सेक्स है कुदरत का वरदान- 8

(Illicit Sex Realtions)

इलिसिट सेक्स रिलेशन की कहानी में नई दुल्हन अपने पति के साथ बुआ के घर आई तो उसने पहले से पति को बुआ की चूत दिलवाने का वादा कर लिया था.

कहानी के पिछले भाग
दुल्हन पत्नी की बुआ की चूत
में आपने पढ़ा कि पम्मी, हर्ष को अंजू और सरताज के बीच शारीरिक संबंधों की कहानी सुना रही थी जो कि अंजू ने उसे बताई थी।
पम्मी ने बताया कि अंजू बुआ ने सिमरन आंटी से निवेदन किया था कि यदि सरताज ने कई औरतें चोदी हैं तो फिर मेरे को भी एक बार सरताज से चुदवा दे।

अब आगे इलिसिट सेक्स रिलेशन की कहानी:

अंजू ने सिमरन से कहा- यदि सरताज ने कई औरतें चोदी हैं तो फिर मेरे को भी एक बार सरताज से चुदवा दे।
सिमरन ने कहा- ठीक है अंजू, तू तो मेरी जिगरी सहेली है। तेरे लिए तो मैं उसको जरूर भेज दूंगी और एक बार की क्या बात है मैं तो उसे रोज भेज सकती हूं लेकिन सुबह भेजूंगी क्योंकि रात को मुझे भी तो उस का लंड चाहिए। रात में वह मुझे चोदेगा और सुबह तेरे को, क्यों ठीक है न?

इस तरह मुझे अंजू और सिमरन के संबंधों की गहराई और प्रेम के बारे में पता चला।
और यह भी कि मेरी अंजू बुआ कितनी प्यासी, कितनी कामुक, कितनी बड़ी लंडखोर है!!

फिर मेरी शादी के समय जब बुआ आई तो शादी वाले दिन सुबह-सुबह बुआ जब मेरे पास आई तो मुझे लगा कि बुआ के शरीर से कुछ अजीब सी महक उठ रही थी।
जो मेरे मन में वासना जगा रही थी, मेरी चूत में गुदगुदी कर रही थी।

मैंने बुआ से पूछा, बुआ तुम्हारे शरीर से यह अजीब सी महक कैसी है? इसके कारण मेरे तन बदन में कुछ हो रहा है।
बुआ ने कहा- अरे … तू इस महक को नहीं पहचानती?

मैंने कहा- नहीं, मुझे तो पहली बार इस महक का अनुभव हुआ है।
बुआ ने कहा- इसका मतलब तेरी चूत अभी तक सील पैक है?
मैंने कहा- हां मेरी कौमार्य झिल्ली अभी तक नहीं टूटी है।

मैंने फिर पूछा- मेरी चूत के सील पैक होने का इस महक से क्या संबंध है?
बुआ ने कहा- संबंध है, क्योंकि यह महक मर्द के लंड से निकलने वाले ताजा-ताजा वीर्य की है।

मैं चौंक गई, मैंने पूछा- लेकिन बुआ यहां पर न तो फूफाजी आए हैं और न सरताज अंकल, फिर इस वीर्य की महक का राज क्या है? तुम अभी कौन से मर्द से चुदवा कर उसका ताजा ताजा वीर्य अपनी चूत में लेकर आ रही हो? तुम रात को मुझे सोता छोड़कर कहां गई थी?
बुआ ने कहा- मैं गई थी रात में तेरे मामा जी के पास, जिन्होंने दो बार तो रात में रगड़ा और तीसरी बार अभी सुबह-सुबह चुदवा कर आ रही हूं, यह उसी की महक है।

मैं चौंकी- मामाजी? वह तो कितने शरीफ हैं, तुम ने उन को कैसे पटाया?
इस पर बुआ ने जो बोला, उसको सुनकर मेरा तो दिमाग खराब हो गया।

उनका कहना था दुनिया में कोई मर्द शरीफ नहीं होता, सब शरीफ होने का पाखंड करते हैं।
किसी मर्द को औरत बस यह संकेत दे दे कि वह उस से चुद सकती है।
संकेत मिलते ही मर्द का लंड खड़ा हो जाता है और यदि एक बार उस का लंड खड़ा हो गया तो फिर वह औरत के इशारे पर नाचता है। क्यों हर्ष, यह सही है क्या?

हर्ष ने हंसते हुए कहा- हां यार, तेरी बुआ जी बिल्कुल सही कह रही हैं। वास्तव में हम मर्द लोग हर नई चूत के पीछे पागल रहते हैं। किंतु यह भी सच है कि हम लोग बहुत डरपोक भी होते हैं। जब तक औरत की तरफ से संकेत नहीं मिले, हमारी हिम्मत नहीं होती कुछ करने की। लेकिन यदि एक बार औरत इशारा कर दे फिर तो मर्द उस औरत को चोद के ही मानता है।

बुआ कहने लगी- यही कारण है कि तेरे मामाजी ने अपनी शराफत तीन तीन बार मेरी चूत में छोड़ रखी है।

बुआ जी की इस बात पर मुझको हंसी आ गई, मैंने कहा- फिर भी बुआ बताओ तो सही कि मामा जी का लंड आखिर कैसे तुम्हारी चूत तक पहुंचा?

बुआ ने कहा- अरे तेरे मामाजी पर बहुत पहले से मेरी नजर थी लेकिन शादी के रोमांटिक माहौल में औरत हो या मर्द उस की रंगीन मिज़ाजी बढ़ जाती है। उसे यहां नए साथी की तलाश आसान लगती है। ऐसे में जब मुझे तेरी मम्मी से यह पता चला कि वे छत वाले कमरे में अकेले सो रहे हैं तो मैं खीर की कटोरी लेकर उन्हें खिलाने चली गई। रात को मर्द के कमरे में अकेली औरत की उपस्थिति काफी है, मर्द का लंड खड़ा करने के लिए। मर्द और औरत दोनों के जिस्म में यदि आग लगी हो तो बस चुदाई के जरिए ही आग से आग को बुझाया जा सकता है। अब तू ही देख ले, तीन तीन बार चुदवा के चली आ रही हूं तेरे शरीफ मामा से!

मैं निरुत्तर हो चुकी थी।

उस के बाद बुआ ने मुझसे पूछा- तुझे इतना तो पता होगा न कि सुहागरात को क्या होता है?
मैंने कहा- नहीं बुआ, मुझे कुछ नहीं पता।

तो बुआ ने मेरे बूब्स पकड़ के कहा- तेरा हस्बैंड तेरे होंठ चूसेगा, तेरे इन मम्मों के साथ खेलेगा, तेरी निप्पल मुंह में लेकर चूसेगा।
बुआ की बातें सुनकर मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी तो मैं अपना हाथ अपनी चूत पर ले जाकर उसे दबाने लगी।

इस पर बुआ ने कहा- अरे रुक यार, मैं तुझे पूरा ज्ञान देती हूं। यह कहकर उन्होंने मेरी पैंटी और मेरा टॉप उतार दिया और मेरी ब्रा खोल दी।
मैं केवल स्कर्ट में पलंग पर बैठी थी।

बुआ ने मुझे ज्ञान देते हुए कहा- तेरी इस चूत में तेरा हसबैंड अपना कड़क लंड डाल के धक्के लगायेगा। उस से तेरी चूत की उत्तेजना और अधिक बढ़ जाएगी फिर एक समय ऐसा आएगा जब यह जोर-जोर से फड़केगी और तेरे को एक नैसर्गिक सुख का आनंद मिलेगा।

बुआ की बातों से मेरे शरीर का रक्त संचार तेज हो गया था, मेरी इच्छा हो रही थी कि बुआ इसी तरह की कामुक बातचीत करती रहे।

मैंने बुआ से कहा- मेरे को तो बिल्कुल अनुभव नहीं है कि लड़का लड़की को कैसे चोदता है?
बुआ ने पूछा- तूने चूत में ऊंगली तो की होगी?

मैंने कहा- हां, कभी कभी करती हूं पर डर भी लगता है। मुझे मेरी एक सहेली ने वाइब्रेटर मंगा कर दिया था, उसको अपनी चूत पर रख के चलाती हूं। उस से उत्तेजना मिलती है फिर थोड़ा ऊंगली चलाती हूं तो वह फड़कने लगती है।

बुआ ने फिर से मेरी जानकारी बढ़ाते हुए कहा- कुदरत ने यह शरीर ऐसा बनाया है कि दूसरा जब अपने बदन को छुए तो अधिक मजा आता है।
यह कहकर बुआ ने मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया.

मुझे पराया स्पर्श वास्तव में बहुत सुखद लगा।
मैंने कहा- बुआ बहुत अच्छा लग रहा है।

बुआ ने दो उंगलियां अपने मुंह में डाली और थूक में तर करके मेरी चूत के अंदर घुसेड़ दी और मेरे क्लीटोरिस को उंगलियों से छेड़ने लगी।
मेरी उत्तेजना लगातार बढ़ रही थी।

बुआ ने झुक कर मेरे स्तन चूसने शुरू कर दिए.

मैंने कहा- बुआ, यह क्या कर दिया? यह क्या कर दिया तुमने आज?
बुआ ने कहा- यह मजा भी अभी अधूरा है, असली मजा तो तब आएगा, जब तेरा हसबैंड अपने सख्त लंड से रगड़ के तुझे झड़ायेगा।

बुआ की उंगलियां तेज तेज चलने लगीं.
मेरी उत्तेजना अपने चरम पर पहुंच रही थी, मैं एकदम बदहवास हो गई।

उसके बाद बुआ कहने लगी- लेकिन एक विशेष बात और है, वह मैं तेरे को समझा देती हूं कि आमतौर पर हसबैंड अपनी वाइफ का किसी और के साथ चक्कर बर्दाश्त नहीं करते हैं। लेकिन यह जो वासना से भरा शरीर कुदरत ने हमें दिया है इसकी प्रकृति ऐसी है कि हर नया स्पर्श इसको सनसनी प्रदान करता है। हर नया लंड, चूत को नया आनंद देता है इसलिए इस जवानी का भरपूर मज़ा लेना है लेकिन पति के स्वभाव को ध्यान में रखते हुए!

अब पम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा- बुआ ने तो मुझको सावधानी रखते हुए जवानी का मजा लेने का ज्ञान दिया था। लेकिन यहां तो मामला मुझे बिल्कुल ही अलग मिला। तू तो साला मरे जा रहा है, मुझको नये लंड से चुदवाने के लिए! इसलिए अब मेरे लिए तो चिंता की कोई बात ही नहीं है। बुआ तो नये नये लंड से चुदने की शौकीन रही है और तू भी यही चाहता है तो फिर क्यों न मैं भी अपनी चूत को नए-नए स्वाद दिलवाऊं? और फिर जब तू मेरे सुख का इतना ध्यान रख रहा है तो बदले में मुझे भी तो तेरा ध्यान रखना ही पड़ेगा।

पम्मी की शादी को अभी एक महीना ही हुआ था कि अंजू बुआ की खबर आई- बंटू और मोंटी की शादी एक दिन होने जा रही है। तेरे को हर्ष के साथ आना ही है।

पम्मी से अंजू बुआ के बारे में पता चलने के बाद में हर्ष तो खड़े लंड पर खड़ा था।
उसके मना करने का तो कोई प्रश्न ही नहीं था इसलिए वे दोनों ठीक समय पर अंजू बुआ के यहां पहुंच गए।

पम्मी ने अंजू बुआ के गले लग कर हर्ष से चुदने के लिए रेडी रहने को कह दिया।
उस के बाद वह अपनी चूत के सील भंजक, बंटू के गले लग गई।

हर्ष ने फूफा के पैर छुए पर बुआ ने पैर नहीं छूने दिए बल्कि खींच के सीधे गले लगा लिया।
हर्ष ने अंजू के गले लग के, उसकी छाती को अपने सीने से दबा के, थोड़ा रगड़ के, उसके बूब्स के मज़े ले लिए।

बाद में कान में धीरे से बोला- पम्मी ने मुझे तुम्हारे बारे में सब बता दिया है, आज जहां मैं सोऊंगा, वहां आ जाना।

हटते हटते भी उसने अंजू के चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए उसे चुदाई का खुला निमंत्रण दे दिया।
जब दोनों की नज़रें मिली तो अंजू के चेहरे पर एक कामुक मुस्कान थी।

आंखों ही आंखों में अपनी सहमति जताकर वह चाय बनाने चली गई।
हर्ष की इलिसिट सेक्स रिलेशन की बात सुनकर अंजू की चूत में गुदगुदी हो रही थी
अंजू जब हर्ष के लिए चाय बना रही थी तो उसने सोचा कि यह पम्मी तो मेरे से भी बड़ी कामुक कुतिया निकली। ससुराल जाते ही उसने इतनी जल्दी मेरी चूत के लिए हर्ष के लंड को तैयार कर लिया?

पहले वह चाय ले जाने के लिए बंटू के कमरे से पम्मी को बुलाने वाली थी फिर उसने सोचा कि रात तो अभी बहुत दूर है, क्यों न मैं खुद चाय ले जा के ज़रा हर्ष की दीवानगी का नमूना तो देख लूं।

उसने चाय बिस्किट की ट्रे उठाई और स्वयं हर्ष के कमरे की ओर चल दी।
उसने कमरे में प्रवेश किया तो देखती क्या है कि हर्ष एक चादर कमर तक ओढ़ कर अपने लंड को सहला रहा था।

जैसे ही उसने अंजू को देखा तो वो झेंपा नहीं बल्कि एकदम फुर्ती से उठा, उस का आधा तना हुआ लंड अभी भी उस के शॉर्ट्स से बाहर था।

अंजू, हर्ष की बेशर्मी और हिम्मत पर हैरान थी जो अपनी बुआ सास के सामने किसी तरह का संकोच नहीं कर रहा था।

हर्ष ने चाय की ट्रे को, अंजू के हाथ से ले कर टेबल पर रखा और दरवाजा बंद कर दिया।
उस के बाद उस ने अंजू को दीवार की ओर धकेला और उस के रसीले होठों पर अपने होंठ रह के बेतहाशा चूसने लगा।

उस के बाद अंजू को दीवार से सटा के, हर्ष उसके दोनों बोबों को गाऊन के ऊपर से मसलने लगा।

अंजू हर्ष के कान में बोली- शादी का घर है दामाद जी, ये क्या कर रहे हो?
हर्ष ने उस की बात अनसुनी की और उस के गालों, आंखों, गर्दन को चूमने लगा।
उसका लंड अभी भी अंडरवियर से बाहर था।

अंजू से भी फिर रहा नहीं गया वह हर्ष के लंड को पकड़ के सहलाने लगी। अंजू अपने बेटे जैसे दामाद किंतु एक नये मर्द का लंड पकड़ कर चूत में अजीब सी मीठी खुजली महसूस कर रही थी।

हर्ष ने कुछ देर अंजू के मम्मों के मजे लिए, उस के बाद वह उसे घुटनों के बल झुकाने लगा।

अंजू ने उसे फिर रोका, बोली- अरे रुको यार दामाद जी। अभी मेरे पास समय नहीं है, फिर कोई देख लेगा, मरवाओगे क्या?
हर्ष ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा- मरवाओगी तो तुम बुआ जी!

अंजू ने हर्ष के चंगुल से आजाद होने की कोशिश में कसमसाते हुए कहा- अभी तो तुम्हारी नई नई शादी हुई है, इतनी दीवानगी कैसे?

हालांकि सच तो यह है कि उसे हर्ष की यह दीवानगी बहुत अच्छी लग रही थी क्योंकि कोई भी औरत भले ही चुदाने में कितने ही नखरे करें लेकिन उसे मर्द द्वारा थोड़ी बहुत जबरदस्ती अच्छी लगती है।

अंजू ने हर्ष को छेड़ा बोली- पम्मी ने तुम को ठीक से दी नहीं क्या?
हर्ष ने कहा- उस ने तो अच्छे से दी, मैंने भी उस को जम के रगड़ा है। लेकिन उस ने कहा था, मेरी बुआ बहुत बड़ी चुदक्कड़ और अनुभवी लंडखोर है। उस की नए लंड की तलब जरूर शांत करना!
और यह कहते हुए उसने अपना लंड अंजू के मुंह में दे दिया।

वह बचने की कोशिश करती रही पर हर्ष एक न माना और अंजू का मुंह चोदना आरम्भ कर दिया।
अंजू को मोंटी की याद आ गई क्योंकि वह भी ऐसे ही वहशी तरीके से मुंह में लंड डाल के मुख मैथुन करता था।

उस पर यह उस के जीवन का एक और नया लंड था, इस कारण उसकी चूत में अधिक खलबली मची हुई थी।
उसने कुछ देर चूसा तो हर्ष का लंड एकदम तन्ना गया।

लंड को पूरी तरह तन्नाया देख अंजू एकाएक खड़ी हुई और अपना गाऊन ऊंचा कर के उतार दिया।
अंजू ने गाऊन के नीचे न ब्रा पहनी थी न पैंटी, अब वह हर्ष के सामने एकदम नंगी खड़ी थी।

हर्ष, अंजू की चिकनी चूत देख के समझ गया कि पम्मी ने अंजू को भी नए लंड के लिए तैयार रहने को कह दिया था।

अंजू ने हर्ष का कड़क लंड अपनी चूत में लगा लिया और कहा- बाद में फिर कभी लंड को और अच्छे से चुसवा देना। आज तो पहले कस के चोद दे मुझे साले, मेरी चूत की आग मेरा मुंह चोदने से नहीं, चूत चोदने से बुझेगी।

हर्ष को समझ आ गई कि अंजू वास्तव में बहुत बड़ी चुदक्कड़ है और यह पूरी बेशर्मी से खुल के चुदवायेगी।

उसने अंजू को दीवार से सटा के पूरा दम लगा के एक झटके में अपना लंड उस की चूत में घुसेड़ दिया।

अंजू को हर्ष का लंड उस के सरताज के लंड जैसा लगा लेकिन जोश में उम्र का अंतर था।
जहां सरताज बहुत प्रेम से अंजू की इच्छा अनुसार चुदाई करता था वहीं हर्ष जवान लौंडा था, उसका जोश जबरदस्त था।

हर्ष ने फिर अपने दोनों हाथों से अंजू के चूतड़ पकड़े और फिर एक करारा झटका मारा।
अंजू तो केवल हर्ष की दीवानगी का नमूना देखने आई थी, यहां तो उसकी चूत को लेने के देने पड़ गए थे।

हर्ष ने अंजू के चूतड़ दबाए उसे खड़े खड़े चोदना शुरू कर दिया।
अंजू ने हर्ष की निप्पलों को मसलना शुरू किया तो हर्ष और जोश में आ के अंजू के होंठ चूसते हुए झटके पे झटके लगाने लगा।

अंजू को हर धक्के में अपनी नानी याद आ रही थी, उस की आंखों के आगे सितारे नाच रहे थे।

मेरे रसिक पाठको, कहानी से पर्याप्त सनसनी मिल रही है न?
अगले अंक में पढ़िए कि अंजू बुआ को अपने दामाद से चुद कर कैसा लगता है?

अंजू बुआ और हर्ष के बीच सुबह की फटाफट वाली चुदाई के बाद, रात में और क्या क्या खेल होते हैं?
पम्मी को जब अपनी बुआ के हर्ष से चुदने का पता चलता है तो उसके और हर्ष के बीच क्या बात होती है?

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