मेरी दीदी लैला -4
(Meri Didi Laila-4)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left मेरी दीदी लैला -3
-
keyboard_arrow_right मेरी दीदी लैला -5
-
View all stories in series
लैला दीदी – एक सफर – मासूम लड़की से लंड की प्यासी-2
आपने मेरी कहानी के तीन भाग पढ़े और मुझे ढेर सारे मेल किये। अन्तर्वासना के जिन लेखकों का मैं कद्रदान हूँ, उनके मेल्स के मैंने जवाब दिए, साथ ही बहुत से पाठकों के अच्छे मेल्स के भी जवाब दिए। परन्तु उन महानुभावों से मेरा हाथ जोड़ कर पुरजोर अनुरोध है जो हर कहानी यह सोच कर पढ़ते हैं कि शायद कहानी की नायिका उनको भी भोगने को मिल जाए, कृपया ऐसे पाठक मुझे मेल न करें। क्योंकि मुझे गाली-गलोच करने की आदत नहीं है, न ही मैं ऐसी आदत डालना चाहता हूँ।
तो दोस्तों बंटी के यहाँ से अपने घर वापिस आने के बाद क्या क्या हुआ, आपके सामने प्रस्तुत है लैला दीदी के ही शब्दों में !
बंटी ने बहुत कहा कि लैला को थोड़े दिन यहीं रहने दो। बुआ ने भी कहा पर पापा ने कहा लैला की छुटियाँ कल से खत्म हो रही हैं। और फिर पापा मुझे लेकर वापिस घर आ गये। घर वापिस आने के बाद मैं फिर से अपनी पुरानी जिंदगी में लौटने लगी पर वो जो बंटी ने मुझे नई चीज सिखा दी थी, वो मेरे दिमाग से निकली नहीं।
पर यहाँ मुझे कोई भी ऐसा लड़का नहीं मिल रहा था जिसके साथ मैं वो वाला खेल खेल पाती। ऐसा भी नहीं था कि मेरे फ्रेंड सर्किल में लड़के नहीं थे, पर मुझ में हिम्मत नहीं होती थी कि मैं अपने फ्रेंड्स से कहूँ वो खेल खेलने को।
धीरे धीरे करके दिन बीतने लगे और वो खेल खेलने की मेरी इच्छा और बलवती होती गई।
एक बार पापा अपने आफिस के काम से कुछ दिनों के लिए दूसरे शहर गये हुये थे। इसी बीच मम्मा की किट्टी पार्टी आ गई, वैसे तो मैं बहुत बार मम्मा के साथ उनकी किट्टी पार्टियों में गई थी, पर वहाँ कोई मेरी उम्र का नहीं होता था इसलिए मैं वहाँ बोर होती थी सो मैंने मम्मा को बोल दिया कि इस बार मैं आपके साथ नहीं जा रही, मैं घर पर रह कर टीवी देखूंगी।
हमारा घर एक व्यस्त मोहल्ले में होने के कारण ऐसा वैसा तो कोई डर नहीं था, फिर भी मम्मा ने मुझे कहा- ठीक है तुझे नहीं जाना तो तेरी मर्जी, पर मुख्य दरवाजा अंदर से लॉक रखना।
फिर मम्मा ने मुझे कुछ लोगों के नाम बताए कि सिर्फ इन्हीं के आने पर दरवाजा खोलना है, इनके इलावा न तो किसी के लिए दरवाजा खोलना है न ही किसी को घर के अंदर लेकर आना है।
मैंने कहा- ठीक है।
और मम्मा मेरे को थोड़े और निर्देश देकर अपनी किट्टी पार्टी में चली गईं।
मैंने घर का दरवाज़ा अंदर से बंद किया और अंदर आकर टीवी देखने लगी। कुछ ही देर बाद घर की बेल बजी, मैं गेट पर गई और जैसे कि मम्मा ने बताया था मैंने की-होल से झाँक कर देखा तो बंटी और उसकी मम्मी यानि मेरी बुआ थी।
मैंने गेट खोला और हम तीनों अंदर आ गये। बंटी को अपने घर पर पाकर मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था।
बुआ ने पूछा- मम्मा-पापा कहाँ हैं?
तो मैंने बताया कि पापा बाहर गये हुये हैं और मम्मा किट्टी पार्टी में गई हैं।
मैंने बुआ को कहा- बुआ जी, मैं फोन करके मम्मा को बुला लेती हूँ।
तो बुआ ने कहा- नहीं बेटा, मेरी ननद यहाँ हास्पिटल में दाखिल है, और मैं उसकी देखभाल के लिए यहाँ आई हूँ। जब बंटी को पता चला कि मैं यहाँ आ रही हूँ तो यह जिद करने लगा साथ आने की।
और बुआ ने कहा- अभी मैं हास्पिटल जा रही हूँ, रात को वापिस आ जाऊँगी। जब तक भाभी घर नहीं आती तब तक तुम दोनों घर पर रहो ! जैसा भाभी ने कहा है किसी अनजान के लिए दरवाजा मत खोलना।
और बुआ चली गईं। बुआ के जाते ही बंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझसे कहा- लैला, मैं सिर्फ तुम्हारे लिए आया हूँ।
मुझे यह सुन कर बहुत अच्छा लगा, मेरे अरमान फिर से जागने लगे, मैंने बंटी को कहा- चलो अंदर चलते हैं।
और हम कमरे में आ गये। कमरे में आकर हम बिस्तर पर लेट गये और बंटी ने मुझसे कहा- लैला अब मेरे को गाण्ड लेने का असली तरीका पता चला है, जिससे तुमको बहुत मजा आयेगा।
तो मैंने कहा- फिर लेकर दिखा ना !
तो उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और फिर अपने भी। मैंने देखा उसकी लुल्ली और भी मजबूत लग रही थी। उसने मुझे कोई क्रीम या तेल लाने को कहा।
मैं आंवला तेल की शीशी लेकर आई और उसको दे दी। उसने मुझे बेड पर पेट के बल लिटाया और अपने एक हाथ की तर्जनी उंगली और अंगूठे से मेरी गाण्ड की दरार खोली और छेद पर ढेर सारा तेल लगाया और फिर अपनी सबसे छोटी उंगली मेरे छेद में डालने लगा। जब उसकी उंगली मेरे छेद में आसानी से घुसने लगी तो उसने अपनी लुल्ली को भी तेल में भिगो लिया और फिर से मेरे छेद पर तेल डाल कर अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगा। फिर वो मेरे ऊपर आ गया और एक हाथ से मेरी गाण्ड की दरार को चौड़ा किया और अपनी लुल्ली मेरी गाण्ड के अंदर डाल दी।
अब आप लोग सोचोगे कि गाण्ड में पहली बार लुल्ली डालने से लड़की को दर्द क्यूँ नहीं हुआ?
तो इसका जवाब यह है कि यह सब उसके साथ एक लड़का करता था जिस कारण बंटी सब सीखा हुआ था, उसने पहले मेरी तंग गाण्ड में अपनी सबसे छोटी उंगली अंदर-बाहर करके मेरी गाण्ड को खुला किया, फिर अपनी बड़ी उंगली डाल कर मेरी गाण्ड के छेद को अपनी लुल्ली के लायक बनाया। तो बताइये दर्द कैसे होता?
खैर मैं पेट के बल लेटी हुई थी और वो मेरे ऊपर था और अपनी लुल्ली मेरी गाण्ड के अंदर-बाहर कर रहा था। उसकी लुल्ली के घर्षण से मुझे असीम आनन्द आने लगा।
पता नहीं वो कितनी देर लगा रहा, और मैं धीरे धीरे थकने लगी, मैंने उसको कहा- बंटी बस करो, मैं थक गई हूँ !
तो बोला बस दो मिनट और !
और फिर सच में ही 2-3 मिनट बाद उसने अपनी लुल्ली मेरी गाण्ड में से बाहर निकाल ली। बंटी हमारे यहाँ तीन दिन रुका और इन तीन दिनों में उसने शायद 10-12 बार किया। सच में बंटी को गाण्ड देने में मुझे इस बार ज्यादा मजा आ रहा था।
फिर जिस दिन बंटी और बुआ को वापिस जाना था तो उस दिन सुबह मैंने बंटी से कहा- बंटी, तुम तो आज शाम को वापिस चले जाओगे और मैं यहाँ किसको गाण्ड दूँगी?
तो बंटी बोला- तुम फिकर ना करो, मेरी बुआ यहाँ रहती हैं न जिनके लिए मैं और मम्मा यहाँ आये हैं, उनका बेटा है, मैं उसको बता देता हूँ तुम्हारे बारे में, वो तुम्हारी ले लिया करेगा।
मैंने कहा- हाँ बंटी, तुम प्लीज़ बताओ उसको और उसको बोलो मेरी गाण्ड लेने के लिए।
तो बंटी ने अपनी बुआ के घर फोन किया और अपने कज़िन से मेरे बारे में बात की। फिर बंटी ने मुझे बताया कि मेरी कज़िन से बात हो गई है, वो तुम्हारी ले लिया करेगा।
मैंने कहा- कब?
तो बंटी ने मुझे अपने कज़िन के घर का फोन नंबर दे दिया और बोला- लैला, तुम किसी बहाने से विक्की भैया से फोन पर बात कर लेना।
मैंने कहा- हाँ ठीक है।
और फिर शाम को बंटी अपनी मम्मी के साथ वापिस चला गया।
फिर कुछ दिन ऐसे ही बीत गये, मैं बंटी के कज़िन के फोन का इंतज़ार करती रही पर उसका फोन नहीं आया। फिर एक दिन मैंने उसके घर फोन किया। फोन उसकी मम्मी ने उठाया तो मैंने उनको बताया- आंटी, मैं बंटी की कजन लैला बोल रही हूँ। बंटी ने मुझे बताया था कि विक्की भैया का मैथ बहुत अच्छा है तो मुझे विक्की भैया से कुछ सवाल सीखने के लिए बात करनी है।
तो आंटी ने कहा- हाँ बेटा, मैं विक्की से बात करवाती हूँ।
तो आंटी ने विक्की भैया को आवाज लगाई। जब विक्की भैया लाइन पर आये तो मैंने उनसे कहा- भैया, मैं लैला बोल रही हूँ।
तो उन्होंने कहा- बोलो लैला?
मैंने कहा- कुछ नहीं भैया, ऐसे ही फोन कर दिया मैंने।
तो उन्होंने कहा- लैला, मुझे पता है, तुमने फोन क्यूँ किया है, गाण्ड देने को दिल कर रहा है न तुम्हारा?
मैंने कहा- नहीं भैया, मैंने तो बस ऐसे ही किया था !
तो भैया बोले- अब बन मत ! मुझे बंटी ने बता दिया था कि वो तेरी गाण्ड लेता है और तुझे भी खूब मजे आते हैं गाण्ड मरवा के ! और बंटी ने मुझसे रिक्वेस्ट की थी कि लैला का गाण्ड देने का बहुत मन करता है सो मैं तेरी गाण्ड ले लिया करूँ।
तो मैं चुप हो गई।
फिर उन्होंने मुझसे कहा- थोड़े दिन रुक जाओ, जिस दिन मम्मा घर न हुई तो तुझे बता दूँगा, तू घर आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है भैया ! पर जब आप फोन करोगे अगर फोन मम्मा ने उठाया तो आप मम्मा को यही मैथ वाली बात ही बोलना, और ज़रा जल्दी करना।
विक्की भैया ने कहा- ठीक है !
और फिर फोन काट दिया। फिर थोड़े दिन बाद विक्की भैया का फोन आया, संयोग से फोन मैंने ही उठाया क्यूंकि मम्मा रसोई में कुछ काम कर रही थीं।
तो विक्की भैया ने मुझे कहा- लैला, मौका नहीं मिल रहा, मेरी मम्मी कहीं घर से बाहर नहीं जा रही और वैसे भी तेरे लिए बिना बताए मेरे घर आना मुश्किल हो जाएगा तो मैंने एक प्लान सोचा है।
मैंने कहा- कैसा प्लान?
तो विक्की भैया ने कहा- तू एक काम कर, तू अपनी मम्मा को बोल कि तुझे मैथ में कुछ प्रॉब्लम है और बंटी बता रहा था कि विक्की का मैथ बहुत अच्छा है तो मैथ की ट्यूशन रखने की बजाये क्यूँ न तू मुझसे मैथ पढ़ लिया करे।
मैंने कहा- ठीक है भैया, मैं मम्मा से बात करुँगी।
फिर उसी दिन मैंने शाम को मम्मा से कहा- मम्मा, मुझे मैथ में थोड़ी प्रॉब्लम आ रही है तो मैं सोच रही थी कि मैथ की ट्यूशन रख लूँ।तो मम्मा ने कहा- ठीक है, तेरे पापा को बोलती हूँ कोई मैथ टीचर ढूँढने को जो ट्यूशन पढ़ाता हो।
तो मैंने कहा- मम्मा, वो बंटी कह रहा था कि जो सुमन आंटी का बेटा है ना विक्की भैया, उनका मैथ बहुत अच्छा है, तो क्यूँ ना मैं विक्की भैया से मैथ पढ़ लिया करूँ?
तो मम्मा ने कहा- ठीक है, मैं सुमन से बात कर लूंगी।
मैं दिल ही दिल में खुश होते हुये बोली- मम्मा, एक्जाम आने वाले हैं सो एक दो दिन में ही बात कर लेना ताकि मेरी मैथ कि तैयारी अच्छी तरह से हो सके।
मम्मा ने कहा- कोई बात नहीं, मैं आज ही बात करती हूँ उनसे।
7-8 बजे मम्मा ने मुझे बताया कि उनकी सुमन आंटी से बात हो गई है और उन्होंने विक्की से भी बात कर ली है, विक्की ने कहा है कि वो छह से सात बजे तक फ्री होता है तो लैला को 6 बजे तक भेज दिया करो। तो तू कल से चली जाया करना उनके घर पढ़ने के लिए।
मैंने कहा- ठीक है मम्मा !
विक्की भैया का घर हमारे घर से थोड़ा दूर था तो मम्मा ने एक ऑटो वाले को जो हमारे मोहल्ले की सवारियाँ उठाता था, को बोल दिया मुझे विक्की भैया के घर छोड़ने और फिर वापिस घर लाने को।
यह था मेरे लण्ड की प्यासी लड़की बनने की तरफ मेरा दूसरा कदम !
मेरे सफर के दर्शक बने रहिएगा…
लैला अरोड़ा
तो दोस्तो, यह थी मेरी लैला दीदी के लंड की प्यासी बनने के सफ़र का दूसरा पड़ाव !
दोस्तो, मैं आपको एक बात बता देना चाहता हूँ कि मेरा मानना है कि भले ही कहानी चुदाई पर आधारित हो परन्तु कहानी में चुदाई के दृश्य उतने ही होने चाहिए जितना सब्जी में छौंक होती है। इसीलिए मेरी रचनाओं में लंड और चूत का मिलन सिर्फ उतना ही होगा जितना जरूरी होगा। मैं नहीं चाहता कि जरूरत से ज्यादा छौंक लगा कर सारी सब्जी खराब कर दूँ। और वैसे भी किसी ने किसी के मम्मे कितनी देर दबाये, लंड कितनी देर चुसवाया, चूत कितनी देर चाटी, लंड चूत में घुसा कर धक्के कितनी देर मारे इत्यादि से कामुकता का कुछ लेना देना नहीं है, उलटे इससे रचना में बोरियत पैदा होने लगती है।
रहा मेरी बहन का सवाल कि मेरी बहन कैसी दिखती है? “मेरी लैला दीदी” के पाठकों को अपने मनमानस में खुद ही मेरी लैला दीदी की छवि उकेरनी होगी।
आपकी मेल्स का इंतज़ार रहेगा।
What did you think of this story??
Comments