बदलते रिश्ते-7
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बदलते रिश्ते-6
-
keyboard_arrow_right बदलते रिश्ते-8
-
View all stories in series
रात हुई, दोनों बहनें अलग-अलग बिस्तरों पर लेटी। सुनीता आँखें बंद करके सोई हुई होने का नाटक करने लगी।
रात के करीब दस बजे धीरे से दरवाजा खुलने की आवाज आई।
सुनीता चौकन्नी हो गई, उसने कम्बल से एक आँख निकाल कर देखा कि दीदी के ससुर अन्दर आये। अन्दर आकर उन्होंने अन्दर से कुण्डी लगा ली और दबे पाँव दीदी के कम्बल में घुस गए।
अनीता पहले से ही पेटीकोट और ब्रा में थी, रामलाल ने भी अपने सारे वस्त्र उतार फैंके और अनीता को नंगी करके उसके ऊपर चढ़ गया और दोनों की काम-क्रीड़ायें शुरू हो गईं।
रामलाल धीरे से अनीता के कान में बोला- थोड़ी सी पिएगी मेरी जान, आज मैं विलायती व्हिस्की लेकर आया हूँ। आज बोतल की और इस नई लौंडिया की सील एक साथ तोडूंगा।
रामलाल ने अपने कुरते को टटोलना शुरू किया ही था कि अनिता उसे रोकते हुए बोली- अभी नहीं, सुनीता पर काबू पाने के बाद शुरू करेंगे पीना। आज मैं तुम दोनों को अपने हाथों से पिलाऊँगी और खुद भी पीऊँगी तुम्हारे साथ। पहले मेरी बहन की अनछुई जवानी का ढक्कन तो खोल दो बाद में बोतल का ढक्कन खुलेगा।
रामलाल मुस्कुराया, बोला- मेरी जान, तू मेरे लिए कितना कुछ करने को तैयार है। यहाँ तक कि अपनी छोटी बहन की सील तुडवाने को भी राज़ी हो गई।
‘आप भी तो हमारे ऊपर सब-कुछ लुटाने को तैयार रहते हो मेरे राजा, फिर तुम्हारी रानी तुम्हारे लिए इतना सा काम भी नहीं कर सकती?’
सुनीता कम्बल की ओट से सब-कुछ साफ़-साफ़ देख पा रही थी। नाईट बल्ब की रोशनी में दोनों के गुप्तांग स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
सुनीता ने सोचा ‘दीदी ने तो कहा था कि लाइट ऑन करके दोनों के ऊपर से कम्बल हटाने के लिए। यहाँ तो कुछ भी हटाने की जरूरत नहीं है, सब काम कम्बल हटाकर ही हो रहा है।’ सुनीता ने उठकर लाइट ऑन कर दी।
दोनों ने दिखावे के तौर पर अपने को कम्बल में ढकने का प्रयास किया, सुनीता बोली- दीदी, मैं तो तुम्हारे पास सोऊँगी। मुझे तो डर लग रहा है अकेले में।
अनीता ने दिखावटी तौर पर उसे समझाया- हम लोग यहाँ क्या कर रहे हैं, यह तो तूने देख ही लिया है, फिर भी तू मेरे पास सोने की ज़िद कर रही है?
रामलाल बोला- हाँ हाँ, सुला लो न बेचारी को अपने पास। उसे हमारे काम से क्या मतलब, एक कोने में पड़ी रहेगी बेचारी ! आजा बेटी, तू मेरी तरफ आ जा।
सुनीता झटपट रामलाल की ओर जा लेटी और बोली- आप लोगों को जो भी करना है करो, मुझे तो जोरों की नींद लगी है।
इधर अनीता और रामलाल का पहला राउंड चल रहा था, इस बीच सुनीता कभी अपनी चूचियों को दबाती तो कभी अपनी योनि खुजलाती।
जब अनीता और रामलाल स्खलित हो गये तो रामलाल ने कहा- जानू लाओ तो हमारी व्हिस्की की बोतल, इससे जोश पूरा हो जायेगा।
अनीता बोली- मुझे तो बहुत थोड़ी सी देना, मैं तो पीकर सो जाऊँगी। मेरे राजा, आज तो तुमने मेरे फाड़ कर रख दी। योनि भी बहुत दर्द कर रही है।
फिर वह अपने ससुर जी के कान में बोली- आज इसको कतई छोड़ना मत, सोने का बहाना बनाये पड़ी है। आज मैंने ब्लू-फिल्म दिखाकर इसे तुम्हारा यह मूसल सा मोटा लिंग अन्दर डलवाने के लिए बिल्कुल तैयार कर लिया है। लाइट तो ऑन थी ही, पलंग पर दोनों ससुर-बहू बिल्कुल नग्नावस्था में बैठे थे।
सुनीता ने मौसा जी के मोटे लिंग को कनखियों से देखा तो सर से पैर तक काँप गई ‘बाप रे, किसी आदमी का लिंग है या किसी घोड़े का’ पूरे दस इंच लम्बा और मोटा लिंग अभी भी तनतनाया था सुनीता की लेने की आस में।
अनीता ने बोतल की सील तोड़ी और दो गिलासों में शराब उड़ेली दी। दोनों ने जैसे ही सिप करना चाहा कि सुनीता ने कम्बल से मुँह बाहर निकाल कर कहा- दीदी, आप दोनों ये क्या पी रहे हैं? थोड़ी मुझे नहीं दोगे?
अनीता ने गुस्सा दिखाते हुए कहा- ज़हर पी रहे हैं हम लोग, पीयेगी?
‘हाँ, मुझे भी दो न !’
रामलाल ने सुनीता की हिमायत लेते हुए कहा- हाँ, दे दो थोड़ी सी इस बेचारी को भी।
अनीता ने दो पैग शराब एक ही गिलास में डाल दी और गिलास थमाते हुए बोली- ले मर, तू भी पी थोड़ी सी।
सुनीता ने दो घूँट गले से नीचे उतारी, और कड़वाहट से मुँह बनाती बोली- दीदी, यह तो बहुत ही कड़वी है।
‘अब गटक जा सारी चुप-चाप, ज्यादा नखरे दिखाने की जरूरत नहीं है। ला थोड़ा सा पानी मिला दूं इसमें…’ अनीता ने बाकी का खाली गिलास पानी से भर दिया।
सुनीता दो बार में ही सारी शराब गले के नीचे उतार गई और अपना कम्बल ओढ़ कर चुप-चाप सोने का अभिनय करने लगी।
शराब पीने के बाद रामलाल का अध-खड़ा लिंग अब पूरा तन-कर खड़ा हो गया, उसने अनीता से पूछा- क्या शुरू की जाए इसके साथ छेड़खानी?
अनीता ने धीरे से सर हिलाकर रास्ता साफ़ होने का संकेत दे दिया।
रामलाल अनीता से बोला- तुम अपने लिए दूसरा कम्बल ले आओ। मैं तो अपनी प्यारी बिटिया के कम्बल में ही सो लूँगा।
ऐसा कह कर वह सुनीता के कम्बल में घुस गया। रामलाल के हाथ धीरे-धीरे सुनीता के वक्ष की ओर बढ़े।
सुनीता ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, वह केवल नाइटी में थी। रामलाल ने ऊपर से ही सुनीता की चूचियाँ दबा कर स्थिति का जायजा लिया।
सुनीता सोने का बहाना करते हुए सीधी होकर बिल्कुल चित्त लेट गई जिससे कि रामलाल को उसका सारा बदन टटोलने में किसी प्रकार की बाधा न पड़े। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा, साँसें भी कुछ तेज चलने लगीं।
रामलाल ने उसके होटों पर अपने होंट टिका दिए और बेधड़क होकर चूसने लगा।
सुनीता ने नकली विरोध जताया- ओह दीदी, क्या मजाक करती हो। मुझे सोने भी दो अब…
रामलाल ने उसकी तनिक भी परवाह न करते हुए उसकी छातियाँ मसलनी शुरू कर दीं और फिर अपने हाथ उसके सारे बदन पर फेरने लगा।
इधर सुनीता पर शराब और शवाब दोनों का ही नशा सवार था, उसके बदन में मदहोशी की हजारों चींटियाँ सी काटने लगीं। उसने अनजान बनते हुए रामलाल की जाँघों के बीच में हाथ कर उसके लिंग का स्पर्श भी कर लिया।
तभी उसने लिंग को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया, और बोली- दीदी, तुम्हारी यह क्या चीज है?
इस बीच रामलाल ने उसकी नाइटी भी उतार फैंकी और उसे बिल्कुल नंगी कर डाला।
रामलाल ने ऊपर से कम्बल हटाकर उसका नग्न शरीर अनीता को दिखाते हुए कहा- देखा रानी, तेरी बहन बेहोशी में जाने क्या-क्या बड़बड़ाये जा रही है?
रामलाल ने उसकी दोनों जाँघों को थोड़ा सा फैलाकर उसकी योनि पर हाथ फिराते हुए कहा- यार जानू, तेरी बहन तो बड़े ही गजब की चीज है। इसकी योनि तो देखो, कितनी गोरी और चिकनी है। कहो तो इसे चाट कर इसका पूरा स्वाद चख लूं? रानी, तू कहे तो इसकी योनि का पूरा रस पी जाऊं… बड़ी रसदार मालूम पड़ रही है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
‘अनीता बोली- और क्या… जब नशे में मस्त पड़ी है तो उठा लो मौके का फायदा। होश में आ गई तो नहीं देगी। अभी अच्छा मौका है, डाल दो अपना समूचा लिंग इसकी योनि के अन्दर।
रामलाल ने उसकी जांघें सहलानी शुरू कर दीं, फिर धीरे से उसकी गोरी-चिकनी योनि में अपनी एक उंगली घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अनीता से पूछा- क्यों जानू… इसकी योनि के बाल तुमने साफ़ किये हैं?
‘नहीं तो…’ अनीता बोली- इसी ने साफ़ किये होंगे, पूरे एक घंटे में बाथरूम से निकली थी नहाकर।
रामलाल सुनीता की योनि पर हाथ फेरता हुआ बोला- क्या गजब की सुरंग है इसकी ! कसम से इसकी सुलगती भट्टी तो इतनी गर्म है कि डंडा डाल दो तो वह भी जल-भुन कर राख होकर निकलेगा अन्दर से।
सुनीता से अब नहीं रहा गया, बोली- तो डाल क्यों नहीं देते अपना डंडा मेरी गर्म-गर्म भट्टी में।
रामलाल की बांछें खिल उठीं। उसने सुनीता की चूची को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
सुनीता की सिसकारियाँ कमरे में गूँज कर वातावरण को और भी सेक्सी व रोमांटिक बनाने लगीं। रामलाल अब खुलकर उसके नग्न शरीर से खेल रहा था।
सुनीता ने रामलाल का लिंग पकड़ कर अपने मुँह में डाल लिया और मस्ती में आकर उसे चूसने लगी। अब उसे अपने बदन की गर्मी कतई सहन नहीं हो रही थी, उसने रामलाल का लिंग अपनी जाँघों के बीच में दबाते हुए कहा- मौसा जी, प्लीज़.. अब अपना यह मोटा डंडा मेरी जाँघों के भीतर सरकाइये, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा है।
तब रामलाल ने मोटे लिंग का ऊपरी लाल भाग सुनीता की योनि धीरे-धीरे सरकाना आरम्भ किया। सुनीता योनि में एक तेज सनसनाहट दौड़ गई, उसने कस कर अपने दांत भींच लिए और लिंग की मोटाई को झेल पाने का प्रयास करने लगी।
रामलाल का लिंग जितना उसकी योनि के अन्दर घुस रहा था, योनि में उतनी ही पीड़ा बढ़ती जा रही थी।
अब रामलाल के लिंग में भी और अधिक उत्तेजना आ गई थी, उसने एक जोरदार धक्का पूरी ताकत के साथ मारा जिससे उसका समूचा लिंग सुनीता की कोरी योनी को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
सुनीता के मुँह से एक जोरों की चीख निकल कर वातावरण में गूँज उठी और वह रामलाल के लिंग को योनि से बाहर निकालने की चेष्टा करने लगी।
अनीता ने रामलाल से कहा- जानू इसके कहने पर अपने इंजन को रोकना नहीं, देखना अभी कुछ ही देर में रेल पटरी पर आ जाएगी।
योनि से खून बह निकल पड़ा जो चादर पर फैल गया था।
अनीता सुनीता को डांटते हुए बोली- देख सुनीता, अब तू चुपचाप पड़ी रह कर इनके लिंग के धक्के झेलती रह, यों व्यर्थ की चिखापुकारी से कुछ नहीं होगा। इस वक्त जो दर्द तुझे महसूस हो रहा है वह कुछ ही देर में मज़े में बदल जायेगा। इन्हें रोक मत, इनके रेस के घोड़े को सरपट दौड़ने दे, अधाधुंध अन्दर-बाहर। इनका बेलगाम घोडा जितनी तेजी से अन्दर-बाहर के चक्कर काटेगा उतना ही तुझे मज़ा आएगा।
बड़ी बहन की बात मानकर सुनीता थोड़ी देर अपना दम रोके यों ही छटपटाती रही और कुछ ही देर में उसे मज़ा आने लगा।
रामलाल अब तक सेंकडों धक्के सुनीता की योनि में लगा चुका था। अब सुनीता के मुख से रामलाल के हर धक्के के साथ मादक सिसकारियाँ फूट रही थीं। उसे लगा कि वह स्वर्ग की सैर कर रही है। इधर रामलाल अपने तेज धक्कों से उसे और भी आनन्दित किये जा रहा था।
सुनीता अब अपने नितम्बों को उचका-उचका कर अपनी योनि में उसके लिंग को गपकने का प्रयास कर रही थी, वह मस्ती में भर कर चीखने लगी- मौसा जी, जरा जोरों के धक्के लगाओ… तुम्हारे हर धक्के में मुझे स्वर्ग की सैर का आनन्द मिल रहा है… आह:… आज तो फाड़ के रख दो मेरी योनि को… और जोर से… और जोर से… उई माँ… मौसा जी… प्लीज़ धीरे-धीरे नहीं… थोड़े और जोर से फाड़ो…
उसने रामलाल को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया, अपनी दोनों टाँगों से उसने अपने मौसा जी के नितम्बों को जकड़ रखा था। अजब प्यास सी उसकी जो बुझाए नहीं बुझ रही थी।
अंतत: रामलाल ने उसकी प्यास बुझा ही डाली, सुनीता रामलाल से पहले ही क्षरित हो कर शांत पड़ गई, उसने अपने हाथ-पैर पटकने बंद कर दिए थे पर वह अब भी चुपचाप पड़ी अपने मौसा जी के लिंग के झटके झेल रही थी।
आखिरकार रामलाल के लिंग से भी वीर्य की एक प्रचंड धारा फूट पड़ी, उसने ढेर सारा वीर्य सुनीता की योनि में भर दिया और निढाल सा हो उसके ऊपर लेट गया।
कुछ देर बाद तीनों का नशा मंद पड़ा। रात के करीब दो बजे सुनीता का हाथ रामलाल के लिंग को टटोलने लगा। वह उसके लिंग को धीरे-धीरे पुन: सहलाने लगी। बल्ब की तेज रोशनी में उसने सोते हुए रामलाल के लिंग को गौर से देखा और फिर उसे अपनी उँगलियों में कस कर सहलाना शुरू कर दिया था।
रामलाल और अनीता दोनों ही जाग रहे थे। उसकी इस हरकत पर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।
अनीता ने कहा- देख ले अपने मौसा जी के लिंग को, है न उतना ही मोटा, लम्बा जितना कि मैंने तुझे बताया था।
वह शरमा कर मुस्कुराई।
रामलाल भी हँसते हुए पूछा- क्यों मेरी जान, मज़ा आया कुछ?
कहानी जारी रहेगी।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments