लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग- 46
(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 46)
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मुझे शरारत सूझी तो मैंने हल्के से पापा जी को देखा, वो मेरी तरफ नहीं देख रहे थे तो मैं मौके का फायदा उठाते हुए वेटर को दिखाते हुए अपनी चूत को खुजलाने लगी।
Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 46
लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग- 46
मैंने पापा जी के लंड से उनका सारा वीर्य चाट लिया और उनके होंठ चूमते हुए बोली- मेरे पास इसका भी एक जुगाड़ है।
मैं सब कुछ पापा जी से करवा लेना चाहती थी।
ससुर जी ने मेरी चूत डिल्डो से चोदी
मैं उनकी गोद से उठी और अपने बैग से डिल्डो निकाल कर उनको देते हुए बोली- पापा, आप इससे मेरी चूत चोदिये और मेरी खुजली मिटा दीजिए।
पापा जी डिल्डो को हाथ में लेते हुए बोले- यह क्या है?
मैं पलंग पर पसरते हुए बोली- मेरी चूत की खुजली मिटाने के लिये दूसरा हथियार!
कह कर मैंने अपनी टांगें फैलाई और पापा जी का हाथ पकड़ कर डिल्डो को अपनी चूत से सटाते हुए उनसे इसको अन्दर बाहर करने के लिये कहा।
पापा जी ने मेरे कहे अनुसार डिल्डो को चूत में डाला, अन्दर बाहर करने लगे और डिल्डो से मेरी चूत चोदते हुए बोले- तुमको तो बहुत से लंड मिल सकते हैं तो फिर ये किसलिये?
उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… जब मुझे पता चला कि आप मेरे साथ टूर पर आ रहे हो तो मुझे लगा कि मेरी चूत की आग कैसे शांत होगी और ऑफिस में सबसे यह थोड़े ना कहूँगी कि मैं बहुत चुदासी हूँ और मेरी चूत चोदो। इसलिये मैं इसे अपने साथ ले आई थी कि पता नहीं कब इसकी जरूरत मुझे पड़ जाये।
‘अच्छा, तू बहुत समझदार है। मेरे घर की सबसे ज्यादा चुदासी बहू!’ हम दोनों ही बहुत तेजी से हँसने लगे।
पापा जी मेरी चूत में बड़ी स्पीड से डिल्डो पेल रहे थे और मैं भी अपनी आँखें बन्द किये हुए और कमर उठा उठा कर अपनी चूत के अन्दर और लेने की कोशिश कर रही थी ताकि मैं जल्दी से झर जाऊँ!
पर पता नहीं कि अचानक पापा जी को क्या हो गया, उन्होंने डिल्डो चूत से निकाल लिया, डिल्डो निकलने से मेरी आँख खुल गई, देखा तो पापा जी उस डिडलो को सूंघते जा रहे थे और चाटते जा रहे थे और फिर उसको एक किनारे फेंक दिया।
इससे पहले मैं कुछ बोल पाती कि पापा जी ने अपने बलशाली हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया और अपनी तरफ घसीटते हुए ऊपर की तरफ उठाने लगे।
मैं आधी हवा में झूल गई।
पापा जी मेरी कमर को बहुत कस कर पकड़े हुए थे और मेरी चूत को अपने दाँतों से काट रहे थे। वो दाँतों से मेरी चूत को कस कस कर रगड़ रहे थे और उनके इस तरह से मेरी चूत के साथ खेलने के कारण मैं झड़ना शुरू हो चुकी थी।
निसंकोच भाव से पापाजी मेरे बहते हुए पानी को पी रहे थे… मेरा पूरा रस पीने के बाद ही उन्होंने मुझे छोड़ा।
जैसे ही उन्होंने मुझे छोड़ा मेरे मुंह से निकल पड़ा- लागी लंड की लगन… मैं चुदी सभी के संग!
मेरी बात सुनकर पापा जी बहुत तेज हँसे।
फिर मेरे ऊपर लेट गये और मेरे मुंह को खोल दिया और मेरे रस को अपने थूक के साथ मिला कर मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और जब तक मैं उस थूक को गटक न गई तब तक उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग नहीं किया।
इसके बाद मेरे ससुर मेरी बगल में लेट गए और थोड़ा इमोशनल होते हुए बोले- वास्तव में तुम्हारी तरह लाईफ को जीने का एक अलग आनन्द है और उस पर जब रितेश जैसा तुम्हारा लाईफ पार्टनर जो तुम्हें गजब का सपोर्ट करता हो। मेरी बीवी ने भी कभी सेक्स करते समय मुझे न नहीं कहा, लेकिन उस समय बस इतना ही था कि चूत में डाल लो और थोड़ा बहुत उसके उभारों को मसल लो या फिर निप्पल को अपने मुंह में लेकर पी लो बस! कभी कोशिश भी की कि वो मेरे लंड को अपने मुंह में ले ले या फिर मैं उसकी चूत को चूसूँ! पर कहाँ, जैसे ही मैं उसकी चूत में मुंह ले जाता तो वो तुरन्त ही अपनी दोनों हथेली अपनी चूत के ऊपर रख लेती और कहती ‘ये मुझे अच्छा नहीं लगता, ये मत करिये…’ और चाहे जितना समझा लो, लेकिन वो अपनी बात से टस से मस न होती। और बस फिर लंड को चूत में डाल दो और पेलना शुरू कर दो। हाँ बस इतना ही करती थी कि कभी वो मेरे ऊपर और कभी मैं उसके ऊपर हो कर चुदाई करते थे।
मैं पूछ बैठी- क्या सासू मां अपने पूरे कपड़े उतारती थी या??
‘नहीं, इस मामले में वो सही थी, हम लोग चुदाई पूरे नंगे होकर करते थे और जब तक मुझे नींद न आ जाये तब तक वो मेरे साथ नंगी ही पड़ी रहती थी क्योंकि रात में फिर एक बार हम लोग चुदाई कर लेते थे। पर पता नहीं कब वो कपड़े पहन लेती थी।’
‘दिन में आप लोग?’
‘बहुत कम मौका मिलता था। हम लोगों का टूर उसके मायके या फिर किसी शादी विवाह के लिये बनता था। तो ऐसा मौका जो तुम्हारे साथ मिला है, वो नहीं मिला।’
पापा जी अपनी बात बताते जा रहे थे और मेरी चूत में अपने हाथ चलाते जा रहे थे। मेरा हाथ उनके लंड को पकड़े हुए था।
अपनी बात खत्म करने के बाद बोले- आओ, थोड़ा नीचे चलें! शाम होने को आई और तुम अभी तक कमरे से नहीं निकली।
स्विमिंग पूल पर बिकिनी में
पापा जी के कहने पर मैंने टॉप और स्कर्ट पहनी और दोनों होटल लॉन्ज में पहुँच गये। हम दोनों बाते करते करते हुए होटल की खूबसूरती को निहार रहे थे कि कुछ ही देर में हम होटल के स्वींमिग पूल पर थे।
उस होटल की खास बात यह थी कि कौन किसके साथ किस अवस्था में है किसी से कुछ लेना देना नहीं था।
तभी एक वेटर आया उसके हाथ में दो बियर के गिलास थे, उसने हम दोनों को लेने का आग्रह किया। दोनों ने गिलास उठाये और उसे रूम नं॰ नोट करा दिया।
हम वही पास पड़े हुए टेबल चेयर पर बैठकर अपने ड्रिंक्स सिप कर रहे थे।
‘तुम्हें स्विमिंग आती है?’ पापा जी बोल उठे।
‘हाँ…’ मैंने उत्तर दिया।
‘तो ठीक है, तब आओ स्विमिंग करते हुए ड्रिंक करते हैं।’ इतना कहने के साथ ही पापा जी ने अपने कपड़े उतारे और पूल में छलांग लगा दी।
मैं भी अपने टॉप और स्कर्ट को उतार कर पूल के किनारे, साथ में बीयर के दोनों ग्लास रख कर पूल में उतर गई।
मेरे पूल पर उतरने के साथ ही पापा जी किनारे आ गये और बियर सिप करते हुए बोले- वास्तव में तुम इस पीली पैन्टी और ब्रा में बहुत ही सेक्सी लग रही हो, देखो तो सब तुम्हीं को घूर घूर कर देख रहे हैं।
मैंने एक नजर सब को देखा तो यही पाया कि सभी मुझे घूर कर देख रहे हैं। इस समय मुझे वास्तव में अपने ऊपर बड़ा घमण्ड हो रहा था। मेरे बड़े- बड़े उरोज और सुडौल और उभरी हुई गांड जितने भी थे उस समय पूल के आस पास सभी मुझे पाने की नीयत से घूरे जा रहे थे।
मैं ख्यालों में खोने ही लगी थी कि पापा जी ने मुझे झकझोरते हुए कहा- मेरी एक बात और मानो!
इशारे से पूछा ‘क्या?’ तो बोले- तुमको कल से मैं पूरा नंगा देख रहा हूँ। देख क्या रहा हूँ, तुम्हारे उन अंगों का मजा ले रहा हूँ। पर पूरी तरह से तुम्हारी सेक्सी फिगर नहीं देख पाया। तुम अपने हाथ में बियर का गिलास लेकर पूरे पूल का एक चक्कर लगा आओ। मैं तुम्हारे पूरे सेक्सी जिस्म को निहारना चाहता हूँ और तुम्हारी चाल देखना चाहता हूँ। खास कर जब तुम चलो तो ये तुम्हारी सुडौल और उभरी हुई गांड किस तरह ऊपर नीचे होती है।
पैंटी में चूत की फ़ांकें
मेरी पैन्टी भी इतनी टाईट थी कि चूत की फांकें भी सबको अच्छे से दिख सकती थी।
मैंने पापा जी को यह बात बताई तो उन्होने मुझे दो तीन लड़कियों को दिखाया जिनकी चूत और गांड भी बड़ी आसानी से देखी जा सकती थी।
पानी और बियर दोनों का ही सरूर मेरे सिर पर चढ़ने लगा, तो मैंने तुरन्त ही गिलास पापाजी को दिया और पूल से बाहर आ गई।पापाजी ने मुझे वापस बियर का गिलास पकड़ा दिया।
मैं थोड़ा सकुचा रही थी, फिर पापा जी ने मेरा हौंसला बढ़ाया और बोले- तुम चलो, मैं भी पूल में तैरते हुए तुम्हारी मटकती हुई गांड देखूँगा।
‘ठीक है!’ मैं बोली- लेकिन आपको भी मेरे जिस्म की मालिश करनी होगी, क्योंकि जब तक मैं अपने जिस्म की मालिश न करा लूं, तब तक मुझे नींद नहीं आती है।
‘यार, अब तेरे मेरे बीच में कौन सा पर्दा है! जो तू कहेगी, मैं वो कर दूंगा।’
नंगे जिस्म की नुमाईश
मैं अब बड़ी अदा के साथ बियर का गिलास लेकर हल्का सा और मटकते हुए चल दी।
बस फिर क्या था, सबकी नजर मेरे ही ऊपर थी और मैं सबको इग्नोर करते हुए मस्ती से चली जा रही थी।
पापा जी ने सही कहा था कि लोग तुम्हारे फिगर को देखकर इतने मस्त हो जायेंगे कि अपने आप को भूल जायेंगे।
मैं पूल के तीन कार्नरों का चक्कर लगा चुकी थी और चौथे की तरफ आ ही रही थी कि एक ने कमेन्ट मारा- क्या फिगर है… आज रात इसी को सपने में देखकर मूठ मारूंगा।
मैं उसकी बात सुनकर रूक गई और उसे देखने लगी।
वो उठा और मेरी और हाथ बढ़ा कर बोला- हाय, आई एम जीवन!
देखने में वो भी बहुत हृष्ट पुष्ट था, मैंने उसके साथ हाथ मिलाया और आगे बढ़ गई और वापस अपनी बेंच पर आकर बैठ गई।
उस जीवन की बात मेरे कानों में गूंज रही थी कि पापा जी मेरे बगल में बैठ गये और मुझे झकझोरते हुए बोले- फिर तुम कहीं खो गई?
फिर मुझसे पूछने लगे- तुम एक पल के लिये उस आदमी के पास क्यों रूक गई थी।
मैं इतना ही बोली- आज रात वो मुझे अपने सपने में चोदेगा।
‘मतलब!?!’ एक बार फिर पापाजी ने पूछा।
‘कह रहा था कि आज रात मुझे वो अपने सपने में देखेगा और मुठ मारेगा।’
मेरी बात सुनकर पापाजी मुस्कुराते हुए बोले- यही नहीं, आज सभी मर्द या तो मुठ मारेंगे या फिर अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड में तुम्हें देख कर उसकी खूब चुदाई करेंगे। उस आदमी का क्या नाम है?
‘जीवन…’
फिर वही वेटर एक बार फिर आया और पापा जी को एक किनारे ले जाकर उनसे कुछ कहने लगा, उसके हाव भाव से लग रहा था कि वो मेरी ही बात कर रहा था क्योंकि वो लगातार मेरे तरफ देख रहा था और पापाजी को कुछ समझा रहा था।
पर पापाजी के हाव-भाव से लग रहा था कि वो उस वेटर को उस बात के लिये मना कर रहे थे।
थोड़ी देर तक दोनों बातें करते रहे, उसके बाद वेटर ने एक कार्ड निकाल कर पापा जी को दे दिया और चला गया।
फिर पापाजी मेरे पास आये, मेरे पूछने पर सिर्फ इतना ही बोले- चलो कमरे में… वहीं बताता हूँ।
हम दोनों कमरे में आ गये।
भूख लगी थी तो मेरे कहने पर पापाजी ने इन्टरकॉम से खाने का ऑर्डर दे दिया।
तभी फोन की घंटी बजी, देखा कि रितेश की कॉल थी, वो हाल चाल पूछने लगा।
बात करते करते कहने लगा कि अगर तबीयत ठीक ना हो तो वापस आ जाओ।
पर मैंने रितेश को कल ऑफिस ज्वाईन करने की बात कह दी। फिर थोड़ी देर और बात हुई उसके बाद मैंने बाय कहकर मोबाईल डिस्कनेक्ट कर दिया।
अभी मोबाईल डिस्कनेक्ट ही किया था कि मेरे बॉस का फोन आ गया उनसे बात करने के बाद एक अननोन नम्बर से काल आना शुरू हुई। मैंने पापाजी की तरफ देखा तो उन्होंने मुझे पिक करने के लिये कहा।
कॉल जैसे ही पिक की, उधर से मेरा हाल चाल पूछा गया और कहने लगा कि उसने मेरे बॉस से मेरा नम्बर लिया है और मेरे ऑफिस आने का प्लान पूछने लगा।
मैंने दूसरे दिन ऑफिस ज्वाईन करने की बात कहकर कॉल बन्द कर दी।
तभी कमरे की बेल बजी, पापा जी और मैंने दोनों ने अपने अपने गाउन पहने, पापा जी ने आने वाले का परिचय पूछा तो पता लगा कि जो ऑर्डर दिया गया है वो सर्व होने के लिये आया है।
पापा जी ने दरवाजा खोला, देखा तो आने वाला वही वेटर है जो पूल पर पापाजी से बातें कर रहा था।
वो खाना रखते हुए मुझे बार बार घूर रहा है।
मुझे इस समय थोड़ी शरारत सूझी तो मैंने हल्के से पापा जी को देखा जिनकी नजर भी वेटर की हरकत पर ही थी पर वो मेरी तरफ नहीं देख रहे थे तो मैं मौके का फायदा उठाते हुए वेटर को दिखाते हुए अपनी चूत को खुजलाने लगी।
अब हक्का बक्का होने की बारी वेटर की थी, उसने बड़ी जल्दी ही ऑर्डर को मेज पर लगाया और चला गया।
कहानी जारी रहेगी।
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