लड़कपन की यादें-5
(Ladakpan Ki Yaden-5)
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मैं समझ गया कि वो ओर्गेज्म पर पहुँच चुकी थी इसलिए उसे छोड़ दिया और वहीं जमीन पर लेट गया।
कुछ मिनटों बाद जब उसकी हवस का नशा उतरा तो उसे अपने आप पर बहुत शर्म आई और वो धीरे से उठी और कपड़े ले कर टॉयलेट में गई फिर अपनी योनि साफ करके कपडे पहन कर बाहर आई… दरवाजा खोला और बिना बोले अपने कमरे की ओर बढ़ गई।
मुझे भी अपने आप पर बहुत शर्म आ रही थी इसलिए मैं भी कुछ बोल नहीं पाया और उसे जाते हुए देखता रहा।
मैंने भी उठ कर दोनों बुक्स को अलमारी में रखा और अपना बिस्तर ठीक कर के लेट गया पर काफी देर तक सोनी का ही ख्याल दिल में चलता रहा।
मेरे लिंग पर उसके हाथों के स्पर्श की गुदगुदी अब भी मुझे महसूस हो रही थी।
ये सब सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
गतांक से आगे…
सुबह उठ कर ब्रश किया, फ्रेश हुआ और नीचे जाते हुए सोचने लगा कि कैसे सोनी से कैसे बात करूँगा हालांकि मुझे अब यह तो भरोसा था कि वो किसी को रात वाली बात बताएगी नहीं।
नीचे सब साथ बैठ कर चाय पी रहे थे पर सोनी नहीं थी।
मैंने सोनी के लिए पूछा तो अनन्या ने बताया- वो तो अभी तक सो रही है। रात को कितनी बजे तक खेले?
मैंने थोड़ा सोच कर जवाब दिया- खेले ही नहीं, नैट की डोरी टूट गई थी इसलिए पहले थोड़ी देर टैरेस पर और बाद में मेरे कमरे में बैठ कर बचपन की बातें करते रहे, फिर जाकर सो गये।
तब तक सोनी भी नीचे आ गई थी, उसने मेरी बात सुन भी ली थी इसलिए मेरा डर भी दूर हो गया कि उसे पूछने पर वो कुछ और जवाब नहीं दे दे।
वो बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रही थी जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो तो मेरी भी जान में जान आई।
चाय पीकर हम मेरे कमरे में चले गये और बातें करने लगे।
पता नहीं क्यूँ सोनी, जो हमेशा खिली-खिली सी रहती थी आज कुछ चुप-चुप सी थी।
मैंने पूछा भी पर उसने जवाब नहीं दिया।
कुछ देर बाद अनन्या उठ कर नहाने को चली गई पर सोनी बैठी रही।
अनन्या के जाते ही वो मेरे पास आई और बोली- मुझे सैक्स का वीडियो देखना है!
मैंने कहा- सोनी… डैडी के रूम में कुछ मस्त सीडीज हैं… पर घर में इतने लोग आये हुए हैं… हमेशा कोई ना कोई वहाँ रहता है… कैसे देखोगी?
‘मेरी बात मानो… मैं डैडी की अलमारी से कुछ और बुक्स ले आता हूँ वो पढ़ो… उनमें फोटोज भी हैं… बहुत मजा आएगा… और तुम बोलो तो कल वाला… हम फिर से कर सकते हैं…’ मैंने कुछ रुकते हुए कहा।
‘वो सब मुझे नहीं मालूम… मुझे आज के आज वीडियो दिखाओ… बस…!’ सोनी ने कुछ थोड़ा व्यग्र होते हुए कहा।
मैं कुछ सोच कर डरते हुए बोला- एक आईडिया है… पर… !
‘पर क्या…?’ सोनी तुरंत बोली।
‘अगर अनु हमारे साथ मिल जाए तो शायद बात बन सकती है… हम तीनों साथ होंगें तो किसी को शक नहीं होगा और हम डैडी की टीवी और नया सीडी प्लेयर मेरे रूम में लाकर सब कुछ देख सकते हैं…’ मैंने अपने दिल की बात जुबान पर ला दी।
‘ऐसा कैसे होगा… उससे कैसे बात करेंगें… ये इम्पॉसिबल है…!’ उसने थोड़ा उदास होते हुए कहा पर मैं खुश हुआ कि वो मुझसे सहमत तो है।
‘नहीं ये इम्पॉसिबल नहीं… थोड़ा रिस्क तो है पर… मेरे पास एक प्लान है…’ मैंने सोच कर कहा।
‘आज भी वही करेंगें जो कल हुआ था… कल तुम बैडमिन्टन के सामान लाने वाली थी आज अनु लाएगी… और आज मैं वो बुक्स और एकाध सीडी सामने रख दूँगा जिससे उसे वो दिखे ही… अगर मामला बिगड़े तो… थोड़ा तुम संभाल लेना… अगर सब अच्छे से हो गया तो तीनों मिल के मजे करेंगें…’ मैंने ख़ुशी मिश्रित डर के साथ कहा।
‘ठीक है… पर मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा… कहीं उसने किसी को बता दिया तो… सब गड़बड़ हो जायेगी…’ सोनी ने फिर थोड़े डर के साथ कहा तो मैंने जवाब दिया- रिस्क तो लेना ही पड़ेगा… मुझे लगता है हम तीनों साथ होंगें तो ही सब आराम से कर सकते हैं… अकेले तो कभी भी पकड़े जायेंगे…
मैं नीचे से कुछ अच्छी फोटोज वाली सीडीज और बुक्स ले आया और उन्हें बैडमिन्टन के सामान के ऊपर ही रख दिया और अलमारी को लॉक भी नहीं किया।
योजना के अनुसार हमने आज फिर रात को बैडमिन्टन खेलना तय किया।
मैं और सोनी डिनर कर के पानी का छिड़काव करने के नाम से पहले छत पर चले आये और अनन्या को बोल दिया कि डिनर कर के वो भी जल्दी ऊपर आ जाये।
हम लोग अनन्या का इन्तजार करने लगे तभी उसकी ऊपर आने की आवाज सुनी तो मैं दौड़ कर सीढ़ियों की ओर गया और योजना के मुताबिक उसे आवाज लगा कर बैडमिन्टन का सामान लाने को कहा।
हम दोनों की धड़कन तेज हो गई थी।
लगभग दस मिनट बाद अनन्या ऊपर आई तो उसके हाथ में गेम का सामान ही था तो मुझे लगा कि हमारा प्लान चौपट हो गया है।
उसने सारा सामान नीचे रखा और अपनी जींस की पिछली पॉकेट से मेरी रखी एक बुक निकाली और मुझे दिखाते हुए बोली- ये क्या है… क्या चल रहा है आजकल… ऐसी बुक्स पढ़ने लगे हो? और ये सीडी… ये किसकी है?
मैंने नादान बनते हुए बोला- ये बुक… ये बुक तुमको कहाँ मिली?
‘जहाँ तुम रख के भूल गये थे इसे… बता दूँ मामा को… मार पड़ेगी… और सीडी भी है… वीडियोज भी देखते हो… और क्या-क्या करने लगे हो आजकल?’ उसकी आवाज थोड़ी तेज हो गई थी तो मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और मुझसे तो कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था।
तभी बात सँभालने के अंदाज में सोनी बोली- मुझे दिखाओ तो… क्या है इस बुक में?’
कह कर उसने वो बुक अनन्या के हाथ से ले ली और पन्ने पलटने लगी फिर बोली- ओह सैक्स स्टोरीज… वाओ… इसमें क्या बड़ी बात है… यंग है… स्मार्ट है… स्टोरीज ही तो पढ़ रहा है… सब करते हैं… छोड़ो… आओ हम तो गेम खेलते हैं… लेट हिम एन्जॉय हिज लाइफ… हिज वे… !!
अब चौंकने की बारी अनन्या की थी, वास्तव में वो यह सब ड्रामा सोनी को दिखाने के लिए ही कर रही थी पर जैसे ही उसे मालूम चला कि सोनी की दिलचस्पी भी इसमें है। तो उसने तुरन्त पाला बदल दिया और थोड़े नरम स्वर में बोली- सोनी… क्या तुम भी पढ़ती हो ये स्टोरीज… अच्छी लगती हैं?
‘नहीं… ज्यादा तो नहीं पढ़ी पर जो पढ़ी बहुत अच्छी लगी… सच में अनु… मजा आ गया पर वीडियो नहीं देखा… तुमने नहीं पढ़ी कभी… शॉकिंग यार… तुम तो मुंबई में रहती हो फिर भी… इतनी बैकवर्ड कैसे… मुंबई के लोग तो बहुत एडवांस होते हैं?’
सोनी ने बात को अच्छे से सम्भालते हुए उसे उकसाते हुए ताना भी मारा तो मुझे भी लगा कि अब बात बन रही है इसलिए मैं भी आग में घी डालते हुए बोला- सच में अनु… बहुत मजा आता है इन बुक्स ओर सैक्स वीडियोज में… एक बार पढ़ो तो सही!
‘बुक्स तो एक-दो मेरी फ्रेंड ने मुझे दी थी तो मैंने भी पढ़ी है पर वीडियो कभी नहीं देखा… वीडियो में क्या होता है?’ उसने उत्सुकता से शरमाते हुए पूछा।
जैसा कि मैंने पहले बताया था… उस समय मोबाइल, कंप्यूटर, इन्टरनेट इतने प्रचलन में नहीं थे यहाँ तक कि सीडीज भी नई-नई ही आई थी इसलिए ये सब साहित्य आम लोगों और गरिमामयी परिवारों की पहुँच से थोड़ा दूर था और वैसे भी बड़ी बुआ के घर में काफी सख्ती थी इसलिए अनन्या को सैक्स का अपने सहेलियों से ज्ञान तो हो गया था पर ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई थी।
मैं तुरंत मुद्दे पर आया- वीडियोज में लाइव सैक्स होता है… मस्त… कुछ में स्टोरी भी… बहुत अच्छा लगता है… तुम देखोगी?
तुरंत उसने गर्दन हिला कर अपनी स्वीकृति दी तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
‘चलो नीचे… मेरे रूम में चल के सैक्स का ज्ञान बांटते हैं… जैसा कि हमने कल किया था!’ मैंने सोनी की ओर देखते हुए कहा तो अनन्या बोली- तो तुमने कल भी ये सब किया था? तो ये थी तुम्हारे बचपन की बातें?
हम सब हंसने लगे और उठ कर छत की लाइट्स बंद कर मेरे कमरे में आये और बैड पर बैठ कर सैक्स की जानकारी का आदान-प्रदान करने लगे।
हालांकि वे दोनों श्रोता थीं और मैं वक्ता।
सोनी और अनन्या को आश्चर्य था कि मैं इस विषय में इतना ज्यादा कैसे जानता हूँ।
मैंने अनन्या को अपनी अब तक की पूरी कहानी सुनाई कि कैसे मैं सैक्स ज्ञान में इतना आगे हूँ फिर मैंने उसको हस्तमैथुन के बारे में पूछा तो उसने शर्माते हुए कहा कि वो कभी-कभी हस्तमैथुन करती है।
सोनी ने अनन्या को पूछा कि तुमने किसी का लिंग देखा है तो अनन्या ने ना कहा तभी बातों ही बातों में सोनी ने मुझे कहा- अभि… आज हम दोनों को अपना लिंग दिखाओ… !
तो मैंने भी कहा- ठीक है, मैं दिखाऊँगा पर एक शर्त है… तुम दोनों को भी मेरे साथ कपड़े खोलने पड़ेंगें… अगर तुम नहीं चाहो तो कोई तुम्हें टच भी नहीं करेगा… पर मैं अकेला कैसे कपड़े खोलूँ!
अनन्या की तरफ देख के बोला।
सोनी ने कहा- ठीक है मैं तो तैयार हूँ… तुम क्या बोलती हो अनु?
‘सोनी… क्या बोल रही हो… एक दूसरे के सामने कपड़े खोलेंगे… नहीं मैं नहीं खोलूंगी कपड़े-वपड़े… बात करने तक ठीक है… थोड़ी तो शर्म रखो!’ अनन्या थोड़ी शरमाते हुए बोली।
सोनी पलट कर थोड़े गुस्से से बोली- अनु… खोल नहीं सकती… देख तो सकती हो… बाद में अगर तुम्हारा मन करे तो तुम भी आ जाना!
कह कर सोनी अपनी जींस खोलने लगी तो अनन्या बोली- मुझे नहीं देखना ये सब… मैं जा रही हूँ!
मैंने उसे रोका- ओके अनु… तुम अपने कपड़े मत खोलना… तुम वीडियो देखना चाहती थी ना… तुम खाली देखो… ये लाइव विडियो… प्लीज… कोई तुमको फोर्स नहीं करेगा कपड़े खोलने के लिए… फिर भी तुमको लगे कि यहाँ कुछ गलत हो रहा है तुम कभी भी उठ के जा सकती हो… ओके… प्लीज?
अब अनन्या भी उत्सुकतावश रुक गई और बैड के सामने सोफे पर जा कर बैठ गई।
सोनी ने अपनी जींस उतारी तो मैंने उसे टॉप भी खोलने को कहा तो वो बोली- टॉप क्यों?
मैंने जवाब दिया- आज एक नई चीज सिखानी है!
सोनी ने वासना के वशीभूत होकर अपना टॉप भी उतर फेंका और बैड पर जाकर अधलेटी सी बैठ गई।
अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही थी और आज कल जितना शरमा भी नहीं रही थी।
मैं भी अपनी ट्रैक-पैंट, टी-शर्ट और बनियान खोल कर तुरंत बैड पर चढ़ गया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके कसे हुए उरोजों को दबाने लगा।
थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने धीरे से पीछे हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोलकर उसके गोरे-गोरे स्तनों को आजाद कर दिया और उसके गुलाबी चुचूकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसके कसे हुए उरोज़ों को पहली बार किसी पुरुष का स्पर्श मिला था इसलिए वो आँखें बंद कर के सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने कुछ देर चूसने के बाद अपने होंठ उसके रसभरे होठों पर रख दिए और उनका स्वाद लेने लगा तो वो भी अपनी जीभ से मेरी जीभ मिला कर मेरा साथ देने लगी।
उसके हाथ भी मेरे बदन पर चल रहे थे।
उधर उत्तेजना के मारे अनन्या का भी बुरा हाल था इसलिए उसने भी धीरे से अपनी जींस की ज़िप खोल कर उंगली डालकर अपनी योनि को सहलाना शुरू कर दिया था।
इधर मैंने हौले-हौले अपने होंठ सोनी के होठों से हटाकर कर उसके वक्षों और नाभि को चूमते हुए उसके कटिप्रदेश की ओर बढ़ा दिए और पैंटी के ऊपर उन्हें चूमने लगा फिर दोनों हाथों से पैंटी को नीचे कर उतार फेंका।
मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी की और अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी तो वो कसमसा उठी- वाओ… कितना अच्छा करते हो तुम… आह… इई… बहुत मज़ा आ रहा है… प्लीज करते रहो… रुकना मत… ओह्ह आउच… कम ओन…!
मैं उसकी योनि को चूस रहा था तभी मुझे अपनी पीठ पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने नज़र घुमा कर देखा।
कहानी जारी रहेगी।
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