जवान कॉलेज गर्ल को चाचा ने चोदा

(School Girl Teen Sex Kahani)

स्कूल गर्ल टीन सेक्स कहानी में एक लड़की अपने क्लासमेट को अपनी पहली चुदाई की घटना सुना रही है कि कैसे उसके चाचा ने अपनी बातों से उसे पटाया और मौक़ा पाते ही उसकी बुर की सील तोड़ दी.

यह कहानी सुनें.

फ्रेंड्स, मैं 19 साल की सेक्सी माल लड़की हूँ, कॉलेज में पढ़ती हूँ.

अब बिना किसी लाग लपेट के मेरी स्कूल गर्ल टीन सेक्स कहानी का मजा लीजिए.

पिछले काफी समय से मेरी चूत की खुजली बढ़ने लगी थी लेकिन लंड का इंतजाम होना मुश्किल लग रहा था.
ऐसे हालात में पढ़ाई से ध्यान भटक कर साथ पढ़ने वाली हम उम्र लड़कियों पर ज्यादा लगने लगा.

जब से मेरी एक सखी रूचि ने नाम के साथ सब चुदक्कड़ लड़कियों के बारे में बताया, तब से मैं अपने आंखों की दूरबीन से उन सबको गौर से देखने लगी.

आज मैं चिंकी को देख रही थी.
उसकी पक्की सहेली पिंकी नहीं आई थी और रूचि भी छुट्टी पर थी.
चिंकी को भी यह अहसास हो गया कि मेरी नजर उसके गदराए बदन और चमकदार चेहरे पर है.

वह मुस्कुराती हुई मेरे पास आ गई.
मैंने भी मुस्कुराते हुए उसका स्वागत किया.

अचानक उसका दुपट्टा नीचे गिर गया या उसने जानबूझ कर गिरा दिया, यह तो पता नहीं … किंतु उसकी छाती के दोनों फूले गुब्बारों ने यह बता दिया कि इसमें खूब हवा भरी जा चुकी है और अभी भी भरी जा रही होगी.

उसने दुपट्टा उठाने के प्रयास में अपनी चूचियों को जैसे हिलाया और जैसे कूल्हे को मटकाया, उसे देखकर मैं कसमसा कर रह गई.
तभी असेम्बली की बेल बज गई और हम लाईन में खड़े होने लगे.

चिंकी मेरे पीछे खड़ी थी.
प्रेयर शुरू हो गया

इतनी शक्ति हमें देना दाता …

इसी बीच मेरे पीठ पर उंगली फिरने का अहसास हुआ, जो नीचे बढ़ते बढ़ते चूतड़ पर पहुंच गया.

मैं समझ गई कि यह चिंकी का काम है.

सब प्रेयर में लगे थे और चिंकी मेरी गांड में उंगली करने में लगी थी.

जैसे तैसे असेम्बली का सिलसिला खत्म हुआ.

‘क्या कर रही थी तुम? कहीं पकड़ी जाती तो?’
‘क्या तुमको अच्छा नहीं लगा?
‘बहुत अच्छा लगा, पर ऐसी जगह पर यह किया जाता है क्या? कहीं कोई देख लेता तो?’
‘तो चल न उस जगह, जहां कोई नहीं देखेगा.’

‘क्लास नहीं करोगी क्या?
‘आज मूड नहीं लग रहा है. अच्छा एक बात बता तू मुझे बड़े गौर से देख रही थी आज. क्या कुछ खास बात देखी?’

‘तेरे फूले हुए गुब्बारे देखे, मटकते हुए कूल्हे देखे और चमकदार चेहरा देखा. अब एक बात बता, इन गुब्बारों में हवा तुमने खुद भर ली या किसी और ने भर दी!’

‘गुब्बारे का मुँह दोनों जाँघों के बीच है, जहां पंप लगा कर हवा मारी जाती है और छाती के गुब्बारे फूलने लगते हैं. साथ ही यह भी जान लो कि यह पंप सिर्फ मर्दों के पास होते हैं और वे ही मारते हैं. पूरी कहानी ब्रेक में सुनना … अगर सुनने का मन करे तो!’
‘जरूर सुनना चाहूँगी अगर सुनाओगी तो!’

तभी क्लास की बेल बज गई और हम दोनों अपनी क्लास में चले गई.

जाहिर था पढ़ाई में मन नहीं लगना था.
जैसे तैसे समय कटा और ब्रेक हो गया.

हम दोनों फटाफट स्कूल के पार्क के उसी कोने में पहुंच गई जहां रूचि ने अपनी कहानी सुनाई थी.

चिंकी ने मुझसे पूछा- बेबो, क्या तेरे कोई चाचा है?
‘नहीं, पर तू यह क्यों पूछ रही है? तू अपनी कहानी सुना ना!’

‘कहानी ही तो सुना रही हूँ अपनी. अगर तुम्हारा अपना कोई चाचा होता न … तब यही कहानी तुम किसी और लड़की को सुना रही होती!’
‘क्यों, ऐसा क्या है इस चाचा में?’

‘ये चाचा लोग बहुत बड़े हरामी होते हैं. जिस लड़की के ये हरामी चाचा हुए न … वे लड़की को कम उम्र में ही अठारह की समझने लगते हैं और चुदाई शुरू कर देते हैं. यह तो गनीमत है कि मेरी चुदाई अठारह साल पूरा होने पर ही हुई. घर में चाचा का होना मतलब चुदाई की पक्की गारंटी.’

मैं- बकवास कम सेक्स की बात ज्यादा!

‘मामू, जीजा, जीजा का भाई, भाभी के भाई आदि से बचना संभव भी है, पर चाचाओं से बचना असंभव है. इस स्कूल में जिस भी लड़की के अपने चाचा हैं, किसी की सील सलामत नहीं है. छोटी सी उम्र में रोज की चुदाई, बड़े मटकते कूल्हे और गुब्बारे के तरह फूली फूली चूचियां देखकर खुद को शर्म आती है. लेकिन इन बेशर्म चाचाओं को कुछ भी समझ नहीं आता.’

‘अरे तुम मुझे अपनी कहानी सुनाने लाई हो कि उपदेश देने! रिश्ता-विश्ता कुछ नहीं होता. चूत चुदने के लिए बनी है और लंड चोदने के लिए बना है. कौन किसका है, इसका कोई मतलब नहीं. यह तो मैं जान गई कि तेरे गुब्बारे में हवा तेरे चाचा ही भरते हैं. अब मैं यह जानना चाहती हूँ कि गुब्बारा फुलाने या फुलवाने के लिए पहली बार कब, कैसे और कितने बार पंप उसने मारा या तुमने मरवायी? अभी कैसे चल रहा है?’

‘अरे बेबो अभी तो पंप मरवाए बिना रात को नींद ही नहीं आती और ना चाचा को चैन मिलता है. लेकिन इस हालत तक पहुंचाने के लिए चाचा ने ही चस्का लगा दिया.’
मैं- तू पूरी कहानी सुना.

चिंकी- हां तो सुन मेरी स्कूल गर्ल टीन सेक्स कहानी!

उन दिनों मम्मी पापा पटना गए थे.
इधर घर में चाचा और मैं ही रह गए थे.

बस फिर क्या था … चाचा ने पंप और गुब्बारे की कहानी सुनाई, मुझे बहलाया, फुसलाया, समझाया, खिलाया पिलाया और रात में अपने साथ में नंगी करके लिटाया.

सिर से लेकर पैर के अंगूठे तक चूमा चूसा चाटा सहलाया.
मेरा पूरा बदन गर्म तवे की तरह तपने लगा और चूत से पानी झरने लगा.

मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था.
चाचा ने गीली चूत में अपनी बड़ी उंगली घुसा कर घुमाना और अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मुझे बहुत मजा आने लगा और जोश में अपनी कमर उछालने लगी.

चाचा ने उंगली को तेजी से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और मेरी चूत फच फच पानी फेंकने लगी.

मेरे लिए यह अनोखा और मजेदार अनुभव था.

चाचा ने उस रात मुझे अपनी बाँहों में भरकर साथ सुलाया.

सुबह आठ बजे हम एक साथ उठे.
चाचा ने बड़े प्यार से मुझे चूमा और रात के अनुभव के बारे में पूछ लिया.

मैंने उन्हें अपने मजे के बारे में बता दिया.
उन्होंने मुस्कुराते हुए अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया और उसकी मसाज करवाने लगे.

मेरा हाथ लगते ही उनका शिथिल लंड टाईट होने लगा और देखते देखते लोहे की तरह टाईट हो गया.

उसकी लंबाई और मोटाई देखकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा.

मैं लंड की मालिश करने लगी या यूँ कहूँ कि मुठ मारने लगी.

थोड़ी ही देर में अचानक से चाचा के लंड से फच फच करके सफेद रंग का गोंद की तरह चिपचिपा पानी निकलने लगा.

चाचा ने आंखें बंद कर लीं और उनके लंड के पानी ने मेरी छाती और पेट को गीला कर दिया.
अब नहाने के अलावा कोई उपाय नहीं था.

चाचा ने अपनी आंखें खोलीं और कहा- चिंकी आज रात यह लंड तेरे चूत में घुसेगा और पंप की तरह हवा भरेगा, जिससे तेरी चूचियां गुब्बारे की तरह फूलने लगेंगी और तुम सुंदर सी परी लगोगी.

मैंने चुपचाप चाचा की बातें सुनी और बाथरूम में चली गई.

मैंने अपनी चूत को गौर से देखा और चाचा के लंड के बारे सोचा.

कहां वह मूसल की तरह मजबूत लंड और कहां ये छोटी सी चूत!
जान ही चली जाएगी मेरी.

फिर सोची कि चाचा हैं, कोई दुश्मन थोड़े ही हैं … जो करेंगे अच्छा ही करेंगे. आखिर कुछ सोचकर ही तो उन्होंने कहा होगा.

खैर … मैं नहा धोकर कपड़े पहनकर तैयार हो गई और नाश्ता बनाने लगी.
चाचा भी नहा धोकर तैयार हो गए. हम दोनों ने एक साथ नाश्ता किया और लंच होटल में करने का फिक्स हो गया.

नाश्ते के बाद हम तैयार होकर बाजार चल दिए.
कुछ शापिंग की, लंच किया और घर आ गए.

शाम के पाँच बज चुके थे.
मुझे बेसब्री से रात का इंतजार था.
चाचा के शब्द कानों में गूँज रहे थे.

हमने जल्दी से रात का खाना निपटाया और बेड पर आ गए.
मुझे कुछ भी मालूम नहीं था कि आगे क्या होने वाला है.

लेकिन चाचा ने सुबह ही बता दिया कि उनका लंड मेरी चूत में जाने वाला है.
इसलिए मैं मन ही मन पूरी तैयार थी.

चाचा ने चुदाई प्रोग्राम शुरू किया और बीती रात की सारी क्रिया को दुहराया.
मेरा तन और मन दोनों लंड लेने को तैयार थे.

चाचा ने मेरी गांड के नीचे तकिया लगाकर चूत को ऊपर उठाया.
लंड और चूत को तेल से तरबतर किया, लंड को चूत के छेद पर रखा.

मेरी सांसें अटकी हुई थीं लेकिन चाचा पर भरोसा था कि वे जो करेंगे, अच्छा करेंगे.
चाचा ने दबाव बढ़ाया.
तेल से तर चूत में तेल से भीगे लंड का टोपा घप से घुस गया.

चूत अपना मुँह फैलाकर लंड का स्वागत कर चुकी थी.
लंड आगे बढ़ा.

मैं पल पल नया अनुभव महसूस कर रही थी और अगले अनुभव का इंतजार करती जा रही थी.

लंड उस दरवाजे पर पहुंच चुका था जिसे पार करते ही लड़की औरत में बदल जाती है.

चाचा ने दबाव बढ़ाया और मुझे दर्द महसूस हुआ और मेरी चीख निकलती निकलती रह गई.

चाचा कुछ पल रूके, मुझे आराम महसूस हुआ.
लेकिन अगले ही पल उन्होंने अपने हाथों से मेरा मुँह बंद कर दिया और लंड को बाहर निकाल लिया.

फिर तेज और जोरदार झटके के साथ पूरे लंड को चूत में घुसेड़ दिया.

मैं दर्द से पैर पटकती रह गई लेकिन चाचा ने कुछ नहीं किया.

उन्होंने बस मेरे मुँह को दबाए रखा ताकि मेरी चीख कोई सुन न ले.

लंड बाहर निकाल कर फिर दूसरा जोरदार प्रहार.

समझो मौत मेरे सामने नाच रही थी और चाचा यमदूत लग रहे थे.

लगातार तीसरा, चौथा, पाँचवा … प्रहार पर प्रहार होते गए और चूत फट गई.
मैं बेबस और लाचार लंड लेती रही.

आखिरकार चूत ने अपने को लंड के अनुकूल बना लिया और गपागप लंड निगलने उगलने लगी और औरत बनने लगी.

धीरे धीरे दर्द मिटने लगा और मजा बढ़ने लगा.
अब चाचा ने मेरे मुँह से हाथ हटा लिया और चूमते हुए जोर जोर से पंप मारने लगे.
मेरे चूतड़ अपने आप जंप करने लगे.

मैं चाचा का साथ देने लगी और जंपिंग पंपिंग का मजा उठाने लगी.

मैं बिना ब्याह के औरत बन रही थी.
अपने ही घर में मेरे अपने सगे चाचा ही इस प्रक्रिया को अंजाम दे रहे थे.

आखिरकार चाचा के लंड ने मेरी चूत के अन्दर तेज पिचकारी मारी और मुझे चरमसुख का अनुभव करा दिया.

फिर ऐसा चस्का लगा दिया कि अब बिना चुदाई चैन नहीं मिलता.

मेरी पहली चुदाई पूरी हुई.
जिस तरह लड़की से औरत बनने के बाद लड़की बनना असंभव है, उसी तरह एक बार चुदवा लेने के बाद चुदाई बिना रहना असंभव है … और जब चुदाई चलेगी तो चूचियां फूलेंगी ही, चूतड़ बाहर निकलेंगे ही, कमर फैलेगी ही, कूल्हे मटकेंगे ही, मन भटकेगा ही आदि आदि.

चाचा ने उस रात चार बार चोदा और चूत का रेशा रेशा ढीला करके रख दिया.

मेरी चूत को अपने लंड के अनुकूल बना लिया.
बस यही रही मेरी पहली बार की चूत चुदाई कहानी.

सब मुझे लड़की समझते हैं पर मैं औरत का बोझ ढो रही हूँ.
मुझसे अच्छी तो तू है. अगर तेरा भी कोई चाचा होता तो अब तक उसने तुमको चोद चाद कर ठीक कर दिया होता और तुम भी मेरी तरह ज्ञान बाँट रही होती.

अब चल क्लास की घंटी बज गई.

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संतोष तिवारी
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