भाई की कुंवारी साली की सील तोड़ी-2
(Bhai Ki Kunvari Sali Ki seal todi- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left भाई की कुंवारी साली की सील तोड़ी-1
-
keyboard_arrow_right भाई की कुंवारी साली की सील तोड़ी-3
-
View all stories in series
मैं बोली- कितने गन्दे हो, छी मुझे लेट्रिन करते देखा… थू!
मैं उनके हाथ जोड़ने लगी, बोली- जीजा प्लीज मैं चिल्ला दूंगी!
और मैं रोने का नाटक करने लगी, बोलने लगी- हाथ मत लगाओ मुझे जीजा, मुझे जाने दो। मैं ड्रेस नहीं लूंगी!
और जैसे ही मैं चारपाई से उतरने लगी, जीजा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे बिस्तर में फिर से पटक दिया। अब वे बोले- मजाक मत करो वन्द्या मेरी जान!
और मेरे होठों के चुम्मा लेने लगे. मैं हाथ पैर दोनों झटक रही थी।
पर जीजा को कुछ समझ नहीं आया, उन्होंने तुरंत मेरी वन पीस फ्राक को ऊपर किये तो वह मेरे पेट तक आ गई, अब कमर के नीचे मैं नंगी हो गई सिर्फ पैंटी रह गई, मेरी नंगी जांघों और टांगें देखकर जीजा बोले- क्या मजाक कर रही हो वन्द्या… कितनी मस्त माल हो, तुम्हारी यह प्यारी मस्त पैंटी के ऊपर से फूली चूत सब बता रही है कि तुम्हारी चूत को अब लंड चाहिए।
जीजा मेरी पैंटी के ऊपर जहां फूली हुई चूत थी, वहीं पे हाथ रखकर बोले- कितनी तो गर्म है तुम्हारी चूत… फिर भी चिल्ला रही हो।
मैंने जोर से धक्का मारा और जीजा के हाथ में दांत से चबा कर काटने लगी और उनसे खुद को छुड़ा लिया. बिस्तर से नीचे उठी, एक चाकू पड़ा था सब्जी वाला उसे ले लिया, और बोली- अगर अब अगर छोड़ोगे नहीं तो मैं मार दूंगी तुझे गन्दे जीजा, मुझे जाने दो, मुझे तेरे ड्रेस नहीं चाहिए।
मैं पूरी नौटंकी कर रही थी और मजा ले रही थी.
मैं जैसे ही दरवाजा की खिटकिली अंदर से खोलने लगी, जीजा ने फिर से पकड़ लिया पीछे से और मेरे हाथ से चाकू छीनकर ऊपर रैक में फेंक दिया, और मुझे फिर से उठाकर बिस्तर में पटक दिया.
जीजा बोले- वन्द्या मान जाओ प्लीज!
और मेरे ऊपर चढ़ गए इस बार… मैं फिर से उनसे छुड़ाने लगी लेकिन इस बार जीजा मेरे बिल्कुल पेट के ऊपर दोनों टांगें इधर उधर करके ऐसे चढ़ गये कि मैं कुछ भी कर के नहीं उठ सकती थी न ही छुड़ा सकती थी.
अब जीजा एक हाथ से मेरी फ्रॉक को ऊपर करके मेरे सीने तक कर दिया, तो पैर से लेकर सीने तक पूरी नंगी हो गई बीच में सिर्फ पैंटी बची बदन में!
जीजा एक दम ललचाई आंखों से मुझे देखकर बोले- वन्द्या, क्या मस्त चिकनी माल हो! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ा हूं, दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की को चोदूंगा।
यह कहते हुए जीजा ने मेरी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया.
वो मेरे ऊपर टांगें इधर उधर करके बैठे थे, इस वजह से मैं उनके हाथ अपने हाथ से पकड़ नहीं सकती थी.
और जीजा ने पैंटी के अंदर से हाथ ले जाकर मेरी चूत में हाथ रख दिया और बोले- बहुत गीली हो रही है तुम्हारी चूत वन्द्या… और तुम बोलती हो कि मैं अभी छोटी हूं। तुम बहुत झूठी हो वन्द्या! मुंह से मना कर रही हो पर तुम्हारी चूत कुछ और बोल रही है। तुम यहां बैठे बैठे गीली हो गई मतलब तुम्हारे मन में तन में अंदर चुदवाने का ख्याल चल रहा है।
यह बात जीजा ने बिल्कुल सच बोली, मेरे मन में अंदर से कुछ अकुलाहट सी और अलग फीलिंग हो रही थी, मैं अंदर ही अंदर सोच रही थी कि काश जीजा मुझे जबरदस्ती चोद दें, मैं मना भी करूं तो ना माने!
पर मैं फिर भी जीजा से बोली- नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, जीजा मुझे छोड़ दो!
तब जीजा बोले- नहीं सेक्सी वन्द्या, तुम बहुत चुदासी हो!
और उन्होंने मेरी चूत में उंगली डाल कर उसका चिपचिपा चूत रस निकाल कर मुझे दिखाया और बोला- देखो, यह तुम्हारी चूत का रस है, यह लड़की जब चुदासी होती है तभी चिपचिपाहट वाला रस निकलता है।
मैं अब क्या बोलूं मुझे समझ नहीं आया.
तभी मेरी छाती के ऊपर हुई फ्राक को गले तक कर दिया, उसी समय मैं हाथ जीजा के पकड़ने लगी पर तब तक वह मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे दूध दबाने लगे और मेरे मुंह में अपने होठों को रगड़ने लगे. मैं चेहरा इधर-उधर झटक रही थी कि वह अपने होठों से मुझे चूम ना पायें, पर जीजा एकदम से पकड़ के मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उनके बहुत गर्म होंठ मेरे होंठों को चूमने लगे और उनकी गर्म सांसें मेरी नाक में समाने लगी.
और उधर नीचे अपने एक हाथ को मेरी पेंटी के नीचे फिर से घुसा कर मेरी चूत में जैसे उंगली डाली मुझसे रहा नहीं गया। मुझे बिल्कुल पता नहीं कैसे क्या होने लगा, मैं एक बार फिर से बोली- जीजा मुझे छोड़ दो, मैं कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी, प्लीज मुझे जाने दो मत करो कुछ भी!
पर जीजा कहां मानने वाले… वो अपनी उंगली को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे, मुझे अब ना जाने कैसी अजीब सी सुरसुराहट और कम्पकपी पूरे बदन में होने लगी, जीजा की यह हरकत मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी, वह अपनी उंगली जोर जोर से अंदर बाहर चूत में करने लगे मैं कांपने लगी।
और तभी जीजा का एक हाथ जो खाली था, उससे बूब्स को दबा रहे थे, मेरे दोनों बूब्स ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे, मैं अब कुछ बोल ही नहीं पा रही थी, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और मैं बिल्कुल मचलने लगी.
जीजा बोले- क्या मस्त माल हो वन्द्या… तुम अभी तक कितने लन्ड ले चुकी हो?
मैं बोली- यह क्या बोल रहे हो जीजा, आज तक मुझे किसी ने छुआ भी नहीं है, आप भी मत करो. मुझे बहुत डर लग रहा है, ना जाने मुझे क्या होने लगा है, मैं छोटी हूं, मुझे कुछ नहीं पता।
तभी जीजा जोर से मेरे होठों को चूमने लगे और बोले- वन्द्या, तुम बहुत बड़ी वाली हो, झूठ बहुत बोलती है। मैं अभी तुम्हारे चूत में उंगली कर रहा हूं वह शट-शट अंदर बाहर जा रही है, तुम चुप ही रहो भले ही ना बताओ!
मैं थोड़ी सी अकड़ कर बोली- अपने मन से कुछ भी मत बोलो जीजा, आज तक मुझे किसी ने छुआ भी नहीं, करना तो दूर की बात है.
हालांकि मैंने यह झूठ बोला, कमलेश सर पहले मर्द हैं जिसने मेरे बदन को छुआ और मेरे चूत को चाट चुके थे पर उन्होंने भी मुझे चोदा नहीं था।
तभी जीजा मेरे होठों को फिर से कस के चूम लिया अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, जीजा मेरे मुंह को खुलवाने लगे और जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला, मेरे जीभ को अपने होठों से पकड़कर चूसने लगे और चाटने लगे।
मैं अब बिल्कुल मचलने सी लगी, जाने कैसे मेरे हाथ जीजा के पीठ में चले गए और मैं हांफने लगी, तभी जीजा बोले- वन्द्या तुम बहुत मस्त माल हो, तुम मेरी रखैल बनना।
मेरी हालत अब ये हो गई कि मैं अब कुछ नहीं करने की स्थिति में पहुंच गई थी.
तभी जीजा बिस्तर से उठे और अपने कपड़े उतारने लगे, मैं उठकर बैठने लगी तो जीजा बोले- वन्द्या, अब नाटक किया तो उठा कर पटक दूंगा, तुम्हारा मन है बहुत चुदवाने का है फिर ऐसा क्यों कर रही हो।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि आज के पहले सिर्फ कमलेश सर ने मुझे छुआ, वह भी मेरे ही घर में मुझे छुआ था, तो मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी, पर जीजा ऐसा बोले तो मैं बिस्तर में ही रह गई।
अब जीजा मेरी सामने अपनी शर्ट पैंट उतार के पहले अंडरवियर बनियान में आए, मैं उनको देख ही रही थी, मेरे सामने अपना बनियान उतारा उनकी नंगी छाती देखी और फिर जैसे ही अपनी अंडरवियर नीचे खिसकाने लगे, कमर से नीचे करते ही जीजा का लन्ड बहुत लंबा और मोटा मेरे सामने तना हुआ खड़ा था.
अपनी अंडरवियर उतार फेंक कर जीजा पूरे नंगे हो गए, उनके लन्ड के पास बहुत सारे बाल थे, नंगे होकर जीजा मेरे बिस्तर पर चढ़ आए, मेरा सीना जोर जोर से धक धक करने लगा, मेरी सांसें बहुत तेज़ हो गई अब मुझे बहुत घबराहट होने लगी.
बिस्तर में आकर मेरे सीने में हाथ रखकर मुझे बोला- सीधी हो जाओ वन्द्या!
मैं वैसी ही लेटी रही तो जीजा ने खुद पकड़ कर मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी फ्रॉक को खींच कर ऊपर किया और गर्दन से उतार बाहर कर दी, अब मैं जीजा के सामने ब्रा और पैंटी में लेटी थी।
जीजा बोले- ओहहह गाड… वन्द्या तुम तो कयामत हो, क्या मस्त लौंडिया हो क्या माल हो! मैंने आज तक तुमसे मस्त माल नहीं देखा, इतनी हिरोइन फिल्मों में देखी, इतनी लड़कियां देखी, कोई भी लड़की तुम्हारे आस पास भी नहीं! वन्द्या तुम बहुत मस्त माल हो, क्या गजब की चिकनी टांगें हैं तुम्हारी, क्या मस्त सेक्सी गहरी नाभि है, और क्या कड़क बूब्स लग रहे हैं, मुर्दे के सामने ऐसे चली जाओ वन्द्या तो वो भी खड़ा हो जाए, कितने मस्त मस्त प्यारे लाल सुर्ख होंठ हैं, और उसमें प्यारी सी तुम्हारी सेक्सी नाक है, आंखों का तो कहना ही क्या… है लगता है बिल्कुल चुदवाने का इशारा कर रही हैं।
जीजा की यह बातें मेरे को अंदर से अच्छी लगी.
इतने में जीजा मेरी पेंटी को धीरे से पकड़कर उतारने लगे, मैं बोली- जीजा मत करिए… हाथ जोड़ती हूं मुझे छोड़ दो, बहुत डर लग रहा है कभी नहीं करवाया।
पर जीजा कहां मानने वाले… उन्होंने पैंटी को उतार फेंका अब मेरे बदन पर सिर्फ ब्रा बची थी, जीजा ब्रा के ऊपर से ही दोनों बूब्स अपने दोनों हाथों से पकड़ कर जोर से दबाने लगे.
मैं चीख उठी, जैसे चीखी जीजा ने मेरे होठों को चूम लिया और बोले- इस तड़प और दर्द में बहुत मजा होता है वन्द्या!
फिर जीजा ने मेरी ब्रा के हुक पर हाथ रखकर ब्रा को खींच दिया, हुक टूट गई, ब्रा अलग हो गयी, मैं बोली- मेरा ब्रा तोड़ ड़ी!
तभी जीजा बोले- तुझे आज 4-5 ब्रा खरीदवा दूंगा, चिंता मत कर!
अब मैं जीजा के सामने बिस्तर में पूरी नंगी लेटी थी, जीजा भी पूरे नंगे थे, इस तरह पहली बार आज कोई मर्द मेरे ऊपर मुझे पूरी नंगी करके और मेरे ऊपर पूरा नंगा होकर लेट गया.
जीजा मेरे ऊपर चढ़ गये, फिर मुझसे चिपक गए, मेरा अब हाल बहुत बुरा था, मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी कि यह सब क्या है?
जीजा का शरीर बहुत गर्म होकर तप रहा था, उनका सीना मेरे सीने से चिपक गया, मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए, नीचे उनका लन्ड मेरी चूत में रगड़ खा रहा था.
जीजा बोले- वन्द्या, तुम्हारा जिस्म तो आग की भट्टी की तरह बहुत गर्म है, तुम प्यासी हो, बहुत चुदासी हो!
मैं यह बात समझ नहीं पा रही थी.
तभी जीजा उल्टे हो गए, उन्होंने अपने पैर मेरे मुंह तरफ कर दिए और अपना मुंह मेरे पैरों तरफ…
मैं बोली- जीजा छोड़ दो, जाने दो!
मेरे मुंह से सिर्फ यही सब निकल रहे थे, जीजा को इन बातों से कोई मतलब नहीं था कि मैं क्या बोल रही हूं, मेरी क्या हालत है?
उल्टा लेटने के कारण उनकी कमर मेरे मुंह की तरफ हो गई और जीजा ने अपना मुंह मेरे पैरों तरफ करके मेरी टांगों को फैलाया और सीधे अपना मुंह मेरे चूत में रख दिया और अपने होठों से जैसे मेरी चूत को चूमा मैं उछल पड़ी और मेरे मुंह से उंहहह निकल गया!
मेरी पहली चुदाई की हिंदी इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments