मेरी डार्लिंग सिस्टर-13

(Meri Darling Sister- Part 13)

डॉली 2013-09-01 Comments

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मेरे लौड़े को अब सेक्स ने इतना घेर लिया था कि धकाधक उसकी चूत को रगड़ने में जुट गया।
करीब बीस मिनट उसको जबरदस्त तरीके से रगड़ कर जैसे ही झड़ने की हुआ, तभी सुमीना बोली- अबे… अंदर मत झड़ना अभी जरा रुक, मैं तुझको बताती हूँ कि क्या करना है?’

और इतना कह कर उसने मुझसे कहा- लौड़े को अंदर डाले-डाले ही मेरे लिए एक पैग बना, और एक सिगरेट भी सुलगा।

मैंने उसके ऊपर चढ़े-चढ़े गिलास में व्हिस्की डाली और सोड़े की बोतल खोल कर उसमें थोड़ा सोड़ा मिलाया और उसको देने लगा तो वो बोली- अभी रख दे, पहले सिगरेट जला।

मैंने सिगरेट जलाई और खुद एक कश लगा कर उसकी चूत में और जोर से धक्का मारा।

वो किलकारी मार कर बोली- हाय मेरे राजकुमार चोद और जोर से चोद और अपने लौड़े का पानी मेरे नाश्ते के वास्ते रखना और अब चालू हो जा… झड़ने तक रुकना मत कुत्ते।

मैंने उसको सिगरेट दी और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों कबूतर पकड़े और धक्कों की रेलम-पेल लगा दी और एक तेज आवाज के साथ मेरे लौड़े ने अपना लावा उगलने को तैयारी कर ली थी।

मैंने लंड खींचा और सुमीना के खुले मुँह में ठूंस दिया। यह कहानी आप अन्तर्वास ना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘आह…आह…’ करते हुए मेरा पूरा पानी झटके से पिचकारी छोड़ते हुये सुमीना के मुँह में नाश्ता बन कर जा रहा था और हरामजादी गड़प-गड़प करके पूरा माल निगल रही थी।

उसने मेरा पूरा हथियार अपने मुँह में खा लिया था और पूरा माल गटकने के बाद लौड़े को चाट-चाट कर साफ़ करके दारू का गिलास उठाया और एक झटके में पूरा गिलास पी गई।

उसका चेहरा तमतमा रहा था। सिगरेट के कश खींच कर ढेर सा धुआँ बाहर छोड़ा। उसके मुख पर तृप्ति के भाव आए जैसे बिल्ली ने ढेर सारी मलाई चाटी हो।

मैं भी निढाल हो कर चित्त पड़ा था और सुमीना सिगरेट के छल्ले उड़ा रही थी। उसने एक लार्ज पैग और बनाया और नीट ही खींच गई। उसकी दारू पीने की क्षमता वास्तव में बहुत थी।

उसकी आँखें लाल डोरे से भरी थीं, मैंने उसको ठकठकाया- दादा के लंड को कब खा लिया था तुमने?

बोली- एक लम्बी कहानी है, तुझको सुनाऊँगी जरूर। उसके लंड के बाद मुझे तेरा लौड़ा ही दमदार मिला मेरे चिकने भड़वे। चल जा और अब अपनी छिनाल बहन को उठा कर ला। आज उसको भी सुबह से दारु ही पिलाऊँगी।

मैंने कहा- हाँ, बियर तो वो पीती है पर व्हिस्की की नहीं मालूम पीती है कि नहीं?

मैं अपने कपड़े पहनने लगा तो सुमीना ने सिगरेट का धुंआ उड़ाते हुए खिलखिला कर बोला- क्यों बे भड़वे? उसको लंड दिखाने में क्या तेरी गांड फटती है। इधर आ मादरचोद में तेरे डंडे को पूरा खड़ा कर दूँ और तू फिर अपना खड़ा लौड़ा ले कर जाना। उसको जगा कर कहना कि चल तुझे तेरी माँ बुला रही है, चुदने के लिए। हा हा हा।

मैं उत्तेजित हो उठा कि अब ये साली मेरी बहन को भी मुझसे खुद के सामने चुदवाने का इरादा रखती है।

मैं उठा और उसके पास गया सुमीना ने मेरे लौड़े को लगभग खींचते हुये अपने मुँह में ले लिया और चपर-चपर करके चूसने लगी।

सिगरेट पी कर धुंआ मेरे लौड़े को सुंघाती रही। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरा हथियार मूसल की तरह खड़ा हो चुका था।

‘अब जा मेरे चिकने भड़वे, जाकर अपनी उस छिनाल बहन को जगा कर ला, और सुन जैसे तू नंगा जा रहा है न, वैसे ही नंगा करके लाना उसको भी। जा मादरचोद अब फूट ले।

मैंने भी बड़े प्यार से हँस कर उस की चूची को एक बार जोर से भींचा और बहन के कमरे की तरफ अपना मूसल छाप लौड़ा हिलाते हुए चल दिया।

मैंने भी उसको पूरे मन से चोदने का मूड बना लिया था। दारु का सुरूर तो था ही। मेरे कमरे का दरवाजा खुला था।

मैंने अंदर जा कर देखा कि सोनू सो रही थी और उसकी नाईटी ऊपर को चढ़ी होने से उसकी गोरी-गोरी जाँघें अपनी मस्ती बिखेर रही थीं।

मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और उसकी एक चूची को हौले से दबा कर उसको आवाज दी- सोनिया उठ!

वो बेसुध सो रही थी, दो-तीन बार आवाज देने पर वो जरा कुनमुनाई, तो मैंने उसके हाथ में अपना खड़ा लंड पकड़ा दिया।

अब वो जरा चौंकी, और उसने अपनी मस्त आँखें खोलीं, जैसे ही उसने मुझे नंगा देखा, एकदम से उठ कर बैठ गई।

बोली- भाई तुमको क्या हो गया है? कल की बात भूल गए क्या? और मम्मी किधर हैं? अभी उन्होंने देख लिया तो बवाल हो जाएगा।

मैंने कहा- अब कुछ नहीं होगा मेरी जान! तू जल्दी से उठ और अपने कपड़े उतार, तुझे मैं मम्मी के सामने ही चोदूँगा और साली वो कुतिया सुमीना कुछ नहीं बोलेगी।

जैसे ही मैंने सुमीना कहा, उसकी आँखें हैरत से फट पड़ीं- क्या तू मम्मी का नाम लेता है, साले क्या हो गया तुझको?

मैंने कहा- तू उठ तो और जरा मेरे साथ चल तुझे सुमीना ने नंगा करके लाने को कहा है।

सोनिया ने जैसे ही यह सुना, उसकी गांड फट गई, वो डर गई और बोली- क्या हुआ? मुझे पहले बताओ न!

मैंने कहा- उसने कहा है कि उसको नंगा करके मेरे सामने लाओ। बस इस से आगे मैं तुमको कुछ नहीं बता सकता हूँ। अब तुम उठो नहीं तो वो कुतिया अभी आवाज देने ही वाली होगी।

मेरा इतना कहना था कि उसकी आवाज आ गई।

‘किधर मर गया साला, अभी तक नहीं उठा पाया? क्या मैं आऊँ? सर के बाल पकड़ कर खींचती हुई लाऊँगी तुम दोनों को। जल्दी आओ!!’

सोनिया तो थर-थर काँपने लगी थी। जल्दी से उठ कर मेरे साथ चलने को हुई तो मैंने उसको फिर कहा अपने कपड़े उतारो।

वो कुछ कहती, मैंने एक झटके में उसकी नाईटी उतार कर फेंक दी। नीचे वो सिर्फ एक थोंग पहने हुई थी।

बड़ी हसीन माल लग रही थी, 34 साइज़ के उसके गुलाबी दूद्दू और लाल-लाल निप्पल तने से खड़े थे। मन तो हुआ कि यहीं दबोच लूँ।

पर अभी पूरा सर्कस बाकी था तो यह सोच कर मैंने भी कुछ नहीं किया और एक झटके उसकी चड्डी (थोंग) को खींच कर फाड़ दिया।

अब वो मेरे तरह नंगी थी। उसको नंगे होने से ज्यादा डर सुमीना का लग रहा था, वो चलने को तैयार ही नहीं दिख रही थी। मैं जबरन उसको अपनी गोद मैं उठाया और चल पड़ा सुमीना के कमरे की तरफ।

मेरे मुँह के पास सोनिया की चूची थी। मैंने दबा लिया उसके एक निप्पल को अपने होंठों से और चुभलाने लगा।

सोनिया कुछ नहीं बोल रही थी। मैं मम्मी के रूम में पहुँचा और सोनिया को उनके बिस्तर पर उतार दिया।

सोनिया ने जैसे ही मम्मी को नंगा अपनी चूत फैलाए सोफे पर बैठा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।

कहानी जारी रहेगी।

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