साली की बेटी को बेटे का तोहफा दिया -2

(Sali Ki Beti Ko Bete Ka Tohfa Diya- Part 2)

This story is part of a series:

पता नहीं क्यों, पर मैं कह बैठा- कोई देखा क्या?
उसने बड़ी हैरानी से पहले मेरी तरफ देखा और बोली- नहीं, पर सोच रही हूँ, ऐसा कौन हो सकता है, जो मेरा या काम भी कर दे और मेरे राज़ को राज़ भी रखे और जिस पर मैं भरोसा भी कर सकूँ।
मेरा मन तो उछल पड़ा।
मैंने कहा- देखो बेटा, मुझे नहीं पता के तुम्हारे मन में कौन चल रहा है, पर तुम्हारी ये सारी शर्तें मैं भी पूरी कर रहा हूँ!

कहने को तो मैंने कह दिया पर गान्ड मेरी फटी पड़ी थी।
लव ने मेरी तरफ देखा और बोली- आपके बारे में भी मैंने सोचा था, और मुझे भी यही सही लगा था। पर मन में एक डर था, के आप तो मुझे अपने बच्चों की तरह प्यार करते हो पता नहीं मेरी बात का बुरा न मान जाओ?
‘अरे नहीं बेटा, अगर मैं अपने बच्चों के किसी भी काम आ सका तो मुझे बहुत खुशी होगी।’ मैंने कहा।

वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पूछा- तो फिर कब?
वो पलटी, मेरी तरफ आई, अपना चेहरा मेरे चेहरे के पास लाकर बोली- आज ही रात!
जब उसका चेहरा मेरे इतना पास था तो मेरे मन में लालच आ गया, मैंने पूछा- क्या मैं तुम्हें चूम सकता हूँ?
वो अपना चेहरा मेरे चेहरे के और पास ले आई, मैंने उसका चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसके नीचे वाले होंठ को अपने होंठों में पकड़ कर चूस लिया, सिर्फ एक छोटा सा चुम्बन।

वो चली गई और मैं तो बिस्तर पे उल्टी छलांगें मारने लगा। उसके चेहरे के स्पर्श, उसके होंठों का चुम्बन मेरे तो तन बदन में आग लग गई।
सबसे पहले मैं बाथरूम में गया और अपनी खुशी को संभालने के लिए मैंने मुट्ठ मारी। जब वीर्य की पिचकारियाँ निकाल दी, तब मन कुछ शांत हुआ।

शाम को मैं एक केमिस्ट के गया और उस से सुपर एक्ट 99 गोल्ड के दो कैप्सूल लाया, एक तो तभी खा लिया।
अब यह था, एक 24 घंटे में लंड कभी भी लोहा बना लो।
सो शाम को साढू भाई के साथ दो दो पेग भी चले, खाना भी खाया, पर अब एक बात थी, जब भी लव हमारे आस पास से गुजरती, मुझे ऐसे लगता जैसे मेरे कोई गर्ल फ्रेंड हो, जैसे जवानी में कोई लड़की पटाई हो, वैसे फीलिंग आ रही थी।

खैर रात को सब सो गए, मगर मुझे नींद कहाँ।
फिर भी मैं सो गया।
रात के करीब 2 बजे के बाद मुझे लगा, जैसे किसी ने मेरे पाँव को छूआ हो। मैंने देखा, नाइट लैम्प की रोशनी में, लव खड़ी थी।
मैंने उसे इशारा किया, वो चल पड़ी तो मैं भी चुपचाप उसके पीछे चल पड़ा।
वो मुझे ड्राइंग रूम में ले गई, वहाँ कोई नहीं था।

मैंने उसे नीचे कार्पेट पे ही लेटा लिया, उसे अपनी बाहों में भर के मैंने उसके चेहरे पे यहाँ वहाँ चूमना शुरू किया तो वो धीरे से बोली- मासड़ जी, इन सब कामों के लिए टाइम नहीं, आप बस जल्दी से जो ज़रूरी काम है, वो करो।
अब उसके तो बदन के स्पर्श से ही मेरा लंड पत्थर का हुआ पड़ा था, उसने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई और चड्डी उतार दी- बस डाल दो! वो बोली।

मैंने भी झट पट से अपना लोअर नीचे करके उतारा और अपना लंड उसकी चूत पे रखा और अंदर धकेला। बेशक उसकी चूत बिल्कुल सूखी पड़ी थी, मगर चुदी तो वो थी ही, तो मेरा लंड उसकी चूत में घुस गया।
‘आह’ उसके मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकली, मैंने भी फिर बिना कोई और औपचारिकता किया अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया और चोदने लगा।

‘जानती हो लव मेरी बहुत समय से इच्छा थी तुम्हें चोदने की!’ मैंने उसके कान में कहा।
‘पता है मुझे…’ वो बोली- मुझे याद है, एक बार जब हम आपके घर आए थे तो आपने रात को सोते हुये मेरे बूब्स को दबाया था। इसी वजह से आप भी मेरी लिस्ट में थे कि अगर और कोई नहीं माना तो अपने बच्चे के लिए मैं आपसे विनती करती।
‘अरे विनती नहीं, मेरी जान हुकुम करती तुम हुकुम…’ मैंने कहा- ‘बात सुन, थोड़ा दूध तो पिला साली!

मैंने कहा तो लव ने अपनी टी शर्ट और अंडर शर्ट दोनों ऊपर उठा कर अपने चिकने और मुलायम बोबे बाहर निकाल कर मेरे हवाले कर दिये।
मैंने उसके बोबे चूमे, चाटे, चूसे और दाँतों से काटे भी, जो भी कर सकता था किया, नीचे से अपना लंड भी पेल रहा था।
अब लव को भी मज़ा आने लगा था, उसकी चूत भी पानी से लबालब हो गई थी, उसने अपनी टाँगें मेरी कमर के इर्द गिर्द लिपटा ली। ‘मासड़ जी, ज़ोर ज़ोर से करो, बहुत मज़ा आ रहा है।’

मैंने कहा- नहीं ज़ोर से करूंगा तो आवाज़ सुन जाएगी, बस यूं ही धीरे धीरे करेंगे।
‘ठीक है, मासड़जी, क्या आप मेरी जीभ चूसोगे, मेरा होने वाला है, और मुझे जीभ चुसवाते हुये झड़ना अच्छा लगता है।’ लव ने कहा। मैंने लव की तीखी और लंबी जीभ अपने मुँह में ली और उसे अंदर खींच खींच कर चूसने लगा।
लव ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और नीचे से कमर भी उचकाने लगी, उसके मुँह से ‘ऊँह, ऊँह’ की आवाज़ें आ रही थी, जिसे मैं अपने मुँह से दबाने की कोशिश कर रहा था।

और फिर लव ने अपनी कमर की स्पीड बढ़ा दी और एकदम से अपनी जीभ मेरे मुँह से निकाल कर अपने दाँतों से मेरे नीचे वाले होंठ को काट खाया।
मैं समझ गया कि यह तो झड़ गई।
जब वो शांत हुई, तो मैंने उसे कहा- घोड़ी बनेगी, ताकि मैं भी अपना माल छुड़वा सकूँ।वो बोली- नहीं, मैं ऐसे ही आपका माल अपने अंदर लूँगी।
मैंने फिर अपनी स्पीड बढ़ा दी क्योंकि अब मुझे सिर्फ झड़ना ही था और अगले ही पल मैंने अपने लंड की पिचकारी से अपने गरम वीर्य की धारें उसकी चूत में छोड़ दी।
इस चुदाई में मुझे इतना आनन्द आया कि मेरे लंड ने इतना वीर्य स्खलित किया कि मुझे खुद हैरानी हुई कि इतना वीर्य?
खैर जब मैं भी झड़ गया तो मैं उसके ऊपर से उठा।
‘आह, बहुत मज़ा आया, मेरी बच्ची, बस एक और इच्छा है!’ मैंने कहा।
‘क्या मासड़ जी?’ लव ने पूछा।
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top