मौसी की जेठानी की प्यास बुझाई- 8
(Mausi Ki Free Sex Kahani)
फ्री सेक्स कहानी में पढ़ें कि मौसी की रात जेठानी की चूत और गांड की चुदाई हुई. हम सुबह नंगे उठे तो मौसी चाय लायी थी. मौसी ने अपनी जेठानी की चूत गांड देखी.
इस कहानी पिछले भाग
मौसी की जेठानी की गांड मारी
में अब तक आपने पढ़ा
नीतू बोली- सच में मज़ा आ गया. ऐसा मज़ा शादी से अब तक कभी नहीं आया था. कभी सोचा नहीं था कि सेक्स भी इतना रोचक, रोमांचक और कामुक हो सकता है. तुमने सच में आज मुझे एक औरत होने का मतलब समझाया है. अब समझ आया कि रूपाली तुम्हारी हर बात क्यों मानती है.
इसी तरह मैं नीतू से बात करता रहा।
मैं नीतू को अभी एक बार और चोदना चाहता था क्योंकि अभी मेरी वासना पूर्ण रूप से शांत नहीं हुई थी।
परन्तु थकान और नींद से हमारी आँखें आलस से भारी होने लगी थी इसलिये मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर पता नहीं कब हमारी आँख लग गई और हम सो गये।
अब आगे फ्री सेक्स कहानी:
सुबह ऐसा लगा जैसे कोई मेरा और नीतू का नाम पुकार रहा हो.
मैंने बड़ी मुश्किल से आँखें खोल कर देखा तो रूपाली हाथों में चाय की ट्रे लिए खड़ी थी और हमें जगा रही थी।
रात को शायद मैं दरवाजा अच्छी तरह से बंद करना भूल गया था तभी आज सुबह रूपाली कमरे में आ गयी थी।
मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के दस बज रहे थे।
रात देर तक नीतू को चोदता रहा जिसकी वजह से आज नींद देर से खुली।
कमरे में एक नजर घुमा कर देखा तो ऐसा लगा कि रात को कोई तूफ़ान आया हो. पूरा कमरा अस्त व्यस्त हुआ पड़ा था. कमरे के हर कोने में हमारे मिलन के अंश बिखरे पड़े थे।
कहीं नीतू की ब्रा, लहंगा कहीं पर … उसके आभूषण कहीं पर … उसके बाकी अन्य कपड़ों के साथ मेरे भी कपड़े लिपटे हुए पड़े थे।
एक नजर मैंने हमारे जिस्मों पर डाली. हम दोनों अभी भी जन्मजात निर्वस्त्र ही पड़े हुए थे।
मैंने नीतू के चेहरे को देखा आज मुझे उसके मुख पर शांति और ठहराव दिखाई दिया मानो उसने दुनिया की सारी चिंताओं को पीछे छोड़कर सुकून हासिल कर लिया हो।
नीतू सारी दुनिया से बेखबर अभी भी अलसाई हुई मेरे सीने से लग कर सोने में तल्लीन थी।
उसके चेहरे पर बिखरी मासूमियत ने मेरा दिल कई बार जीत लिया था।
मैंने उसके होंठों को चूम लिया और बोला- नीतू, उठो देखो, कितनी देर हो गई और कितनी देर सोती रहोगी?
नीतू- क्यों उठा रहे हो राहुल … सोने दो न! अभी थोड़ी देर पहले ही तो नींद आयी है. और वैसे भी कितने दिनों बाद मुझे ऐसी सुकून भरी नींद आयी है।
मैं- अच्छा सो जाना फिर से … बाद में पहले चाय तो पी लो. देखो रूपाली कब से ट्रे लिए खड़ी है।
नीतू अब तक मुझसे सारी बातें आँख बंद करके कर रही थी इसलिये रूपाली का नाम सुनते ही नीतू ने एकाएक अपनी आँखें खोल दी और तुंरत उठ कर बैठ गई।
अगले ही पल उसकी नजर खुद पर पड़ी तो उसे ध्यान आया कि उसने एक भी कपड़ा नहीं पहना हुआ है. वो पूरी तरह से नंगी है.
तो वो जल्दी जल्दी कमरे में यहाँ वहां नजर दौड़ाने लगी लेकिन उसके कपड़े इधर उधर पड़े हुए थे और बेड पर चादर भी नहीं थी जिससे वो तन को ढक सके इसलिये नीतू वापस फुर्ती से मेरे सीने से चिपक गई।
रूपाली ने शर्मा कर अपना मुंह घुमा लिया लेकिन मैं कनखियों से उसकी कुटिल मुस्कान देख पा रहा था।
नीतू मेरे सीने में अपना मुंह घुसाए हुए बोली- रूपाली, तू ट्रे वहीं मेज पर रखकर चली जा, अभी हम थोड़ी देर में पी लेंगे!
रूपाली- क्यों दीदी, इनका लंड देखकर फिर से चुदने का मन करने लगा है?
नीतू- चुप हो जा साली कुतिया … यहाँ मुझे शर्म आ रही है और तुझे मजाक सूझ रहा है।
नीतू से दो गाली खाने के बाद रूपाली ने ट्रे वहीं रख दी- और अगर मन हो तो चुदवा लेना; कोई दिक्कत नहीं है मुझे!
रूपाली इतना बोली और खिलखिला कर हंसती हुई हिरनी की तरह तेजी से कमरे से भाग गई।
उसके जाने के बाद नीतू मेरे सीने पर मुक्के मारते हुए बोली- बता नहीं सकते थे कि रूपाली आई है. उसने हमें ऐसे देख लिया … पता नहीं क्या सोच रही होगी।
मैंने कहा- तुम इतनी बेखबर हो कर सो रही थी कि तुमको जगाने पर भी तुम नहीं जागी।
नीतू ने मुझसे आगे से हटने को कहा क्योंकि उसे बाथरूम जाना था.
मैं बेड से उतर कर एक साइड हो गया।
नीतू ने अपने पैर बेड से लटकाए और जैसे ही खड़ी होने को हुई तो वो लड़खड़ाने लगी.
इससे पहले वो गिरती, मैंने उसे सहारा दे कर पकड़ लिया।
नीतू ने मुझसे उसे बाथरूम ले चलने को कहा तो मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया। नीतू ने बाथरूम का दरवाजा खोला और मैंने उसकी दोनों टांगें कमोड के इधर उधर करके उसे कमोड पर बैठा दिया।
जैसे ही नीतू मूतने को हुई लेकिन मूत न सकी. प्रयास के बाद भी नीतू मूत नहीं पाई बल्कि हर बार दर्द से बिलबिला जाती।
नीतू ने दर्द से बिलखते हुए मुझसे मदद करने को कहा तो मैंने अपना सीधा हाथ उसकी चूत पर रख दिया प्यार से सहलाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने नीतू से धीरे धीरे मूतने को कहा तो नीतू ने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसकी चूत से पेशाब की एक धार निकली इसमें में उसकी चूत में जमा हुआ खून भी साथ में आ गया।
पेशाब का लाल रंग देख कर मैं डर गया तो नीतू ने समझाया- बहुत दिनों बाद सेक्स किया है जिससे अंदर की जुड़ी हुई मांसपेशियां फट गई हैं तो खून आ गया है. यह एक सामान्य सी बात है।
मैं फिर से उसकी चूत सहलाने लगा. उसकी चूत से एक के बाद एक कई छोटी धार निकलने लगी। हर धार के साथ उसके पेशाब की लालिमा भी कम होने लगी।
फिर नीतू ने थोड़ा और जोर लगाया तो इस बार उसकी चूत ने सीटी मारते हुए सुर्रर्रर्र की आवाज के साथ पेशाब का सेलाब खोल दिया।
देखते ही देखते उसकी धार ने वेग प्राप्त कर लिया था।
पूरी तरह से मूत लेने के बाद मैंने उसकी चूत को पानी से साफ़ करके चूत पर लगी पेशाब की चंद बूँदें भी धो दी।
मैंने नीतू को गोद में उठाया और वापस से उसे बिस्तर में ला कर बैठा दिया।
हम दोनों ने चाय पी. उसके बाद मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चादर डाल दी।
मैंने उसे आराम करने के लिए छोड़ दिया और अपनी चड्डी पहन कर कमरे से बाहर आ गया।
रूपाली रसोई में काम कर रही थी तो मैं सीधे रसोई में घुस गया और उसके चेहरे को यहाँ वहाँ चूम कर कल रात के लिए उसका शुक्रिया अदा करने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी.
फिर मुझसे अलग होकर बोली- दीदी को पा कर आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे?
इतना बोल कर रूपाली की आँखें आसुओं से डबडबा गई।
मैं उसकी आँखों को चूम कर उसके आँसू पी गया और कहा- नहीं रूपाली, आज भी तुम मुझे इस इस संसार में अपने प्राणों से अधिक प्रिय हो. दुनिया की सारी औरतों में सबसे पहला हक़ तुम्हारा है मुझ पर!
मेरे इतना कहते ही रूपाली मेरे सीने से लग गई हम दोनों थोड़ी देर एक दूसरे से यूँ ही चिपके रहे.
फिर मैं उसे रसोई में छोड़ कर अपने नित्य काम को करने चला गया।
जब मैं अपने नित्य कर्म से आजाद हो बेसिन पर हाथ धो रहा था तो रूपाली ने मुझे अपने पास बुलाया और बोली- मैंने पानी गर्म कर दिया है. आप जरा दीदी की चूत की सिंकाई कर दो. दीदी की चूत देखकर ऐसा लग रहा है जैसे आपने दीदी को अपने लंड से नहीं बल्कि तलवार से चोदा हो, दीदी की चूत कई जगह सूज और छिल गई है.
मैंने गर्म पानी से भरा हुआ कटोरा उठाया नीतू के पास चला गया।
नीतू अभी भी वैसे ही आँखें बंद करके चादर ओढ़े पड़ी हुई थी।
मैंने उसे जगाया और चादर उसके शरीर से हटा दी। मैंने उसकी एक टांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और उसकी चूत का मुआयना करने लगा।
उसकी चूत कई जगह से सूज गई थी, दाने के पास भी एक दो जगह कट गया था. उसकी चूत के होंठ सूज कर इतने मोटे हो गये थे कि ऐसे लग रहे थे जैसे उसके दोनों में किसी ने इंजेक्शन लगा कर पानी भर दिया हो।
मैंने एक साफ़ कपड़े को गर्म पानी में डुबाया और अच्छे से निचोड़ कर उसकी चूत पर रख दिया।
चूत के सीधे गर्मी के संपर्क में आने से नीतू ने अपनी मुट्ठियाँ जोर से बंद कर ली।
फिर मैंने कपड़े को दोबारा पानी में डुबाया और इस बार उसकी गांड के छेद को सेंकने लगा।
मैं हर कुछ मिनट के बाद कपड़े को गर्म पानी में डुबाता और निचोड़ कर कभी उसकी चूत को सेंकता, कभी उसके चूतड़ों को कपड़े से पौंछता।
नीतू के बदन का शायद ही ऐसा कोई हिस्सा बचा हो जहाँ पर मेरी वहशीपन की छाप न पड़ी हो।
जितना मैं उसके बदन को निहारता उतना ही खुद की नजर में गिर जाता।
मैं चुपचाप उसके बदन की सेवा कर रहा था और नीतू से बोला- मुझे माफ़ कर दो नीतू … रात को पता नहीं किस आवेश में आकर मैंने तुम्हारी ये हालत कर दी. मुझे सिर्फ अपने सुख की पड़ी थी और तुम्हारे दर्द को भूल गया।
नीतू ने आगे बढ़कर मेरे होंठ पर अपने होंठ रख कर मुझे चुप करवा दिया.
थोड़ी देर बाद नीतू बोली- तुम्हें माफ़ी मांगने की कोई जरूरत नहीं है. इस में जितनी तुम्हरी रजामंदी थी, उतनी मेरी भी थी. बल्कि मुझे तो इस दर्द में भी मजा आ रहा था. ऐसा लग रहा था इस दर्द का दंश सारी जिन्दगी मेरे बदन को मिलता रहे. जितना मैं शादी के बाद से अब तक चुद कर तृप्त नहीं हुई थी, उससे ज्यादा तो कल रात को तृप्त हो गई. अब तो मुझे आज नये तरीके से चुदने का मन कर रहा है.
नीतू की इस बात से मैं हंस दिया और थोड़ी देर तक उसके बदन की सिकाई करने के बाद मैंने उसकी हथेली में गर्भ निरोधक दवा रख के उसके दूसरे हाथ में पानी से भरा गिलास थमा दिया क्योंकि कल रात को मैं जब भी डिस्चार्ज हुआ तो हर बार उसकी चूत में ही हुआ और मैं किसी भी तरह से नीतू को कोई परेशानी में डालना चाहता था.
नीतू ने भी बिना कोई सवाल किए दवा पानी से गटक ली फिर मैं दूसरे कमरे में जा कर सो गया।
थोड़ी देर बाद हंसने की आवाजों से मेरी नींद टूट गई.
बाहर आकर देखा तो रूपाली मौसी और उनकी जेठानी नीतू रसोई में काम कर रही थी.
दोनों एक दूसरी से कुछ कहती, फिर एक दूसरी को चिढ़ा कर हंसने लगती।
मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया.
नहाते वक़्त मैं सेक्स के इस खेल में कुछ नया करने की सोचता रहा जिससे दोनों एक दूसरे के सामने हमेशा के लिए सहज हो जायें.
तभी मेरे दिमाग में लेस्बियन सेक्स का ख्याल आया जिससे दोनों देवरानी जेठानी एक दूसरी से जितना ज्यादा हो सके, खुल जायें।
मैं जल्दी से नहाकर अपने कमरे में जा कर तैयार हो गया।
रसोई में जाकर मैंने देखा तो दोनों खाने की तैयारी कर रही थी।
मैं वहीं दरवाजे के पास खड़ा हो गया और दोनों को निहारने लगा।
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इससे आगे की कहानी भी कुछ समय बाद लाऊँगा.
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