तरह की योजनाएं बनाते हैं।
बंटू, मोंटी की बहन को चोदने का रहस्य मोंटी के सामने उजागर करता है।

अब आगे Xxx फायर ऑफ़ सेक्स कहानी:

बंटू और मोंटी के बीच कामुक बातों का सिलसिला चलता रहा।

ऐसे ही एक दिन मोंटी के दिमाग में एक नई हसरत ने जन्म लिया।

वह कहने लगा- यार बंटू, जब हम मम्मी स्वैपिंग कर चुके हैं. यानि जब तू मेरी और मैं तेरी मम्मी की चुदाई कर चुके हैं. तो क्यों ना अपनी अपनी मम्मी को चोदकर भी देखें?

बंटू के तो कान तपने लगे, उसने इतना तो अपनी मम्मी को पूरी तरह नंगी देखने के बाद भी नहीं सोचा था केवल थोड़ी बहुत मस्ती करने की मन में आई थी.
पर मोंटी ने तो सिमरन आंटी को कभी नग्न भी नहीं देखा था और यहां तक सोच लिया?

उसने सख्ती से मना किया- नहीं, मैं इस के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूं। न तो मैं अपनी मम्मी को चोदना चाहता हूं, न मैं यह चाहता हूं कि तू अपनी मम्मी को चोदने के बारे में सोच!

मोंटी, बंटू की तीखी प्रतिक्रिया से सहम गया, उस ने कहा- अच्छा चल हम आपस में एंजॉय तो कर सकते हैं कि दोनों एक ही कमरे में! एक ही बिस्तर पर एक दूसरे की मम्मी को एक साथ चोदें? सोचकर देख … बहुत मजा आएगा।

यह सुनकर बंटू विचार में पड़ गया.
उसने कहा- मैं सोच विचार करके जवाब दूंगा।

उस के बाद उस ने मोंटी से कहा- मैं सिमरन आंटी से बात करूंगा और तू भी मौका देखकर मेरी मम्मी से पूछना! कि वे दोनों भी एक ही कमरे में एक साथ चुदने को तैयार हैं भी या नहीं?
मोंटी ने कहा- हां, यह ठीक रहेगा।

उसके बाद बंटू जब सिमरन से मिला तो उसने मोंटी की हसरत का सिमरन आंटी के आगे जिक्र किया तो सिमरन इस खेल के लिए किसी हालत में तैयार नहीं हुई।

उसने कहा- वासना और चुदाई के खेल, चुदाई से मिलने वाला आनंद अपनी जगह है। मगर मैं यह कहना चाहती हूं कि कहीं तो कोई लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए। एक दूसरे के सामने चुदाई करना जरूरी तो नहीं है।

बंटू ने कहा- जब हम दोनों को पता है कि हम दोनों एक दूसरे की मां चोद रहे हैं तो फिर दिक्कत क्या है? मैं केवल यह समझना चाहता हूं कि तुम मना क्यों कर रही हो?

सिमरन ने कहा- जब बेटे की शादी होती है तो माता-पिता और पूरे परिवार को पता होता है कि बेटा बहू बंद कमरे में किस तरह सुहागरात मनाएंगे। इस का मतलब यह तो नहीं कि वे सबके सामने जानवर की तरह शुरू हो जाएं।

बंटू ने कहा- आंटी, तुम सही कह रही हो। मैंने तो अपनी मम्मी को सरताज अंकल और मोंटी दोनों के साथ पूरी नंगी देखा है तो भी उनके साथ थोड़ी बहुत छेड़छाड़ से अधिक की मैं कल्पना भी नहीं कर पाया।

सिमरन ने कहा- मैं भी तुझे यही समझाना चाह रही हूं कि कल्पना में तो तू किसी का मर्डर भी कर दे … तो उसकी कोई सजा नहीं है लेकिन वास्तविकता में किसी के चेहरे पर थप्पड़ मारने में भी सोचना पड़ता है। यह मामला तो लिहाज के पर्दे को तार तार करने वाला है।

बंटू ने सिमरन की बातों से सहमति जताई और यह बात मोंटी को बता कर उसकी असामान्य हसरत को कुचल दिया।

बंटू और मोंटी दोनों का पढ़ाई में कोई रुझान तो था नहीं, पढ़ने के नाम पर वे दोनों केवल अंतर्वासना की कहानियां पढ़ते थे और पोर्न देखते थे।

दोनों धीरे धीरे अपने अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगे।

दोनों ने यह भी निश्चित किया कि अपने विवाह के लिए लड़की पसंद करने वे दोनों साथ जाएंगे।

ऐसा ही हुआ और बंटू का कोमल से एवं मोंटी का कुलजीत से विवाह निश्चित हो गया।

दिमाग में चढ़ी हुई कामवासना के कारण एक दूसरे की दुल्हनों को देखकर दोनों ही मन ही मन अपनी वाली के साथ-साथ, दूसरी को भी चोदने की काम कल्पना करने लगे।

बाद में एक बार जब दोनों साथ बैठे ड्रिंक कर रहे थे तो हल्के हल्के सुरूर में उनकी बातों ने कामुक मोड़ ले लिया।

मोंटी ने कहा- यार बंटू, कोमल परजाई तो मैंनू बड़ी चंगी कुड़ी लगी।
बंटू बोला- तू सही बोल रहा है यार, कुलजीत परजाई की जवानी भी तो उन के कपड़ों में नहीं समा रही थी, उस के पास तो ऊपर नीचे बन के गोले हैं, वह क्या कोमल से कम है?

मोंटी कुछ सोच कर शरारत से उसकी आंखों में झांक कर बोला- बंटू, क्या तू भी उसी बारे में सोच रहा है जो मेरे मन में है?
बंटू ने जवाब दिया- हां, भोसड़ी के, तू बिल्कुल सही कह रहा है। जब हम दोनों ने मदर स्वैपिंग कर ली तो फिर एक दूसरे की वाइफ़ को पटाने में मेहनत और समय खराब करके उन को चोरी छुपे क्यों चोदेंगे?

दोनों फिर खिलाकर हंस पड़े और अब उनकी बातें और भी अधिक नशीली हो गईं।

मोंटी ने कहा- कोमल के रस भरे कोमल होंठ और नशीली आंखें देकर ही मेरा लंड तो अंगड़ाइयां लेने लगा था।

बंटू बोला- और मैं तो कुलजीत के बड़े-बड़े बूब्स देख कर इतना तक सोचने लगा कि जब उसके दूध उतरेगा तो हम दोनों एक साथ उस के स्तनपान का मजा लेंगे।

मोंटी बोला- साला बड़ा हरामी है तू!
बंटू ने भी हंसते हुए जवाब दिया- तू मेरे से कम है क्या मादरचोद?

दोनों लंपट फिर से खिलखिलाकर हंस पड़े और गले लग गए।

समय द्रुत गति से चल रहा था।

बंटू और मोंटी का विवाह निश्चित हो चुका था लेकिन उसके पहले पम्मी के विवाह का दिन आ गया।

तब बंटू अपनी मम्मी के साथ अपने मामा के यहां पहुंचा।
उन दोनों को देखकर पम्मी के तो चेहरे पर रौनक आ गई क्योंकि उसको चुदे हुए बहुत दिन हो गए थे और वह पूरे मूड में थी।
उसकी तीव्र इच्छा थी कि विवाह के पूर्व बंटू के साथ रासलीला अवश्य करनी है।

रात के समय जब सोने की व्यवस्था चल रही थी तो पम्मी ने कहा- मम्मी, बंटू और बुआ मेरे कमरे में सो जाएंगे।
अंजू ने कहा- हां भाभी, हम पम्मी के साथ समय बिताना पसंद करेंगे।

बंटू, अंजू और पम्मी तीनों कमरे में आ गए।
थोड़ी देर तो गपशप चलती रही, उसके बाद अंजू ने कहा- बच्चो, तुम लोग एंजॉय करो। मैं कुछ देर में आती हूं।

उसके बाद वह पम्मी को आंख मारते हुए कमरे से बाहर निकल गई।

कमरे से बाहर निकल कर वह सीधी अपनी भाभी के पास पहुंची और पूछा- यार, तुम्हारा भाई कहां सोया हुआ है?
उसकी भाभी यानि पम्मी की मम्मी ने पूछा- क्यों, आज मेरे भाई को हलाल करने का विचार है क्या?

“हां यार, मूड तो कुछ ऐसा ही बन रहा है। बहुत दिन हो गए किसी नए खिलौने से खेले हुए!”

उसकी राज़दार भाभी ने अंजू को बता दिया कि वह छत पर बने हुए कमरे में सोया हुआ है।

बस फिर क्या था … अंजू ने एक कटोरी में खीर ली और चल पड़ी छत पर पम्मी के मामा के एक नए और जवान लंड का शिकार करने।

भविष्य में होने वाली घटनाओं के लिए वह अपने आप को तैयार कर रही थी, उसके मन में हो रही गुदगुदी ने उसकी धड़कनों को बढ़ा दिया था।

कमरे के अंदर बिस्तर पर अलसाया हुआ मनीष एकांत पाते ही काम कल्पना में डूबा हुआ था।
वह भी अपने लोअर को नीचे करके लंड सहला रहा था और सोच रहा था कि काश इस बार शादी में कोई नई चूत मिल जाए।

तभी उसके कमरे पर नॉक हुई।
वह चौंक गया कि इतनी रात को कौन हो सकता है.
मनु ने पूछा- कौन?
अंजू बिना आवाज किए चुपचाप खड़ी रही, उसने एक बार और नॉक किया।

जब कोई जवाब नहीं मिला तो आखिरकार मनीष ने अपने कपड़े ठीक किए और दरवाजा खोला।

सामने अंजू खीर की कटोरी हाथ में लिए खड़ी हुई थी।

उसके मन में अचानक ही यह भाव आया कि क्या दीदी की ननद अंजू, चुदवाने के इरादे से आई है या केवल खीर खिलाने?

उसने थोड़ा शरारती अंदाज में कहा- मैं सोच रहा था पता नहीं कौन आ गया डिस्टर्ब करने!
अंजू ने भी मुस्कुराते हुए पूछा- रात को बिस्तर पर महाशय ऐसा क्या कर रहे थे, जो कोई डिस्टर्ब करता?

इस पर मनीष ने थोड़ा झेंपने का अभिनय करते हुए कहा- अरे बंद कमरे में एकांत मिलते ही हर मर्द कुछ न कुछ शरारत करने लगता है।

अंजू समझ गई कि वह रात के समय एकांत में एक जवान औरत को पा कर वह बहकने लगा था।

उसने फिर पूछा- जरा मैं भी तो जानूं तुम्हारी उस शरारत के बारे में?

मनु का लंड जो कि दरवाजा खोलने तक थोड़ा नरम पड़ा था अंजू को उसकी बातों में रस लेते देख कर फिर से अकड़ने लगा था।

मनु ने मन में एक गुदगुदी सी महसूस की पर उसने सावधानी रखते हुए कहा- अरे यार, वह मैं तुमको नहीं बता सकता कि बंद कमरे में एकांत पा कर मर्द क्या क्या शरारत करने लगता है।

इतने में अंजू की नजर मनु के लोअर में बन चुके तंबू की और गई, उसने भी शरारात से कहा- छोड़ो नहीं बताना है तो, मैं तो समझ भी गई कि तुम क्या कर रहे थे।

अंजू की नजर को ताड़कर इस बार मनु वाकई में झेंप गया और अपने खड़े हो चुके लंड को लोअर के इलास्टिक बेल्ट में सेट करने लगा।

उसे अंजू की बातों और हावभाव से उस की चूत चोदने की संभावना दिखने लगी तो उसने भी आगे बढ़ने की ठान ली।

उस ने अंजू से पूछा- क्या समझ गई तुम? मैं भी तो जानूं?
अंजू ने कहा- नहीं तुम ने नहीं बताया तो मैं भी नहीं बताऊंगी। तुम तो खीर खाओ, मुझे वापस जाना है।

मनु समझ गया कि अंजू चुदने को तैयार है, बस नखरे दिखा रही है।
उसने कहा- नहीं बताना है तो जाओ मुझे भी नहीं खानी खीर!

अंजू ने सोचा कि कहीं हंसी मजाक में नए लंड के साथ मज़े करने का यह सुनहरी मौका हाथ से निकल नहीं जाये।

उसने कहा- अच्छा लो, पहले तुम मेरे हाथ से खीर खाओ फिर बताती हूं।

अंजू थोड़ा झुक के मनु को खीर खिलाने लगी।
अंजू के स्तन मनु के बिल्कुल सामने उस के हाथों को अपनी ओर आकर्षित रहे थे।

मनीष की इच्छा तो यह हुई कि दोनों स्तनों को दबोच ले।

तीन-चार चम्मच खीर खाने के बाद मनु बोला- अब तुमको मेरे हाथ से खीर खानी पड़ेगी।

अंजू बोली- रुको ज़रा मैं चम्मच लेकर आती हूं!
इस पर मनु ने कहा- क्यों मेरी जूठी चम्मच से खीर नहीं खा सकती क्या?

अंजू ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया- करने को तो मैं बहुत कुछ कर सकती हूं।
इस पर मनु ने कहा- अब तो बता दे कि तू क्या समझी थी और तू क्या कर सकती है?

मनु ने अपनी तरफ से दूरी कम कर दी थी.

अंजू ने कहा- मैंने तुम्हारे लोअर में तना हुआ तंबू देख लिया था, इसका मतलब यह है कि तुम अपने हथियार के साथ खेल रहे थे।

मनु मुस्कुराकर रह गया.
अब तो मनु समझ गया कि अंजू खीर खिलाने नहीं बल्कि अपनी चूत चुदाने, अपनी चुदाई की प्यास मिटाने आई है।

उसने कहा- मर्द जब भी अकेला होता है जो उसका हथियार और उसका दाहिना हाथ ही उस के सच्चे दोस्त होते हैं। जो उसका मन बहलाते हैं।

मनु ने पूछा- तूने यह तो बता दिया कि तू क्या समझी थी अब यह भी बता दे कि तू कर क्या सकती है?

इस पर अंजू ने कहा- अबकी बार खीर मैं तुझ को खिलाऊंगी, तू उसको निगलना मत!
मनु ने पूछा- ऐसा क्यों?

इस पर अंजू ने कहा- मैं जो कह रही हूं, वह कर!
अंजू ने भी अब अपना कामुक रूप दिखाने की ठान ली।

जैसे ही इस बार उसने मनु को खीर खिलाई, कटोरी को एक तरफ रखा और उसके होठों से अपने होंठ मिला दिए।
मनु भी इतना नासमझ नहीं था कि वह समझ नहीं पाये कि उसे अब क्या करना है?

उसने अपने मुंह की खीर अंजू के मुंह में पहुंचाना शुरू कर दिया।
अंजू ने मनु की जुबान से अपनी जुबान लड़ाई फिर उस के होठों पर जुबान फ़िराते हुए हटी और कहा- मज़ा आ गया। अब तेरी समझ में आया गुंडे कि मैं क्या कर सकती हूं?

मनु ने कहा- हां समझ में आ गया. और यह भी समझ में आ गया कि आज की रात हम क्या कर सकते हैं?

अंजू ने भोले पन का नाटक करते हुए अपनी आंखें चौड़ी की और पूछा- क्या मतलब है तेरा कमीने?
मनु ने कहा- हम दोनों इस सुनहरी मौके का फायदा उठाते हुए एक दूसरे के साथ चुदाई का आनंद उठा सकते हैं।

अंजू ने फिर से थोड़ा नाटक करते हुए कहा- हाय राम, मैंने ऐसा कुछ नहीं सोचा था। मुझे तो नींद नहीं आ रही थी तो थोड़ा मन बहलाने तेरे पास आ गई थी.
मनु ने कहा- मुझे मालूम है कि तेरे जैसी कामुक औरत का मन कैसे बहलाया जाता है!
यह कहते हुए उस ने अंजू को अपनी आगोश में लिया और उस के बांए स्तन को दबोचते हुए उस के अधरों का रसपान करने लगा।

अंजू की सांसें गर्म होने लगीं, वासना उसके दिमाग पर हावी हो गई।
उस का दाहिना हाथ मनु के कड़क हो चुके लंड पर पहुंच गया।

Xxx फायर ऑफ़ सेक्स से दोनों की आंखों में वासना के लाल डोरे खिंच चुके थे।

अंजू ने मनीष के लोअर और अंडरवियर को एक साथ नीचे खिसका दिया, जिसे मनीष ने फिर अपने पैरों से बाहर कर दिया और बिना अंजू के होठों को छोड़ अपनी पोजीशन बदली और अब उसके दाहिने स्तन को सहलाने लगा।

अंजू दोनों हाथों से मनीष के लोड़े से खेल रही थी।

एक पराई औरत के हाथों के स्पर्श ने मनीष की वासना और भड़का दी।
उसने अन्जू के नाईट गाऊन को उतार के एक ओर पटक दिया और गौर से उसके बदन को देखा।

40 वर्ष की उम्र में भी उसकी जवानी उफान पर थी।
उसने अंजू की ब्रा का हुक खोला उसके सामने दो हृष्ट पुष्ट रीते अमृत कलश उसके होठों में गुदगुदी करने लगे।

वह मंत्र मुग्ध सा उसके स्तनों पर पिल पड़ा और दीवानों की तरह बारी बारी से उसके स्तनों को दबा दबा कर उसकी निप्पलों को चूसने लगा।

अंजू लगातार मनीष के लंड से खेल रही थी।

इतने कामोत्तेजक वातावरण में मनीष की वासना एक तूफान बनती जा रही थी।

मनीष ने सोचा यदि अब देर तक अंजू को उसके लंड से खेलने दिया तो उसके हाथों में ही स्खलन हो जाएगा।

उस ने अंजू की पैंटी को नीचे खिसका कर उसकी चिकनी चूत पर हाथ फेरा।
मनीष की उंगलियां चूत रस में गीली हो गई।

उसने अपनी उंगलियों से चूत रस चाटते हुए अंजू से पूछा- तेरी चूत तो ताजा-ताजा चिकनी करी हुई लग रही है. क्या मेरा लंड लेने ही ऊपर आई थी?

अंजू ने कहा- हां, मेरे चोदू राजा और अब मुझे तेरे नीचे आने की हसरत है।

मनीष एकदम खुश हो गया और उसने अंजू को पलंग पर लिटाया और उसकी चूत में मुंह दे दिया।

नया लंड मिलने की संभावना से अंजू की चूत से नमकीन रस बह के मनीष के मुंह में जा रहा था।
अंजू झड़ने की कगार पर थी उसे अपने भग्नासा पर कुछ पल का दुलार चाहिए था।

लेकिन वह स्वयं झड़ने के पहले मनीष को ठंडा करना चाहती थी।
उसे मनीष को ऊपर खींचा और पलंग पर लेटा दिया।

मेरे कामुक पाठकों, Xxx फायर ऑफ़ सेक्स कहानी में मजा आ रहा है न? विश्वास रखिए, कहानी में सनसनी बनी रहेगी।
पढ़ते रहिये, आनंद उठाते रहिये।
माधुरी सिंह मदहोश
एवं मनोज सिंह प्रेमी
[email protected]

Xxx फायर ऑफ़ सेक्स कहानी का अगला भाग:

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