रैगिंग ने रंडी बना दिया-31

(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 31)

पिंकी सेन 2017-09-26 Comments

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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि मोना को एक साधु की वजह से कुछ चिंता हो गई थी और वो काका से इस समस्या के बारे में कुछ जानना चाह रही थी।
अब आगे..

काका आराम से चाय की चुस्की ले रहे थे और मोना इन्तजार कर रही थी कि काका अब बोलें तब बोलें। जब मोना के सब्र का बाँध टूट गया तो वो फिर से बोली- काका कुछ तो बताओ?

काका- क्या बताऊं बहू, बचपन में तो वो सीधा साधा ही था, पढ़ाई में तेज था तो आगे की पढ़ाई के लिए उसे शहर भेज दिया गया था। हाँ, जब वो छुट्टियों में आता तो एक बार सरपंच की छोरी ने उसकी शिकायत की थी कि वो उसको नहाते हुए देख रहा था। बस उस दिन उसकी जो कुटाई हुई, पूछो मत!
मोना- ये सब तो बचपन में सबके साथ होता है काका.. कोई खास बात जो साधु की बात की तरफ़ इशारा करे।

काका- नहीं मोना, उस दिन के बाद तो वो छुट्टियों में भी नहीं आता.. कुछ ना कुछ बहाना कर लेता था। हाँ, एक आदमी तेरी मदद कर सकता है.. उसका खास दोस्त, जो स्कूल से कॉलेज तक उसके साथ पढ़ा भी.. और रहा भी।
मोना- काका कौन दोस्त..? मैंने तो किसी दोस्त को नहीं देखा, दरअसल गोपाल थोड़ा अजीब ही है। उसके इतने कोई खास दोस्त हैं भी नहीं.. घर से काम पर जाना और काम से घर आना। इसके अलावा मैंने कभी किसी का जिक्र ही नहीं सुना।
काका- है मोना.. एक है, सुधीर.. शादी के 2 महीने पहले गोपाल का उससे झगड़ा हुआ था, बस तब से वो लापता है।
मोना- लापता..! मतलब गोपाल ने कुछ कर दिया क्या उसको?
काका- अरे नहीं रे पगली.. मतलब दोस्ती टूट गई, वो अपने रास्ते गोपाल अपने रास्ते।

मोना- ये सब आपको कैसे पता लगा?
काका- सुधीर के बारे में यहाँ सब जानते हैं। वो कई बार यहाँ आ चुका है मगर शादी के वक़्त वो नहीं आया तो मैंने ही पूछ लिया था। तब गोपाल ने झगड़े के बारे में बताया था।
मोना- झगड़े की वजह क्या थी काका?
काका- वो तो मुझे ना पता.. मगर एक बार में शहर गया था तो सुधीर मिला था। मैंने उससे भी पूछा उसने बस यही कहा वो मेंटल है.. ऐसी घटिया सोच के आदमी के साथ मैं इतने साल कैसे रहा.. मैं ही जानता हूँ।

मोना- काका लगता है साधु बाबा ने इसी और इशारा किया है, मगर ये सुधीर अब कहाँ मिलेगा मुझे?
काका- अरे तेरे शहर में ही है.. कोई बंदर मोहल्ले में उसकी चाय की दुकान है।
मोना- हा हा हा बंदर नहीं काका बांद्रा एक एरिया का नाम है.. मगर इतना पढ़ा-लिखा आदमी और चाय की दुकान?
काका- अरे उसी ने बताया था और बताया क्या.. मैं खुद वहां उसके साथ गया था। हमारे गाँव की जैसी छोटी दुकान नहीं है.. बहुत बढ़िया दुकान है। उसमें एसी भी लगा है और हाँ पता है चाय कितनी महंगी है.. शुरुआत ही 150 रुपये से है और 1000 तक की होगी।

मोना- ओह अच्छा समझ गई काका.. वो चाय की दुकान नहीं कैफे है। अब उसको ढूंढना आसान है.. बांद्रा में तो टी-विला कैफे ही फेमस है.. शायद वही होगा।
काका- अब क्या है.. वो तू जाने, मुझे ये सब नहीं पता, बस गोपाल को कुछ ना हो भगवान करे.. वो साधु का उपाय काम कर जाए और गोपाल की जान बच जाए।
मोना- हाँ काका.. मैं कल सुबह ही निकाल जाऊंगी.. पता नहीं सुधीर मिलेगा भी या नहीं?
काका- अच्छा ये बात है तो तुझे जाना ही चाहिए। आज रात तेरी जमकर चुदाई कर देता हूँ.. वहां जाकर फिर तुझे तड़पना नहीं पड़ेगा.. ठीक है ना!
मोना- हाँ काका.. आज मज़े से चोद लेना और जल्दी शहर आ जाना। मुझसे ज़्यादा दिन सब्र नहीं होगा.. मेरी चुत आपके लंड की आदी हो गई।
काका- चिंता ना कर.. मैं आ जाऊंगा तू पहले उस सुधीर को तो खोज ले।

ये दोनों काफ़ी देर तक बात करते रहे। फिर मोना की सास आ गई तो काका इधर-उधर हो गए ताकि किसी को शक ना हो।

दोस्तो वहाँ भी ऐसा कुछ खास नहीं हुआ जो आपको बताऊं।
हाँ, संजय कॉलेज से घर आया तो पूजा रोज की तरह उससे पढ़ने उसके पास आ गई। मगर संजय के सर में बहुत दर्द था तो उसने पूजा को कहा कि वो अपना होमवर्क कर ले.. तब तक वो थोड़ा सो जाए। उसके सर में दर्द है.
और पूजा ने भी मौके की नजाकत को समझ कर हाँ कह दी।

पूजा ने अपना होमवर्क करके संजय को एक-दो बार उठाने की कोशिश की, मगर वो गहरी नींद में था सो नहीं उठा, तो पूजा भी उसके पास ही सो गई।

दोस्तो, शाम तक कुछ नहीं हुआ सब अपने अपने कामों में बिज़ी थे।

रात को करीब 8 बजे गुलशन जी घर आए, तब सुमन और हेमा रूम में बैठी बातें कर रही थीं।
हेमा- अरे आप आज जल्दी कैसे आ गए? सब ठीक तो है ना.. आपकी तबीयत तो ठीक है ना?
गुलशन- अरे सब ठीक है.. वो मैंने बताया था ना सूरत में एक नई कपड़ा मिल खुली है। बस कई दिनों से उससे बात चल रही थी। अब दुकान में वहाँ से कपड़ा मँगवाएगे तो ज़्यादा फायदा होगा। शाम को उनसे बात हुई.. कुछ जरूरी बातें हैं जो फ़ोन पर नहीं हो पाएंगी.. इसलिए अभी सूरत जा रहा हूँ, सुबह जल्दी उनसे मिलना है।

गुलशन जी जल्दी में थे मगर हेमा ने उनको खाना खिलाया और सुमन ने उनका बैग पैक किया और वो निकल गए।

ठीक 9 बजे टीना उनके घर आई, सुमन की माँ से मिली, फिर वो सुमन के कमरे में चली गई।
सुमन- मैं आपका ही वेट कर रही थी दीदी, और बताओ आज आप क्या टास्क दोगी?
टीना- बताऊंगी मेरी जान.. पहले ये बता तेरे पापा कब आते हैं?
सुमन- वैसे तो वो 10 बजे आते हैं, कभी लेट भी आये हैं, मगर आज जल्दी आ गए और अर्जेंट में किसी काम से सूरत गए हैं।

टीना- गुड… यानि आज मैं तुझे रस चखा सकती हूँ।
सुमन- कैसा रस? दीदी मैं कुछ समझी नहीं.. आप क्या बोल रही हो?
टीना- आज तुझे मेरे साथ घर चलना होगा.. वहीं जाकर मैं बताऊंगी।
सुमन- मगर दीदी.. माँ नहीं मानेगी मैं उनसे क्या कहूँ?
टीना- उसकी टेंशन तू मत ले.. बस मेरे साथ चलने को तैयार हो जा।
सुमन- तैयार हो जाऊं.. मतलब दीदी आप क्या पहेलियाँ बुझा रही हो.. ठीक से बताओ ना!
टीना- कुछ नहीं.. तू रुक मैं अभी तेरी माँ को पटा कर आती हूँ।

टीना जल्दी से बाहर गई और हेमा जी को एक झूठी कहानी सुना दी कि उनके कल टेस्ट हैं मगर ये बात अर्जेंट उसको पता लगी। अब उन दोनों ने तैयारी भी नहीं की है।
हेमा- हे राम.. ये कॉलेज वाले भी ऐसे कैसे करते हैं?

टीना तो झूठ की दुकान थी, बस किसी तरह उसने आंटी को पटा लिया कि वो सुमन को अपने घर ले जा रही है.. वहीं साथ पढ़ाई करेगी।
हेमा- मगर बेटी, तेरे अंकल भी नहीं हैं। तुम दोनों यहीं पढ़ाई कर लो ना?
टीना- वो आंटी, मॉम बीमार हैं.. रात को उन्हें संभालना होता है। फिर भाई भी छोटा है.. उसको डर लगता है इसलिए।

काफ़ी सोच-विचार के बाद हेमा ने ‘हाँ’ कह दी और टीना ने कमरे में जाकर सुमन को सब समझा दिया।
सुमन- दीदी आप भी ना.. कैसे-कैसे झूठ बोलती हो.. अच्छा मैं कपड़े बदल लूँ।
टीना- अरे तुझे कौन सा पार्टी में जाना है.. ऐसे ही ठीक है.. अरे दिखा तो ये क्या है?

सुमन के हाथ में एक अंगूठी थी जो बहुत ओल्ड फॅशन थी.. मगर अच्छी लग रही थी।
टीना- वाउ सो नाइस यार.. ये रिंग कहाँ से आई मेरी जान.. कहीं मंगनी कर ली क्या?
सुमन- आप भी ना कुछ भी.. ये माँ की शादी पर पापा ने उनको दी थी। आज माँ ने अलमारी खोली तो मैंने पहनने को ले ली।

टीना- अच्छा ये बात है.. चल-चल अब देर मत कर.. कल के टेस्ट की तैयारी भी करनी है।
सुमन- कैसा टेस्ट.. आपने माँ को झूठ कहा था.. अब आप खुद भूल गई क्या हा हा हा?

दोनों खिलखिला कर हंसने लगीं।

थोड़ी देर बाद दोनों घर से निकल गईं। रात का सन्नाटा और दो लड़कियां सड़क पे चुपचाप चली जा रही थीं। तभी कोने में एक शराबी एकदम टुन्न होकर पड़ा था.. जिसे देखकर सुमन डर गई।
टीना- अरे डर मत उसको होश कहाँ है, नशे में धुत पड़ा है।

टीना उसके पास गई उसको हिलाया मगर वो तो बेसुध पड़ा था। वो कोई 40 साल का आदमी था.. शक्ल से भिखारी लग रहा था। उसने फटा हुआ कुर्ता और पजामा पहना हुआ था।

सुमन- दीदी क्या कर रही हो आप हटो वहां से.. वो आपको मार देगा.. प्लीज़ हटो।

टीना वहां से हट गई, उसके दिमाग़ में एक शैतानी आइडिया आया, वो सुमन के पास आई।

सुमन- दीदी प्लीज़ चलो.. कोई आ जाएगा।
टीना- अच्छा रुक ना, तेरी रिंग तो दिखा मुझे कैसी है?

सुमन बहुत डरी हुई थी, वो कुछ समझ ना पाई.. और उसने जल्दी से अपनी रिंग टीना को उतार कर दे दी।

उधर टीना भी शातिर थी.. वो रिंग लेकर उस शराबी के पास जाकर बैठ गई। सुमन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।

सुमन- ये आप क्या कर रही हो.. चलो ना?
टीना- रुक मेरी जान, तेरा टास्क टाइम हो गया है। अभी ये देखना है तेरी हिम्मत बढ़ी या पहले की तरह तू डरपोक है।
सुमन- आप क्या बोल रही हो.. यहाँ कौन सा टास्क है? प्लीज़ दीदी चलो मुझे डर लग रहा है.. कोई देख लेगा तो बहुत बुरा होगा।
टीना- तेरे अन्दर से डर ही तो निकालना है.. ये देख ये तेरी रिंग गई अन्दर.. इसे निकाल ले यही तेरा टास्क है।

टीना ने सुमन को रिंग दिखाई और उस शराबी के पजामे में डाल दी।

सुमन- ओह गॉड, दीदी ये आपने क्या किया? ये मेरी मॉम की रिंग थी अब क्या होगा?
टीना- होना क्या था.. आकर निकाल ले, ये तो सोया हुआ है.. चल आजा।
सुमन- नहीं दीदी ये मुझसे नहीं होगा, प्लीज़ आप निकाल लो ना प्लीज़।

टीना ने उसके पजामे में हाथ दिया और बड़े आराम से रिंग निकाल ली। वो आदमी हिला भी नहीं.. वैसे ही सोया रहा।

टीना- देख कुछ हुआ? चल अब दोबारा डालती हूँ, तू चुपचाप आकर निकाल ले।

सुमन के तो पैर काँपने लगे थे। टीना ने रिंग वापस डाल दी और वहीं खड़ी मुस्कुराने लगी।

सुमन के पसीने निकल रहे थे, वो चुपचाप धीरे से आगे बढ़ी और भिखारी के पास बैठ गई।

दोस्तो, आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी पर कमेंट्स संयमित भाषा में करें।
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सेक्स स्टोरी जारी है।

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