ससुराल में चुदाई की कामुक दास्ताँ- 1

(Good Morning Sex Kahani)

गुड मोर्निंग Xxx कहानी में रात को ससुर के साथ सुहागरात मनाने के बाद सुबह उनके लिए चाय लेकर गयी तो वे मेरा इन्तजार कर रहे थे. मैं उनके पास गयी तो उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया.

यह कहानी सुनें.

आप सभी को प्यार भरा नमस्कार … मेरा नाम गरिमा है।
काफी दिनों बाद पिछली कहानी से आगे की कहानी भेज रही हूँ।

कुछ व्यक्तिगत वजहों से मुझे लिखने का टाइम नहीं मिल पा रहा था।
लेकिन मेरे पास हजारों मेल आ रहे हैं जिसमें सिर्फ यही पूछा जा रहा है कि आगे की कहानी कब आयेगी.
सबके जवाब देना तो मेरे लिए संभव नहीं था फिर भी जितना हो सका मैंने जवाब देने की कोशिश की।
जिनका जवाब नहीं दे सकी, उन्हें मैं यहाँ शुक्रिया बोलना चाहती हूँ।

आप सबको मेरी कहानी पसंद आ रही है मेरे लिए यह बेहद खुशी की बात है।

तो चलिए आते हैं सीधा गुड मोर्निंग Xxx कहानी पर!

तो जैसा कि मैंने अपनी पिछली कहानी
ससुराल में एक और सुहागरात ससुर जी के साथ
में बताया था कि रात में ससुर जी से चुदने और फिर कमरे में आकर मोबाइल में चोरी से उनकी बेटी (मेरी ननद) पायल की जांघ और चूत देखने वाली वीडियो देखने के बाद मैं सो गयी।

अगले दिन सुबह नींद खुली तो देखा कि पांच बज रहे थे।
पायल को देखा तो वह गहरी नींद में सो रही थी।

लेकिन अब यही घर मुझे बदला सा नज़र आ रहा था।
ससुर जी के साथ चुदाई शुरू हो चुकी थी।

पायल को लेकर ससुर जी के मन में दबी इच्छा भी पता चल चुकी थी।
मतलब मेरी ससुराल में भी एक बाप अपनी बेटी को चोदने के लिए तैयार बैठा था।
ये सब सोचकर ही मेरी चूत फिर से गीली हो गयी।

ससुराल में भी मेरे लिए घर जैसा माहौल तैयार हो चुका था।
जहां मायके में मम्मी और भाई से छुपकर पापा से चुदाई का खेल होता था, वहीं ससुराल में भी पति और ननद से छुपकर ससुर जी के साथ चुदाई का खेल शुरू हो चुका था।

मैं धीरे से बेड से उतरी और खिड़की से झांक कर ससुर जी के कमरे की तरफ देखा।
मुझे लगा ससुर जी सो ही रहे होंगे.
लेकिन देखा तो कमरे का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था और लाइट जल रही थी।
मैं समझ गयी कि वे उठ गये हैं।

मैंने जल्दी से अलमारी से फिर एक स्कर्ट और टीशर्ट निकाल कर पहन लिया और हाथ मुंह धोकर रसोई में चाय बनाने चली गयी।

पायल 8:30 या 9 बजे से पहले उठने वाली नहीं थी और बुखार में तो वैसे भी वे 9 बजे से पहले उठने वाली नहीं थी।

दरअसल मैं जानबूझकर सुबह चाय के बहाने ससुर जी के पास जाना चाहती थी।
उसकी वजह यह थी कि मैंने सोचा कि ससुर जी के साथ अभी कल ही पहली बार चुदाई शुरू हुई और अगर फिर बीच में कुछ दिन का ब्रेक लग गया तो फिर दोबारा शुरू करने में हम दोनों को फिर से झिझक होगी; और फिर नया प्लान बनाना पड़ेगा।
इसलिए मैं ब्रेक नहीं लगने देना चाह रही थी।
वहीं सुबह 6 बजे से पहले का टाइम ही हमारे और ससुर जी दोनों के लिए सेफ था।

क्योंकि कल तो पायल की तबीयत खराब होने और रोहित के ड्यूटी पर होने की वजह से रात में हमें और ससुर जी को चुदाई का मौका मिल गया था.
लेकिन रात में यह मौका हर बार तो मिल नहीं सकता था।
इसलिए मैंने सोचा कि सिर्फ सुबह का टाइम ही ऐसा है जो हम दोनों के लिए सबसे सही होगा।

क्योंकि सुबह का समय ही ऐसा होता है जब घर में सिर्फ मैं और ससुर जी जगे होते हैं, बाकी और कोई नहीं।

पायल तो 8:30 बजे से पहले कभी नहीं उठती है.
वहीं रोहित भी जब घर आते हैं तो वे सुबह करीब 9 बजे तक सोते हैं।
वैसे भी ये दोनों भाई-बहन एकदम कुम्भकर्ण टाइप नींद में सोते हैं।
सुबह अलार्म बजता रहे, मोबाइल बजता रहे लेकिन इनकी नींद नहीं खुलती।

रोहित तो फिर भी चार-पांच बार आवाज देने पर या थोड़ा हिला-डुलाकर जगाने पर उठ जाते हैं.
लेकिन पायल की तो पूछिए मत!
महारानी को कितना भी चिल्लाते रहो … इन्हें फर्क नहीं पड़ता।
जब तक झिंझोड़ कर जबरदस्ती उठाया ना जाए इनकी नींद नहीं खुलती।
वे उठने के बाद भी करीब 10-15 मिनट तक भी नींद में रहती है।

इसलिए यही टाइम था जब हम रोज थोड़ी देर के लिए कुछ भी करेंगे तो किसी को कुछ जल्दी पता नहीं चलने वाला था।

यही सोचकर मैं सुबह 5 बजे के करीब उठ गयी और चाय बनाकर ससुर जी को देने चली गयी थी ताकि ससुर जी को भी सुबह की ही आदत बनी रहे और वे भी मेरे चक्कर में जल्दी उठ जाया करें।

चाय लेकर मैं ससुर जी के कमरे में गयी तो वे लुंगी बनियान पहने बेड पर बैठे थे।
रसोई में बर्तन की आवाज से वे समझ गये थे कि मैं उठ गयी हूँ और चाय बना रही हूँ क्योंकि उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वे मेरा ही इंतज़ार कर रहे हों।

मैं हल्का सा मुस्कुरा दी।
ससुर जी भी मुस्कुराते हुए बोले- आओ बेटा!

मैं चाय टेबल पर रख कर वापस आने लगी।

चूंकि कल रात ही ससुर जी से चुदी थी और उसके बाद पहली बार आमना-सामना हो रहा था इसलिए अभी थोड़ी झिझक हो रही थी।
ससुर जी बोले- अरे थोड़ी देर बैठो बेटा!

मैं बेड पर बैठने के बजाये उनके पास खड़ी हो गयी और थोड़ा शरमाने का नाटक करते हुए बोली- जी पापा बोलिए?
ससुर जी बोले- पायल की तबीयत कैसी है, सो रही होगी अभी तो?
मैं- जी अभी सो रही है।

ससुर जी शायद कन्फर्म करना चाह रहे थे कि पायल जगी तो नहीं है।

चूंकि मैं एकदम उनके पास खड़ी थी तो वे धीरे से ससुर जी स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी जांघ सहलाते हुए बोले- वैसे सच कहूँ तो बेटा … कल की रात तो मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकता। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हारे जैसी बहू मुझे मिलेगी।

मैं बिना कुछ बोले बस मुस्कुरा कर चुप रही और कुछ कहा नहीं।

कुछ सेकेण्ड की चुप्पी के बाद मैंने बात आगे बढ़ाने के चक्कर में कहा- चाय पी लीजिए पापा जी, ठण्डी हो रही है।

ससुर जी थोड़ा शैतानी के साथ मुस्कुराकर बोले- अब सुबह, चाय नहीं पीयूंगा।
मैं ससुर जी का बात का मतलब समझ गयी; मैं हल्का सा हंसकर बोली- अच्छा, तो फिर क्या पीयेंगे सुबह-सुबह?
ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- जो कल रात में पिलाया, अब सुबह वही पिला दिया करो!

ससुर जी ने तो जैसे मेरे मन की बात कह दी हो।
मैं तो खुद ही यही चाहती थी।

गुड मोर्निंग Xxx के कारण मन ही मन खुश होती हुई मैं हल्का सा हंसती हुई बोली- बाकी दिन तो ठीक है … लेकिन जब आपके बेटे रहेंगे तब?
मैंने जानबूझकर ये कहा ताकि ससुर जी समझ जाएं कि मैं भी सुबह मजा लेने के लिए तैयार हूँ।

तब ससुर जी बोले- फिर क्या उतने दिन चाय से ही काम चला लूँगा। वैसे तो दोनों (रोहित और पायल) 8-9 बजे से पहले कहाँ उठते हैं। तो सुबह तो थोड़ा टाइम मेरे लिए निकाल ही सकती हो।

मैं थोड़ा शरारत भरी मुस्कान के साथ बोली- हम्म्म … कोशिश करूंगी टाइम निकालने की! बस थोड़ा और जल्दी उठना पड़ेगा मुझे!
ससुर जी खुश होते हुए बोले- हां बेटा, थोड़ा जल्दी उठ जाओगी तो और ज्यादा टाइम मिल जाएगा मजा लेने का हम दोनों को!

मैं हंसती हुई थोड़ा नखरा दिखाकर बोली- कैसा मजा … मैं समझी नहीं?
ससुर जी बोले- वही मजा जो कल तुमने मुझे दिया था। सच कहूँ तो इतना मज़ा तो मुझे अपनी पहली सुहागरात में भी नहीं आया था जो कल आया था।

इतनी देर की बातचीत से अब मेरे अंदर की झिझक भी खत्म होने लगी थी इसलिए मैं मुस्कुराते हुए बोली- अच्छा इतना मज़ा आया था आपको?
ससुर जी बोले- हाँ बेटा सच में! इसे देखो ये तो उसी को याद कर-करके शांत ही नहीं हो रहा।

यह कहकर ससुर जी ने झटके से अपनी लुंगी आगे से पकड़कर अगल-बगल हटा दी।
जिससे उनका लण्ड दिखने लगा।
लण्ड एकदम तना हुआ था।

ससुर जी एक हाथ से लण्ड को पकड़कर उसकी चमड़ी को पीछे खींच कर हिलाते हुए बोले- देख रही हो बेटा रात भर ये ऐसे ही तुम्हें याद कर रहा था। अब तुम्हीं इसे शांत कर सकती हो।

मैं एकटक ससुर जी के मूसल जैसे तने लण्ड को देखने लगी।
अभी मैं कुछ कहती तभी ससुर जी ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखते हुए बोले- सहलाओ बेटा इसे थोड़ा!

लण्ड एकदम गर्म था.
मैं हल्का सा झुककर उसे हथेली में भरकर धीरे-धीरे सहलाने लगी।
बीच-बीच में मैं मुट्ठी से पकड़कर हिलाने भी लगती थी।

ससुर जी भी टीशर्ट के ऊपर से ही मेरी दोनों चूचियों को हाथ से दबाने और सहलाने लगे।

लण्ड सहलाते हुए मैं धीरे से बोली- चाय पी लीजिए पापा, ठण्डी हो जाएगी।
ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- चाय नहीं पीना है मुझे!

मैं समझ गयी कि वे क्या चाह रहे हैं इसलिए मैं भी मुस्कुराते हुए बोली- क्या पीना है फिर … बताइये?
ससुर जी बोले- फिर से दूध पीने का मन कर रहा है।

ये कहकर उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा.
मैं एकदम उनसे चिपक गयी थी। मैं बेड के बगल ही खड़ी थी तो मेरी चूचियां ठीक उनके के मुंह के सामने थीं।

ससुर जी ने टीशर्ट पकड़ कर ऊपर उठाकर चूचियों को नंगा कर दिया। कुछ देर एकटक मेरी चूचियों को देखने के बाद वे एक चूची को हाथ से मसलते हुए दूसरी चूची के निपल को मुंह में लेकर चूसने लगे।

मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।

मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर किये खुद ही अपनी टीशर्ट को निकाल दिया।
अब मैं कमर से ऊपर पूरी नंगी थी।
मैं एक हाथ से ससुर जी के सिर को अपने सीने से चिपकाए आँख बंद किये अपनी चूचियां चुसवा रही थी।

कुछ देर इसी तरह चूचियां चुसवाते हुए मैंने धीरे से अपने हाथों को नीचे ले जाकर खुद ही अपनी स्कर्ट के हुक को खोल दिया जिससे मेरी स्कर्ट नीचे गिर गयी।
जिसे मैंने पैरों से बाहर कर दिया।

अब मैं पूरी नंगी थी।

ससुर जी मुझे चिपकाए हुए मेरी नंगी पीठ और गांड़ को हाथों से सहलाते हुए मेरी चूचियों को बारी-बारी से चूस रहे थे।

करीब 5 मिनट तक बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूसने के बाद जब ससुर जी का मन भर गया तो उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया.
घुटनों से नीचे मेरे दोनों पैर बेड के नीचे लटक रहे थे।

ससुर जी बेड के किनारे नीचे फर्श पर बैठ गये और मेरे पैरों के बीच आ गये.
फिर उन्होंने मेरी जांघों को फैलाया और उठाकर अपने कंधे पर रख लिया।
उसके बाद उन्होंने पहले मेरी चूत को सूंघा और फिर जीभ निकालकर चाटने लगे।

करीब 5 मिनट तक मेरी चूत चाटने के बाद ससुर जी खड़े हो गये और मुझे बेड पर ही घोड़ी की तरह बनने के लिए कहा।

मैं पलट कर दोनों हाथ और घुटने के बल बेड पर घोड़ी बन गयी।

ससुर जी ने नीचे खड़े-खड़े ही मेरी चूत से अपना लण्ड सटाया और धक्के में अपना लण्ड मेरी चूत में पूरा अंदर डाल दिया।
मेरे मुंह से तेज सिसकारी निकली- आआ आआआह … हहह हहहह पापा!

उसके बाद ससुर जी धीरे-धीरे धक्के लगाकर मेरी चुदाई शुरू कर दी।
चूंकि अभी रात में दो- तीन बार झड़ चुके थे तो वे जल्दी झड़ने का नाम भी नहीं ले रहे थे।

मैं थोड़ी देर तक तो घोड़ी बनी रही उसके बाद थककर बेड पर पेट के बल लेट गयी।

उसके बाद ससुर जी भी बेड पर आ गये और अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर मेरी गांड के अगल बगल टिका दिया और आराम से मेरी गांड मारने लगे।

काफी देर तक गांड मारने के बाद उनके लण्ड का पानी निकला।
इतनी देर में ससुर जी भी हांफने लगे थे और वे गांड में ही लण्ड डाले हांफते हुए मेरे ऊपर लेट गये।

करीब 10 मिनट बाद मैंने ससुर जी को ऊपर से हटने को कहा.
तब जाकर उन्होंने अपना लण्ड मेरी गांड से निकाला और बगल में लेट गये।

हम दोनों ससुर-बहू एक दम नंगे लेटे हुए थे।

कुछ देर बाद वे खिसक मुझसे एकदम चिपक गये और थोड़ा नीचे होकर मेरी चूची को मुंह में भर कर फिर से चूचियों को चूसने लगे।

करीब 10 मिनट हम दोनों इसी तरह नंगे चिपक कर सोये।

उस दिन के बाद मैं उठी और जल्दी से कपड़े पहनकर कमरे से बाहर आ गयी।

अपने कमरे में पहुंची तो देखा पायल बेसुध सो रही है।
छह बजने वाले थे।

मैंने स्कर्ट और टीशर्ट निकाल कर वापस कुर्ती और लेगिंग पहन ली।

उस दिन के बाद से अब मेरी ज्यादातर सुबह ससुर जी के साथ चुदाई होने लगी।

कहानी अभी कई भाग में चलेगी.
गुड मोर्निंग Xxx कहानी के हर भाग पर आप अपनी राय मेल और कमेंट्स ने देते रहिएगा.
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गुड मोर्निंग Xxx कहानी का अगला भाग:

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