रैगिंग ने रंडी बना दिया-14
(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 14)
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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि संजय अपनी मुँहबोली बहन की बेटी यानि भांजी पूजा को बिस्तर पर लिटा कर उसकी चुत चाट कर उसको मजा दे रहा था। मजा रस को लेकर अब पूजा भी कहने लगी थी कि उसको भी ये रस चाट कर मजा लेना है।
अब आगे..
संजय के चेहरे पे एक शैतानी मुस्कान आ गई- अरे ये कौन सी बड़ी बात है, ये देख मेरी फुन्नी रस से भरी हुई है, तू इसको चूस के सारा मज़ा रस निकाल ले।
पूजा- ओह वाउ क्या मस्त आइडिया है.. आपने मेरा रस पिया, अब मैं आपका पी लूँगी.. हिसाब बराबर हो जाएगा।
संजय बेड पर टेक लगा कर बैठ गया और उसने लंड सहलाते हुए पूजा से कहा- जैसे तू आइसक्रीम को चाटती और चूसती है ना.. ठीक वैसे ही चूसना.. तब मज़ा रस बाहर आएगा।
पूजा अब घुटनों के बल बैठ गई और सुपारे को जीभ से चाटने लगी। धीरे-धीरे वो मुँह को पूरा खोल कर टोपा मुँह में भर के चूसने लगी। वैसे तो उसके छोटे से मुँह में संजय का विशाल लंड जाना मुश्किल था.. मगर वो कोशिश पूरी कर रही थी कि ज़्यादा से ज्यादा लंड अन्दर ले सके।
संजय के लंड से हल्का पानी रिसने लगा था जिसका स्वाद पूजा को थोड़ा अजीब लगा। एक बार तो उसने लंड मुँह से निकाल भी दिया।
संजय- आह.. क्या हुआ पूजा.. चूसो ना..!
पूजा- मामू थोड़ा-थोड़ा रस आ रहा है मगर ये नमकीन सा है.. कुछ अजीब सा लग रहा है।
संजय- अरे ये तो शुरूआत है.. असली क्रीम तो बाद में आएगी.. तू बस चूसती रह।
पूजा फिर शुरू हो गई.. लंड की चुसाई करने लगी। वो अपने हाथ से लंड को पकड़ कर दबाने लगी और होंठ दबा कर लंड से रस खींचने लगी। पूजा के नर्म होंठ और उसकी गर्मी संजय को बहुत सुकून दे रही थी, वो अब धीरे-धीरे कमर को हिलाने लगा था।
संजय- आह.. आ पूजा चूस उफ़ तू बहुत अच्छा चूसती है आह.. निकाल दे आह.. सारा रस उफ़ मेरी जान आह.. ऐसे ही उफ़ आह..
दस मिनट तक पूजा दिलोजान से लंड को चूसती रही। संजय तो पहले ही बहुत गरम था, ऊपर से पूजा के टाइट होंठ की चुसाई.. उसको चरम पे ले आई।
संजय- आह.. आह पूजा जोर से कर आह.. रस आने वाला है आह.. फास्ट फास्ट मेरी जान उफ..
पूजा भी जोश में आकर लंड चूसने लगी। एक तेज धार लंड से निकली.. और सीधी उसके गले में चली गई.. फिर ना जाने कितनी धारें और निकलीं.. जिसे पूजा ने गटक लिया। जब उसने मुँह हटाया तो थोड़ा वीर्य और निकला, जिसे देख कर पूजा ने अपनी उंगली पे ले लिया।
पूजा- ओह मामू आपका ये रस कितना वाइट और गाढ़ा है।
संजय- हाँ ये ऐसा ही होता है.. चाट ले इसको और लंड को भी चाट कर साफ कर दे।
पूजा- लंड क्या होता है मामू?
संजय- अरे ये फुन्नी जब बड़ी होती है इसको लंड कहते हैं.. अब देर मत कर नहीं तो ये सूख जाएगा, फिर मज़ा नहीं आएगा।
पूजा ने झट से उंगली मुँह में ली और चाट ली, फिर लंड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया।
संजय- गुडगर्ल.. ये हुई ना बात अब बोल तुझे मज़ा आया कि नहीं?
पूजा- मामू ऐसा मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती आपको.. प्लीज़ आप रोज मुझे ऐसा मज़ा दोगे ना.. अपनी फुन्नी से रस भी पिलाओगे ना मुझे?
संजय- हाँ ज़रूर मेरी जान.. अब सुन इसको फुन्नी नहीं लंड या लौड़ा कहा कर समझी और तेरी ये जो है इसको चुत बोला कर.. फुन्नी छोटे बच्चों की होती है। अब तू बड़ी हो गई है मगर किसी और के सामने नहीं बोलना, बस मेरे सामने ही.. समझ गई ना?
पूजा- समझ गई मामू.. मगर आप रोज मज़ा दोगे वादा करो।
संजय- अरे हाँ पूजा.. ये तो अभी कुछ भी नहीं है.. मैं तुझे रोज अलग-अलग तरह से मज़ा दूँगा। चल अब चड्डी पहन ले, तेरी मॉम उठने वाली है और ध्यान रखना ये बात किसी को मत बताना.. नहीं तो दोबारा कभी मज़ा नहीं मिलेगा और सब डांटेंगे भी।
पूजा- मैं समझ गई मामू ये जो हमने किया, ये ग़लत है ना.. मगर आप टेंशन मत लो, मैं किसी को नहीं बताऊंगी।
संजय- तू लगती है भोली.. मगर समझदार बहुत है, चल तू घर जा और हाँ वो सामने अलमारी से तेरी चड्डी निकाल के बैग में डाल कर ले जाना.. कल तुझे मैं एक अलग मज़ा दूँगा।
पूजा बहुत खुश थी.. वो किसी तितली की तरह उड़ती हुई वहाँ से चली गई और संजय लंबी आहें भरता हुआ लेट गया।
बस बस अब यहीं रहोगे क्या.. संजय तो कॉलेज से आकर पूजा के साथ मज़ा ले रहा था, साथ में आप भी मज़ा ले रहे थे। अरे भाई सुमन भी तो कॉलेज से वापस आई है.. उसकी भी खबर ले लो।
उधर कॉलेज से टीना और सुमन साथ ही आईं। टीना ने सुमन को कहा कि वो उसके घर चले तो सुमन ने मना कर दिया कि उसकी मॉम गुस्सा करेगी। तब टीना ने कहा कि अच्छा वो चेंज करके उसके पास आ जाएगी।
टीना बेड पर उसके पास बैठ गई और उसके गालों को सहलाती हुई बोली- मेरी जान.. सुबह का टास्क अधूरा रह गया था ना, वही पूरा करने आई हूँ और आज तुझे थोड़ा ज्ञान भी देना है।
सुमन- ओह अच्छा वो टास्क.. और ज्ञान कैसा दीदी.. मैं कुछ समझी नहीं?
टीना- सब्र कर जानेमन बताती हूँ, पहले मेरे कुछ सवालों के जबाव तो दे।
सुमन- ओके दीदी आप पूछो ना?
टीना- सबसे पहले ये बता.. तू स्कूल लाइफ से कॉलेज लाइफ तक आ गई.. कभी तूने बॉय फ्रेंड नहीं बनाया ऐसा क्यों?
सुमन- वो दीदी बात ये है कि मैं बचपन से सीधी साधी हूँ.. और मेरे पापा को भी स्टाइल्स पसंद नहीं है.. बस यही वजह है।
टीना- अरे तू एकदम पटाखा आइटम है.. किसी लड़के ने तुझे प्रपोज तो किया होगा?
सुमन- हाँ दीदी.. 10 से 12 क्लास तक बहुत लड़कों ने मुझ पर ये सब ट्राइ किया मगर मैंने उनकी शिकायत हर बार की, कभी प्रिन्सिपल से, कभी मेरे पापा से.. बस इससे ये हुआ कि किसी की ज़्यादा कुछ करने की हिम्मत ही नहीं हुई।
टीना- अच्छा तेरी कोई सहेली तो होगी उनके तो ब्वॉयफ्रेंड होंगे?
सुमन- दीदी जिनके ब्वॉयफ्रेंड थे.. मैं उनसे दूर रहती थी और जो ऐसी वैसी बातें करती.. मैं उनकी भी शिकायत प्रिन्सिपल से कर देती थी, इसलिए मेरी कोई सहेली नहीं बनती थी। बस एक ही लड़की थी जो शुरू से 12 वीं तक मेरी बेस्ट फ्रेंड रही और अब वो भी मुझसे दूर हो गई। उसका एड्मिशन हमारे कॉलेज में 12 वीं में नो काम आने से नहीं हो पाया।
टीना- अच्छा कौन थी वो.. नाम क्या था उसका?
सुमन- उसका नाम रीता था दीदी।
टीना- अच्छा अब ये बता तुझे पीरियड्स आए तो कैसे हैण्डल किया तूने.. और तुम अपने बाल तो साफ करती हो या नहीं?
सुमन- पीरियड्स मतलब मासिक धर्म… शुरू में जब आए मैं बहुत डर गई थी। फिर माँ ने मुझे समझाया और उन्होंने कहा कि जब पेट में दर्द हो तब ये आते हैं.. ये सब नॉर्मल है।
टीना- अच्छी बात है और बाल सफाई?
सुमन- ये मुझे पहले नहीं पता था.. एक दिन रीता ने बताया कि नीचे के बाल साफ करते रहना चाहिए.. नहीं तो खुजली हो जाती है और उससे बीमारी आती है। उसने मुझे एक क्रीम भी बताई और तरीका भी बताया था।
टीना- गुड यानि रीता समझदार थी तो उसने तुझसे कभी सेक्स के बारे में बात नहीं की कि सेक्स का तो पता है ना या नहीं?
सुमन- क्या दीदी आप भी अब इतनी बच्ची भी नहीं हूँ.. ये सब मुझे पता है।
टीना- ओह रियली तो ज़रा एक्सप्लनेशन दोगी?
सुमन- वो जब लड़का और लड़की शादी के बाद एक साथ सोते है और चिपकते हैं उसको सेक्स कहते हैं।
टीना- हा हा हा हा हा तू तो हा हा हा कसम से दुनिया का आठवाँ अजूबा है।
सुमन- क्या हुआ दीदी.. आप ऐसे हंस क्यों रही हो? मैंने कुछ ग़लत कहा क्या?
टीना हंस-हंस के पागल हो रही थी, उसका पेट दर्द करने लगा था। काफ़ी देर बाद उसने अपने आपको संभाला।
टीना- मुझे पता था तू ऐसा ही कुछ बताएगी.. अरे जिसे डिल्डो का नहीं पता.. लंड का नहीं पता.. यहाँ तक कि फिंगरिंग का भी नहीं पता, वो सेक्स के बारे में क्या खाक बताएगी।
सुमन- अच्छा दीदी सॉरी.. मुझे तो यही पता था। अब आप बता दो क्या होता है?
टीना- अच्छा जब तू नहाती है.. अपनी चुत पर हाथ लगाती है या बाल साफ करती है, तब तुझे कुछ अजीब सा महसूस नहीं होता?
सुमन- दीदी आप ये चुत क्यों बोलती हो.. मुझे अच्छा नहीं लगता, ये गाली है ना?
टीना- अरे मेरी माँ.. इसका यही नाम है तू किताबी नाम के पीछे पड़ी है। अब किताबों की दुनिया से बाहर आ जा.. और आज से इनके असली नाम ही लेना समझी.. वरना मैं तेरे से कभी भी बात नहीं करूँगी।
सुमन- ओके दीदी ठीक है.. अब मैं आपकी तरह ही इनके नाम बोलूँगी।
टीना- अच्छा तो मैंने जो पूछा वो बता?
सुमन- शुरू मैं जब मैंने बाल साफ किए तो ये.. नहीं चुत में अजीब सी बेचैनी हुई.. खुजली सी होने लगी, ऐसा लगा बस उसको रगड़ती रहूँ, मगर मुझे ये अच्छा नहीं लगा तो मैंने जल्दी से नहा लिया। उसके बाद बहुत बार वैसी बेचैनी महसूस करती हूँ, मगर ध्यान हटा कर रिलेक्स हो जाती हूँ।
टीना- ओह पगली.. तेरी चुत का लावा बाहर आने को बेताब है और तू है कि उसको रोके हुए है। चल आज तुझे ठंडा कर देती हूँ।
सुमन- दीदी आपसे एक बात पूछनी थी?
टीना- हाँ पूछ एक क्यों.. दो पूछ?
सुमन- हमारे बीच जो ये सब बातें होती हैं.. ये आप संजय जी को बताती हो क्या?
टीना- अरे नहीं पागल.. उसको क्यों बताऊंगी, ये हमारे बीच की बात है।
सुमन- मगर आप तो वो बुक के हिसाब से मुझे टास्क देती हो.. जो संजय ने लिखी है।
टीना- ऐसा नहीं है.. संजय ने तो ऐसे ही बोल दिया था तुझे, असल बात ये है कि उसने मुझसे कहा कि तुझे फास्ट बनाऊं.. आजकल की लड़की की तरह और उसके लिए तू अपने हिसाब से उसको टास्क देना। अगर मना करे तब मुझे बताना, मैं उसे देख लूँगा।
दोस्तो, अब आगे सुमन की चुत की चुदाई की कहानी तैयार होने लगी है।
आप मुझे मेरी इस सेक्स स्टोरी पर मेल लिखिएगा।
धन्यवाद
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