तीसरा कौन ?

kinjalpatel101 2008-01-14 Comments

प्रेषक : किंजल पटेल

सबसे पहले मेरे लंड की ओर से सभी भोसड़ों को सलाम। मेरा नाम विशाल मेरी उम्र 20 साल है। अन्तर्वासना में यह मेरी पहली कहानी है। मैं अन्तर्वासना को बहुत पसन्द करता हूँ इसलिये सोचा कि मैं भी अपनी सच्ची कहानी अन्तर्वासना में लिखूँ।

आपका ज्यादा समय न लेते हुए कहानी की ओर बढ़ते हैं।

मेरे परिवार में चार लोग हैं मैं, मेरे पापा, मेरी मॉम, और मेरे दादाजी। मेरे पापा एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का व्यापार करते हैं इसलिए अकसर बाहर रहते हैं। मेरे दादाजी घर पर ही रहते थे, मेरी मॉम हाउस- वायफ हैं। मेरी मॉम बहुत सेक्सी हैं पूरी सोसाइटी के मर्द और लड़के उन पर लाइन मारते हैं। क्या मस्त चूचे, गाण्ड और उसका शरीर, जो कोई भी देखे बस देखता रह जाये !

लेकिन मैंने कभी उन्हें गन्दी नजरों से देखा नहीं था।मेरी मॉम बहुत सुन्दर थी लेकिन क्या फायदा ! उनको कोई सुख मिलता ही नहीं था। उन्हें तो दूसरों से चुदवाने का बहुत शौक था लेकिन दादाजी की वजह से वो कुछ नहीं कर पाती थी।

एक दिन पापा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा और मैं उस दिन घर पर ही था। दोपहर को खाना खाने के बाद दादाजी अपने कमरे में सो गए और मैं अपने कमरे में जाकर कंप्यूटर पर सेक्स मूवी देखने लगा। मॉम घर का काम कर रही थी।

थोड़ी देर के बाद मॉम मेरे कमरे में आई तो मैं डर गया। मैंने तुरंत कम्प्यूटर बन्द कर दिया।

मॉम ने पूछा- क्या कर रहे हो विशाल ?

मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- कुछ नहीं ! कम्प्यूटर पर अपना काम कर रहा हूँ।

मॉम ने कहा- ठीक है, मेरी कमर दर्द कर रही है, तू मुझे बाम लगा दे।

मैंने कहा- ठीक है, मैं आता हूँ !

और थोड़ी देर बाद मैं उनके कमरे में गया।

मॉम बिस्तर पर उलटी लेटी हुई थी, मैंने बाम की शीशी ली और मॉम की कमर पर लगाने लगा।

तभी मॉम ने कहा- मैं ब्लाऊज़ निकाल देती हूँ, तू ऊपर भी लगा दे।

और मॉम ने ब्लाऊज़ निकाल दिया।

मेरे तो होश उड़ गए, मेरा तुरंत खड़ा हो गया और आठ इंच का हो गया।

इससे पहले मैंने कभी मॉम को इन नजरों से नहीं देखा था, पर तभी मेरे मन उसे चोदने का ख्याल आया।

उन्होंने ब्लाउज़ के नीचे काले रंग की ब्रा पहनी थी। क्या लग रही थी- जैसे कोई बीस साल की लड़की मेरे सामने लेटी हो !

तभी मॉम ने कहा- ब्रा भी निकाल दे !

और मैंने ब्रा निकाल दी और मैं बाम लगाने लगा।

पर मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पा रहा था और मैंने उनके पेटीकोट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया।

मॉम ने कहा- क्या कर रहा है?

मॉम, मैं आपको चोदना चाहता हूँ।

और मॉम थोड़ी देर तक मुझे देखती रही और फ़िर कहा- दरवाजा बन्द करके आ ! तेरे दादाजी आ गए तो !

मैं दरवाजा बन्द करके मॉम से चिपक गया और कहने लगा- मॉम, आप बहुत सुन्दर हो !

और मैंने उनके होठों पर अपने होंठ रख दिए। थोड़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे।

मॉम ने कहा- मादरचोद ! और कुछ भी करेगा या बस चूमेगा ही सिर्फ ?

तभी मैंने कहा- रुक जा रंडी ! अभी तेरी फाड़ता हूँ !

और मैं उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर उनके दाने को मसलने लगा और फ़िर उनका पेटीकोट उतार दिया, उनकी चूत को चूसने लगा और मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और हम 69 की अवस्था में आ गए। अब मेरा मुँह और जीभ उनकी चूत चाट रही थी और वो मेरा लंड अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए और वैसे ही लेट गए। उनकी चूत से गंगा-जमुना बह रही थी और क्या खुशबू आ रही थी।

थोड़ी देर में हम फिर तैयार थे।

उन्होंने कहा- अब देर मत कर और मेरी जवानी की प्यास बुझा दे !

तो मैंने अपने लंड का टोपा उनकी दोनों टांगों के बीच के गुलाबी छेद पर रख दिया। मैंने धीरे धीरे जोर लगाना शुरू किया।

वो बोली- दर्द हो रहा है !

कई दिनों से उन्होंने पापा के साथ सेक्स नहीं किया था तो बहुत दर्द हो रहा था।

मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा पर फिर मज़ा भी बहुत आएगा !

तो वो बोली- इस मज़े के लिए मैं कुछ भी सहने को तैयार हूँ !

वैसे भी उनकी चूत का पानी अभी तक रुका नहीं था सो चूत बहुत चिकनी हो रही थी। मैंने धीरे धीरे जोर लगाना शुरू किया, उनको थोड़ा दर्द हुआ पर जल्द ही मेरा लौड़ा उनकी चूत में उतर गया। उन्होंने मुझे कस कर पकड़ किया। अब मैं धक्के मार रहा था और वो चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी। बीच बीच में मैं उनके स्तन भी दबा रहा था। मुझको बिल्कुल जन्नत का सुख मिल रहा था। थोड़ी देर में उनका शरीर ऐंठने लगा और मुझको भी लगा कि मेरा माल निकलने वाला है, मैंने अपना लंड उनकी चूत से जैसे ही निकाला, उनकी पिचकारी छूट गई, वो झड़ चुकी थी, मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया, फिर दो तीन झटकों के बाद मेरा सारा माल उनके मुँह में निकल गया। वो मेरा सारा पानी चाट गई और अपनी जीभ से मेरा लंड भी साफ़ कर दिया। अब मैं थोड़ा नीचे सरक कर उनके ऊपर लेट गया और उनके चुचूक मुँह में लेकर चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद हमने एक बार और सेक्स का मज़ा किया और मैंने उनकी गांड भी मारी ज़िस कारण थोड़ी देर तक तो वो ठीक से चल भी नहीं पाई।

उस दिन हमने तीन घंटे सेक्स का बहुत मज़ा लिया। जब वो जाने लगी तो उन्होंने मुझसे कहा- मुझको पता नहीं था कि तुम ऐसे हो ! वर्ना पहले ही इसका मजा ले लेती ! अब जब भी मौका मिले, तुम मेरे शरीर से खेल सकते हो।

मैंने कहा- ठीक है मॉम !

मॉम ने- मॉम नहीं, अब मैं तुम्हारी जानू हूँ !

यह कह कर वो मुझे चूम कर जाने लगी। बाहर से किसी ने दरवाजा खटखटाया तो मैं और मॉम डर गए।

मॉम ने जाकर खोला तो दादाजी दरवाजे पर खड़े थे, वो कहने लगे- क्या कर रहे थे माँ बेटे अन्दर?

तो माँ ने बताया- मेरी कमर में दर्द था तो विशाल मुझे बाम लगा रहा था !

दादाजी ने कहा- मुझे चूतिया मत बनाओ, मैं सब देख रहा था बाहर से कि तुम दोनों क्या कर रहे थे अन्दर !

मैं और मॉम डर कर दादाजी को कहने लगे- दादाजी, इस बात को पापा से मत कहना !

दादाजी कहने लगे- तुम कर सकते हो ? मैं कह नहीं सकता ? एक शर्त पर नहीं कहूँगा !

हमने तुरंत कहा- क्या ?

दादाजी ने कहा- जो तुमने किया वो मैं भी करूँगा !

यह सुनकर तो मैं और मॉम दंग रह गए, लेकिन हमारे पास और दूसरा रास्ता नहीं था तो दादाजी की बात माननी पड़ी।

हाँ कहते ही दादाजी मॉम के होठों को चूमने लगे। थोड़ी देर तक चूमते रहे और बाद में बिस्तर पर लेटा दिया।

और उसके बाद उनके कपड़े उतार कर खूब चोदा मॉम को और यह सब मैं वहीं खड़ा होकर देख रहा था।

दादाजी खड़े हुए और कहा- मजा आ गया !

और मॉम ने भी कहा- अभी तो आपका लंड बहुत जवान है ! इसे पहले क्यों नहीं दिया ! आज मिले तो एक साथ दो दो ! अब तो हम रोज़ मस्ती करेंगे !

और हम तीनों हंसने लगे।

तभी दरवाजा किसी ने खटखटाया और हम तीनों डर गए कि अब कौन हो सकता है? तीनो के मन में सवाल आया कि तीसरा कौन?

दादाजी ने कहा- मैं खोलता हूँ !

दादाजी ने दरवाजा खोला तो देखा कि पापा आ चुके हैं और हम तीनों को बहुत गुस्से से देख रहे थे।

तभी मॉम हंसने लगी और बाद में पापा भी हंसने लगे।

मैं और दादाजी चौंक गए कि ये दोनों हंस क्यों रहे हैं।

तभी मॉम ने कहा- आप दोनों डरो मत ! इनको को सब पता है ! और यह सब इन्हीं की योजना थी।

तो दादाजी ने कहा- कैसी योजना?

मॉम ने बताया- विशाल के पापा मुझे सेक्स में संतोष नहीं दे पाते हैं, अब विशाल के पापा का खड़ा ही नहीं होता है, मैंने विशाल के पापा को अपनी यौन असन्तुष्टि की बात बताई तो इन्होंने कहा कि घर में जवान लड़का है तो बाहर जाने की जरुरत नहीं है, तुम उसी से काम चला लो ! और विशाल के पापा आज बाहर चले गए ताकि मैं विशाल को उत्तेजित करके उसके साथ सेक्स कर सकूँ। और यह आपको पता चल गया और मैंने सोचा कि कभी विशाल नहीं होगा तो आपसे काम चला लूँगी !

और हम सब हंसने लगे। उसके बाद मैं और दादाजी मॉम के साथ रोज़ सेक्स करते थे और खूब मजे करते थे।

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी?

मुझे जरूर मेल करें !

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