खामोशी से बेशरमी तक- 6
(Xxx Adult Sex Kahani)
Xxx अडल्ट सेक्स कहानी में मैंने अपनी शर्मीली शादीशुदा बहन को होटल के कमरे में अधनंगी करके चोदा. जब वह बाथरूम में मूत रही थी तू मैंने बड़ी बारीकी से उसकी चूत का मुआयना किया.
कहानी के पांचवें भाग
शरमीली बहन की चूत चाटी
में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी बहन को सेक्स के लिए गर्म किया, उसकी चूत चाटी और उसे ओरल सेक्स का पहला मजा दिया.
अब आगे Xxx अडल्ट सेक्स कहानी:
मोनी के चेहरे पर आई मुस्कान देख मैं भी खुश हो गया और पूरा नंगा होकर सीधा उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसके को नर्म मुलायम होंठों व गालों को पूरा चूमा चाटा, फिर नीचे मोनी की जांघों के बीच जाकर घुटनों के बल बैठ गया।
मोनी अभी भी अपनी आंखें बंद किये लेटी थी.
मैंने उसकी साड़ी व पेटीकोट ऊपर तक उठाकर उसकी चूत को देखा फिर एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़कर सीधा चूत के मुंह पर लगा लिया.
वह मेरे लण्ड को पहले भी अपनी चूत में ले चुकी थी और आज शायद उसे देख भी लिया था इसलिये जैसे ही मैंने लण्ड को चूत पर लगाया, उसने एक झुरझुरी लेकर अपने बदन को कड़ा कर लिया.
वैसे देखा जाये तो मोनी का अपने बदन को कड़ा करना लाजमी भी था क्योंकि ये तो मैं खुद भी देख रहा था कि जितना बड़ा मेरे लण्ड का सुपारा था, उतनी बड़ी ही मोनी की सारी ही चूत थी।
हालांकि चूत का प्रवेश द्वार थोड़ा नीचे की ओर खुला हुआ था मगर उसकी चूत मेरे सुपारे से बहुत ज्यादा बड़ी नहीं थी।
खैर मोनी मेरे लण्ड को लेने को तैयार थी.
मैंने लण्ड को चूत पर घिसकर उसे चूतरस से चिकना किया फिर लण्ड को उसकी चूत के प्रवेशद्वार पर लगा के जोर का झटका लगा दिया.
मेरा आधे से ज्यादा लण्ड मोनी की चूत में समा गया और उसके मुंह से ‘अआ आह … आआ … ययह्ह्ह्ह …’ की एक तेज कराह निकल गयी।
मोनी एक बच्चे की मां बन गयी थी मगर अभी भी उसकी चूत में काफी कसाव था।
और उसकी चूत की गर्मी तो इतनी अधिक थी मानो मैंने अपना लण्ड किसी धहकती भट्ठी में ही घुसा दिया हो।
उत्तेजना व आनन्दवश मैंने लण्ड को थोड़ा बाहर खींचकर तुरन्त एक जोर के झटका देकर पूरा का पूरा लण्ड मोनी की चूत में उतार दिया.
जिससे वह ‘ऊऊह्ह ह्ह्ह्हुऊऊ …’ करके कराह उठी।
मोनी की कराह पहले से ज्यादा तेज थी इसलिये मैंने उसे सांत्वना देने के लिये उसके होंठों को अपने मुंह में भर लिया और प्यार से हल्के हल्के चूसकर उसे अपने प्यार की शेक देने लगा।
कुछ देर मोनी के होंठों से प्यार करने के बाद मैंने छोटे छोटे धक्के लगाकर अपने लण्ड को चूत में अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया.
सचमुच मोनी की चूत अभी भी काफी कसी हुई थी क्योंकि मेरे इन छोटे छोटे धक्कों से उसके मुंह से हल्की हल्की कराह निकल रही थी।
पता नहीं उत्तेजना के कारण उसकी चूत में इतना तनाव आ गया था या फिर मेरा ही लण्ड कुछ ज्यादा मोटा है।
खैर मैं छोटे छोटे धक्के लगाकर अपने लण्ड को मोनी की चूत में अन्दर बाहर करता ही रहा, साथ ही ऊपर से उसके होंठों को चूसकर उसे प्यार भी देता गया.
मोनी कुछ देर तो कराहती रही, फिर धीरे धीरे अपने आप ही उसकी चूत की दीवारों ने मेरे लण्ड के हिसाब से एडजैस्ट कर लिया और उसकी चूत कामरस से भर आई.
मेरा लण्ड अब आसानी से अन्दर बाहर होना शुरु हो गया था.
मोनी के होंठों को चूसते हुए मैंने अपनी जीभ को भी उसके मुंह में उतार दिया जिसे मोनी ने भी हल्का हल्का चूसना शुरु कर दिया.
मेरे धक्कों से मोनी को मजा आने लगा, उसके हाथ अब अपने आप ही मेरी पीठ पर आ गये और धीरे धीरे मुझे सहलाना शुरू कर दिया.
उसको गर्म होती देख अब मैंने भी धक्कों की गति बढ़ाना शुरु किया जिससे उत्तेजनावश मोनी ने अपने पैरो को मेरी जांघों पर चढ़ा लिया था और नीचे से धीरे धीरे धक्के लगाकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
मोनी का साथ पाते ही अब मैं पूरी ताकत से उसे छोड़ने लगा तो उसकी कराहें अब सिसकारियों में बदल गयी.
ऊपर मैंने कुछ दे मोनी को अपनी जीभ चूसने दी, फिर मैं अपनी जीभ को वापस अपने मुंह में ले आया.
मेरी जीभ का पीछा करती हुई मोनी की जीभ मेरे मुंह में आ गयी जिसे मैं चूसने लगा।
इसी तरह कभी मोनी की जीभ मेरे मुंह में, तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में!
जीभ की लड़ाई के साथ साथ ही नीचे से हमारी धक्कों की लड़ाई भी शुरु हो गयी।
मोनी अब बिल्कुल भी नहीं शरमा रही थी क्योंकि जितनी तेजी से अब मैं धक्के लगा रहा था, मोनी भी नीचे से अपने कूल्हों को उचका कर धक्के लगा रही थी।
हमारी इस धक्कमपेल से हम दोनों की सांस फूल गई.
मगर ना तो मैं पीछे रह रहा था और ना ही मोनी कुछ कसर बाकी रख रही थी.
ए०सी० के चलने के बावजूद भी हमारे बदन की गर्मी बढ़ गयी।
मोनी के माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थी.
वह अब अपनी ही धुन में सवार थी मानो मेरी साल भर की कसर आज ही निकाल देगी.
धक्कमपेल करते हुए अचानक मोनी के बदन में एक लहर उठी और जो उसकी चूत पर आ थमी, जिससे मेरे लण्ड पर उसकी चूत का जोर से संकुचन हुआ.
फिर अचानक मोनी ने मेरे होंठों को जोर से चूमते काटते हुए अपने हाथ पैरों को समेटकर मुझे कस के जकड़ लिया- ईईश्श्श .. आआ … ह्ह्ह … ईईई … श्श्श … आआआ … ह्ह्ह … ईईई … श्श्श् श… आआआ … ह्ह्ह!
किलकारियाँ सी मारते हुए उसने रह रह कर अपनी चूत के अन्दर मेरे लण्ड को अपने प्रेमरस से नहलाना शुरु कर दिया.
मोनी का अगर कोई ये चरमोत्कर्ष देखता तो कह नहीं सकता था कि यह वही लड़की है जो कुछ देर पहले तो मुझे एक छोटी सी पप्पी देने में भी शरमा रही थी.
मगर अब मुझसे ऐसे लिपटी मेरे होंठों को जोर से चूम काट रही थी।
खैर मोनी के इस चरमोत्कर्ष के साथ ही मैं भी अब अपने शिखर पर पहुंच गया था इसलिये उसे अपनी बांहों में कस कर मैंने भी अपने लण्ड से उसकी चूत को सींचना शुरु कर दिया.
हमारा यह चरमोत्कर्ष इतना उग्र था कि कुछ देर तक तो हमें होश ही नहीं रहा कि हम क्या कर रहे हैं.
बस एक दूसरे को चूमते चाटते हम अपने अपने प्रेमरस की गर्मी से एक दूसरे के गुप्तांगों की सिकाई करते रहे.
अपनी चूत का सारा काम ज्वार उगलने के बाद मोनी को जब यह अहसास हुआ कि वह यह क्या कर रही है तो उसने शरमाकर मुझे अपने ऊपर से धकेल कर नीचे उतार दिया और जल्दी से उस चादर को अपने ऊपर खींचकर अपने बच्चे की ओर मुंह करके लेट गयी।
अब फिर से कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही अचेत से पड़े रहे.
फिर मोनी ने उठकर अपनी ब्रा व ब्लाउज को सही से पहना, फिर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही से करके बिस्तर से नीचे उतर गयी।
मोनी ने पेंटी नहीं पहनी … शायद खराब होने के डर से … क्योंकि उसकी चूत तो मेरे और खुद उसके कमरस से भरी पड़ी थी.
पेंटी को हाथ में लेकर वह बाथरूम में घुस गयी।
मुझे पता था कि बाथरूम में मोनी अपनी चूत को धुलाई करने और फ्रेश होने गयी है.
मुझे यकीन था कि मोनी बाथरूम के दरवाजे की कुण्डी भी नहीं लगायेगी क्योंकि उस बाथरूम का दरवाजा ही कुछ ऐसा था ‘हैण्डल वाला!’
मोनी की शर्म खोलने का मेरे लिये यह एक और अच्छा मौका था।
मैं भी बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और बाथरूम के दरवाजे के पास जाकर उसका हैण्डल घुमाकर देखा.
जैसा मैंने सोचा था, हुआ भी वैसा ही
उसने दरवाजे की कुण्डी नहीं लगायी थी, इसलिये हैण्डल को घुमाते ही दरवाजा खुल गया।
दरवाजे को मैंने पूरा नहीं खोला, बस हल्का सा खोलकर अन्दर झांककर देखा.
अन्दर मोनी इंडियन सीट पर टांगें फैलाये अपनी साड़ी व पेटीकोट को ऊपर करके खड़ी थी।
और पेंटी जो वह हाथ में लेकर आई थी, वाश बेसिन पर रखी हुई थी।
उसने गर्दन को नीचे झुका रखी थी इसलिये उसका अब मुझ पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था।
वह शायद अपनी चूत को देख रही थी जिसको मैंने बेदर्दी से बजाया था।
मोनी की चूत से मेरा वीर्य और खुद उसका कामरस अभी भी रिस रहा था जो उसकी एक जांघ पर बह आया था।
उसने एक हाथ से अपनी जांघ को पौंछा, फिर नीचे की ओर मुंह झुकाये झुकाये ही सीट पर बैठ गयी।
उसे अभी भी बिल्कुल आभास भी नहीं था कि मैं उसे दरवाजा खोलकर देख रहा हूं.
वह अभी भी गर्दन झुकाये अपनी चूत को देख रही थी।
शायद वह अभी अपनी चुदाई के खुमार में थी.
मैं भी नीचे बैठ गया और वैसे ही थोड़ा सा दरवाजा खोले उसे देखता रहा.
मेरे और मोनी के बीच मुश्किल से चार फिट का ही फासला था.
मैं आसानी देखा पा रहा था कि मोनी के इस तरह बैठने से उसकी चूत की फांकें खुल गयी थी जिससे चूत के अन्दर का गुलाबी भाग फैल गया.
मोनी की चूत की मांसपेशियाँ अब एक बार तो थोड़ी फूली, फिर सिकुड़ी.
और जब वे दोबारा फूली तो चूत के गुलाबी भाग से मूत की पहले तो एक दो बूंद निकली, फिर धीरे धीरे श्श्श्श्श् श्श्श्श्श् श्श्श्श् की सी आवाज के साथ एक तेज धार निकली।
पेशाब की धार बनते ही मोनी ने अब एक गहरी राहत की सांस के साथ अपनी गर्दन को भी ऊपर उठा लिया।
उसने अभी तक आंखें शायद बन्द कर रखी थी.
मगर गर्दन उठाकर जब उसने आंखें खोली तो सामने ही दरवाजे से मुझे झांकते पाया.
मुझे झांकते देख मोनी की आंखें हैरत से फैलकर बड़ी हो गयी।
उसे कुछ देर तो समझ ही नहीं आया कि वो क्या करे और क्या ना करे!
आंखें फाड़े वह बस मुझे देखती देखती ही रही.
तब मैं जल्दी से दरवाजे को पूरा खोलकर अन्दर घुस गया।
मैं एक तो पूरा नंगा था और दूसरा वह पेशाब कर रही थी जिससे मोनी अब ‘य्य्य ऐ तुम … म्म्म …’ कहकर हकला सी गयी और जल्दी अपनी साड़ी व पेटीकोट को खींचकर उन्हें अपनी चूत के आगे कर लिया.
तब तक मैं अन्दर आकर मोनी के सामने ही नीचे फर्श पर बैठ गया और गर्दन को नीचे झुकाकर उसकी साड़ी व पेटीकोट के नीचे से उसकी चूत को देखने लगा.
ऐसे देखने से मुझे मोनी की चूत से निकलते मूत के साथ साथ उसकी खुली चूत का भी पूरा नजारा मिल रहा था।
बेहद ही कामुक और उत्तेजक नजारा था वो!
चूत की गुलाबी फांकों के बीच से निकलता सुनहरी झरना सफेद सीट पर गिर कर चारों ओर छिटक सा रहा था, जिससे कुछ बूँदें तो उड़कर बाहर भी आ रही थी।
जैसे झरने से एक अलग ही आवाज निकलती है, उसी तरह मोनी की चूत से बहते उस झरने से भी आवाज निकल रही थी.
पर यह आवाज कुछ अलग थी ‘श्श्श्श श्श्श्स श्श्श्श्श श्श्स’ एक लम्बी सीटी की सी।
मैं देख रहा था कि चूत के प्रवेशद्वार से बस आढा ईंच ऊपर ही एक छोटा सा छेद था जहां से वो सुनहरी झरना निकल रहा था।
बाकी नीचे चूत के द्वार से तो अभी भी थोड़ा थोड़ा मेरा और मोनी की चूत का कामरस ही रिस रहा था।
वैसे तो कामरस बिल्कुल गाढ़ा होता है मगर पेशाब चूत की ओर भी जा रहां था जिससे वो गाढ़ा कामरस पेशाब से थोड़ा पतला होकर लम्बी लार के रूप में नीचे गिर रहा था।
मेरे ऐसे देखने से मोनी के चेहरे पर वही पहले वाली शर्म की हल्की सी मुस्कान आ गयी.
उसने धीरे से ‘बेशर्म’ बोला. शायद उसने यह मन में ही बड़बड़ाया और गर्दन घुमाकर अपना मुंह दूसरी ओर कर लिया।
मैंने बहुत सी लड़कियों, औरटों से सम्बन्ध बनाये थे मगर किसी को पेशाब करते पहली बार देख रहा था।
सच कह रहा हूं … बेहद ही कामुक नजारा था वो!
मुझसे अब रहा नहीं गया और मैंने धीरे से अपना एक हाथ बढ़ाकर मोनी की चूत से बहते उस झरने में घुसा दिया.
गर्म गर्म पेशाब की तेज धार अब मेरे हाथ से टकराई, उसका असर सीधा मेरे लण्ड पर हुआ।
मैं तो जहां मोनी की चूत से झरना फूट रहा था, उसे छूना चहता था मगर मोनी ने बीच में ही मेरे हाथ को पकड़ लिया और ‘बेशर्म’ उसने हल्के से फिर दोहरा दिया।
दस पन्द्रह सैकण्ड तक तो ऐसे ही मोनी की चूत से वो झरना गिरता रहा फिर धीमा होकर बूंदों में बदल गया।
मोनी की चूत की मांस पेशियों ने फैल और सिकुड़कर दो तीन पिचकारयाँ मारी।
फिर वापस हल्की हल्की और छोटी छोटी बूंदों में बदलकर वो झरना बन्द हो गया।
इसी के साथ मोनी ने अब एक हाथ पास ही रखे पानी के मग को उठा लिया और अपनी चूत पर पानी डाल डाल कर दूसरे हाथ से चूत को जल्दी जल्दी धोना शुरु कर दिया.
मोनी को अपनी चूत धोते देख मैंने अब अपना एक हाथ फिर से उसकी चूत की ओर बढ़ा दिया- मैं धो दूँ?
मगर वो बोली- हट्! बेशर्म!
कहते हुए मोनी ने मेरे हाथ को झटक कर दूर कर दिया।
अपनी चूत को धोने के बाद मोनी जल्दी से उठकर खड़ी हो गयी।
खड़ी होते ही उसकी साड़ी व पेटीकोट अब ऐसे नीचे आ गीरे जैसे स्टेज प्रेग्राम के बाद पर्दा गिरता है.
और इसी के साथ मोनी की चूत का नजारा भी बन्द हो गया।
मोनी के साथ साथ मैं भी उठकर खड़ा हो गया.
मोनी वहाँ से जाने लगी तो मैंने उसे एक बार फिर से पकड़ लिया.
मोनी मुझसे अब इतना नहीं शरमा रही थी पर उसके चेहरे पर अभी भी शर्म की हल्की सी मुस्कान थी।
इसलिये मेरे अब उसे पकड़ते ही मोनी ने कसमसाते हुए कहा- उम्म्म … क्या है अब?
और मुझसे छुड़ा कर जल्दी से बाथरूम से बाहर निकल गयी।
मोनी की पेंटी बाथरूम में ही रह गयी.
पता नहीं वह भूल गयी या शर्म के कारण मेरे सामने उसने उसे पहना नहीं.
जो भी हो, मैंने भी उसे वहीं छोड़ दिया और मोनी के पीछे पीछे बाथरूम से बाहर आ गया.
बाथरूम से बाहर आकर मैंने फिर से मोनी को पकड़ा ही था कि किसी ने दरवाजा बजा दिया- सर आपका ऑर्डर!
दरवाजे की दस्तक सुनते ही मोनी जल्दी से मुझसे छुड़ाकर अलग हो गयी और अपने बच्चे के पास बिस्तर पर जाकर बैठ गयी।
मैंने घड़ी की तरफ समय देखा तो एक बजकर बीस मिनट हो रहे थे।
मैंने वेटर को पालक पनीर लाने को कहा था, वह उसे लेकर आया था।
मैं अभी भी पूरा नंगा था- …हा … हां बस एक मिनट!
मैंने वेटर को आवाज देकर कहा और जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहने शुरु कर दिये जिसे देख मोनी की हंसी निकल गयी।
कपड़े पहने के बाद मैंने अब दरवाजा खोला तो वेटर दोनों हाथों में एक बड़ी से ट्रे में पालक पनीर, उसके साथ दो प्लेट, चम्मच और कांच के गिलास रखे खड़ा था।
यह वही वेटर था जो कोल्ड ड्रिंक लाया था।
उसने दरवाजा खोलते ही ‘गुड आफटरनून सर … आपका ऑर्डर!’ कहा और अन्दर आकर ट्रे को मेज पर रखकर चला गया।
मैंने और मोनी ने साथ बैठकर खाना खाया।
खाना खाने के बाद हालांकि मोनी के बच्चे थोड़ा बहुत परेशान किया मगर फिर भी हमने दो बार और चुदाई की और रात खाना खाकर ट्रेन पकड़ ली।
घर आने के बाद मैं सप्ताह भर अपने घर रहा जिसमें रोजाना तो नहीं मगर फिर भी तीन चार बार तो मैंने और मोनी की चूत चुदाई के ही डाली।
मोनी अब मुझसे इतना नहीं शरमाती थी।
हमारा वो खामोशी वाला प्यार अब बेशर्मी वाला बन गया था इसलिये कभी मोनी खुद हमारे घर आ जाती तो कभी मौका देख मुझे अपने घर बुला लेती।
तो प्रिय पाठको, अक़प्को यह Xxx अडल्ट सेक्स कहानी कैसी लगी?
अपने विचारों से अवगत कराएं.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments