पिंकी की बेटी सोनिया-3

वरिंदर 2008-12-19 Comments

प्रेषक : वरिंदर

इस वक़्त वो बहुत कम कपड़ों में थी, मैंने उसको गुदगुदी करनी चालू की।

मौसा जी ! क्या ना ? आपको हर पल मस्ती आई रहती है !

तू है ही इतनी मस्त कि मस्ती करने को दिल होता है, जब से कनाडा होकर आई हो, कुछ ज्यादा मस्त होकर आई हो ! मैंने गुदगुदी चालू रखी, उसकी बगलों में हाथ घुसा लिया और फिर टीशर्ट के अन्दर घुसा उसकी चूची पकड़ दबाने लगा, एक हाथ उसकी स्कर्ट में घुसा दिया- आज तेरी जांघों पर करूँगा ! देख कितना उछ्लेगी !

नहीं नहीं ! सच में बहुत होती है !

मैंने इधर उधर हार फेरते हुए उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को छुआ।

वो मचल गई।

उसकी शरारत वाली मस्ती उड़ने लगी और जवानी की मस्ती आने लगी।

अब मेरी बारी कह वो मेरे ऊपर चढ़ने लगी। वो मेरे वस्तिस्थल (लौड़े वाली जगह) पर बैठ गई।

मेरा तो खड़ा था, वो अनजान बनने लगी, मुझे गुदगुदी करने लगी।

उसने अपनी छाती का भार मेरे छाती डाला, जब झुकी तो टीशर्ट के अंदर से उसकी चूचियाँ दिखने लगी।

वो मेरे लौड़े को दबा रही थी आज वो बहाने से मेरा इम्तिहान ले रही थी।

मैंने कहा- अब तैयार हो जा घूमने जाने के लिए !

पहले हमने काफी पी, फिर सिनेमा गए। वहाँ रोमांटिक सीन आया, इमरान हाश्मी का बोल्ड सीन देख वो मेरे साथ सटने लगी। मैंने भी अपनी बाजू उसके कंधों पर डाल दी उसकी चूची दबाने लगा।

वो और करीब आने लगी, मैंने हाथ अंदर घुसा दिया, उसने विरोध नहीं किया। मैंने भी उसके चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके होंठ चूम लिए तो वो शर्माने लगी।

आज खुलकर पहली बार मैंने उसके होंठ चूसे।

चल सोनिया ! यहाँ से चलते हैं ! तुझे अपनी नईं एंडेवर गाड़ी से लौंग डराईव पर ले चलता हूँ, वहाँ फार्म हाउस दिखाता हूँ। वैसे सोनिया, वहाँ जाकर तेरी सोच बदल गई है।

मौसा जी, अगर मौसी जान गई कुछ भी तो तूफ़ान ला देंगी।

उसको कहाँ पता चलेगा? मुझे तेरे ऊपर दया आई, उदास नहीं देख सका !

उसको लेकर फार्महाउस गया, सीधा अपने कमरे में ले गया। नौकर पानी लेकर आया, मैंने उसको जाने का इशारा मारा और सोनिया को बाँहों में उठा लिया।

ले खुश हो जा ! अब हंस के दिखा !

मैंने उसको नर्म गद्दे पर फेंका और खुद भी उस पर चढ़ गया। मैंने उसकी टॉप उतार फेंकी, लाल रंग की ब्रा से मेरा दिल डोल गया, मैंने जल्दी से उसकी स्ट्रिप खोली, उसके मम्मे आज पहली बार सरेआम खुले देखे। क्या आकर्षक थे !

मेरा हाथ लगा तो तन गए, चुचूक सख्त होने लगा, मैंने उसको मुंह में लिया और चूसा।

अह, मौसा जी, बहुत मजा आता है !

मैंने एक एक कर उसके दोनों चुचूकों को जम कर चूसा, उसके मम्मों को दबाने लगा, वो आंखें मूंदने लगी।

कैसा लगा रहा है सोनिया मेरी जान? तू बिलकुल अपनी माँ पर गई है, तेरे मम्मे तो समय से पहले सेक्सी हो गये हैं !

मैंने धीरे से उसकी जींस का बटन खोला और नीचे खिसका दी, अलग ही कर दी और लाल चड्डी में वो आग के शोले की तरह जल रही थी।

उसने भी मेरी जींस उतारी, मेरा अंडरवीयर तंबू बनकर फटने को आया था, उसका हाथ पकड़ा और अपने अंडी में घुसवा दिया। मेरा लौड़ा पकड़ते वो एकदम से हिल गई- इतना बड़ा मौसा जी ?

क्यूँ तुझे छोटे पसंद आते हैं?

उह !

कभी पहले लिया है? सच बताना? बीच पर जिसके साथ जाती थी, उसने कभी तेरी ली है क्या?

दो बार कर चुकी हूँ ! उसका आप जितना बड़ा नहीं था, तब तो दर्द में ही समय निकल गया था।

चल मुंह में डाल इसको !

वो नीचे झुकी और लौड़ा चूसने लगी।

वाह ! क्या तुझे मजा आता है चूस कर?

मौसा जी, उसने मुझे लौड़ा चूसने की आदत डाल दी है, उसका मैंने चूसा कई बार है लेकिन सेक्स सिर्फ दो बार किया है।

वाह, तू तो मस्त कली है !

अठरह बरस की मदहोश जवानी नंगी मेरे नीचे लेटी थी, उसकी माँ ने उसे यहाँ भेज दिया कि बिगड़ने से बच जायेगी, यह कबूतरी तो मेरा ही शिकार हो गई।

मैंने उसको लिटाया उसकी लाल चड्डी उतारी और पहले उसकी महक ली।

वाह ! क्या मस्त गुलाबी चिकनी चूत !

मैंने उसी पल होंठ लगा दिए, जुबां निकाल कर चाटने लगा। प्यारी सी बच्ची की प्यारी सी चूत ! जिसका अपना ही रस था !

वो मेरे बालों में हाथ फेरती जा रही थी और मैं था कि चूत ही चाटे जा रहा था। इतनी प्यारी चूत थी कि बता नहीं सकता, हल्के भूरे रंग के बाल थे, कसी चूत !

मौसा जी और चाटो ना ! बहुत आनंद आता है !

वाह मेरी जान ! आगे चलकर क्या निकलेगी !

बोली- एक साथ करते हैं दोनों एक दूसरे के अंगों को !

मैंने अनजान बनते हुए कह दिया- एक साथ? वो क्या? और कैसे?

क्या मौसा जी? बनिए मत ! आप मेरी पूसी लिक करो और मैं आपका डिक सक करुँगी !

क्या पूसी-पूसी लगाई है? साली सिर्फ आठ महीने वहाँ रही है ! चूत है ! बोल मौसा जी मेरी चूत चाटो !

ओ के मौसा जी, आप मेरी चूत चाटो, मुझे साथ साथ अपना लौड़ा चुसवाओ !

इसका मतलब है तुमने सब कुछ पहले किया है?

सच बताऊं मौसा जी?

बता ना !

वहाँ मैंने ओरल का काफी मजा लिया है वहाँ बीच पर ! बच्ची जैसी से वो खेलता ज्यादा था !

कितने लौड़े चूसे हैं? सच बताना !

सिर्फ एक का चूसा है !

चल मेरा चूस !

वाह, अह ! बहुत टेस्टी लौड़ा है मौसा जी आपका !

एक बात बताओ मौसा जी, आठ महीने पहले जब मैं यहाँ थी और उस आखरी दिन जब मुझे पापा लेने आ गए थे?

हाँ हाँ बोलो क्या पूछना है?

उस दिन आप मूड बना चुके थे ना? उस दिन मैंने भी सोचा था कि अगर मौसा जी आगे कदम बढ़ाते हैं तो मैं रोकूंगी नहीं ! बताना आप सच?

हाँ उस दिन खेल नहीं रहा था, तुझे उकसा रहा था कि तू गर्म हो जाए और तेरी चूत मारूँ !

आपने ही मेरे अन्दर यह सब जगाया ! एक समय था जब आप गुदगुदी किया करते थे, मुझे अजीब सा मजा आता था ! जब आपका हाथ मेरे मम्मों पर जाता था तब दो साल पहले मेरे छोटे छोटे थे लेकिन आप अपना ठरक तब भी नहीं छोड़ते थे।

हां सच में !

वो चुप होकर चपड़-चपड़ लौड़ा चूसने लगी, कुछ देर मजे लेने के बाद मैंने उसको गोदी में उठाया। छोटी सी प्यारी सी अठरह साल की कामुक जवानी फूल जैसी लग रही थी, दिल करता था जल्दी से घुसा दूँ ! मेरा लौड़ा सच में काफी बड़ा है ! साली के अलावा मैंने आस पास कई भाभी लोगों की प्यास भुजाने का काम किया था, कभी कभी तो आंटी भी मिल जाती, कुंवारी तो थी ही थी ना !

मैंने उसको सोफे पर बिठा दिया, खुद नीचे बैठ गया, उसकी टांगें चौड़ी करवा बीच बैठ पहले उसको चाटने लगा, देखा कि क्या फटेगी तो नहीं, देखा कितनी कसी है, पहले ऊँगली घुसी तो वो कसमसाई। मैंने ऊँगली हिलाई तो वो चुप रही। मैंने जल्दी से थूक निकाला, अपने लौड़े पर लगा दिया, कुछ उसकी चूत पर ! उसकी चूत से पानी रिसने लगा था, मैंने कहा- जरा संभाल लेना !

मैंने ठिकाने पर रख झटका दे मारा, मेरा सुपारा पूरा घुस गया और फंस गया, वो रोने लगी, चिल्लाने लगी।

मैंने जल्दी से उसके मुंह पर हाथ रखा और दूसरा झटका लगा डाला। आधा लौड़े बीच में फंस गया था, वो आँसू निकाल कर रोने लगी।

मैंने भी तीसरा झटका दिया, काफी घुस गया, उसकी चूत से खून निकलने लगा। मेरा मर्द जागा, वाह वरिंदर एक और सील तोड़ी तूने ! मसल दे !

उसका दर्द भूल अपनी मर्दानगी पर गुमान करते हुए आखरी झटका दिया, पूरा लौड़ा उसकी चूत को फाड़ कर इतराने लगा।

मैंने पूरा निकाला, उसको रहत मिली। अब मेरा ध्यान उस पर गया, अधमरी सी ! अरे यह क्या किया मर्दानगी के गुमान में अपनी भांजी को रौंद दिया?

उसके मुंह से हाथ उठाया वो रोने लगी- क्या आप ने एक बार भी नहीं देखा?

बस बेबी हो गया !

मैंने पास पड़ी उसकी ही पैंटी से लौड़े को पौंछा, उसकी चूत से खून साफ़ किया और थूक लगा कर झटका मारा। आधा घुस गया, पहले से कम दिक्कत हुई, तीन झटकों में फिर उतार दिया।

अब आगे पीछे करने लगा तो उसको कुछ राहत मिली और बोली- मौसा जी, अब अच्छा फील होने लगा है !

कुछ ही देर में वो कूल्हे उठाने लगी, मैंने स्पीड तेज़ कर दी, उसने भी कूल्हे उठाने तेज़ कर दिए, मानो उसका काम होने वाला हो !

मेरा भी काम होने के करीब था इसी लिए अंधाधुंध झटके लगने लगे। वो हिलकर रह गई और मैंने अपना पूरा माल उसकी चूत के अंदर ही उगल दिया।

बाद में पछताने लगा कहीं उसका ठहर ना जाए।

बोली- बहुत टीसें उठ रही हैं !

ऐसा कर गर्म पानी से साफ़ कर ले ! अभी तेरी मौसी को दो दिन नहीं आना ! मौका ही मौका है !

मैंने भी कंडोम खरीद लिए, दो दिन में मैंने उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया और फिर तो दोस्तो, मैंने साली के बाद उसकी बेटी का किला भी फ़तेह कर डाला।

मेरे मुंह पर खून लग गया था, इतने में मेरी दूसरी साली ने भी भारत आने का कार्यक्रम बना लिया और मैंने फ़ोन पर उसकी मोना से बात सुनी, बोली- मोना, यार मैं बहुत परेशान हूँ, तेरे जीजू तो हफ्ता हफ्ता मेरी चूत नहीं मारते, बुरा हाल है ! दिल करता है तलाक दे डालूँ !

मैंने दिल में कहा- तू आ तो सही ! मैं हूँ ना रानी !

दोस्तो, साली और उसकी बेटी चुद गई !

आगे मैंने कुछ सीलें और तोड़ी, वो भी रिश्तेदारी में ! वरिंदर को भूलना मत ! अगली सच्ची कहानी जल्दी लाऊँगा।

तब तक के लिए मुझे इजाज़त दो !

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