ससुर जी ने मेरी कोख हरी की
(Sasur Ji Ne Meri Kokh Hari Ki)
दोस्तों, मेरा नाम सीमा है। मैं उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र तेईस साल है, ख़ूबसूरत और एक कसे हुए बद़न की मल्लिका हूँ। शादी से पहले मैंने कई लड़कों से चुदवाया था, पर शादी अपने घरवालों की मर्ज़ी से की। कहते हैं ना कि यह सच्चाई है कि एक लल्लू को ख़ूबसूरत और ख़ूबसूरत को बद़सूरत जीवनसाथी मिलता है। मेरा पति बद़सूरत तो नहीं था, पर हाँ माँ का पिल्ला था। मेरे ससुर फौज में रह चुके थे।
मैं शादी की पहली रात ही निराश हुई, जब पति का लंड मेरे अनुमान से कम निकला। ऊपर से वह ख़ुद तक ही सीमित रहता। पाँच-छः मिनटों तक चोदता और अपना मतलब निकाल, पासा पलट कर सो जाता, और मैं सारी रात मछली की तरह तड़पती रह जाती।
शादी को छः महीने हो गए। सास मुझसे कहती रहती कि तुम लोग बेबी कब करने वाले हो? मुझे जल्दी पोते-पोती का मुँह देखना है। मैं उनसे क्या कहती कि आपका बेटा किसी लायक़ ही नहीं है! बच्चा क्या आसमान से पेट में डलवा लूँ! पति भी कहता कि मैं तो तुम्हें रोज़ चोदता हूँ, फिर तेरे अन्दर ही कोई कसर है।
मैंने कहा, “कभी मेरा पानी निकलवाया है, जिससे बच्चा हो जाए।” इस बात को लेकर बन्द कमरे में हमारी तक़रार होने लगी।
उधर मेरी जवानी देख-देख कर मेरा फौजी ससुर मुझे दूसरी नज़र से देखने लगा। फौजी होते ही ऐसे हैं। एक रात हम दोनों के अलावा घर में ससुर जी ही थे। पति को पहली बार नशे में देखा था, वह बहुत मूड में था। उसने मुझे रोज़ की तरह नंगी कर दिया। मुझे चूम-चाट कर गरम कर डाला।
मैंने भी सोचा कि नशे के कारण शायद उसका आज देर से झड़े, क्योंकि मेरा आशिक दारू पी कर मुझे पूरी रात चोदता था। मैंने जितने भी लड़के फाँसे थे, सभी यह राय रखते थे। पहली बार नशे में पति को बिस्तर मे मूड में देखा, चूमा-चाटी के बाद उसने अन्दर डाला, पहले से कुछ अधिक समय तक टिका, लेकिन वह कुछ अधिक ही उत्तेजना के मारे, रोज़ की तरह मुझे फिर से प्यासी छोड़ कर लुढ़क गया। मैंने ख़ूब खरी-खोटी सुनाई और मेरे मुँह से नामर्द निकल गया। उसने साथ लाई बोतल में से और पी कर मुझे खूब मारा-पीटा और मुझे कमरे से निकाल दिया।
मैंने अभी सलवार पहनी थी, ब्रा हाथ में था कि उसने मुझे बाहर निकाल कर कमरा अन्दर से बन्द कर सो गया। मेरे और सारे कपड़े अन्दर ही थे। मैं ब्रा डाल कर सोफे पर बैठ कर रोने लगी, तभी ससुर जी अपने कमरे से बाहर आ गए। मैं घबरा गई। पास में पड़ी सोफे की गद्दी पकड़ ख़ुद को छुपाने लगी।
“बहू, क्या हुआ? बाहर बैठी हो, वो भी इस तरह? मेरे पास बैठते हुए मुझसे उन्होंने पूछा।
“मुझसे क्या शर्म, क्यों छुपा रही रही हो अपनी जवानी मुझसे? क्या बात है? फिर प्यासी छोड़ दिया बेवकूफ़ ने?”
वह ज़बरदस्ती करने लगे। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन एक फौजी जितनी जान नहीं थी मुझमें। उनकी फौलाद सी बाँहें देखकर मैं दंग रह गई। उनका पाजाम फूल चुका था। मतलब उनका लंड खड़ा हो चुका था। बेटे से दुगुना दम देखकर अधिक विरोध न कर पाई। वह मुझे बाँहों में उठाकर अपने बिस्तर पर ले गए और पटक दिया।
मेरी सलवार उतार कर बोले, इतनी पटाका बीवी मिली हो तो आदमी कैसे सो जाए? वह मेरी गोरी जाँघों को चूमने लगे। मैंने उनका पाजामा उतार दिया। नीचे कुछ नहीं था, लंड फनफना कर बाहर निकल आया। मैंने आज तक इतना बड़ा लंड नहीं लिया था। उनकी चौड़ी की छाती से अपने मम्मों पर रगड़ खाकर मेरी चूत गीली हो गई। मैंने उनका लंड मुँह में लिया और भूखी सी लंड पर टूट पड़ी।
ससुर जी ने मुझे सीधा लिटा, बीच में आकर पहले मेरी चूत सूँघी, “कितनी मस्त चूत है! कहते हुए उन्होंने अपने होंठ लगा दिए और मैं पागल हो गई। बेटा लल्लू, बाप फौलादी।
“बहू बहुत गरम माल है तू, कितने लौड़े खाए हुए हैं अभी तक?”
मैं शरमा गई, हाय छोड़ो… चोद दो मुझे अभी बस – मैंने सोचा
टाँगे खोलते हुए वह बीच में बैठ गए। लंड को चूत के होंठों पर रगड़ने लगे। मैं जल उठी। नीचे से कूल्हे उठाकर लंड डलवाने की नाकाम कोशिश की। मैं कह रही थी, अब तड़पाओ मत। लेकिन वह जानता था कि किस तरह एक आग जैसी गर्म औरत को ठंडी कैसे करते हैं। उसने धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर डाल दिया। मोटा लंड काफी दिनों के बाद डलवाया, मज़ा आ गया।
ज़बरदस्त झटके लगने लगे। “हाय…. हाय… चोद… ज़ोर से… ज़ोर से… हाय फाड़ डालो पापा… आज अपनी बहू को चित्त कर दो। देखो अपनी बहू को नंगी अपने नीचे लिटा कर चोद रहे हो…”
“साली ठंडी कर दूँगा, सारा माल तेरी कोख में डाल दूँगा…”
“हाय पापा अपना बीज मेरी कोख में डाल दो… सासू माँ ताने देतीं हैं…”
यह सुनकर वह और गरम हो गया।
“पापा अपनी रंडी बहू की चूत आज फाड़ दो। हाय, कुतिया हूँ मैं… मुझे कुत्ते की तरह चोदो… मुझे घोड़ी बना कर पेलो…”
उसके दम के सामने कितने दिनों बाद आज ऊँगली की बजाय लंड से झड़ी थी मैं। मुझे झड़ता देख उसने सीधा लिटा कर ऊपर से आते हुए टांगे कंधों पर रख कर तेज़ झटका दिया। तेज़-तेज़ झटकों से एक दम वो अकड़ने लगे और मेरे शरीर को मज़बूती से थाम अपना सारा पानी निकाल दिया।
“हाय ससुर जी, मज़ा आ गया।”
“बहू तुम बहुत ही सेक्सी माल हो।”
दोस्तों, फिर हम मौक़ा देखकर हमबिस्तर होने लगे। ससुर जी ने अपने दूसरे बेटे के लिए एक और फ्लैट ले रखा था जो पढ़ाई करता था। ससुर से आज्ञा लेकर मैंने एक कम्प्यूटर-क्लास में दाखिला ले लिया। लेकिन वह एक बहाना था। मैं सीधा फ्लैट पर जाती, जहाँ ससुर जी भी आ जाते, और हमारी रोज़ चुदाई के दौर चलते। मुझे अगली माहवारी नहीं आई। स्ट्रिप से जाँच किया तो मैं गर्भवती निकली। सासु माँ बहुत खुश हुईं।
ससुर जी भी जब उस दिन फ्लैट में मिले तो बहुत खुश हुए। पापा और दादा दोनों ने उस दिन मुझे और जोश से ठोंका। पर एक दिन उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह अब घर में रहते हैं, कमज़ोर हो गए हैं। मैं फिर से प्यासी रहने लगी।
एक दिन ननद और ननदोई पापा को मिलने आए। अब वो लगभग रोज़ आने लगे। वह मुझ पर फिदा थे, यह मैं भी जानती थी। एक दिन घर में अकेली थी, ननदोई जी आए, मुझे बाँहों में लेकर बोले, बहुत प्यार करता हूँ आपसे। हमारी बन जाओ रानी। मैं भी उनके आगोश में ढीली पड़ गई और… आगे क्या हुआ… यह अगली बार लिखूँगी…
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