ममता की गाण्ड खोली-1

(Mamta Ki Gaand Kholi-1)

अमित दुबे 2015-02-24 Comments

मित्रो और सखियो, आपने मेरी कहानी

ममता की धुंआधार चूत चुदाई

पढ़ी, उसके लिए आप सभी का धन्यवाद !

अब कहानी आगे:

घण्टी की आवाज सुन कर मेरी गांड फ़टी और मैंने उसे बोला- जा दरवाजा खोल ! और मेरे लिये पूछे तो बोलना मैं छत पर हूँ।

उसने जाकर दरवाजा खोला, मम्मी भाभी आ गए थे, उन्होंने उससे पूछा- तू सो गई थी क्या?

क्योंकि उसकी हालत देख कर ऐसा ही लग रहा था।

उसने बोला- हाँ !

मम्मी ने पूछा- अमित आ गया क्या?

तो वो बोली- हाँ आ गए, अमित भैया छत पर हैं।

मैं उनकी सब बातें सुन रहा था जाली में खड़ा खड़ा…

अब जाकर मुझे चैन मिला।

मम्मी सब्जी काटने लगी और भाभी और ममता अंदर के कमरे में चले गए।

भाभी 5 मिनट बाद ममता से बोली- अमित ने तुझे चोद दिया क्या?

तो वो घबरा गई- नहीं तो, आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं?

तो भाभी बोली- तेरा और उसका माल पलंग पर दिख रहा है और रूम भी पूरा महक रहा है।

वो रोने लगी और भाभी के हाथ पैर पकड़ने लगी- मुझे माफ़ कर दो, अब ऐसी गलती नहीं करुँगी और कल अपने घर चली जाउंगी।

मैं भी ऊपर से सब सुन रहा था, मेरी तो फट रही थी कि अब क्या होगा।

भाभी बोली- यह अच्छी बात नहीं है, आगे तुम्हारी मर्जी… मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, जो तेरा मन करे, वो कर !

उसने भाभी से माफ़ी मांगी और बोली- अब कुछ नहीं करूँगी।

अब मैं भी नीचे आ गया पर भाभी से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी, चुपचाप रहा, सब सामान्य चलता रहा।

ममता भी मुझ से दूर दूर और उखड़ी उखड़ी रही।

रात के करीब दस बजे मैं दीवान पर बैठ कर टीवी देख रहा था, मम्मी पापा और ममता नीचे बिस्तर डाल कर टीवी देख रहे थे।
थोड़ी देर में ममता उठ कर बाथरूम के लिए गई।

मैंने देखा कि मम्मी पापा सो गए हैं तो मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया और जैसे ही वो मूत के बाहर आई, मैंने उसे पकड़ के बाथरूम के अंदर किया और उसके उरोज़ दबाने लगा।

वो बोली- प्लीज़ छोड़ दे, भाभी को सब पता चल गया है, अब मैं और कोई लफड़ा नहीं चाहती हूँ।

मैंने बोला- पता चल गया तो कोई बात नहीं, अभी मेरा लण्ड चूस के मेरा माल पी जा, उसके बाद चली जा…

उसने बोला- नहीं!

तो मैंने बोला- ठीक है, यहीं चोदूँगा तुझे !

और उसे मसलने लगा।

वो हल्का हल्का विरोध करने लगी।

जब वो मस्ती में आ गई तो मैंने उसे बोला- मेरा लण्ड चूस…

तो वो भी चूसने लगी, मैं लण्ड को उसके मुख में अंदर बाहर करने लगा और अपना माल उसके मुख में छोड़ दिया।

मैंने उसे बोला- कल मैं तुझे घर के बाहर ले जाउंगा और तेरी गाण्ड खोलूँगा।

वो बोली- मुझे नहीं खुलवानी!

मैं बोला- अपनी गांड में तेल लगा कर तैयार रहना चलने को!

ऐसा बोल कर मैं सोने चला गया।

दूसरे दिन मैंने दिन में मम्मी से बोला- मैं फिल्म देखने जा रहा हूँ, आपको एतराज ना हो तो ममता को अपने साथ ले जाऊँ?

मम्मी बोली- ले जा, अगर वो जाना चाहती हो तो !

मैंने ममता को बोला- चल तैयार हो जा, फिल्म देखने चलना है।

वो तैयार होकर साथ चल दी।

मैं उसे लेकर अपने एक दोस्त के रूम पर चला गया, रूम पर कोई नहीं था, मैंने रूम का लॉक खोला और हम अंदर चले गए।

ममता बोली- यहाँ कहाँ ले आए?

मैं बोला- जानेमन तेरी गाण्ड मारने लाया हूँ।

वो बोली- तुम्हें डर नहीं लगता? भाभी को पता चल गया, फिर भी तुम अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे।

मैंने बोला- इतने मस्त माल को ऐसे कैसे छोड़ दूँ?

और मैंने उसकी ओर अपने होंठ बढ़ाए और बोला- ले मेरे होंठ चूस !

वो भी मस्त होकर होंठ चूसने लगी।

होंठों का रसपान करते हुए ही मैंने उसके कपड़े खोलने शुरु कर दिए।

थोड़ी देर में वो सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी।

उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसके कबूतर आजाद कर दिए और उनको जम कर मसला, मुख में लेकर चूसे भी…

फिर उसकी चड्डी जैसे ही नीचे करके उसकी गांड पर हाथ लगाया तो उसकी गाण्ड में अंदर तक तेल लगा था।

तो मैंने उसे बोला- क्यों री मादरचोद, गाण्ड को तैयार कर के लाई है, फिर क्यों नखरे कर रही थी?

तो वो बोली- जान, तूने उस दिन चूत को इतना मस्त किया कि मैं मजबूर हो गई, पर मेरी गांड धीरे से मारना, मेरे पति ने आज तक उंगली भी नहीं डाली है।

मैंने बोला- फिकर मत कर, प्यार से मारूँगा।

वो बोली- प्लीज़, एक बार चूत का भी बाजा बजा देना!

मैं बोला- बिल्कुल… तीन घंटे में तुझे पूरे मजे दूँगा।

रूम की गर्मी और हमारे शारीर की गर्मी बढ़ती जा रही थी।

वो बोली- अमित, अब मेरी प्यासी चूत बजा ही दे प्लीज़, मरी जा रही हूँ चुदने को मैं… कल रात को भी नींद नहीं आई, बस चुदने का मन होता रहा…

मैं उसे पलंग पर ले गया उसके कपड़े तो उतरे हुए ही थे, मैं बोला- मेरे कपड़े क्या तेरी मम्मी उतारेगी?

उसने जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारे और मेरा लण्ड सीधा मुख में ले लिया और चूसने लगी।

मैं मस्ती से लण्ड चुसवाता रहा, उसके बाद उसे पलंग पर सीधा लेटा कर मैंने उसकी चूत के दाने को मसला।

वो मस्ती में हाथ पैर फेंकने लगी।

मैंने उसकी चूत पर मुँह रखा और कुत्ते की तरह उसकी चूत चाटने लगा।

वो अपना आपा भूल गई और चिल्लाने लगी, सिसकारियाँ लेने लगी- मेरे राजा, खा जा मेरी चूत को… बहुत मस्त कर दिया तूने… बहुत हरामी है तू… सही कहा था नेहा ने, अगर उसने पकड़ लिया तो साला चोद चोद के मस्त कर के ही छोड़ेगा… उईई… ईईईई… म्म्म… म्म्म्म माँ… हरामी मादरचोद, काट तो मत चूत को!

मैं उसकी बात सुन ही नहीं रहा था, बस चूसे जा रहा था।

जो पाठक चूत चूसते होंगे, उनको पता होगा चूत को चूसने का मजा क्या होता है।

फिर मैंने उससे पूछा- पहले गाण्ड मरवाएगी या चूत?
कहानी जारी रहेगी…

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