विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-48
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-48)
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प्रिया- हाँ भाई.. दिख रहा है मगर मुझे थोड़ा डर लग रहा है.. आपका इतना लंबा लौड़ा मेरी छोटी सी गाण्ड में कैसे जाएगा।
दीपक- अरे पगली.. जब चूत में चला गया.. तो गाण्ड में भी चला जाएगा.. तू डर मत.. पहली बार में थोड़ा दर्द होगा.. उसके बाद सब ठीक हो जाएगा।
प्रिया- नहीं भाई पहली बार जब चूत में गया था.. मेरी जान निकलते-निकलते बची थी।
दीपक- अरे वो तो मैं गुस्से में तुझे चोद रहा था.. अब तो बड़े प्यार से तेल लगा कर तेरी गाण्ड में लौड़ा डालूँगा.. तू डर मत मेरी प्यारी बहना..।
प्रिया- ठीक है भाई.. जैसी आपकी मर्ज़ी.. आ जाओ अब आप ही मुझे नंगी कर दो।
दीपक उसके करीब गया और उसके कपड़े निकाल दिए.. और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा झटके खा रहा था।
प्रिया- भाई देखो कैसे ये झटके खा रहा है.. बड़ा हरामी है.. इसको पता लग गया कि आज ये मेरी कसी हुई गाण्ड में जाएगा।
दीपक- हाँ मेरी जान ये सब महसूस करता है पहले तुझे अच्छे से चूमूँगा.. चाटूँगा.. उसके बाद ही तेरी गाण्ड मारूँगा।
दीपक और प्रिया अब एक-दूसरे के होंठों का रस पीने लगे थे।
इसी दौरान दीपक का हाथ प्रिया की गाण्ड को दबा रहा था.. प्रिया को बड़ा मज़ा आ रहा था।
दोनों बिस्तर पर लेट गए और चूसने का प्रोग्राम चालू रहा.. दीपक अब प्रिया के निप्पल को चूसने लगा।
प्रिया- आ आह्ह.. भाई मज़ा आ रहा है.. उह.. ये निप्पल का कनेक्शन आह्ह.. चूत से है क्या.. आह्ह.. आप चूस रहे हो और अह.. चूत में मीठी खुजली शुरू हो गई आह्ह..
दीपक- हाँ मेरी बहना निप्पल और चूत की तारें आपस में जुड़ी हुई हैं अब तू मज़ा ले.. मुझे भी तेरे आमों का रस पीने दे.. उफ़ बड़े रसीले हैं तेरे आम..
दीपक काफ़ी देर तक प्रिया के मम्मों को चूसता रहा.. अब वो नीचे आकर चूत को चाटने लगा था। प्रिया तो बस आनन्द के मारे सिसकियां ले रही थी। दीपक का लौड़ा लोहे जैसा सख़्त हो गया था।
दीपक- साला ये लंड भी ना.. परेशान कर रहा है.. ठीक से चूत चाटने भी नहीं दे रहा.. प्रिया घूम जा तू.. लौड़े को चूस.. मैं तेरी चूत को ठंडा करता हूँ.. उसके बाद तेरी गाण्ड का मज़ा लूँगा..
प्रिया घूम गई अब दोनों 69 की अवस्था में आ गए थे.. दीपक बड़े सेक्सी अंदाज में चूत को चाटने लगा। प्रिया भी तने हुए लौड़े को ‘घपाघप’ मुँह में चूसे जा रही थी। उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी थी.. क्योंकि दीपक चूत चाटने के साथ-साथ अपनी ऊँगली पर थूक लगा कर उसकी गाण्ड में घुसने की कोशिश कर रहा था।
प्रिया को बहुत मज़ा आ रहा था.. उसे गाण्ड में ऊँगली करने से गुदगुदी हो रही थी और चूत पर जीभ का असर उसे पागल बना रहा था।
करीब 10 मिनट बाद उसकी चूत ने उसका साथ छोड़ दिया और वो झड़ने लगी।
दीपक ने सारा चूतरस पी लिया।
दीपक- आह्ह.. मज़ा आ गया मेरी रानी.. चल अब तैयार हो जा गाण्ड मरवाने के लिए मेरा लौड़ा भी कब से तड़फ रहा है।
प्रिया- भाई आपका लौड़ा बहुत गर्म हो गया है.. चुसाई से जल्दी ही झड़ जाएगा.. मैं मुँह से ही चूस कर पानी निकाल देती हूँ दूसरी बार कड़क हो जाए तब आप गाण्ड मार लेना।
दीपक- नहीं मेरी जान.. लौड़े को इतना क्यों चुसवाया.. पता है.. ताकि ये तेरी गाण्ड में जाने के लिए तड़पे.. तब तेरी गाण्ड मारने का मज़ा दुगुना हो जाएगा..
प्रिया- ठीक है मेरे गान्डू भाई.. आप नहीं मानोगे.. लो मार लो कौन सी अवस्था पसन्द करोगे।
दीपक- आज गधी बन जा.. तुझे गधी बना कर मैं तेरी सवारी करूँगा..
प्रिया- क्या भाई.. कभी कुतिया.. कभी गधी.. आप घोड़ी भी तो बोल सकते हो।
दीपक- देख अब तू चाहे कुछ भी बन.. लौड़ा तो तेरी गाण्ड में ही जाना है। क्या फ़र्क पड़ता है कि तू क्या बनी है।
प्रिया- अच्छा भाई.. लो आपके लौड़े के लिए तो गधी भी बन जाती हूँ लो अपनी गधी की गाण्ड में लौड़ा डाल दो।
प्रिया घुटनों के बल हो गई। कमर को सीधा कर लिया पैर फैला लिए.. ताकि गाण्ड का छेद थोड़ा खुल जाए.. मगर कुँवारी गाण्ड थी तो कहाँ छेद खुलने वाला था।
दीपक ने लौड़े पर अच्छे से थूक लगाया और प्रिया की गाण्ड में भी ढेर सारा थूक लगा कर ऊँगली से अन्दर तक करने लगा।
प्रिया- उइ आई आह्ह.. भाई ऊँगली से ही दर्द हो रहा है.. लौड़ा कैसे जाएगा.. प्लीज़ आप चूत ही मार लो, लौड़े का अन्दर जाना मुश्किल है।
दीपक- अरे साली रंडी बनने का शौक तुझे ही चढ़ा था.. अब दर्द से क्या घबराती है.. बस आज की बात है.. उसके बाद तो तेरे दोनों छेद खुल जायेंगे.. तू पक्की रंडी बन जाएगी.. मैं रोज तुझे चोदूँगा।
प्रिया- नहीं भाई मुझे कोई रंडी नहीं बनना.. बस आपके सिवा मैं किसी के बारे में नहीं सोचूँगी.. आह्ह.. रंडी तो वो दीपाली है.. जो सब के पास जा जा कर चुदती है उई आह्ह..
दीपक- अच्छा.. तू रंडी नहीं बनेगी तो क्या मेरी बीवी बनने का इरादा है?
प्रिया- हाँ भाई हम कहीं भाग जाते हैं वहाँ शादी कर लेंगे.. अपना घर बसाएंगे हम..
दीपक- अब ये सपने देखना बस भी कर.. हम भाई-बहन हैं.. ये नामुमकिन है.. चल अब रेडी हो जा.. लौड़ा गाण्ड में लेने के लिए.. मैंने तेरी गाण्ड में अच्छे से थूक लगा दिया है.. अब दर्द कम होगा.. लौड़ा आराम से अन्दर जाएगा।
प्रिया- आप भी ना भाई कोई क्रीम लगाते या तेल लगाते.. आप ना थूक लगा रहे हो..
दीपक- अरे मेरी बहना थूक लगा कर गाण्ड मारने का मज़ा ही अलग होता है.. अब बस बात बन्द कर.. मुझे लौड़ा घुसड़ेने दे।
दीपक ने लौड़े पर और थूक लगाया और प्रिया के छेद पर लौड़ा टिका कर दबाव देने लगा.. लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया.. दोबारा किया तो फिसल कर नीचे हो गया। दीपक थोड़ा झुंझला सा गया।
दीपक- तेरी माँ की चूत.. साला अन्दर ही नहीं जा रहा..।
प्रिया- भाई मेरी गाण्ड बहुत छोटी और आपका लौड़ा बहुत बड़ा है.. नहीं जाएगा आप समझो बात को.. आह्ह..
दीपक- चुप बहन की लौड़ी.. साली कब से ‘पक-पक’ कर रही है.. जाएगा क्यों नहीं.. अबकी बार देख कैसे जाता है।
प्रिया समझ गई कि ये गुस्सा हो गया.. वो चुप रही और दाँत भींच लिए अपने ताकि दर्द हो तो चींख ना निकले।
दीपक ने लौड़े पर और थूक लगाया और प्रिया के छेद पर लौड़ा टिका कर दबाव देने लगा.. लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया.. दोबारा किया तो फिसल कर नीचे हो गया। दीपक थोड़ा झुंझला सा गया।
दीपक- तेरी माँ की चूत.. साला अन्दर ही नहीं जा रहा..
प्रिया- भाई मेरी गाण्ड बहुत छोटी और आपका लौड़ा बहुत बड़ा है.. नहीं जाएगा आप समझो बात को.. आह्ह..
दीपक- चुप बहन की लौड़ी.. साली कब से ‘पक-पक’ कर रही है.. जाएगा क्यों नहीं.. अबकी बार देख कैसे जाता है।
प्रिया समझ गई कि ये गुस्सा हो गया.. वो चुप रही और दाँत भींच लिए अपने ताकि दर्द हो तो चींख ना निकले।
अबकी बार दीपक ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपी छेद पर रख कर थोड़ा सा दबाव बनाया तो टोपी गाण्ड के छेद में अटक गई.. बस यही मौका था उसके पास.. उसने जल्दी से एक हाथ से लौड़ा पकड़ा दूसरे हाथ से प्रिया की कमर को पकड़ा और दबाव बनाया.. दो इंच लौड़ा अन्दर घुस गया।
प्रिया- आह आह.. भाई उआई.. बहुत दर्द हो रहा है…
दीपक- अरे मेरी जान तेरी गाण्ड है ही इतनी टाइट.. थोड़ा दर्द तो होगा ही.. तू बस बर्दास्त कर.. उसके बाद बड़ा मज़ा आएगा..।
दीपक ने प्रिया की कमर को पकड़ कर दोबारा लौड़े पर दबाव बनाया.. दो इंच लौड़ा और अन्दर घुस गया।
दीपक का लंड गाण्ड में एकदम फँस सा गया था जैसे उसे किसी ने शिकंजे में फंसा दिया हो.. उधर प्रिया की हालत भी खराब हो रही थी। दर्द के मारे उसकी आँखों में आँसू आ गए थे.. मगर वो दाँत भींचे.. बस सिसक रही थी।
दीपक- आह्ह.. मज़ा आ गया.. कैसी कसी हुई गाण्ड है तेरी.. साला लौड़ा अन्दर जकड़ सा गया है।
प्रिया- आई भाई उफ़ ससस्स.. अब और मत डालना.. आह्ह.. मेरी गाण्ड फट जाएगी.. बहुत आआह्ह.. आह.. दर्द हो रहा है प्लीज़.. आह्ह.. इतने से ही आप काम चला लो आह्ह..
दीपक- हाँ बहना जानता हूँ.. तुझे तकलीफ़ हो रही है.. डर मत मैं बड़े आराम से तेरी गाण्ड मारूँगा।
दीपक का 4″ लौड़ा गाण्ड में फँसा हुआ था। अब वो धीरे-धीरे उसे अन्दर-बाहर करने लगा.. प्रिया को दर्द हो रहा था मगर कुछ देर बाद दर्द के साथ उसको एक अलग ही मज़ा भी आने लगा। वो उत्तेजित होने लगी.. उसकी चूत भी पानी छोड़ने लगी।
प्रिया- आ आह.. हाँ ऐसे ही भाई.. आह्ह.. आराम से करो आह्ह.. स..सस्स मज़ा आ रहा है.. आई धीरे.. अभी दर्द है मगर आह्ह.. कम हो रहा है आह्ह..
दीपक अब थोड़ी रफ्तार बढ़ा रहा था और लौड़े पे दबाव बना रहा था ताकि और वो अन्दर तक चला जाए।
दस मिनट तक ये सिलसिला चलता रहा। अब दीपक भी चरम सीमा पर पहुँच गया था.. प्रिया की दहकती गाण्ड में लौड़ा ज़्यादा देर नहीं टिक पाया उसको लगा कि अब कभी भी पानी निकल जाएगा तो उसने प्रिया की कमर को दोनों हाथों से कस कर पकड़ लिया।
दीपक- बहना मेरा पानी किसी भी पल निकल सकता है… अब बर्दास्त नहीं होता.. मैं पूरा लौड़ा तेरी गाण्ड की गहराई में उतार रहा हूँ संभाल लेना तू…
प्रिया- आह्ह.. आई.. भाई आह्ह.. अब मना करूँगी आह्ह.. तो आप मानोगे थोड़ी.. आह डाल दो आह्ह.. अब आधा गया तो आह पूरा भी पेल दो आह्ह..
बस इसी पल दीपक ने लौड़ा गाण्ड से बाहर निकाला और तेज झटका मारा। प्रिया की गाण्ड को चीरता हुआ लौड़ा जड़ तक उसमें समा गया।
ना चाहते हुए भी प्रिया के मुँह से चीख निकल गई.. मगर वो इतनी ही चीखी कि बस उसकी आवाज़ कमरे से बाहर ना जा पाए।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं.! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
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